Wednesday, November 27, 2024
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आपदा में गिद्ध: ₹23000 में बेची जा रही दाह संस्कार की तस्वीरें, देशी-विदेशी मीडिया और फोटोग्राफर ले रहे फायदा

विदेशी और कुछ देशी मीडिया भी इन्हें भारत में कोरोना से उपजी बदतर स्थिति दिखाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। बरखा दत्त द्वारा श्मशान में रिपोर्टिंग के बाद अब ऐसी तस्वीरें पश्चिमी मीडिया के लिए बेहद 'महत्वपूर्ण' हो गई हैं।

कोरोना संक्रमण से प्रभावित भारतीयों की संख्या ने इस समय विश्व भर की मीडिया का ध्यान देश की ओर खींचा हुआ है। ऐसे में अपने भारतीय दर्शकों को चकित करने के लिए विदेशी मीडिया लगातार हिंदू रीति-रिवाज से हुए दाह संस्कार की फोटो इस्तेमाल कर रहा है। बरखा दत्त द्वारा श्मशान में रिपोर्टिंग के बाद अब ऐसी तस्वीरें पश्चिमी मीडिया के लिए बेहद ‘महत्वपूर्ण’ हो गई हैं।

ब्रिटिश अमेरिकन मीडिया कंपनी Getty Images ने तो ऐसी तस्वीर के कारोबार को देखते हुए बकायादा इनके दाम तय किए हैं। इन्हें इस्तेमाल करने के लिए मीडिया ग्रुप तस्वीर यहाँ से खरीदकर अपनी खबरों में लगा सकते हैं। गेटी इमेज्स ने इनकी 3 तरह की कीमत तय की है। सबसे बढ़िया क्वालिटी की पिक्चर 23 हजार रुपए की है।

इनमें एक तस्वीर तो दिल्ली में कल ही क्लिक की गई। तस्वीर में कई बॉडी सड़क किनारे पड़ी हुई हैं। गेटी इमेज्स इसे 23,000 रुपए में दे देगा। 

अगली तस्वीर का प्राइज भी नीचे तस्वीर में देख सकते हैं।

इसके अलावा श्मशान के ऊपर ड्रोन से ली गई तस्वीरें भीं गेटी इमेज्स पर उपलब्ध हैं। इन्हें कई तरह की रिपोर्ट में इस्तेमाल होते हुए अब तक देखा जा चुका है। 

इसके अलावा एक परिवार की रोती बिलखती फोटो भी 23,000 रुपए में गेटी इमेज दे रहा है।

गौरतलब हो कि ये तस्वीरें भारत के ही कई फोटोग्राफरों ने खींची हैं। इसमें कुछ फ्रीलांसर भी हैं और कुछ मीडिया हाउस से जुड़े हुए भी हैं। इसका मतलब ये साफ है कि केवल गेटी इमेज्स ही नहीं बल्कि भारतीय फोटोग्राफर भी श्मशान में जल रहे शवों की तस्वीर खींचकर, उन्हें विदेशी या देशी मार्केट में बेचकर फायदा उठा रहे हैं।

इन तस्वीरों को देख ये बात स्पष्ट है कि विदेशी और कुछ देशी मीडिया भी इन्हें भारत में कोरोना से उपजी बदतर स्थिति दिखाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। इसलिए ये भी हैरानी की बात नहीं है कि भारतीयों की बिगड़ी हालत दिखाने के लिए गेटी इमेज इतनी भारी कीमतों पर इनका सौदा कर रहा है। 

गौरतलब है कि आपदा में फायदा उठाने का बिजनेस मॉडल हमेशा से पश्चिमी मीडिया के लिए अच्छा रहा है। इसलिए उन्होंने इसे भी उसी में शामिल कर दिया। प्रकाशक प्रकाशन का काम करता है, लेखक लिखता है और फोटोग्राफर संंबंधी फोटो उपलब्ध कराता है। मगर, इन सबका इन बात से कोई मतलब नहीं होता कि जिस पर आपदा का कहर टूटा है वह किस दुख से गुजर रहा है और इस तरह पश्चिमी और देशी मीडिया में उनकी तस्वीर पहुँचने से उन्हें कितना दुख होगा।

नोट: रिपोर्ट में इस्तेमाल हुई हर तस्वीर गेटी वेबसाइट का स्क्रीनशॉट है। हमने किसी भी कॉपीराइट नियम का उल्लंघन नहीं किया। खबर के लिए ये स्क्रीनशॉट लगाने जरूरी थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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