पाकिस्तान के इस्लामिक संगठन दावत-ए-इस्लामी (DIE) को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। ताजा जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के इस इस्लामिक संगठन को दान करने के लिए अहमदाबाद में 2000 से अधिक दान पेटियाँ मिली हैं। गुजरात स्थित स्थानीय दैनिक संदेश में भी यह जानकारी दी गई है। बता दें कि यह वही संगठन है जो आतंकी गतिविधियों को उकसाने के लिए जाना जाता है।
Pakistan’s Dawat-E-Islami has 2000 donation boxes alone in Ahmedabad!
— Harshil Mehta (@MehHarshil) February 2, 2022
This is claimed by the Ahmedabad police. Shocking. pic.twitter.com/maBoc7TI4M
संदेश की रिपोर्ट के अनुसार, दान पेटियों में एकत्र किए गए धन को पाकिस्तान भेजा जाता है, फिर वहाँ से मुस्लिमों को इस्लामी शिक्षा प्रदान करने की आड़ में दुबई के रास्ते भारत वापस भेज दिया जाता है, लेकिन इसका इस्तेमाल मुुस्लिमों का ब्रेनवॉश करने के लिए किया जाता है। बताया जाता है कि मौलाना उस्मानी ही दावत-ए-इस्लामी का केंद्र चलाता है। मौलाना उस्मानी का नाम किशन भरवाड हत्याकांड में आरोपित के रूप में सामने आया है। आरोपित मौलाना उस्मानी ग़ज़वा-ए-हिंद के उस लक्ष्य की ओर काम कर रहा है, जो भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने पर जोर देता है।
इस्लामिक संगठन पाकिस्तान के कराची शहर के बाहर स्थित है और इसकी शाखाएँ दुनिया भर में हैं। इसकी स्थापना 1981 में मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास अटारी द्वारा की गई थी। इसे सूफी सिद्धांतों से प्रेरित एक पुनरुत्थानवादी संगठन के रूप में शुरू किया गया था। इसके अलावा, यह तब से एक चरमपंथी इस्लामी संगठन के रूप में विकसित हो गया है। जिसकी आतंकियों से खुले तौर पर संबंध हैं।
हाल ही में 2020 में, पेरिस में शार्ली हेब्दो हमले में शामिल एक आतंकवादी ने DIE के संस्थापक इलियास अटारी को अपना मार्गदर्शक बताया। मोहम्मद अशरफ नाम का एक पाकिस्तानी आतंकवादी भी इस संगठन से जुड़ा पाया गया था। उसे अक्टूबर 2021 में दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था।
आतंकवाद निरोधी दस्ते की टीम ने किशन भरवाड मामले के एक अन्य आरोपित मौलवी अयूब के साथ जमालपुर का दौरा किया था, जिसने कथित तौर पर हत्यारों को बंदूक मुहैया कराई थी। एटीएस की टीम ने जमालपुर में होटल रियाज के पास उसके घर की भी तलाशी ली। उन्होंने मौलवी अय्यूब की हिंदी और गुजराती में लिखी किताब ‘जज्बा-ए-शहादत’ जब्त की है। उनके पास से एक एयरगन भी जब्त की गई, जिस पर वह शूटिंग का प्रैक्टिस करता था।
इसके अलावा आरोपित शब्बीर उर्फ सबा चोपड़ा, इम्तियाज पठान, मौलाना अय्यूब जवरावाला, अजीम समा और कमर गनी उस्मानी और अन्य पर यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम) और GUJCTOC (गुजरात आतंकवाद और असंगठित अपराध नियंत्रण) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
गौरतलब है कि 25 जनवरी, 2022 को कथित ईशनिंदा को लेकर बाइक सवार युवक किशन भरवाड की दो लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। दरअसल, किशन ने एक वीडियो शेयर किया था जिसमें पैगंबर मुहम्मद की तस्वीर दिखाई दे रही थी। मुस्लिमों का दृढ़ विश्वास है कि पैगम्बर मुहम्मद का तस्वीर दिखाना या चित्र बनाना वर्जित है। इस्लामवादियों का मानना है कि इस तरह का दृश्य दिखाना ईशनिंदा है और पैगम्बर मुहम्मद का ‘अपमान’ है, और ईशनिंदा करने वाले का सिर कलम करना उचित सजा है। वहीं आगे मामले की जाँच करने पर पता चला कि यह हत्या एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी।