Saturday, November 23, 2024
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‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ का ख्वाब पाले वामपंथी कविता कृष्णन ने की ‘हिंदुत्व’ की तालिबान से तुलना: देखें वीडियो

वीडियो क्लिप में कविता कृष्णन यह कहते हुए सुनी जा सकती हैं, “भारत में हिंदू हिंदुत्व के खिलाफ लड़ रहे हैं, ठीक उसी तरह जैसे अफगानिस्तान में मुस्लिम तालिबान के खिलाफ लड़ रहे हैं। तालिबान से भागने वाले मुस्लिम हैं। इसी तरह हम हिंदू यहाँ हिंदुओं से लड़ रहे हैं।”

वामपंथी नेता और कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने शुक्रवार (3 सितंबर 2021) को तालिबान, अमेरिका के कू क्लैक्स क्लान और हिंदुत्व की गलत और बेबुनियाद तुलना की। इसके बाद से उनकी तीखी आलोचना की जा रही है। वामपंथ समर्थक ने दावा किया कि हिंदू ही हिंदुत्व के खिलाफ लड़ रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया न्यूज पर ‘जनता का मुकदमा’ शो के दौरान शो के होस्ट प्रदीप भंडारी ने इस हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश का दावा करते हुए इस बात पर जोर दिया कि किस तरह से मौजूदा वक्त में हिंदूफोबिया आज की गंभीर वास्तविकता बन गई है। इस संबंध में उन्होंने एक ‘एक्सक्लूसिव’ वीडियो क्लिप साझा किया था, जिसमें कविता कृष्णन ने हिंदू वर्चस्व के इर्द-गिर्द झूठे आख्यानों को फैलाकर हिंदूफोबिया को मुख्यधारा में लाने के पीछे अपने मकसद का खुलासा किया था।

वीडियो क्लिप में कविता कृष्णन यह कहते हुए सुनी जा सकती हैं, “भारत में हिंदू हिंदुत्व के खिलाफ लड़ रहे हैं, ठीक उसी तरह जैसे अफगानिस्तान में मुस्लिम तालिबान के खिलाफ लड़ रहे हैं। तालिबान से भागने वाले मुस्लिम हैं। इसी तरह हम हिंदू यहाँ हिंदुओं से लड़ रहे हैं।” हालाँकि, बाद में उन्होंने ‘हिंदुओं’ को ‘हिंदुत्व’ से बदलने के लिए अपने बयान में बदलाव किया।

कविता कृष्णन ने अमेरिका में होने वाले एक सम्मेलन के बारे में कहा, “सम्मेलन वैश्विक हिंदुत्व को खत्म करने के बारे में है। मुझे वहाँ एक वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है। दुनिया तालिबान, संयुक्त राज्य अमेरिका के कू क्लक्स क्लान (श्वेत वर्चस्व) के बारे में जानती है, लेकिन हिंदू वर्चस्व की राजनीति के बारे में ज्यादा नहीं जानती। मैं स्पष्ट करना चाहती हूँ कि सम्मेलन का आयोजन करने वाले भारतीय हैं और उनमें से ज्यादातर हिंदू हैं।”

अमेरिका के ही विश्वविद्यालयों के कुछ विभागों द्वारा सह-प्रायोजित हिंदुओं और हिंदुत्व पर तीन दिवसीय सम्मेलन 11 सितंबर 2021 से आयोजित हो रहा है। इसकी वेबसाइट पर कार्यक्रम के आयोजकों “डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व” ने 40 से अधिक शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों के नामों को उनके प्रायोजकों और सहप्रायोजकों के रूप में सूचीबद्ध किया है।

इस विवादास्पद दुष्प्रचार कार्यक्रम से वैश्विक स्तर पर हिंदुओं के बीच आक्रोश को उत्पन्न किया है, जिसके तहत कई भारतीयों ने लेफ्ट-लिबरल्स पर हिंदुओं के नरसंहार को सही ठहराने के लिए नाजी शैली के आयोजन का आरोप लगाया है। ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ कार्यक्रम में ऑड्रे ट्रुश्के, नक्सल समर्थक आनंद पटवर्धन और नंदिनी सुंदर, स्व-घोषित वामपंथी पत्रकार नेहा दीक्षित समेत कई हिंदूफोबिक तत्वों की भागीदारी देखने को मिलेगी।

कविता ने बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का किया दावा

कविता कृष्णन ने रविवार (5 सितंबर) को ट्विटर पर दावा किया कि उन्हें ‘हिंदू वर्चस्व’ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘जन की बात’ एक छोटे से वीडियो क्लिप के आधार पर उन्हें ‘हिंदू विरोधी’ बताने के लिए एक शो चला रहा है।

कविता ने ट्वीट किया, “मैंने इस चैनल से कभी बात नहीं की। यह क्लिप एक फेसबुक पेज के 2 बच्चों के लंबे इंटरव्यू (साथ) की है। मैं प्रदीप भंडारी को इसे पूरा प्रसारित करने की चुनौती देती हूँ। साक्षात्कार में मैंने इस बात पर बात की कि मैं अफगानिस्तान में तालिबान का विरोध उसी प्रकार करती हूँ, जैसे मैं हिंदू वर्चस्ववादी संगठनों का विरोध करती हूँ जो भारत में महिलाओं और मानवाधिकारों पर हमला करते हैं।”

कविता कृष्णन के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

इसके अलावा वामपंथी नेता ने अपनी विचित्र कहानी को ब्रायन टायलर कोहेन का उदाहरण देते हुए सही ठहराया, जिसने ‘तालिबान के साथ टेक्सास में गर्भपात के अधिकारों पर ईसाईयों के कट्टर हमलों’ की तुलना की थी। जबकि, तथ्य यह है कि कोहेन ने ऐसी कोई उपमा दी ही नहीं थी। कविता कृष्णन ने ‘जन की बात’ के संस्थापक पर उन्हें ‘हिंदू विरोधी’ और ‘भारत विरोधी’ करार देने का भी आरोप लगाया।

वामपंथी कविता कृष्णन ने प्रदीप भंडारी को चुनौती देते हुए कहा, “मैं चाहती हूँ कि प्रदीप यह बताएँ कि उन्हें क्लिप कहाँ से मिली। उनका दावा है कि यह एक ‘एक्सक्लूसिव टेप’ है। क्या उसने दो युवाओं को झूठी पहचान के तहत मेरे घर इंटरव्यू लेने के लिए भेजा था? क्योंकि, क्लिप एक साक्षात्कार की है, जो उन लड़कों के साथ की है जन की बात के साथ नहीं।”

कविता कृष्णन के ट्वीट का स्क्रीनशॉट

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीआई-एमएल) की एक पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन एक अतिवादी-कार्यकर्ता हैं और भारत विरोधियों समर्थन करने के लिए एक समय में वह एक स्वतंत्र प्रदर्शनकारी बन जाती हैं। 2016 में जेएनयू के राष्ट्र विरोधी नारे लगाने की घटना के दौरान सुर्खियों में आईं कृष्णन देश में वामपंथी ‘विरोधों’ का चेहरा बन गई हैं। पिछले कुछ वर्षों में कविता कृष्णन को कई बार फेक न्यूज फैलाने के आरोप में पकड़ा गया है, हालांकि, वह बिना किसी दंड के कारण इस तरह की हरकतें लगातार कर रही हैं।

राष्ट्र-विरोधी तत्वों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के अलावा कविता कृष्णन का कट्टरपंथी इस्लामवादियों, फेक न्यूज फैलाने वालों और पाकिस्तान समर्थकों का समर्थन करने का इतिहास रहा है। पिछले साल, वह कुख्यात फेक न्यूज पेडलर मोहम्मद आसिफ खान के समर्थन में खड़े होने के लिए सामने आई थीं, जिसका साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील फेक न्यूज प्रचारित करने का इतिहास है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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