फिल्म स्टार मिथुन चक्रवर्ती इन दिनों राजनीतिक वजहों से चर्चा में बने हुए हैं। पहले से ही लगातार सुर्खियाँ बटोर रहा पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव अब बॉलीवुड स्टार रहे अभिनेता से जाकर जुड़ गया है।
कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में आयोजित पीएम मोदी की रैली से पहले फिल्म एक्टर मिथुन चक्रवर्ती ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है और वह पार्टी में शामिल हो गए हैं। उम्मीद की जा रही है मतदाताओं पर इसका सीधे तौर पर असर देखने को मिल सकता है।
यह पहला मौका नहीं है जब मिथुन दा ने किसी राजनीतिक पार्टी का दामन थामा है। 70 वर्षीय मिथुन चक्रवर्ती अपने छात्र जीवन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट-लेनिस्ट) के सदस्य रहे थे। साल 2014 में वो वर्तमान में राज्य की सत्ता पर काबिज ममता बनर्जी की टीएमसी के भी सदस्य बने थे।
टीएमसी ने तब उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में भेजा था। जहाँ वो अप्रैल 2014 से दिसंबर 2016 तक रहे। लेकिन इसके बाद उन्होंने पार्टी और राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया था।
गौरांग बने मिथुन
मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है। फिल्मों की ओर रुख करने से पहले मिथुन चक्रवर्ती नक्सली थे। उनके एकलौते भाई की करंट लगने की वजह से मौत हो गई थी। इस दुखद घटना की वजह से उन्हें वो रास्ता छोड़ कर परिवार के पास वापस लौटना पड़ा।
नक्सलियों का साथ छोड़कर उन्होंने अपनी जान को भी जोखिम में डाला था। जब मिथुन दा नक्सलियों के साथ थे, तब वो उस दौर के लोकप्रिय नक्सल नेता रवि राजन के दोस्त बन गए थे, जिन्हें उनके दोस्त ‘भा’ कहकर पुकारते थे। ‘भा’ का मतलब होता है सबसे बड़ा रक्षक।
घर वापसी के बाद उन्होंने फिल्मों की ओर रुख किया। 1976 में उन्हें बॉलीवुड में डेब्यू का मौका जाने-माने बंगाली निर्देशक मृणाल सेन ने फिल्म ‘मृगया’ में दिया। इस फिल्म में मिथुन दा के काम की बहुत तारीफ हुई और उन्हें इसके लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। इसके बाद वो अमिताभ बच्चन और रेखा की साल 1976 में आई फिल्म दो अनजाने में स्पेशल अपियरेंस में नजर आए।
सारदा चिटफंड घोटाले में नाम
ममता बनर्जी पहली बार पश्चिम बंगाल की कमान सँभाली थीं। उन्होंने मिथुन दा को राजनीति में आने का न्यौता दिया था, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद वो साल 2016 में राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए लेकिन उनका नाम जब सारादा घोटाले में आया तो राजनीतिक परिस्थितियाँ बदल गईं।
वो सारदा कंपनी के ब्रांड एंबेस्डर थे। ऐसे में पुलिस ने उनसे भी पूछताछ की। तब कंपनी से मिले एक करोड़ बीस लाख रुपए यह कह कर लौटा दिए कि वो किसी के साथ चीट नहीं करना चाहते। इसके बाद उनकी टीएमसी से दूरियाँ बढ़ गईं और उन्होंने राजनीति से ही संन्यास का ऐलान कर दिया और राज्यसभा से भी इस्तीफा दे दिया।
हाल ही में मिथुन दा ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी। इस बैठक के भी कई मायने निकाले गए और उनकी राजनीति में वापसी की भी बात कही गई लेकिन अब दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है।