Wednesday, May 1, 2024
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साथी पत्रकार का आरोप- कापड़ी ने अपनी फिल्म बेचने के लिए दुधमुँही बच्ची को गोद लेने का ‘नाटक’ किया

विनोद कापड़ी ने और आगे जाकर लड़की का नाम भी रख दिया- 'पीहू'। यही नाम कापड़ी की पत्नी साक्षी जोशी की कुछ दिन पहले नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म का भी था।

पत्रकार विनोद कापड़ी ने कुछ दिन पहले दावा किया था कि वो और उनकी पत्नी साक्षी जोशी कूड़ेदान में पड़ी मिली एक बच्ची को गोद लेंगे। लेकिन अब एक दूसरे पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने यह आरोप लगाया है कि यह महज़ साक्षी की नेटफ्लिक्स फिल्म ‘पीहू’ के प्रमोशन का स्टंट था। गौरतलब है कि ‘पीहू’ भी माँ द्वारा पैदा होते ही त्यागी गई एक बच्ची के जीवन पर आधारित है।

ट्विटर पर जड़े आरोप

अभिषेक ने ट्विटर पर ट्वीट-शृंखला में यह दावा किया कि न केवल कापड़ी का बच्ची को गोद ले चुके होने का दावा गलत था, बल्कि इसको लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया में जो ‘हाइप’ बना, वह भी कापड़ी द्वारा ही ‘प्लांटेड स्टोरीज़’ थीं। नागौर, जहाँ यह बच्ची मिली थी, के अधिकारियों ने यह साफ कर दिया कि औपचारिकताएँ अभी शुरू नहीं हुईं हैं, और एक समिति बनेगी, जो बच्ची को गोद लेने वाले माँ-बाप का निर्धारण करेगी।

कूड़े से बच्ची को ग्रामीणों ने बचाया, कापड़ी ने नाम रख दिया?

नागौर के निकट बरनेल गाँव में ग्रामीणों ने एक नवजात बच्ची को कूड़े में से निकाल कर नागौर, राजस्थान के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन कुछ मीडिया हाउसों ने यह खबर चला दी कि बच्ची को बचाने वाले ही कापड़ी दम्पति थे। जैसे ही बच्ची के मिलने की खबर मीडिया में फैली, विनोद कापड़ी ने ट्वीट कर दिया कि वे इस बच्ची को गोद लेना चाहते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया यूज़र्स से उन्हें मामले की विस्तारपूर्वक जानकारी देने की भी अपील की। जल्दी ही कापड़ी दम्पति ने नागौर के अस्पताल पहुँच बच्ची को भी देखा, और नागौर के जिलाधिकारी से मिल कर बच्ची के गोद लिए जाने के बाबत क़ानूनी प्रक्रिया की भी जानकारी ली।

कापड़ी की पत्नी साक्षी जोशी ने तो उस बच्ची को ‘हमारी बेटी’ सम्बोधित करते हुए ट्वीट भी करना शुरू कर दिया।

विनोद कापड़ी ने और आगे जाकर लड़की का नाम भी रख दिया- ‘पीहू’। यही नाम कापड़ी की पत्नी साक्षी जोशी की कुछ दिन पहले नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म का भी था।

लेकिन अभिषेक उपाध्याय के मुताबिक कापड़ी ने अभी तक कोई औपचारिक प्रक्रिया शुरू नहीं की है बच्ची को गोद लेने के लिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विनोद कापड़ी ने केवल बच्ची के साथ फोटो खिंचवाने आदि के बहाने ‘पीहू’ फिल्म के प्रचार के लिए अस्पताल का रुख किया था।

अभिषेक उपाध्याय ने यह भी जोड़ा कि बच्चे को गोद लेना एक शांत प्रक्रिया होती है, ताकि बड़े होकर बच्चे को अपने गोद लिए हुए होने को लेकर किसी असहज स्थिति का सामना न करना पड़े। अतः अगर कापड़ी दम्पति का सच में बच्ची को गोद लेने का इरादा होता, तो वे इतना शोर-शराबा न करते। वह तो बस वाहवाही लूटकर मौके से गायब हो गए।

कापड़ी दावा, हमने प्रक्रिया शुरू कर दी है

वहीं पत्रकार शेफ़ाली वैद्य द्वारा इस मामले में आड़े हाथों लिए जाने के बाद विनोद कापड़ी ने दावा किया है कि उन्होंने बच्चे गोद लेने के इच्छुक दम्पति के तौर पर पंजीकरण 18 जून को करा लिया था। लेकिन यहाँ उनके सामने सवाल यह है कि जब उन्होंने 18 जून को प्रक्रिया प्रारम्भ मात्र की, तो 16 जून से ही वह किस आधार पर बच्ची को गोद ‘ले लेने’ का दम भर रहे थे?

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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