Sunday, November 24, 2024
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इमरान प्रतापगढ़ी सहित कॉन्ग्रेसी-वामपंथी गिरोह ने ‘किसान’ को लेकर फैलाया झूठ: लोगों ने कर दिया फैक्ट चेक, तस्वीर गोरक्षक की

“ये तस्वीर फेक है, झूठी है। इस तस्वीर का किसानों से कोई लेना देना नहीं। तस्वीर पुरानी है और मोनू नाम के गो-रक्षक की है। गो-हत्यारों ने मोनू पर हमला किया था। ट्विटर और ऑल्ट न्यूज अब करिए फैक्ट चेक।”

हरियाणा में एक बार फिर किसान आंदोलन तेज हो गया है। यहाँ शनिवार (अगस्त 28, 2021) को करनाल के घरौंडा में टोल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के एक कार्यक्रम के विरोध में किसानों ने प्रदर्शन किया। कृषि कानूनों के साथ भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध कर रहे किसानों ने हर जिले की तरह भिवानी में भी दो जगह रोड को जाम कर दिया। यही नहीं उन्होंने पुलिस पर जान लेवा हमला भी किया।

सीएम के आगमन का विरोध कर रहे किसानों ने बस्तारा टोल प्लाजा पर जाम लगा दिया और पुलिस को पीटने लगे। इसके बाद पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना के बाद कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ट्वीट करते हुए लिखा, “फिर खून बहाया है किसान का, शर्म से झुकाया हिंदुस्तान का।” वहीं कॉन्ग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से एक तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा, “किसानद्रोही बीजेपी का अंत नजदीक है।”

आपको जान कर हैरानी होगी कि कॉन्ग्रेस पार्टी अभी भी झूठी और फर्जी खबरें फैलाकर ओछी राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पार्टी ने जो फोटो शेयर किया है, वह किसी किसान का नहीं, बल्कि एक गो-रक्षक का है। इस तस्वीर में एक सिर दिखाया गया है, जिस पर टाँके लगे हुए हैं। हालाँकि बाद में कॉन्ग्रेस ने इस ट्वीट को डिलीट कर लिया, क्योंकि लोगों ने खुद ही कॉन्ग्रेसी प्रोपेगेंडा का फैक्ट चेक कर दिया।

वहीं पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी ने भी इसी फोटो को शेयर करते हुए लिखा, “ये सिर देश के एक किसान का है और इस फटे सर पर लगे टॉंकों की वजह नरेंद्र मोदी जी की लाठियॉं हैं।” कॉन्ग्रेस ने तो अपना ट्वीट डिलीट कर लिया है, लेकिन इमरान प्रतापगढ़ी के फेसबुक पेज पर यह पोस्ट अभी भी उपलब्ध है।

फेक न्यूज फैलाने की होड़ में भला कॉन्ग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहाँ पीछे रहने वाले। उन्होंने भी मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए अपने ट्विटर अकाउंट से इस तस्वीर को शेयर किया और लिखा, “करनाल में किसान आंदोलन से निपटने के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तुगलकी फरमान का प्रत्यक्ष प्रमाण। कायर खट्टर सरकार, इसे हल्का बल प्रयोग बता रही है।” हालाँकि पोल खुलती देख उन्होंने भी ट्वीट डिलीट कर लिया।

कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इन कॉन्ग्रेसियों की पोल खोल दी। टीवी पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने लिखा, “ये तस्वीर फेक है, झूठी है। इस तस्वीर का किसानों से कोई लेना देना नहीं। तस्वीर पुरानी है और मोनू नाम के गो-रक्षक की है। गो-हत्यारों ने मोनू पर हमला किया था। ट्विटर और ऑल्ट न्यूज अब करिए फैक्ट चेक।”

एक यूजर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “पुरानी तस्वीर को आधार बना कर सरकार व पुलिस को बदनाम करने और लोगों में अफवाह फैलाने के लिए इस ट्विटर हैंडल को तत्काल प्रभाव से हमेशा के लिए बन्द कर देना चाहिए।”

वहीं इमरान प्रतापगढ़ी द्वारा झूठ फैलाए जाने पर एक यूजर ने प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “इमरान शायर नही झुठायर है, दिन भर देश को बदनाम करने का काम करता रहता है, 

योगी आदित्यनाथ जी, इसके पास भी बड़ी कोठी है, जेसीबी का रुख इसकी तरफ भी करवाइए।”

एक अन्य यूजर ने लिखा, “जब शायर भटक जाता है। लाठी से सिर कट जाता है।” 

वहीं एक अन्य ने लिखा, “दो कौड़ी के झूठे शायर इमरान कभी सच से वाकिफ़ होकर बात कर और सही वीडियो शेयर कर। यूपी पुलिस, शलभ मणि त्रिपाठी कृपया इनकी अफवाह फैलाने के जुर्म में स्वागत करिए। देश में ऐसे मानसिकता के लोग दंगा करा देंगे।”

बता दें कि 33 वर्षीय इमरान प्रतापगढ़ी को अखिलेश यादव की सपा सरकार ने 2016 में ‘यश भारती अवॉर्ड’ से नवाजा था। इमरान प्रतापगढ़ी को उनकी नज्म ‘मदरसा’ और ‘हाँ, मैं कश्मीर हूँ’ जैसे नज्मों के लिए जाना जाता है। ‘मदरसा’ नज्म में उन्होंने इसे आतंकवाद से न जोड़ने की अपील करते हुए इसका महिमामंडन किया है। 2019 में उन्हें कॉन्ग्रेस ने मोरादाबाद लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वो 5% वोट पाने में भी नाकामयाब रहे।

इमरान अपनी शायरी के जरिए ‘इमान वालों’ को 4-6 लोगों की हत्या कर के मरने की सलाह देते हैं। इसी तरह शाहीन बाग़ आंदोलन के दौरान महिलाओं और बच्चों से उन्होंने ‘जो हिटलर की चाल चलेगा, वो हिटलर की मौत मरेगा’ का नारा लगवाया था। इस प्रदर्शन में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे। इसी तरह जम्मू कश्मीर को लेकर भी वो प्रोपेगंडा फैलाते रहे हैं और कहते रहे हैं कि वहाँ मुस्लिमों की जनसंख्या ज्यादा होने के कारण उन पर ‘जुल्म’ होता है।

इसी तरह पुलवामा में जब भारतीय जवानों का बलिदान हुआ था, तब उसके बाद हुए एक मुशायरे में उन्होंने इसके लिए भारत और भारतीय सुरक्षा बलों को ही जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने ‘कातिल घर के आँगन तक पहुँचा है, रखवाले की साजिश हो सकती है’ जैसी पंक्तियों के जरिए भारत को ही कटघड़े में खड़ा किया था। CAA विरोधी आंदोलनों के दौरान मोदी सरकार को इमरान ने भारत के संविधान का ‘कातिल’ करार दिया था।

इसके अलावा इमरान प्रतापगढ़ी की एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें इमरान प्रतापगढ़ी मुस्लिमों से ब्यूरोक्रेसी पर ‘कब्जा’ करने के लिए कहते हैं। वीडियो में इमरान प्रतापगढ़ी का कहना था कि फासिस्टों ने पिछले 30 सालों में उनके नस्ल का काफी नुकसान किया है। इमरान प्रतापगढ़ी के अनुसार इससे एक फायदा भी हुआ और वह फायदा यह है कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और नेपाल के बॉर्डर से लेकर राजस्थान के बॉर्डर तक डंडा लेकर भैंस चराने वाला आम मुस्लिम भी यह समझ चुका है कि इस देश में जिंदा रहना है तो बच्चों को पढ़ाना पड़ेगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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