राजनीति में प्रतीकों का बड़ा महत्व है। जब-जब हम ये भूलना चाहते हैं, कोई मंझा हुआ राजनेता इसकी याद दिला देता है। अब कुछ दिन पहले का ही एक वीडियो ले लीजिए। पूर्वांचल एक्सप्रेस के उद्घाटन के दौरान सुल्तानपुर में प्रोटोकॉल्स के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गाड़ी थोड़ा आगे क्या रुकी, पीछे पैदल चलते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के वीडियो के सहारे समजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने ये जताने की कोशिश की कि भाजपा में सब ठीक नहीं है।
अखिलेश यादव के उस दावे का जवाब रविवार (21 नवंबर, 2021) को मिल गया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित राजभवन के गलियारे में नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ साथ में दिखे। सीएम योगी के कंधे पर पीएम मोदी का हाथ था और दोनों गहन चर्चा में मशगूल दिख रहे थे। इस तस्वीर को देख कर ऐसा लगता है कि एक अभिभावक की तरह 71 वर्षीय मोदी कुछ समझा रहे हैं और उनसे 22 साल छोटे योगी उनकी बातों को ध्यान से सुन रहे हैं।
हम निकल पड़े हैं प्रण करके
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 21, 2021
अपना तन-मन अर्पण करके
जिद है एक सूर्य उगाना है
अम्बर से ऊँचा जाना है
एक भारत नया बनाना है pic.twitter.com/0uH4JDdPJE
लखनऊ में चल रहे ‘अखिल भारतीय पुलिस महानिदेशक/महानिरीक्षक सम्मेलन’ के दौरान जब मंच पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और इसी विभाग के राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ मंच पर दिखे तो विरोधी कहने लगे कि मेजबान राज्य के मुख्यमंत्री को ही जगह नहीं मिली। उससे पहले कॉन्ग्रेस और सपा के विभिन्न नेताओं और ट्विटर हैंडलों से तंज कसा गया कि ‘मोदी ने योगी को पैदल कर दिया।’ खास बात ये है कि जो सोनिया गाँधी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कुर्सी से उठा देती थीं, उनकी पार्टी के लोग भी ऐसे आरोपों में मशगूल रहे।
‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की बधाई नहीं दी’ – एक नैरेटिव ये भी
इसी तरह 5 जून, 2021 को जब योगी आदित्यनाथ का जन्मदिन आया तो पूरा का पूरा लिबरल गिरोह ये कहने में लग गया कि प्रधानमंत्री ने उन्हें बधाई नहीं दी है, इसीलिए दोनों नेताओं में सब ठीक नहीं है। उस समय कोरोना वायरस संक्रमण अपने पूरे प्रभाव में था और दूसरी लहर के दौरान सीएम योगी और पीएम मोदी, दोनों ही ऑक्सीजन की सप्लाई से लेकर अस्पतालों में बेड्स की व्यवस्था जैसे कार्यों में व्यस्त थे। लगातार बैठकें हो रही थीं। टीकाकरण अभियान तेज़ करने पर मंथन हो रहा था।
उत्तर प्रदेश में पहले से ही पैदल हो चुके विपक्ष ने भी मुद्दे को लपक लिया। कयास लगाए जाने लगे कि भाजपा के दो बड़े नेताओं में सब ठीक नहीं है। अंदेशा जताया जाने लगा कि योगी आदित्यनाथ 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा का चेहरा होंगे भी या नहीं। उन्हें भाजपा के शीर्ष आलाकमान का वरदहस्त नहीं हासिल है, ऐसा मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जाने लगा। जब देश के लिए स्वास्थ्य सुविधाएँ प्राथमिकता थीं, विपक्ष और पत्रकारिता का एक गिरोह राजनीति में मशगूल रहा।
वो ये भूल गए कि अप्रैल 2021 में कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से जन्मदिन की बधाइयाँ देनी बंद कर दी थी, क्योंकि देश का माहौल ग़मगीन था और हम महामारी से जूझ रहे थे। ऐसे में उन्हें सोशल मीडिया पर ऐसा करना अच्छा नहीं लगा। 24 अप्रैल को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, 3 मई को केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, 5 मई को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को भी उन्होंने जन्मदिन की बधाई नहीं दी थी।
इसी तरह 18 मई को थावर चंद गहलोत (तब केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता, अब कर्नाटक के राज्यपाल), 24 मई को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, और 27 मई को केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को भी उन्होंने जन्मदिन की बधाई नहीं दी थी। इसीलिए, सेलेक्टिव तरीके से योगी वाली बात उठाई गई। हालाँकि, जैसे ही कोरोना का प्रकोप ख़त्म होना शुरू हुआ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछेक नेताओं को जन्मदिन की बधाई दी और कई कार्यक्रमों का भी हिस्सा बने।
उत्तर प्रदेश में यही होगा भाजपा का प्रतीक चिह्न: योगी के कंधे पर मोदी का हाथ
जून महीने में ही जब योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली दौरा किया और पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की, भाजपा विरोधी फिर सक्रिय हो गए और कहने लगे कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री बदला जाएगा। बता दें कि इस साल भाजपा ने गुजरात (विजय रुपानी को हटा कर भूपेंद्र पटेल), उत्तराखंड (त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा कर तीरथ सिंह रावत, फिर उन्हें हटा कर पुष्कर सिंह धामी) और कर्नाटक (बीए येदियुरप्पा को हटा कर बसवराज बोम्मई) में मुख्यमंत्री बदले हैं।
इसी तरह उस समय कहा जा रहा था कि योगी को भी बदला जाएगा। हालाँकि, देखा जाए तो एक लोकतांत्रिक पार्टी में इस तरह के बदलाव होते रहने चाहिए और एक ही परिवार से पार्टी अध्यक्ष और सीएम-पीएम वाला चलन नहीं होना चाहिए। लेकिन, इसे गलत तरीके से पेश किया गया। उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार भी सितंबर 2021 में हुआ। उस सम्बन्ध में बैठकों को भी ‘योगी को हटाने की चर्चा’ से जोड़ कर देखा गया। मीडिया और विपक्ष ने जम कर चटखारे लिए।
लेकिन, अब स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ ही भाजपा का चेहरा होंगे। नरेंद्र मोदी इस समय न सिर्फ भाजपा, बल्कि देश के सबसे बड़े नेता हैं। ऐसे में उनका हाथ गोरक्षधाम पीठ के भगवाधारी महंत के कंधे पर है, पार्टी ने ये जता दिया है। जब भी उत्तर प्रदेश का नाम आता है, मीडिया जाति का गणित बिठाने लग जाता है। अब वही मीडिया अपने विश्लेषण में कह सकता है कि 35% नॉन-यादव OBC और 7% राजपूत जनसंख्या को लुभाने के किए ये तस्वीर ली गई है।
लेकिन, सच्चाई ये है कि जिस तरह योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में कहा कि अगली कारसेवा में कृष्णभक्तों पर गोली चलने की जगह फूल बरसेंगे, उससे साफ़ है कि वो हिन्दुओं को एकजुट कर और साथ रख कर चलना चाहते हैं। कई इंटरव्यूज में मुस्लिम विरोधी छवि के आरोपों पर गिना चुके हैं कि किस तरह सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों में सभी जाति-समुदायों के लोग हैं। लखनऊ राजभवन के गलियारे से जो संदेश निकला है, उसकी गूँज 4-5 महीने बाद आने वाले नतीजों में भी सुनाई देगी।