Sunday, September 8, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षाब्रह्मोस का सुखोई MKI-30 से सफल परीक्षण, दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों को निर्यात की...

ब्रह्मोस का सुखोई MKI-30 से सफल परीक्षण, दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों को निर्यात की तैयारी

मिसाइल की डिजाइनिंग और विकास भारत-रूस के संयुक्त तत्वाधान में बनी कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) ने किया है। दक्षिणपूर्वी एशिया के देशों को यह मिसाइल निर्यात किए जाने में केंद्र सरकार और उन देशों के बीच सहमति बनने की देर है।

रक्षा मंत्रालय द्वारा आज शाम जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वायु सेना ने ब्रह्मोस मिसाइल के हवाई संस्करण का आज सफल परीक्षण किया है। सुखोई एमकेआई-30 से दागी गई यह मिसाइल विज्ञप्ति के मुताबिक जमीन पर स्थित अपने निर्धारित लक्ष्य को भेदने में सफल रही। मिसाइल की डिजाइनिंग और विकास भारत-रूस के संयुक्त तत्वाधान में बनी कंपनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) ने किया है। परीक्षण में नौसेना ने भी फायरिंग रेंज को खाली रखते हुए सहयोग किया।

पिछले साल अपनी श्रेणी की पहली बनी थी वायु सेना

पिछले ही साल भारतीय वायु सेना ने 2.5 टन की इस सुपरसोनिक (आवाज़ की गति से तेज चलने वाली) मिसाइल को 2.8 मैक (ध्वनि के अनुपात में गति नापने की इकाई) से हवा से पानी की सतह पर टेस्ट फायर किया गया था। 22 नवंबर, 2017 को ऐसा कर, ऐसी हवा से सतह पर हमला करने में सक्षम क्रूज़ मिसाइल से ऐसी क्षमता पाने वाली पहली वायु सेना बनी थी।

मिसाइल की शुरुआत से ही वायु सेना इसके विकास के हर कदम पर इसमें शामिल रही है। उसके इंजीनियरों ने मिसाइल का सॉफ्टवेयर भी बनाया था। HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) ने मिसाइल के इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल हिस्सों पर काम किया था

दूसरे देश भी दिखा रहे रुचि  

BAPL के मुख्य मानव संसाधन महाप्रबंधक (चीफ जनरल मैनेजर, एचआर) कमोडोर एसके अय्यर ने पिछले हफ्ते यह जानकारी मीडिया को दी थी कि इस मिसाइल को खरीदने में कई दक्षिणपूर्वी एशियाई और खाड़ी देशों ने रुचि दिखाई है। उन्होंने यह जानकारी IMDEX 2019 प्रदर्शनी में भागीदारी के दौरान दी। उन्होंने बताया कि दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों को यह मिसाइल निर्यात किए जाने में केंद्र सरकार और उन देशों के बीच सहमति बनने की देर है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -