द क्विंट ने ‘जय श्रीराम’ के नारे को बदनाम करने वाला कार्टून वापस ले लिया है। गाजियाबाद के लोनी में मुस्लिम बुजुर्ग की पिटाई वाले प्रोपेगेंडा को हवा देने के लिए यह कार्टून बनाया गया था। लेकिन जाँच में पता चला कि बुजुर्ग को नारा लगाने के लिए मजबूर नहीं किया गया था। साथ ही यह आपसी विवाद था जिसमें मुस्लिम भी आरोपित हैं।
असल में कथित ‘फैक्ट चेक’ वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने बिना तथ्यों की जाँच किए 14 जून 2021 को सोशल मीडिया पर मुस्लिम बुजुर्ग के साथ मारपीट का एक म्यूट वीडियो अपलोड किया था। इस मामले में उसके खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने प्राथमिकी भी दर्ज की है।
अपने ट्वीट में जुबैर ने लिखा था, “एक बुजुर्ग आदमी, सूफी अब्दुल समद सैफी पर गाजियाबाद के लोनी में 5 गुंडों ने हमला किया। उन्हें बंदूक की नोक पर मारा गया, प्रताड़ित किया गया और जबरदस्ती उनकी दाढ़ी काट दी गई।” उसने आगे कहा कि बुजुर्ग से जबरदस्ती ‘जय श्रीराम’ का नारा बुलवाया गया। ये वीडियो जैसे ही वायरल हुआ द क्विंट के साथ कई वामपंथी वेबसाइटों ने जोर-शोर से इस फेक न्यूज का प्रचार करना शुरू कर दिया था।
क्या है पूरा मामला
फेक न्यूज फैलाने के संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने ट्वीट कर राम का नाम बदनाम करने और यूपी में दंगा भड़काने के लिए संज्ञान लेने के लिए कहा था। गाजियाबाद पुलिस के बताया कि उन्होंने मामले को संज्ञान ले लिया है और आगे नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे में द वायर के साथ-साथ कई वामपंथी मीडिया वेबसाइट यूपी सरकार द्वारा फर्जी खबरें फैलाने वालों पर नकेल कसने और एफआईआर में इनका नाम शामिल किए जाने के बाद से बेहद काफी नाराज हैं। द क्विंट ने भी हिंदूओं के पवित्र मंत्र ‘जय श्रीराम’ को बदनाम करने वाला एक विस्तृत 6 मिनट में पढ़ा जाने वाला लेख प्रकाशित किया है।
दोनों के लेख की सब हेडिंग में लिखा था, पीड़ित से जबरदस्ती ‘जय श्रीराम’ का नारा बुलवाया गया। साथ ही द वायर ने यह भी दावा किया था कि ‘वंदे मातरम’ बोलने के लिए भी मजबूर किया गया था।
द क्विंट का कार्टून
द क्विंट ने अपने हिंदूफोबिक प्रचार को आगे बढ़ाने के प्रयास में दो पूरी तरह से अलग घटनाओं को जोड़ते हुए एक कार्टून प्रकाशित किया। द क्विंट ने लिखा था, “भारत ने रविवार को ‘खुले समाज’ (Open Societies) की अवधारणा पर जी-7 और अतिथि देशों के एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए, जो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों के मूल्यों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की मजबूती के साथ पुष्टि और प्रोत्साहित करता है। एक स्वतंत्रता के रूप में जो लोकतंत्र की रक्षा करती है और लोगों को भय और दमन से मुक्त रहने में मदद करती है।”
इसके बाद द क्विंट ने अपने कार्टून में नीचे की तरफ एक व्यक्ति को एक मुस्लिम व्यक्ति की दाढ़ी को जबरदस्ती काटते हुए और उसे जबरदस्ती ‘जय श्रीराम’ का नारा बुलवाते हुए दिखाया था। ऊपर वाले कार्टून में उसने एक व्यक्ति को समाचार पढ़ते हुए दिखाया था।
हालाँकि, आरोपितों के नाम सामने आने और ट्विटर पर ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर, द वायर और कुछ अन्य वामपंथी हस्तियों के खिलाफ फर्जी खबरें फैलाने को लेकर एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद द क्विंट ने अपना कार्टून हटा लिया है।
गाजियाबाद पुलिस ने जानकारी दी कि उन्होंने वीडियो की जाँच की थी और उसमें ‘जय श्रीराम’ का कहीं कोई जिक्र नहीं था। इसके अलावा, आरोपितों में मुस्लिम भी शामिल थे और यह एक मामूली अपराध था, जहाँ एक बूढ़े व्यक्ति को टोना-टोटका करने और ताबीज देने के लिए पीटा गया था। अपराध में कोई सांप्रदायिक दृष्टिकोण नहीं था।
द क्विंट ने अपने एक ट्वीट में कहा, “द क्विंट ने लोनी की हालिया घटना पर अपना काफी REAL कार्टून वापस ले लिया है, जहाँ 5 जून को एक 72 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति पर हमला किया गया था। पुलिस ने बताया है कि मुस्लिम व्यक्ति को जय श्रीराम का नारा लगाने के लिए मजबूर नहीं किया गया था। हम आपके लिए मामले के घटनाक्रम को सामने लाना जारी रखेंगे। धन्यवाद।”
The Quint has withdrawn its Kaafi Real cartoon on the recent incident in Loni, where a 72-year-old Muslim man was attacked on 5 June, after the police has contested that he was forced to chant. We will continue to bring you the developments on the case. Thanks.
— The Quint (@TheQuint) June 16, 2021
इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर इंडिया के खिलाफ गाजियाबाद क्राइम के बारे में झूठी खबर फैलाने वाले ट्वीट्स को हटाने में विफल रहने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है।