रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी (RMP) ने भारत में अगस्त में ऑपइंडिया के सहयोग से “#Tweet4Bharat” नामक पहली ट्विटर-थ्रेड प्रतियोगिता की शुरुआत की, जिसमें लोगों को पोर्टल पर अपने ट्वीट थ्रेड को प्रकाशित करने और इस प्रक्रिया में नकद पुरस्कार जीतने का अवसर दिया गया।
RMP, 1982 से अपने ‘सार्वजनिक जागृति’ मिशन के हिस्से के रूप में सेमिनार और कार्यक्रमों के माध्यम से सार्वजनिक बातचीत को आकार देने के लिए काम कर रहा है। “#Tweet4Bharat” का उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व के महत्वपूर्ण मुद्दों पर लिखने, चर्चा करने और विचार-विमर्श करने के लिए युवाओं को ‘ट्विटर थ्रेड्स’ का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करना था।
इस प्रतियोगिता में उम्मीद से काफी अधिक लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और आखिरकार बहुत अधिक विचार-विमर्श के बाद अब हम विजेताओं की घोषणा करने की स्थिति में हैं। प्रत्येक श्रेणी में प्रतिभागियों के जीतने के थ्रेड यहाँ भी पढ़े जा सकते हैं।
हिंदी भाषा
हिंदी भाषा श्रेणी के राष्ट्रीय एकीकरण सेक्शन में विजेता हैं:
सर्वश्रेष्ठ थ्रेड: @THESHUBHAMV
सबसे रचनात्मक थ्रेड: @TheSignOfFive
लोगों की पसंद: @ManishJangidJNU
हिंदी भाषा श्रेणी के लैंगिक समानता सेक्शन में विजेता हैं:
बेस्ट थ्रेड: @SaffronKoffee
सबसे रचनात्मक थ्रेड: @RealIndianSon
लोगों की पसंद: @hurkatneeta
हिंदी भाषा श्रेणी के सामाजिक न्याय सेक्शन में विजेता हैं:
सर्वश्रेष्ठ थ्रेड: @deeptibharadwaj
सबसे रचनात्मक थ्रेड: @ bhav2406
लोगों की पसंद: @Fussy_ca
इन विजेताओं में से प्रत्येक के थ्रेड अब नीचे लिस्टेड होंगे।
@THESHUBHAMV द्वारा किए गए ट्वीट थ्रेड हिंदी-राष्ट्रीय एकता श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ थ्रेड है।
Thread- 2 ( राष्ट्रीय एकात्मता )-
— आर्य शुभम् 🚩 Shubham Verma (@THESHUBHAMV) August 8, 2020
“भारत एक राष्ट्र कभी नहीं था” – यह सर्वप्रथम ‘जॉन स्ट्राचे’ नामक अंग्रेज़ ने अपनी पुस्तक ‘इंडिया – इट्स एड्मिनिसट्रेशन एंड प्रोग्रैस’ मे 1888 मे लिखा था| इसी को अंग्रेज़ो ने आगे पुस्तकों मे प्रतिपादित करना शुरू दिया…#Tweet4Bharat @iidlpgp pic.twitter.com/trE7x1FcgU
Thread-4 (राष्ट्रीय एकात्मता)-
— आर्य शुभम् 🚩 Shubham Verma (@THESHUBHAMV) August 8, 2020
भाषा-
प्राचीन काल से भारत मे विभिन्न मातृभाषाओं के साथ-साथ एक राष्ट्रभाषा भी रही है जिससे व्यापारी, संत तथा बाकी समाज आपस मे जुड़ता था| ‘संस्कृत’ भाषा के शब्द आज भी भारत की बहुत भाषाओं मे अत्याधिक मात्रा मे मिलते हैं.. #Tweet4Bharat @iidlpgp pic.twitter.com/LfJwBddChX
Thread- 6 (राष्ट्रीय एकात्मता)-
— आर्य शुभम् 🚩 Shubham Verma (@THESHUBHAMV) August 8, 2020
साहित्य तथा क्षेत्र –
‘रामायण’ मे श्री राम अयोध्या से रामेश्वरम तक जाते हैं | उनकी माता कैकई के पिता का राज्य आज के पाकिस्तान तक फैला था |
इसके अलावा ‘महाभारत’ मे गांधारी- कंधार(अफगानिस्तान), अर्जुन का मणिपुर की कन्या से विवाह..#Tweet4Bharat pic.twitter.com/eAckuMLlgR
Thread- 8 –
— आर्य शुभम् 🚩 Shubham Verma (@THESHUBHAMV) August 8, 2020
इतिहास-
जीसस से भी लगभग 322 वर्ष पूर्व चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य था जो अशोक के बाद तक चला तथा इसमे आज के भारत का बहुत बड़ा हिस्सा था | इसके बाद कनिष्क, सातवाहन, गुप्ता तथा चालुक्य-चोला शासको के समय भी भारत का बड़ा हिस्सा एक संस्कृति मे रहा.. #Tweet4Bharat pic.twitter.com/4KPW8ebaG2
Thread- 10 (राष्ट्रीय एकात्मता) –
— आर्य शुभम् 🚩 Shubham Verma (@THESHUBHAMV) August 8, 2020
जातीयता या सामान्य संस्कृति –
आदि शंकरचार्य ने हजारों वर्ष पूर्व 4 मठों की स्थापना की थी इनमे
शृंगेरी – दक्षिण , गोवर्धन – उड़ीसा , शारदा – गुजरात , ज्योतिर्मठ – उत्तरांचल मे है | इसके अलावा उन्होने कश्मीर मे भी मठ बनाया था..#Tweet4Bharat pic.twitter.com/JV4Az4y0Zh
Thread- 12 (राष्ट्रीय एकात्मता)-
— आर्य शुभम् 🚩 Shubham Verma (@THESHUBHAMV) August 8, 2020
इस्लामिक हमलों के समय सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने के लिए ‘भक्ति आंदोलन’ शुरू दक्षिण मे हुआ वो बाद मे बंगाल तथा उत्तर भारत तक मे फैला| इसमे सारे देश के संत शामिल थे जैसे-
अलवर और नायानर, बसावन्ना, तुलसी, चैतन्य महाप्रभु आदि #Tweet4Bharat pic.twitter.com/bqNrF7s306
Thread- 14-
— आर्य शुभम् 🚩 Shubham Verma (@THESHUBHAMV) August 8, 2020
अंग्रेज़ो के राज से पहले मराठों ने पहले शिवाजी तथा बाद मे बाजीराव, पेशवा इत्यादि के शासन मे लगभग आधे से ज्यादा भारत वापस मुगलों से जीत लिया था तथा अंग्रेजों के बिना भी ‘अखंड भारत’ वापस वैसे भी बनने ही वाला था| जिसे अंग्रेजों ने रोक दिया था |#Tweet4Bharat pic.twitter.com/6RSp9erYqP
Thread-15 –
— आर्य शुभम् 🚩 Shubham Verma (@THESHUBHAMV) August 8, 2020
आज़ादी के बाद भी अंग्रेज़ तो भारत को तोड़ना ही चाहते थे, वो तो सरदार पटेल की मेहनत थी की उन्होने 562 #रियासतों का भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण कर दिया |
अतः #भारत मे “#राष्ट्रीय #एकात्मता” की #चिति तथा #भाव सदियों से रहा है |#Tweet4Bharat pic.twitter.com/IIUkpfVFE7
@TheSignofFive द्वारा किया गया ट्वीट थ्रेड हिंदी-राष्ट्रीय एकता श्रेणी में सबसे रचनात्मक थ्रेड है।
वहीं @ManishJangidJNU का ट्वीट थ्रेड हिंदी-राष्ट्रीय एकता श्रेणी में सबसे अधिक लोगों द्वारा पसंद किया गया।
२/१०
— Manish Jangid मनीष जांगिड (@ManishJangidJNU) August 10, 2020
भौतिकविज्ञान ही नहीं अपितु नीतिशास्त्र,राजव्यवस्था,अर्थनीति तथा समाज धारणा के भाग में भी पाश्चात्य देशों के मानदंड हमारे मानक बने बैठे है।आज भारत के शिक्षित वर्ग के जीवन मूल्यों पर पश्चिमी प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।आज सभी को निर्णय करना पड़ेगा कियह प्रभाव अच्छा है या बुरा?
४/१०
— Manish Jangid मनीष जांगिड (@ManishJangidJNU) August 10, 2020
हमारा राष्ट्र में कुछ बुद्धिजीवी अंग्रजी राजनीति एवं अर्थनीति को ही प्रगति की दिशा समझते है इसलिए वे भारत को पश्चिम की स्थिति से देखते है, क्या वर्तमान में ये तर्कसंगत है? क्या ये लोग भारत की अपनी पहचान नहीं मानते है?
६/१०
— Manish Jangid मनीष जांगिड (@ManishJangidJNU) August 10, 2020
जिन विचारधाराओं ने पश्चमी देशों की राजनीति एवं जीवन विशेषत प्रभवित किया है उनमें राष्ट्रवाद सबसे पुराना एवं बलशाली है।यूरोपियन देशों का उदय रोम के साम्राज्य पतन के बाद हुआ,उनका पिछले1000साल का इतिहास पारस्परिक संघर्ष का रहा।इन्होने यूरोप से बाहर के देशों को अपना गुलाम बनाया
८
— Manish Jangid मनीष जांगिड (@ManishJangidJNU) August 10, 2020
वर्तमान में भारत स्वदेशी संकल्प की और बढ़ चला है,हम सबको इस स्व को समझने की जरूरत है जब हस्तकला का कार्य एक परिवार,एक गाँव एकसाथ बैठकर किया करता था तो स्वयं की कला विवेक ज्ञान का साँझा करने क साथ साथ अपना खानपान,लोकगीत,रहनसहन के एकात्म का सुख प्राप्त करते थे यह स्व की ही देन है
१०/१०
— Manish Jangid मनीष जांगिड (@ManishJangidJNU) August 10, 2020
भारत की प्राचीन परम्पराओ पर गर्व होना एकदूसरे का सहयोग करना अपने ज्ञान विवेक से वसुदेव कुटुम्बकम की अवधारणा में अपना योगदान देना ये सब स्वदेशी अपनाने से संभव हो पाएगा तथा प्रत्येअक भारतीय को अपने आप पर अपने जन्मभूमि पर गर्व होगा | #Tweet4Bharat @iidlpgp pic.twitter.com/gS09YxrvfV
@SaffronKoffee का ट्वीट थ्रेड हिंदी लैंगिक-समानता श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ थ्रेड रहा।
#Tweet4Bharat
— मैत्री हिंदू (@Saffronkoffee) August 10, 2020
यह रूप हमें समझाता है कि पुरुष और स्त्री प्रतिस्पर्धी नहीं ब्लकि एकदूसरे के पूरक हैं 2/14 pic.twitter.com/xdApQwD4A0
#Tweet4Bharat
— मैत्री हिंदू (@Saffronkoffee) August 10, 2020
सरल शब्दों में कहें तो दोनों के बीच के संबंध दीया में बाती और तेल या बिजली और बल्ब/ट्यूबलाइट के परस्पर संबंध की तरह है; एक के अभाव में दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं होता 4/14 pic.twitter.com/rvdXDTry3E
#Tweet4Bharat
— मैत्री हिंदू (@Saffronkoffee) August 10, 2020
जब हम इस असमानता को सहर्ष स्वीकारते हैं तब प्रतिस्पर्धा और एक दूसरे पर हावी होने की भावनाएं गायब हो जाते हैं। हमे ये समझना चाहिए कि पुरुषों और महिलाओं को भिन्न-भिन्न शारीरिक विशेषताओं से इसलिए संपन्न किया गया है ताकि प्रकृति का जीवन-चक्र सुचारू रूप से चले 6/14 pic.twitter.com/4g4V1Crbdo
#Tweet4Bharat
— मैत्री हिंदू (@Saffronkoffee) August 10, 2020
हालांकि परंपरागत रूप से, पुरुषों और महिलाओं को समाज में समान दर्जा दिया गया था। इस बात का प्रमाण हमे हिंदू विवाह मंत्र देते हैं, जिसका शुरुआत “एकदूसरे का साथ देंगे, साथ-साथ चलकर” से होता है 8/14 pic.twitter.com/t4VSwRsEOy
#Tweet4Bharat
— मैत्री हिंदू (@Saffronkoffee) August 10, 2020
समस्याएँ तब पैदा होती हैं जब कानून एक पक्ष की तरफ झुकता है या समाज एक लिंग को दूसरे से बेहतर या महत्वपूर्ण मानता है। 10/14 pic.twitter.com/su36Lz27Uw
#Tweet4Bharat
— मैत्री हिंदू (@Saffronkoffee) August 10, 2020
समानता तब हासिल होती है जब आप और/या मैं की जगह “हम” लेता है। 12/14 pic.twitter.com/VFyKHbCNHt
#Tweet4Bharat
— मैत्री हिंदू (@Saffronkoffee) August 10, 2020
समानता और असमानता के सभी प्रश्न तब मिट जाते हैं जब हम पुरुषों और स्त्रियों को एकदूसरे के प्रतिस्पर्धी न बनाकर उनके समपूरक भूमिका को स्वीकार करे और अधिक महत्व दे 14/14 pic.twitter.com/Yyd83GnUFl
@RealIndianSon द्वारा किया गया ट्वीट थ्रेड हिंदी लैंगिक-समानता श्रेणी में सबसे अधिक रचनात्मक थ्रेड रहा।
जन्म का अधिकार
— 🧑 (@realIndianson) August 9, 2020
आज लड़कियों और लड़को के बीच जन्म का अनुपात ९२४:१००० है लड़कियों के कम अनुपात के कारण समाज के विकास मे इनके भागीदारी कम होता है और इन्हें घर तक सीमित कर दिया जाता है!
इस त्रुटि को लैंगिक समानता से दूर किया जाया सकते हैं!
२/१० #tweet4Bharat
बाल विवाह
— 🧑 (@realIndianson) August 9, 2020
लड़कियों को मजबूर कर उनका बाल विवाह करना हमारे समाज पर सबसे बड़ा कलंक है लड़कियों को शारीरिक और मानसिक उत्पीडन दिया जाता हैं इस त्रुटि को दूर कर उन्हें मजबूत कर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा सकता है!
४/१० #tweet4Bharat
समान शिक्षा का अधिकार
— 🧑 (@realIndianson) August 9, 2020
भारत के विकास की रेल को तेजी तभी मिलेगी जब स्त्री उस मे अपना योगदान दे और ये संभव तब होगा जब हम लड़कियों को शिक्षित करे उन्हें पढा़या जाए ताकि वह आत्मनिर्भर बने!
पढ़ना मेरा भी अधिकार
६/१० #tweet4Bharat
महिला सशक्तिकरण
— 🧑 (@realIndianson) August 9, 2020
भारतीय संविधान में कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रावधानों को शामिल कर महिलाओं को प्रोत्साहन मिला और वें शिक्षा, खेल, राजनीति, मीडिया, कला और संस्कृति, सेवा क्षेत्र और विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भाग लेती रहे!
८/१० #tweet4Bharat
लैंगिक समानता से समाज मे दोनों भी महिलाओं और पुरुषों को एक समान अधिकार मिलेगा और सभी मिलकर भारत देश को विकासशील देश से विकसित देश बना कर अपना कर्तव्य देश के प्रति निष्ठावान से पूरा करेंगे! जय हिंद
— 🧑 (@realIndianson) August 9, 2020
१०/१० #tweet4Bharat pic.twitter.com/6X83pRd2lY
@hurkatneeta द्वारा किया गया ट्वीट थ्रेड लैंगिक समानता श्रेणी में सबसे अधिक लोगों ने पसंद किया।
ओ नारी ! कैसे कह दूं, तुम कुछ नहीं हो।
— 💞Neetu✍(Neetu Creations 👩🎨) (@hurkatneeta) August 10, 2020
आन-बान और शान तुम्हीं से,
संस्कारों की खान तुम्हीं से,
दर्द-त्याग और ममता की है,
संसार में पहचान तुम्हीं से
ओ नारी ! कैसे कह दूँ…
सदियों से हम नारी के त्याग अपने अधिकारों की लड़ाई की बाते सुनते और पढ़ते आ रहे है।
आगे 1/3👇#Tweet4Bharat
1)श्रीमती सावित्री बाई फुले:- सावित्री बाई फुले भारत की वो प्रथम शिक्षिका थी जिन्होंने ने नारी शिक्षा के बारे में महिलाओं को जागरूक किया था, विद्या ही मूल परिभाषा है सबको बताया था। पढ़े भारत की हर बेटी ये सबको बतलाया और भारत की हर बेटी को पढ़ने का अधिकार दिलाया था।#Tweet4Bharat pic.twitter.com/nPAXokC6Ag
— 💞Neetu✍(Neetu Creations 👩🎨) (@hurkatneeta) August 10, 2020
3)डॉ किरन बेदी:- भारतीय पुलिस की सेवानिवृत्त अदिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, टेनिस खिलाड़ी, एवं राजनेता है। वे भारतीय पुलिस सेवा में सम्मिलित होने वाली प्रथम महिला अधिकारी हैं। 35 वर्ष तक सेवा में रहने के बाद वर्ष 2007 में उन्होंने स्वेच्छा से सेवानिवृत्त ले ली।#Tweet4Bharat pic.twitter.com/eBSQaToe94
— 💞Neetu✍(Neetu Creations 👩🎨) (@hurkatneeta) August 10, 2020
5)गीता फोगाट:- एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं। जिन्होंने पहली बार भारत के लिए 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वो पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने ओलंपिक में क्वालीफाई किया। जिनकी बायोपिक फ़िल्म बनी है “दंगल” नाम से वे धाकड़ गर्ल हैं।#Tweet4Bharat pic.twitter.com/aJrlqrC0BO
— 💞Neetu✍(Neetu Creations 👩🎨) (@hurkatneeta) August 10, 2020
और भी बहोत क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया हैं।
— 💞Neetu✍(Neetu Creations 👩🎨) (@hurkatneeta) August 10, 2020
इस मौक़े पे किसी की लिखी कुछ पंक्तिया याद आ रही है “कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है। जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी हैं।
कोमल है कमजोर नही तू..!”@hurkatneeta (नीतू हूरकट)#Tweet4Bharat
@deeptibharadwaj द्वारा किया गया ट्वीट थ्रेड हिंदी-सामाजिक न्याय श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ थ्रेड रहा।
वे छठी शताब्दी के नास्तिक दर्शन के दार्शनिक थे। वे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने श्रम-शोषक, परजीवी ब्राह्मण संस्कृति के बरक्स समाज में मेहनतकशों, शिल्पकारों तथा उसके श्रम-कौशल के सहारे आजीविका जुटाने वाले लोगों को संगठित कर आजीवक संप्रदाय की स्थापना की थी। #Tweet4Bharat @iidlpgp
— Dr.Deepti Bharadwaj (@deeptibharadwaj) August 10, 2020
समग्र भारतीय वाङ्गमय आदर्श की स्थापना हो ऐसी कोशिश तो करता है, धरातल पर नहीं ला पाया। श्रम जीवनमूल्य बने, ऐसा प्रयास कभी नहीं हुआ था। मोदी सरकार के “स्वच्छता अभियान” ने हर हाथ को झाडू पकड़वाकर जातीय वर्चस्व के सामूहिक भ्रम को तोड़ा। जिसका प्रभाव व्यापक है #Tweet4Bharat @iidlpgp
— Dr.Deepti Bharadwaj (@deeptibharadwaj) August 10, 2020
सामाजिक-आर्थिक अन्याय का सबसे ज्यादा शिकार किसान हुआ है। विपन्नता और जड़ जाति व्यवस्था ने उससे मनुष्य होने के अधिकार तक छीन लिए थे। चैता गा कर धन-धान्य से परिपूर्णता को व्यक्त करने वाले किसान तक भुखमरी का शिकार हुए। सच कहूँ तो “लोक मृतप्राय हो चुका था”। #Tweet4Bharat @iidlpgp
— Dr.Deepti Bharadwaj (@deeptibharadwaj) August 10, 2020
सामाजिक न्याय की की इस अवधारणा में स्त्री भी है। एक समुदाय की आधी आबादी को मनुष्य होने का गौरव प्रदान कर “तीन तलाक” के अभिशाप से मोदी सरकार ने मुक्त किया।
— Dr.Deepti Bharadwaj (@deeptibharadwaj) August 10, 2020
“सामाजिक न्याय” अब पुस्तक का विषय भर नहीं रहा, भारतीयों के जीवन का हिस्सा बन गया। #Tweet4Bharat @iidlpgp
मार्क्सवादी सोच की सरकारों ने श्रमिकों का अधिक शोषण किया। उन्हें व्यवस्था के विरुद्ध खड़ा कर नक्सली बनने की प्रेरणा तो भारी लेकिन समाधान नहीं दिया।
— Dr.Deepti Bharadwaj (@deeptibharadwaj) August 10, 2020
बदहाली, भुखमरी, संसाधनों के अभाव को अपना भाग्य मानकर श्रमिक वर्ग योनियों और जन्मों के चक्र में घूमता रहा। #Tweet4Bharat @iidlpgp
योगी सरकार ने भी मानवेतर भूमिका निभाई है। स्किल्ड लेबर को मानव संपदा माना और अपनी सूझबूझ और पक्के इरादे से इन श्रमिक परिवारों को त्रासदी से बाहर निकाला है। 70 वर्ष बाद जिस देश में लोकतांत्रिक प्रज्ञा जाग्रत होनी चाहिए थी, त्रासदी के दौर में राज्य अपने पराये का भेद कर रहे थे।
— Dr.Deepti Bharadwaj (@deeptibharadwaj) August 10, 2020
श्रमेण लभ्यं सकलं न श्रमेण विना क्वचित् ।
— Dr.Deepti Bharadwaj (@deeptibharadwaj) August 10, 2020
सरलाङ्गुलि संघर्षात् न निर्याति घनं घृतम् ॥
श्रम से सब मिलता है,
श्रम बिना कुछ नहीं ।
सीधी उँगली से घी नहीं निकलता।
“श्रम की स्थापना” ही सामाजिक न्याय का आधार है, लोककल्याणकारी, समावेशी मोदी सरकार का संकल्प भी जो सिद्धि की ओर अग्रसर है
मोदी सरकार का सामाजिक न्याय लैंगिक भेदभाव से मुक्त है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार दर्शन “अंत्योदय” के मूल में सामाजिक न्याय ही है।
— Dr.Deepti Bharadwaj (@deeptibharadwaj) August 10, 2020
2014 से मोदी सरकार का संकल्प है –
सबका साथ
सबका विकास
सबका विश्वास
धन्यवाद #Tweet4Bharat @iidlpgp
@bhav2406 द्वारा किया गया ट्वीट थ्रेड हिंदी-सामाजिक न्याय श्रेणी में सबसे अधिक रचनात्मक थ्रेड रहा।
मैं आज आप सबके समक्ष सामाजिक न्याय की भूतकाल की कुछ बातें टटोलकर, वर्तमान भारत के परिपेक्ष में अपनी बात रखूँगा।
— Bhavesh Lodha (@bhav2406) August 10, 2020
पूर्व के समय से सामाजिक न्याय की बात को केवल और केवल राजनितिक हथियार के तौर पर सत्ता पर काबिज होने के नज़रिये से देखा गया है।#Tweet4Bharat
संसद से पारित हुए नागरिकता संशोधन कानून (CAA) जिसके तहत पड़ोशी देश में आज़ादी के समय से रह रहे कई लोग जो मात्र अपने धर्म की वजह से अपने हको से वंचित थे, जिनको इस कानून के माध्यम से समाज में समाविष्ट करके उनका उत्थान का कार्य हुआ है। जो एक तरह से सामजिक न्याय ही है#Tweet4Bharat pic.twitter.com/assZye4Mni
— Bhavesh Lodha (@bhav2406) August 10, 2020
वर्तमान प्रधानमंत्रीने कहा था की,“पुराने रास्तों पर चलते हुए आप कभी भी नई मंजिलों तक नहीं पहुँच सकते हैं”
— Bhavesh Lodha (@bhav2406) August 10, 2020
इसी बात को सार्थक करते हुए वर्तमान में कई योजनाओ द्वारा सामाजिक न्याय की दिशा में समाज के हर वर्ग के लोगोको समाविष्ट करने की कोशिश हुई है जिसमें सरकार काफ़ी हद तक सफ़ल हुई है
आज़ादी से लेकर अब तक टॉयलेट की समस्या थी जिसे कई सालो तक नजरअंदाज किया गया और इस समस्या पर किसीने चर्चा तक नहीं की।
— Bhavesh Lodha (@bhav2406) August 10, 2020
गौरतलब है हाल ही के दिनो में 100% टॉयलेट कवरेज के साथ ही यह समस्या का निवारण हुआ है और खुले में शौच से मुक्ति पाकर खासकर नारी को एक तरह से सामाजिक न्याय मिला है pic.twitter.com/6fntL9q3dA
आजादी के बाद सामाजिक न्याय की दिशा में समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए जिस गति से कार्य होना चाहिए था शायद उस गति से कार्य नहीं हुआ।
— Bhavesh Lodha (@bhav2406) August 10, 2020
तकरीबन तीन दशकों के बाद चुनी हुई बहुमत वाली सरकार जो आज देश की सेवा में कार्यरत है उनकी योजनाएं काफी हद तक सामाजिक न्याय को साधने में सफ़ल रही है।
हालाकि सामाजिक न्याय का दायरा सिर्फ़ इन बातें या मुद्दों तक सिमित नहीं है। वर्तमान समयके परिपेक्ष में अपनी बात रखने का एक छोटा सा प्रयास था
— Bhavesh Lodha (@bhav2406) August 10, 2020
आशा है,उम्मीद भी है की आनेवाले समय में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से, कई और प्रयासोके द्वारा सामाजिक न्याय की परिकल्पना को चरितार्थ कर पाएगें
Tweet Thread by @Fussy_ca, People’s Choice Thread in Hindi-Social Justice category.
@Fussy_ca द्वारा किए गए ट्वीट थ्रेड को हिंदी-सामाजिक न्याय श्रेणी में सबसे अधिक लोगों द्वारा पसंद किया गया।
खुद को अलग थलग महसूस कर रहा था, शिक्षा ,स्वास्थ्य और रोजगार की मूलभूत आवश्यकता के अधिकार से खुद को वंचित महसूस कर रहा था..आर्थिक पिछड़े वर्ग को आरक्षण ने न केवल गरीब वर्ग को समान अवसर दिए बल्कि उस गरीब वर्ग के विद्रोही बनकर सामाजिक ताना बाना ध्वस्त करने की संभावना को भी कम किया
— Fussy (@Fussy_Ca) August 9, 2020
और दूसरे पिछड़ी जातियों के अधिकारों का हनन किये बिना गरीब व शोषित वर्ग को अधिकार दिलाना सामाजिक समरसता के लिए एक क्रांतिकारी कदम था
— Fussy (@Fussy_Ca) August 9, 2020
3.सिर्फ जातियों नही धर्म का भी ध्यान !!
– विविधता में एकता भारतीय समाज की विशेषता है,आजादी के 70 साल बाद और मजबूत हुई इस व्यवस्था में दूसरे धर्मों
4. समाज के सक्षम वर्ग से अन्याय ?
— Fussy (@Fussy_Ca) August 9, 2020
– शायद नही ! आर्थिक रूप से सक्षम वर्ग नौकरी और अन्य कार्यो के लिए आरक्षण पर निर्भर नही , तथा समाज मे उनकी जनसंख्या के हिसाब से भागीदारी के हिसाब से पर्याप्त अवसर है जिन्हें वह मेरिट पर पा सकते है
5. जीवन भर के लिए आरक्षण का लाभ?
-नवोन्नत वर्ग हर
अंतिम तुलनात्मक समीक्षा
— Fussy (@Fussy_Ca) August 9, 2020
-एक स्वस्थ समाज बनता है स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था से ,आजादी के बाद से लेकर आज तक हमने सामाजिक मुद्दों पर ध्यान दिया है परंतु एक वर्ग को आगे बढ़ा देना और दूसरे वर्ग को वहीं छोड़ देना कभी भी एक स्वस्थ समाज का निर्माण नही कर सकते ,एक संपूर्ण समाज का निर्माण
भी हम समाज को साथ लेकर चलना नही सीख पाए है , समाज के एक वर्ग का ध्यान अपने उत्थान की और ना रहकर दूसरो का उत्थान क्यों हो रहा है इसपर ज्यादा रहता है …ऐसे सामाजिक माहौल में ईबीएस आरक्षण बिना व्यवधान पास होना ,समाज के सभी वर्गों द्वारा स्वीकार किया जाना ना केवल अविश्वनीय है
— Fussy (@Fussy_Ca) August 9, 2020
Ews आरक्षण शायद सामाजिक समरसता विषय पर ऊपरी तौर पर जुड़ा हुआ ना लगे ,पर एक अति आक्रामक समाज का कुशल नेतृत्व और प्रभावशाली नीतियों द्वारा कैसे निर्माण व विकास किया जा सकता है ,कैसे कठिन से कठिन निर्णय सामाजिक समरसता को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल हो सकते है का कुशल उदाहरण और भारतीय
— Fussy (@Fussy_Ca) August 9, 2020
समाज के बढ़ते सामंजस्य का सर्वोत्तम उदाहरण है , सामाजिक समरसता एक उन्नत देश बनाने के लिए आवश्यक है ,और अब शायद हम उस दिशा में सही मायनों में बढ़ रहे है #Tweet4Bharat @iidlpgp
— Fussy (@Fussy_Ca) August 9, 2020
मराठी भाषा
मराठी भाषा श्रेणी के राष्ट्रीय एकता सेक्शन में विजेता हैं:
बेस्ट थ्रेड: @deshpanderj
सबसे रचनात्मक थ्रेड: @PhaphaleShreyash
लोगों की पसंद: @TheSohamPuranik
सभी विजेताओं को बधाई और भाग लेने वाले सभी ट्विटर यूजर्स को बहुत-बहुत धन्यवाद!