Saturday, May 4, 2024
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‘TMC पर अब ममता का नियंत्रण नहीं’: MLA ने अपनाए बगावती सुर, 35 क्षेत्रों में प्रभाव रखने वाला अधिकारी परिवार भी नाराज़

कूच बिहार दक्षिण के विधायक ने आरोप लगाया कि उनके संगठन के सभी पदों से इस्तीफा दिए 6 सप्ताह हो गए हैं, लेकिन पार्टी की मुखिया की तरफ से उन्हें कोई फोन कॉल नहीं आया। उन्होंने बताया कि उन्हें पार्टी से निलंबित किए जाने या निकाले जाने सम्बंधित कोई आदेश भी प्राप्त नहीं हुआ है।

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस के विधायक मिहिर गोस्वामी के अब पार्टी छोड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं। 2021 विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी में बगावत के सुर दिखने लगे हैं। गोस्वामी ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए आरोप लगाया है कि अब तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) ममता बनर्जी के नियंत्रण में है ही नहीं। उन्होंने कहा कि अब पार्टी की बागडोर पश्चिम बंगाल की सीएम के हाथ में नहीं है।

मिहिर गोस्वामी ने पूछा कि जब इस पार्टी की बागडोर ममता बनर्जी के नियंत्रण में है ही नहीं, तो फिर उनका इससे सारे नाते तोड़ लेना प्राकृतिक है या नहीं? विधायक मिहिर गोस्वामी ने कहा कि पार्टी में रहते उन्होंने कई बार अपमान का घूँट पिया, लेकिन ‘दीदी’ के कारण चुप रह गए। मिहिर गोस्वामी ने कहा कि वो पिछले 30 सालों से ममता बनर्जी के साथ हैं और 1998 में TMC के गठन के साथ ही इससे जुड़े हुए हैं।

कूच बिहार दक्षिण के विधायक ने आरोप लगाया कि उनके संगठन के सभी पदों से इस्तीफा दिए 6 सप्ताह हो गए हैं, लेकिन पार्टी की मुखिया की तरफ से उन्हें कोई फोन कॉल नहीं आया। उन्होंने बताया कि उन्हें पार्टी से निलंबित किए जाने या निकाले जाने सम्बंधित कोई आदेश भी प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया था कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पॉलिटिकल एक्शन कमिटी (I-PAC) तृणमूल कॉन्ग्रेस को चला रही है।

इसी आरोप के साथ उन्होंने संगठन के सभी पदों से इस्तीफा भी दिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जिस तरह से 18 सीटें जीत कर राज्य में दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है, उसके बाद से ही ममता बनर्जी की नींद उड़ी हुई है और उन्होंने प्रशांत किशोर को राज्य में उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने की बागडोर सौंपी है, ताकि 2021 विधानसभा चुनाव में वो लगातार तीसरी बार वापसी कर पाए। इससे पार्टी के कई नेता नाराज़ भी हैं।

अक्टूबर में गोस्वामी ने भाजपा सांसद नीतीश प्रमाणिक के साथ एक बैठक में हिस्सा लिया था, जिसके बाद से अटकलों का बाजार और गर्म हो गया है। वहीं नाराज चल रहे शिवेंदु अधिकारी को मनाने के लिए पार्टी के कई नेता सक्रिय हो गए हैं। रविवार (नवंबर 15, 2020) को एक वरिष्ठ TMC नेता ने उनसे मुलाकात की। वरिष्ठ सांसदों को उनसे संपर्क में रहने को कहा गया है। अधिकारी पिछले कई दिनों से कैबिनेट बैठक में भी नहीं शामिल हुए हैं।

ईस्ट मिदनापुर में वो TMC या सुप्रीमो ममता बनर्जी के पोस्टरों के बिना ही रैलियाँ आयोजित कर रहे हैं। उनकी गुरुवार को होने वाली रैली पर सबकी नजर है। कॉन्ग्रेस उन्हें अपने पाले में लेने के लिए बेचैन है और प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि TMC जैसे दल में उन्हें सम्मान नहीं मिलेगा, इसीलिए इस कद के नेता का कॉन्ग्रेस में हमेशा स्वागत है। प्रशांत किशोर ने भी मंत्री शिवेंदु और उनके सांसद पिता शिशिर अधिकारी के घर जाकर उनसे मुलाकात की।

अधिकारी परिवार का ऐसा वर्चस्व है कि वो ईस्ट मिदानपुर के अलावा वेस्ट मिदानपुर, बाँकुरा, पुरुलिया, झारग्राम और बीरभूम के 35 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभाव रखते हैं। हालाँकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि पार्टी ने उनसे अभी संपर्क नहीं किया है। उन्होंने कहा कि TMC का ये आंतरिक मामला है और उन्हें आशा है कि अधिकारी अपना स्टैंड जल्द ही स्पष्ट करेंगे। शिवेंदु के भाई दिव्येंदु भी सांसद हैं।

नवंबर 2020 के पहले हफ्ते में पश्चिम बंगाल पहुँचे केंद्रीय गृह मंत्री से शाह ने भी कहा था कि ममता सरकार का अंत करीब आ चुका है। आने वाले दिनों में यहाँ पर सोनार बांग्ला की रचना करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भरसक प्रयास होंगे। उन्होंने आश्वासन दिया था कि आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में 2/3 बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनने जा रही है। उन्होंने अपील की थी कि बंगाल एक सीमावर्ती राज्य है और यहाँ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए व युवाओं को रोजगार देने के लिए उन्हें ममता सरकार को भाजपा सरकार से बदलना होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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