नेपाल ने लिपुलेख में सड़क के निर्माण एवं विस्तारीकरण की भारत की परियोजनाओं का विरोध किया है। नेपाल ने एक बार फिर से लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है। लिंपियाधुरा के साथ-साथ नेपाल ने कालापानी में भी भारत द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्यों का विरोध किया है।
नेपाल के संचार मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने भारत की परियोजनाओं का विरोध करते हुए रविवार (16 जनवरी) को बयान दिया है। नेपाल की देउबा सरकार ने भारत से सीमा विवाद सुलझाने के लिए राजनयिक तौर-तरीकों को अपनाने के लिए कहा है।
लिम्पियाधुरा, लिपुलेक र कालापानी नेपालको भूभाग हो भन्ने तथ्यमा सरकार स्पष्ट छ : सञ्चारमन्त्री कार्की
— Naya Patrika (@NAYA_PATRIKA) January 16, 2022
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अपने बयान में कार्की ने कहा, “लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी पर हमारा इरादा स्पष्ट है। महाकली नदी के उत्तर के सभी हिस्से हमारे भूभाग हैं। हम भारत से मित्रता निभाना चाहते हैं। इसलिए हम सभी प्रकार के सीमा विवाद संधियों, समझौतों, कागज़ातों और नक्शों के आधार पर सुलझाना चाहते हैं। हम भारत से इन सभी स्थानों पर निर्माण कार्य को रोकने की माँग करते हैं।”
शुक्रवार (14 जनवरी) को भी नेपाली कॉन्ग्रेस ने लिपुलेख में भारत द्वारा किए जा रहे निर्माण पर आपत्ति जताई थी। तब नेपाली कॉन्ग्रेस के महासचिव बिश्व प्रकाश शर्मा और गगन थापा ने भारत-नेपाल सीमा विवाद को सन 1816 की सुगौली संधि के आधार पर निबटाने की अपील की थी।
बिश्व प्रकाश शर्मा और गगन थापा के इसी बयान के बाद नेपाल में भारतीय दूतावास ने शनिवार (15 जनवरी) को नेपाल के लिपुलेख पर तमाम दावों को ख़ारिज कर दिया था। लिपुलेख भारत के उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा है, जिसे नेपाल अपने धारचूला जिले में दिखाता है।
गौरतलब है कि नेपाल की वामपंथी ओली सरकार के कार्यकाल में मई 2020 में यह सीमा विवाद शुरू हुआ था। जून 2020 में नेपाल सरकार ने भारत के साथ सीमा विवाद के चलते बिहार के पूर्वी चम्पारण में ढाका अनुमंडल के लाल बकेया नदी पर बन रहे तटबंध के निर्माण कार्य को रोक दिया था। इस विवाद को हवा देने के लिए जून 2020 में नेपाल ने अपने एफएम चैनल्स पर भारत विरोधी गानों का प्रसारण शुरू करवाया था। इन गानों के जरिए वह लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा के इलाकों को भारत से वापस लेने की बात कह रहा था। इस गानों को उत्तराखंड के कई हिस्सों में भी सुना गया था। सितम्बर 2020 में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने खुलासा किया था कि चीन इस बीच भारत-नेपाल सीमा पर भारत-विरोधी विरोध प्रदर्शनों की फंडिंग कर रहा है।
यह जानना भी जरूरी है कि नेपाल में कैसे चीन पैर पसार रहा है और कैसे मस्जिद-मदरसों की संख्या नेपाल-भारत सीमा पर बढ़ रही है। नेपाल की ‘सर्वे डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर इंडस्ट्री’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कुल मिला कर चीन ने अब तक 10 अलग-अलग क्षेत्रों में नेपाल की 33 हेक्टेयर जमीन का अवैध अतिक्रमण किया है। इस रिपोर्ट के 3 महीने बाद ही देहरादून, नैनीताल समेत हिमाचल, यूपी, बिहार और सिक्किम के कई शहरों को नेपाल अपना हिस्सा बताने लगा था।
नेपाल ने सीमा विवाद को हवा देने तक ही परिस्थिति सीमित नहीं रखी। भारत की सशस्त्र सीमा बल के अनुसार नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में डेमोग्राफिक बदलाव भी देखा गया है। नेपाल बॉर्डर से सटे यूपी के 7 जिलों में 3 साल में 26% मस्जिद-मदरसे के बढ़ने की रिपोर्ट है।