उत्तर प्रदेश पुलिस ने लोनी मामले में चार्जशीट दायर की है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार चार्जशीट में 11 लोगों के नाम हैं। चार्जशीट में समाजवादी पार्टी के नेता उम्मेद पहलवान का नाम नहीं है। उसके खिलाफ एक अलग चार्जशीट दायर की जाएगी। पहलवान फिलहाल NSA के तहत जेल में बंद है।
रिपोर्ट के अनुसार आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (नुकसान पहुँचाना), 504 (शांति भंग करना), 506 (धमकाना), 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना), 147 (दंगा), 148 (दंगों में घटक हथियार) और 149 (गैर-कानूनी एकत्रीकरण) के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोपितों में परवेज गुज्जर और कल्लू गुज्जर भी शामिल हैं।
यह वही मामला है जहाँ कई प्रोपेगेंडाबाजों ने यह कहकर फेक न्यूज फैलाई थी कि पीड़ित से ‘जय श्री राम’ बुलवाया गया और बाद में उसके साथ मारपीट की गई। बाद में यह पता चला कि यह एक फेक न्यूज थी।
परवेज गुज्जर ने बताया था कि उसकी पत्नी 6 महीने की गर्भवती थी। गुज्जर ने अब्दुल समद सैफी से ताबीज ली थी। लेकिन उसके कथित गलत प्रभाव से अजन्मे बच्चे की मौत हो गई। परवेज ने बताया कि जब से उसने ताबीज ली थी तभी से ही उसके साथ गलत होने लगा था। इससे वह गुस्सा हो गया और उसने सैफी की पिटाई कर दी।
यूपी पुलिस ने ट्विटर समेत अन्य पर दर्ज किया था मामला
15 जून को गाजियाबाद पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसमें ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर, पत्रकार राणा आयूब और अन्य शामिल थे। मामले में ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशन्स इंडिया को अपने प्लेटफॉर्म पर फैलाई जा रही फेक न्यूज के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए आरोपित बनाया गया था।
यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि ट्विटर से ‘इंटरमिडियरी’ प्लेटफॉर्म का दर्जा छीन लिया गया था क्योंकि उसके द्वारा भारत के नए आईटी कानूनों का अनुपालन नहीं किया गया जो 26 मई से लागू हुए। इसके बाद गाजियाबाद पुलिस के द्वारा समुदायों में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न करने के लिए म्यूटेड वीडियो वायरल करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई।
17 जून को यह रिपोर्ट आई कि स्थानीय समाजवादी पार्टी नेता उम्मेद पहलवान इदरिस को गाजियाबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इदरिस पर निजी दुश्मनी पर आधारित घटना को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाया था।