केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2006 के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के कार्यकर्ता मोहम्मद फैजल की हत्या मामले की जाँच पर शुक्रवार (5 नवंबर 2021) को केरल हाई कोर्ट में एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। अदालत ने इस साल जुलाई में मामले की जाँच आगे बढ़ाने का आदेश दिया था और सीबीआई को जाँच के लिए एक विशेष टीम गठित करने को कहा था। बताया गया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक पूर्व कार्यकर्ता सुभीश ने हत्या में आरएसएस कार्यकर्ताओं का हाथ होने का खुलासा किया था, जिसके बाद अदालत ने यह आदेश दिया था।
अदालत में शुक्रवार को सौंपी गई रिपोर्ट में सीबीआई ने दावा किया है कि आरएसएस के खिलाफ आरोप सही नहीं है और अपनी प्रारंभिक जाँच रिपोर्ट का समर्थन किया, जिसमें माकपा नेताओं की संलिप्तता का संकेत दिया गया था।
सीबीआई ने अदालत में कहा कि सुभीश द्वारा पुलिस हिरासत में किया गया खुलासा, दबाव में आकर दिया गया बयान था। सुभीश ने कथित तौर पर पुलिस को बताया था कि उसने आरएसएस के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर फैजल की हत्या कर दी थी। ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुभीश ने उस बयान को वापस ले लिया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने उसे यह सब कबूल करने के लिए प्रताड़ित किया था।
बता दें कि 30 वर्षीय मोहम्मद फैजल की 22 अक्टूबर, 2006 को केरल के थालास्सेरी में हत्या कर दी गई थी। शुरुआत में इस मामले की जाँच केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही थी, लेकिन मृतक की पत्नी मरियू की याचिका पर बाद में हाई कोर्ट ने जाँच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी थी।
सीबीआई ने इस मामले में दो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेताओं करायी राजन और करायी चंद्रशेखरन सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। हत्या के मामले में गिरफ्तार होने के डेढ़ साल बाद एर्नाकुलम नहीं छोड़ने की शर्त पर दोनों भाइयों को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। लेकिन उन्हें हाल ही में फिर से गिरफ्तार किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक, क्रांतिकारी मार्क्सवादी पार्टी के नेता टीपी चंद्रशेखरन की हत्या करने वाले कोडी सुनी को फैजल हत्याकांड का पहला आरोपित बनाया गया था। वहीं, सीबीआई के अनुसार, हत्या की साजिश राजन और चंद्रशेखरन ने रची थी और इसे अन्य लोगों ने अंजाम दिया था।
CPM के वरिष्ठ नेता करायी राजन और करायी चंद्रशेखरन का शुक्रवार (5 नवंबर 2021) को जोरदार स्वागत किया गया। ये दोनों 8 साल बाद अपने पैतृक जिले में लौटे। NDF (बाद में यही PFI बना) कार्यकर्ता मुहम्मद फजल की हत्या के मामले में सातवें और आठवें आरोपी यही राजन और चंद्रशेखरन हैं।
22 अक्टूबर 2006 को सैदर मस्जिद के पास एक अज्ञात गिरोह ने फजल की हत्या कर दी थी। यह आरोप लगाया गया था कि हत्या के पीछे CPM का हाथ था क्योंकि फजल ने पार्टी छोड़ दी थी और एनडीएफ में शामिल हो गए थे।