Saturday, November 23, 2024
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मुँह में लिंग डालना, लड़की के कपड़े उतारना, अकेला आदमी नहीं कर सकता रेप… 2021 के वे 10 मौके जब ‘न्याय’ पर उठे सवाल

इसी साल बॉम्बे हाई कोर्ट का 'स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट' वाला फैसला आया जो काफी विवादों में रहा, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया।

साल 2021 वो साल है, जिसमें लगातार न्यायपालिका अपने फैसलों और टिप्पणियों को लेकर चर्चा में रही। कई ऐसे फैसले आए जिन पर खासा विवाद हुआ। इसमें से एक बॉम्बे हाई कोर्ट का ‘स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’ वाला फैसला काफी विवादों में रहा, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया। एक ऐसा मामला भी देखने को मिला जब एक नाबालिग की शादी को जायज ठहराने के लिए कोर्ट ने मुस्लिम लॉ का हवाला दिया। किसान आंदोलन को लेकर शीर्ष अदालत के रुख को लेकर भी लगातार चर्चा होती रही।

नए साल में प्रवेश से पहले ऐसे ही 10 फैसलों और टिप्पणियाँ आपके लिए;

‘स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’

साल 2021 की शुरुआत में ही बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह विवादित टिप्पणी की। जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने कहा था कि सिर्फ ग्रोपिंग (groping, किसी की इच्‍छा के विरुद्ध कामुकता से स्‍पर्श करना) को यौन शोषण नहीं माना जा सकता है। इस फैसले में कहा गया था कि यौन उत्पीड़न के लिए स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट होना जरूरी है। केवल नाबालिग लड़की की छाती को छूना यौन शोषण में नहीं आता। इस फैसले को सुनाने के बाद जस्टिस पुष्पा की काफी आलोचना हुई थी और कुछ समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे खारिज किया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो दस्ताने पहन कर बलात्कार करने वाले बच जाएँगे।

बच्ची के सामने पैंट की चेन खोलना यौन शोषण नहीं

‘स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट’ फैसले पर जारी विवाद के बीच ही बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस पुष्पा ने जनवरी में ही एक और विवादित फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति किसी नाबालिग के सामने पैंट की जिप खोले तो वो पॉक्सो एक्ट में नहीं आता है। जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला की एकल पीठ ने 50 वर्षीय एक व्यक्ति द्वारा 5 साल की लड़की से यौन शोषण मामले में ये फैसला दिया था।

अकेले आदमी के बस में नहीं है रेप करना

15 साल की लड़की के रेप से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने एक आरोपित को बरी करने के दौरान कहा कि पीड़िता का मुँह दबाना, फिर उसके और अपने कपड़े उतारना, बाद में जबरन बिना किसी हाथापाई के रेप करना अकेले युवक के लिए संभव नहीं है। 

जवान होते ही मुस्लिम लड़की कर सकती है निकाह

फरवरी 2021 में पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट ने इस्लामी साहित्य का हवाला देकर एक मुस्लिम लड़की की शादी पर अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने उस दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला दिया था। साथ ही कहा था कि एक लड़की को 15 साल की उम्र पूरी करने के बाद प्यूबर्टी हासिल करना माना जा सकता है। न्यायाधीश अलका सरीन ने एक 17 साल की लड़की के निकाह को जायज ठहराते हुए ये टिप्पणी की थी कि मुस्लिम लड़का और लड़की अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं, उन्हें किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। ये मुस्लिम पर्सनल ला द्वारा ही तय किया गया है।

लड़की के कपड़े और अपनी पैंट उतारना यौन शोषण नहीं

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ से लगातार यौन शोषण के मामलों पर हैरान करने वाले फैसले आने के बाद इस वर्ष एक फैसला जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट से भी आया था, जिसमें फैयाज नाम के आरोपित को ये कहकर जमानत दी गई थी कि सिर्फ भतीजी के कपड़े उतारने की कोशिश और अपनी पैंट उतारने की हरकत को बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता क्योंकि इसमें पेनिट्रेशन नहीं है। 

मुँह में लिंग डालना गंभीर यौन हमला नहीं

विवादित फैसलों की सूची में एक निर्णय इलाहाबाद हाई कोर्ट का भी रहा, जब एक मामले की सुनवाई के समय मुँह में लिंग डालने को गंभीर यौन हमला मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलों में पॉक्सो की धारा-6 और 10 के तहत सजा नहीं हो सकती। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 नवंबर, 2021 को दिए निर्णय में स्पष्ट किया था कि एक बच्चे के मुँह में लिंग डालना ‘पेनेट्रेटिव यौन हमले’ की श्रेणी में आता है, जो यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) अधिनियम की धारा 4 के तहत दंडनीय है और अधिनियम की धारा 6 के तहत नहीं। इसलिए, न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा की पीठ ने निचली अदालत द्वारा अपीलकर्ता सोनू कुशवाहा को दी गई सजा को 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया था।

छात्रा का दुपट्टा खींचना यौन हमला नहीं

साल 2017 में एक घटना घटी थी जब एक स्कूली छात्रा को एक शख्स ने दुपट्टा खींचकर, हाथ पकड़कर शादी का प्रस्ताव दिया था। जब लड़की ने इससे मना किया तो उसे एसिड अटैक की धमकी दी गई। ट्रॉयल कोर्ट ने आरोपित को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी माना। लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसे यौन हमला मानने से इनकार कर दिया। कलकत्ता हाई कोर्ट का कहना था कि महिला के स्कार्फ (दुपट्टा) को खींचना, पीड़िता का हाथ खींचना और उसे शादी के लिए प्रस्ताव देना पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत ‘यौन हमला’ या ‘यौन उत्पीड़न’ की परिभाषा में नहीं आता है।

बच्चे के गाल छूना यौन अपराध नहीं

27 अगस्त 2021 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक 46 साल के मुर्गी विक्रेता को जमानत देते हुए कहा था कि किसी बच्चे के गाल छूना यौन अपराध नहीं है। उच्च-न्यायालय ने कहा था कि बिना किसी यौन इच्छा के बच्चे के गाल छूना यौन अपराध में नहीं आता। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि इस मामले में ‘यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (POCSO Act)’ के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती। इस मामले में 8 साल की बच्ची की माँ ने आरोपित के विरुद्ध आरोप लगाया था कि जब उनकी बेटी आरोपित की दुकान पर गई थी, तो उन्होंने उसे गलत ढंग से छुआ।

बिन तलाक मुस्लिम महिलाएँ नहीं कर सकती निकाह, मर्दों को छूट है

फरवरी 2021 में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक शादीशुदा महिला को समझाया कि मुस्लिम महिलाएँ तलाक के बिना दूसरा निकाह नहीं कर सकतीं, वहीं मुस्लिम पुरुषों को तलाक के बिना दूसरा निकाह करने की अनुमति है। मुस्लिम पुरुष अपनी बीवी को तलाक दिए बिना ही एक से अधिक निकाह कर सकता है। मुस्लिम महिलाओं पर ये नियम लागू नहीं होता। कोर्ट ने अपना फैसला हरियाणा के मेवात स्थित नूँह के एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े की माँग पर सुनाया। मुस्लिम महिला का कहना था कि उसका निकाह उसकी मर्जी के बिना ही कर दिया गया था, इसीलिए अब वो अपने प्रेमी से निकाह करने जा रही है। मगर, कोर्ट ने यहाँ कहा कि उसने अभी तलाक नहीं लिया है इसलिए सुरक्षा की माँग वैध नहीं है।

बलात्कार पीड़िता से शादी करोगे

मार्च के महीने में सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे को एक टिप्पणी  ‘उससे शादी करोगे’ के कारण काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। आरोप लगे कि उन्होंने रेप आरोपित से कहा कि वह पीड़िता से शादी करे। हालाँकि पूर्व सीजेआई का कहना था कि ये मामला मीडिया में गलत ढंग से रिपोर्ट किया गया, उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं पूछी थी। ये मामला महाराष्ट्र के एक सरकारी मुलाजिम से जुड़ा केस था। मोहित सुभाष चव्हाण नाम के आरोपित ने 2014-15 में एक 16 साल की लड़की का रेप किया था और सुनवाई के दौरान वह पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपों का सामना कर रहा था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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