लोकसभा चुनाव 2019 शुरू होने के बाद से ही पश्चिम बंगाल हिंसात्मक गतिविधियों के लिए लगातार सुर्ख़ियों में बना हुआ है। मंगलवार (14 मई) को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान तृणमूल कॉन्ग्रेस के गुंडों द्वारा उन पर हमला बोले जाने की ख़बर सामने आई थी। इस दौरान जो हिंसा हुई उसके लिए बीजेपी और तृणमूल कॉन्ग्रेस ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए और साथ ही प्रसिद्ध दार्शनिक ईश्वरचंद विद्यासागर की मूर्ति भी तोड़ दी गई।
13 मई को एक ख़बर सामने आई थी कि शुक्रवार (10 मई) से डायमंड हार्बर में सतगाचिया विधानसभा क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी, जिसे नियंत्रित करने में अधिकारी जन बुरी तरह से विफल रहे। ख़बरों के अनुसार, तृणमूल के गुंडों द्वारा कथित तौर पर हिन्दुओं के घरों और दुकानों में जमकर तोड़फोड़ की गई। वहीं, दुर्भाग्य इस बात का है कि इस हिंसा को साम्प्रदायिक हिंसा का नाम देकर इसे राजनीतिक हिंसा का नाम दिया गया।
राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “शुक्रवार रात शुरू हुई झड़पों के दौरान कई घरों, दुकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की गई जो कि तीन दिनों तक जारी रही। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली।” वहीं, आईएएस अधिकारी ने मंगलवार को बताया, “यह एक राजनीतिक टकराव है, साम्प्रदायिक नहीं। हमने इस पर ज़िला प्रशासन से रिपोर्ट माँगी है।”
ऐसा दावा किया जाता है कि तृणमूल के एक नेता ने क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति बनाने के लिए लगभग 200 गुंडों का इस्तेमाल किया। इसके अलावा आसपास के इलाक़ों में भी हिंसा की जानकारी मिली है। हालात इतने गंभीर थे कि पहले तो पुलिस इसमें घुसने से कन्नी काटती दिखी, आख़िरकार रैपिड एक्शन फ़ोर्स के ज़रिए काफ़ी संघर्ष के बाद अशांत माहौल पर क़ाबू पाया गया। हालाँकि, इस दौरान कुछ लोग घायल भी हुए।
आईएएस अधिकारी द्वारा किए गए दावों के विपरीत, कुछ ख़बरों के अनुसार, यह हिंसा एक साम्प्रदायिक रूप लिए हुई थी, जिसे नज़रअंदाज़ करने का भरसक प्रयास किया जा रहा था। ख़बर के अनुसार, इस हिंसात्मक हमले के अपराधी समुदाय विशेष से थे और पीड़ित वर्ग हिन्दुओं से संबंधित था।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के अनुसार, ग़ैर-मुस्लिमों को मारने के लिए मस्जिदों से आह्वान किया गया था, जिसके बाद हिन्दु परिवारों में अपनी जान बचाने के लिए अफ़रा-तफ़री का माहौल बन गया।
Kashmir style announcements from mosques in WB. Hindus moving to safer places. Bagalkhali, Bishnupur, Dismond Harbour. Via FB pic.twitter.com/mXjAmDctdt
— SahaJio?? (@oldhandhyd) May 14, 2019
हाल के दिनों में पश्चिम बंगाल में बड़े स्तर पर कई साम्प्रदायिक हिंसाएँ देखने को मिली हैं। इन हमलों में TMC की छत्रछाया में फलते-फूलते कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं पर हिंसात्मक हमले किए गए। मालदा और बशीरहाट में ऐसी घटनाएँ सामने आईं जहाँ कट्टरपंथी, हिन्दुओं के ख़िलाफ़ काफ़ी उग्र होते नज़र आए, जबकि इन्हीं हिंसात्मक हमलों में हिन्दुओं को बचाने की कोशिश में पुलिस महकमा पूरी तरह से विफल रहा। डायमंड हार्बर की हिंसात्मक घटना भी उसी तर्ज पर जान पड़ती है, जहाँ तृणमूल से जुड़े लोगों ने राजनीतिक आवरण के नाम पर हिन्दुओं के ख़िलाफ़ जमकर हिंसात्मक हमले किए, इस वजह से क्षेत्र के हिन्दुओं को वहाँ से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा।
इन घटनाओं से ममता बनर्जी के वो सभी दावे खोखले साबित होते हैं जिसमें वो अक्सर यह कहते हुए पाई जाती हैं कि वो भाजपा की तरह हिन्दू हैं। जबकि सच्चाई का इस दावे कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि उनके राज में समुदा को संरक्षण प्राप्त है, जिससे वो हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देते रहें हैं और हिन्दुओं से उनका नाता इस बात से ही स्पष्ट हो जाता है कि वो (ममता बनर्जी) उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में एक बार नहीं हर बार नाकाम रहीं।