Monday, November 25, 2024
Homeफ़ैक्ट चेकसोशल मीडिया फ़ैक्ट चेककोरोना टीका से हुई मुरादाबाद ज‍िला अस्‍पताल के वार्ड ब्‍वॉय की मौत? जानिए, क्या...

कोरोना टीका से हुई मुरादाबाद ज‍िला अस्‍पताल के वार्ड ब्‍वॉय की मौत? जानिए, क्या है सच

मुख्य चिकित्सा अधिकारी एमसी गर्ग ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए मृतक के परिजनों के दावों को खारिज किया है। उनका कहना है कि कोविड वैक्सीन के टीकाकरण से किसी की मौत संभव नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, महिपाल की मौत हार्ट अटैक से हुई है।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिला अस्पताल के वार्ड ब्‍वॉय महिपाल सिंह (46 साल) की कोरोना वैक्सीन लगने के 24 घंटे बाद अचानक हालत बिगड़ गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि कोविड-19 से बचाव के लिए अस्पताल में शनिवार को वैक्सीन लगी थी। इसके बाद ही महिपाल की हालत बिगड़ी और मौत हुई। 

हालाँकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी एमसी गर्ग ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए मृतक के परिजनों के दावों को खारिज किया है। उनका कहना है कि कोविड वैक्सीन के टीकाकरण से किसी की मौत संभव नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, महिपाल की मौत हार्ट अटैक से हुई है।

16 जनवरी को महिपाल को लगी थी वैक्सीन

16 जनवरी से पूरे भारत में कोविड-19 टीकाकरण की शुरुआत हुई थी। मुरादाबाद जिला अस्पताल में भी स्वास्थ कर्मचारियों को वैक्सीन का टीका लगाया गया था। जिला अस्पताल में तैनात महिपाल सिंह ने भी 16 जनवरी को 12 बजे के करीब कोविड वैक्सीन लगवाया था। जिसके बाद बेटे को अस्पताल बुलाकर घर वापस आ गए। उसी रात में इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी भी की थी। रविवार (जनवरी 17, 2021) को ड्यूटी से घर वापस आने के बाद अचानक महिपाल की तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद महिपाल को जिला अस्पताल लाया गया। जहाँ डॉक्टर ने उनको मृत घोषित कर दिया।

परिजनों का यह है आरोप

परिजनों का आरोप है कि कोरोना वैक्सीन की वजह से ही महिपाल की हालत बिगड़ी और मौत हो गई। ड्यूटी करके घर वापस आए तो तबीयत खराब थी। मृतक महिपाल के बेटे विशाल ने बताया कि जब सुबह पिता अस्पताल में ड्यूटी कर घर वापस आए तो उनकी तबीयत खराब थी। मैं घर पर नहीं था। मेरे पास फोन आया कि पापा की तबीयत बहुत खराब है। परिवार वाले उनको जिला अस्पताल ले गए जहाँ उनकी मृत्यु हो गई। पापा को निमोनिया थी। उनकी साँस फूल रही थी।

महिपाल सिंह की मौत के बाद मुख्य चिकित्साधिकारी एमसी गर्ग भी उनके घर पहुँचे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा, “महिपाल सिंह हमारे जिला चिकित्सालय में वार्ड ब्‍वॉय के पद पर तैनात थे। उनकी शाम 6 बजे मृत्यु हो गई। मृतक को दोपहर में सीने में दर्द और साँस फूलने में दिक्कत हुई थी और उसके बाद उन्हें जिला चिकित्सालय में मृत अवस्था में ले जाया गया। 16 जनवरी को उनको करीब बारह बजे कोरोना वैक्सीन दी गई थी।”

सीएमओ ने आगे कहा, ” इनको दिन में सीने में जकड़न और साँस फूलने में दिक्कत हुई थी, इनकी उम्र 46 वर्ष थी। मृत्यु के कारण की जाँच की जा रही है। पोस्टमार्टम कराएँगे। ये पहले कोरोना संक्रमित नहीं थे। वैक्सीन का कोई रिएक्शन प्रतीत नहीं होता है। रात में इन्होंने नाइट ड्यूटी भी की थी, कोई दिक्कत नहीं थी।”

सीएमओ ने जारी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट

बाद में सीएमओ की तरफ से पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करते हुए बताया गया कि मौत का वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है। डॉ. शशि भूषण, डॉ. आरपी मिश्रा, डॉ. निर्मल ओझा की टीम ने पोस्टमार्टम किया। वार्ड ब्‍वॉय की हार्ट अटैक से मौत होने की पुष्टि हुई। बुखार नहीं था, फेफड़ों में पस पाया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एमसी गर्ग ने बताया कि तीन डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया है। हार्ट अटैक की वजह से वार्ड ब्‍वॉय की मौत हुई है। कोरोना वैक्सीनेशन की वजह से मौत नहीं हुई है। 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट (साभार: News18)

पोस्‍टमार्टम र‍िपोर्ट में एक ओर चौंकाने वाला सच सामने आया है। च‍िक‍ित्‍सकों के मुताब‍िक सामान्‍य मनुष्‍य का हर्ट 800 ग्राम का होता है, लेकिन वार्ड ब्‍वॉय का द‍िल 500 ग्राम का निकला। इसका कारण क्‍या है, यह जाँच का व‍िषय है। उन्होंने यह भी बताया कि मुरादाबाद में 479 स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना का टीका लगाया गया था। महिपाल के अलावा सभी की हालत ठीक है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

60% मुस्लिम, कॉन्ग्रेस के हुसैन परिवार का दबदबा… कुंदरकी जैसी ही है सामागुरी में BJP की जीत भी: असम-मेघालय में NDA का क्लीन स्वीप

असम की सामागुरी सीट पर बीजेपी को मिली जीत खास चर्चा का विषय रही। यह सीट मुस्लिम बहुल क्षेत्र में आती है और इसे कॉन्ग्रेस का गढ़ माना जाता था।

दिल पर पत्थर रखो या पहाड़ आरफा बीबी, पर सच तो यही है कि मंदिरों पर गढ़ी गई हैं मस्जिदें, तुम्हारे पुरखे भी हैं...

संभल हिंसा मामले को नया मोड़ देने के लिए आरफा खानुम शेरवानी ने पत्थरबाजी करने वाली भीड़ की करतूत को जायज दिखाते हुए कोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं।
- विज्ञापन -