बिहार के मधुबनी के खिरहर स्थित ऐतिहासिक धरोहर नाथ धाम पर दो साधुओं की नृशंस हत्या के मामले में पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। हरलाखी प्रखंड अंतर्गत आने वाले इस इलाके में मंगलवार (अप्रैल 20, 2021) की रात दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। आरोपित का आपराधिक इतिहास खँगालने पर पता चला कि उसके चाचा ने वर्ष 2014 में तत्कालीन थानाध्यक्ष रामचंद्र मंडल पर गोलीबारी की थी।
एसपी सत्यप्रकाश ने घटनास्थल पर जाकर मामले की छानबीन की थी और उसके बाद से ही पुलिस आरोपित की गिरफ़्तारी के लिए छापेमारी कर रही थी। पुलिस ने आरोपित दीपक चौधरी को बासोपट्टी स्थित ब्राह्मण टोल से धर-दबोचने में सफलता पाई है। पूछताछ में उसने हत्या का आरोप कबूल करते हुए कहा कि उसने अकेले ही इस घटना को अंजाम दिया था। उसने कहा कि ये मामला दानपेटी के रुपयों के विवाद से जुड़ा हुआ है।
दीपक चौधरी का कहना है कि दोनों साधुओं ने दानपेटी के रुपए में से उसे हिस्सा नहीं दिया था, इसीलिए उसने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। हत्या आरोपित ने बताया कि उसने दोनों साधुओं का सिर धड़ से अलग करने में 2 घंटे का समय लिया। फिर उसने दोनों शवों को अकेले घसीट कर 100 मीटर दूर भूसा घर में छिपा दिया। एक के सिर को मंदिर परिसर में ही गड्ढा खोद कर छिपा दिया। फिर बाल्टी में पानी भर कर उसने घटनास्थल पर लगे खून को साफ़ किया।
इसके बाद वो उनमें से एक साधु की ही साइकल से कुदाल लेकर अपने घर गया और वहाँ दोनों चीजें छिपा दी, जबकि वो खुद बासोपट्टी के ही एक मंदिर में जाकर छिप गया। तीसरे साधु नारायण मुखिया का बयान ले लिया गया है और आरोपित को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। 3 साधुओं में से जिन 2 की हत्या हुई, वो बाहरी थे। जबकि गाँव के एक साधु जो साथ में सोए हुए थे, वो बच गए। इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।
‘मिथिला स्टूडेंट्स यूनियन’ ने इस मुद्दे को उठाते हुए खिरहर थाना क्षेत्र में बढ़ते अपराध पर चिंता जताई और आशंका व्यक्त की कि इस दोहरे हत्याकांड में और भी लोगों का हाथ हो सकता है, पुलिस को बारीकी से जाँच करने की ज़रूरत है। संगठन के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री राघवेंद्र रमण ने कहा कि मंदिर से कुछ ही दूरी पर एक व्यक्ति को चाकू मारा गया था, जिस मामले में अब तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है।
मधुबनी में दोनों साधुओं के शवों का पोस्टमॉर्टम हुआ, जिसके बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। बुधवार को शाम 5 बजे के बाद दोनों का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। परिवार व गाँव-समाज के लोगों का कहना है कि दोनों ही साधु हँसमुख थे और उनका हँसता चेहरा अब भी उनके जेहन में है। एक साधु हीरादस का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गाँव सिरियापुर में बछराजा नदी के किनारे हुआ। दूसरे मृतक भगवानपुर निवासी आनंद मिश्र का अंतिम संस्कार भी भगवानपुर में हुआ।
उधर ऑपइंडिया ने इसी इलाके में विश्वामित्र आश्रम विशौल के महंत ब्रजमोहन दास पर हमले का मुद्दा भी उठाया था। इस घटना से 2 रात पहले उनके मठ पर हमला हुआ था, जिसके बाद उन्होंने पुलिस-प्रशासन से साधु-संतों की सुरक्षा की गुहार लगाई थी। हरलाखी थानाध्यक्ष प्रेमलाल पासवान ने मठ में दो चौकीदारों की नियुक्ति कर दी है। महंत के आवदेन के आधार पर जाँच भी शुरू कर दी गई है।