शुक्रवार (26 अप्रैल) को भारतीय नौसेना के विमानवाहक युद्धपोत INS विक्रमादित्य में लगी आग को बुझाने के दौरान रतलाम के निवासी 30 वर्षीय लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान वीरगति को प्राप्त हो गए। भारतीय नौसेना ने अपने बयान में कहा कि यह हादसा उस वक़्त हुआ जब INS विक्रमादित्य युद्धपोत कर्नाटक के कारवार स्थित हार्बर में प्रवेश कर रहा था। अब इसे लेफ़्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह चौहान का जज़्बा ही कहेंगे कि उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर ज़िम्मेदारी निभाते हुए पोत पर लगी आग पर काबू पाने का साहस दिखाया।
इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शोक व्यक्त करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की है। साथ ही अन्य ट्विटर यूज़र्स ने भी उन्हें अपने ट्वीट के ज़रिए श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
#INSVikramaditya में लगी आग बुझाने के दौरान शहीद हुए, रतलाम के वीर सपूत, लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्र सिंह चौहान को विनम्र श्रद्धांजलि। मध्यप्रदेश को अपने लाल पर गर्व है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देने और परिजनों को संबल देने की प्रार्थना करता हूँ। pic.twitter.com/UfCAfSiqJd
— Chowkidar Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 27, 2019
माँ भारती के लाल को
— चौकीदार धर्मेन्द्र धनोतिया (@Only4BJPIndia) April 27, 2019
शत शत नमन
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भावपूर्ण श्रधांजलि
— (चौकीदार) विष्णु प्रताप रघुवीर सिंह दांगी (विदिशा) (@VishnuPratapDa1) April 27, 2019
ॐ….
— #?_%_चौकीदार (@Ravindr69725221) April 27, 2019
जय हिंद की सेना नमन् ??????
#अश्रुपूर्ण नयन से भावभीनी #श्रधांजलि
— Chowkidar Shabana Azmi (@azmishabana1) April 27, 2019
देश के #वीर सपूत को
Pure desh ko is veer par Garv hai jay jawan
— Bhuwaneshwari Kariya (@9Bskariya) April 27, 2019
ख़बर के अनुसार, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने अपने शोक संदेश में कहा, “हम उनके साहस और कर्तव्यनिष्ठा को सलाम करते हैं और यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करेंगे कि उनका बलिदान बेकार नहीं जाए। हम हमेशा और हर समय उनके परिवार के साथ खड़े रहेंगे।” अभी पिछले ही महीने लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान की शादी हुई थी। उनके परिवार में केवल अनकी माँ और पत्नी ही बचे हैं।
अपने इकलौते बेटे के बलिदान पर लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान की माँ टमाकुंवर का रो-रोकर बुरा हाल है। बेसुध अवस्था में उन्हें हर तरफ़ केवल उनके ‘बहादुर लाल’ का ही चेहरा नज़र आता है। अपने बेटे के अदम्य साहस पर उन्हें गर्व है और इसीलिए वो हर समय एक ही बात कहती हैं कि ‘मेरा रियल हीरो चला गया’। लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान की माँ ने बताया कि उनके बेटे ने आग में फँसे अपने पाँच साथियों को भी बचाया।
जानकारी के अनुसार, लेफ़्टिनेंट कमांडर डीएस चौहान के पिता उनके साथ नहीं रहते थे, अकेली माँ ने ही उन्हें पाला-पोसा था। कड़े संघर्षों के बाद माँ ने उन्हें इंजीनियर बनाया था। इसी ग़म में वो रोती-बिलखती अपने बेटे को याद करती हैं और उनके ना होने के सदमे को वो नहीं झेल पा रही हैं। इस मंज़र को देखने वालों का कलेजा मुँह को आ जाता है।
फ़िलहाल, घटना के कारणों का पता लगाने के लिए ‘बोर्ड ऑफ़ एन्कवायरी’ जाँच के आदेश दे दिए गए हैं। नौसेना ने इस बात की भी जानकारी दी कि जो अन्य पाँच अधिकारी आग बुझाने के दौरान बच गए थे, वो धुएँ की चपेट में आने से बेहोश हो गए थे। उन्हें तुरंत इलाज के लिए कारवार स्थित नौसैनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। INS विक्रमादित्य को नवंबर 2013 में रूस के सवेरोदविंसक में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।