Thursday, December 12, 2024
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9 साल शादीशुदा मर्द से रखा अफेयर, सालों रहे शारीरिक संबंध, फिर रेप का केस कर दिया: कोर्ट ने महिला को फटकारा, 7 साल पुरानी FIR खारिज

कोर्ट ने महिला की 7 साल पुरानी एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि यह एक चिंताजनक चलन है कि लोग लंबे समय तक चले आ रहे रिश्ते में खटास आने पर उसे अपराध का रूप देने की कोशिश करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल में एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी देते हुए कहा है कि अगर कोई महिला किसी पुरुष के साथ सालों तक सहमति से संबंध बनाती है तो वो बाद में उस पर रेप का केस नहीं दर्ज कर सकती या ये नहीं कह सकती कि इतने साल तक शादी का झूठा वादा करके उसका रेप किया गया।

ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने एक ऐसे केस की सुनवाई के दौरान की, जिसमें एक महिला ने एक पुरुष के साथ नौ साल तक संबंध बनाए और बाद में आरोप लगा दिया कि शादी का झूठा वादा उसका रेप होता रहा।

कोर्ट ने महिला की 7 साल पुरानी एफआईआर को रद्द करते हुए कहा कि यह एक चिंताजनक चलन है कि लोग लंबे समय तक चले आ रहे रिश्ते में खटास आने पर उसे अपराध का रूप देने की कोशिश करते हैं। अदालत ने कहा कि झूठे वादे के आधार पर दर्ज कराई गई शिकायतों पर तत्परता होनी चाहिए न कि उन मामलों में जहाँ सालों तक शारीरिक संबंध बनाने के बाद केस दर्ज होते हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक ये मामला मुंबई के शादीशुदा महेश दामू खरे और वनिता एस जाधव (जो एक विधवा हैं) से जुड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों के बीच अफेयर साल 2008 में शुरू हुआ था। लेकिन, साल 2017 में महिला ने शिकायत देते हुए बताया कि महेश ने उनसे शादी का वादा किया था जिसके बाद दोनों में शारीरिक संबंध बने।

कोर्ट ने जब इस मामले की सुनवाई की तो लंबी सुनवाई के बाद वनिता की एफआईआर को खारिज किया गया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में जहाँ एक महिला जानबूझकर लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखती है, तो यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि यह संबंध सिर्फ शादी का वादा किए जाने की वजह से था।

बता दें कि इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपित ने शादी का झूठा वादा करके उसके साथ यौन संबंध बनाए। हालाँकि, अदालत ने पाया कि दोनों के बीच लगभग नौ वर्षों तक चले रिश्ते में कोई स्पष्ट संकेत नहीं था कि आरोपित ने वास्तव में शादी करने का वादा किया था। इसके बजाय, अदालत ने देखा कि महिला द्वारा लगातार बिना किसी विरोध के संबंध बनाए रखना इस बात का प्रमाण था कि यह रिश्ता पूरी तरह से सहमति पर आधारित था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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