Wednesday, May 1, 2024
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59 गणेश प्रतिमाएँ, फ्रांसीसियों ने सागर में डुबोने का किया था प्रयास: कहानी पुडुचेरी के मनाकुला विनायगर मंदिर की

इस मंदिर की दीवारों पर शिल्पकारों ने भगवान गणेश के जन्म से लेकर उनके विवाह और अन्य कई घटनाओं का चित्रण किया है। इसके अलावा हिन्दू ग्रंथों में भगवान गणेश के जिन 16 रूपों का वर्णन किया गया है, मंदिर में उन सभी का चित्रांकन मौजूद है।

अभी तक ऑपइंडिया की मंदिरों की श्रृंखला में हमने आपको देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित भगवान शिव, माँ दुर्गा, भगवान विष्णु और हनुमान जी के मंदिरों के बारे में बताया है। आज हम आपको इन सभी देवताओं में प्रथम पूज्य भगवान गणेश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में स्थित है। शास्त्रों में वर्णित इस मंदिर की विशेषता है यहाँ विराजमान चमत्कारी प्रतिमा जिसे फ्रांसीसियों ने नुकसान पहुँचाने की कोशिश की, लेकिन हमेशा असफल रहे। यह मंदिर है मनाकुला विनायगर मंदिर जहाँ सदियों से भक्तों के कष्टों का निवारण करते आ रहे हैं विघ्नहर्ता भगवान गणेश। 

बालू से मिला नाम

तमिल भाषा में बालू को मनल कहा जाता है और कुलन का अर्थ है जल स्रोत या सरोवर। इन्हीं दो तमिल शब्दों से मिलकर बना मनाकुला। कहा जाता है कि जहाँ आज भगवान गणेश विराजमान हैं वहाँ बहुत अधिक मात्रा में बालू हुआ करती थी। इस कारण भगवान गणेश के इस स्थान को मनाकुला विनायगर कहा गया। मंदिर का मुख सागर की तरफ है, इस कारण इस मंदिर को भुवनेश्वर गणपति भी कहा जाता है।

संरचना

लगभग 8,000 वर्ग फुट में फैले इस मंदिर में कई टन सोना मौजूद है। यहाँ तक कि इस मंदिर की आंतरिक सज्जा में भी सोने का ही उपयोग किया गया है। मंदिर में भगवान गणेश की मुख्य प्रतिमा के अलावा भगवान गणेश की ही 58 अन्य तरह की प्रतिमाएँ स्थापित हैं।

इस मंदिर की दीवारों पर शिल्पकारों ने भगवान गणेश के जन्म से लेकर उनके विवाह और अन्य कई घटनाओं का चित्रण किया है। इसके अलावा हिन्दू ग्रंथों में भगवान गणेश के जिन 16 रूपों का वर्णन किया गया है, मंदिर में उन सभी का चित्रांकन मौजूद है।

फ्रांसीसियों ने किया था भंग करने का प्रयास

मनाकुला विनायगर मंदिर का इतिहास 500 सालों से भी अधिक पुराना है। कहा जाता है कि जब फ्रांसीसी पुडुचेरी आए तो उन्होंने हिंदुओं के मन में इस मंदिर के प्रति अथाह श्रद्धा-भाव देखा। इसी के चलते फ्रांसीसियों ने भगवान गणेश की प्रतिमा को समुद्र में डुबो दिया, लेकिन यह चमत्कार ही था कि प्रतिमा फिर से अपने स्थान पर वापस आ जाती। मंदिर के अनुष्ठानों में भी कई तरह के विघ्न डालने के प्रयास भी हुए लेकिन हर बार भगवान गणेश के आशीर्वाद से विघ्न पहुँचाने वालों को असफलता हाथ लगती थी। यही कारण है कि आज भी न केवल पुडुचेरी बल्कि पूरे भारत भर के हिंदुओं के लिए यह मंदिर अत्यंत महत्व का है।

उत्सव

हर साल अगस्त-सितंबर महीने में मनाकुला विनायगर मंदिर में ब्रह्मोत्सवम मनाया जाता है। यह मंदिर का प्रमुख त्योहार है जो 24 दिनों तक चलता है। इसके अलावा मंदिर में विनायक चतुर्दशी, गणेश चतुर्थी और अन्य कई त्योहार माने जाते हैं। विजयादशमी भी यहाँ का प्रमुख त्योहार है। इस दिन भगवान गणेश अपने एक विशेष रथ पर सवार होकर नगर की यात्रा पर निकलते हैं। मंदिर का यह विशेष रथ सागौन की लकड़ी से बना है और कॉपर की प्लेट से पूरी तरह ढँका हुआ है। कॉपर की इन प्लेट पर शानदार नक्काशी की गई है। ये प्लेट भी सोने से सजाई गई हैं। इस रथ के निर्माण में साढ़े सात किग्रा सोने का उपयोग हुआ है।

कैसे पहुँचे?

बंगाल की खाड़ी से मात्र 400 मीटर पश्चिम में स्थित मनाकुला विनायगर मंदिर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 165 किमी दक्षिण में और विलुप्पुरम से 35 किमी पूर्व में स्थित है। मंदिर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पुडुचेरी हवाई अड्डा है जो यहाँ से लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित है। पुडुचेरी हवाईअड्डे से हैदराबाद और बेंगलुरु के लिए उड़ान उपलब्ध है। पुडुचेरी रेलमार्ग से भी विलुप्पुरम और चेन्नई से जुड़ा हुआ है जहाँ कई ट्रेनें नियमित तौर पर संचालित हैं। इसके अलावा सड़क मार्ग और जलमार्ग से भी पुडुचेरी भारत के कई शहरों से जुड़ा हुआ है।

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ओम द्विवेदी
ओम द्विवेदी
Writer. Part time poet and photographer.

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