किसी भी राज्य में विकास की गति को, वहाँ किए जा रहे निवेश से और उसकी अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव से आँका जा सकता है। यही कारण है कि यूपी में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी/BJP) लगातार प्रदेश के डेवलपमेंट को लेकर पुरानी सरकारों पर निशाना साध पा रही है और अपनी योगी सरकार में हुए बदलावों को बताकर खुल कर वोट माँग रही है। जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ सालों में उत्तर प्रदेश इतनी तेजी से आगे बढ़ा है कि जो प्रदेश अर्थव्यवस्था के मामले में पाँच साल पूर्व सातवें स्थान पर था, वो अब दूसरे स्थान पर पहुँच गया है। इस बात का जिक्र आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अमरोहा में भी किया है और उनसे पहले स्वयं योगी आदित्यनाथ भी इसे लेकर मीडिया में बयान दे चुके हैं।
70 सालों में जो नहीं हुआ वो काम पिछले 5 साल में हुआ
अपनी सरकार कि एक-एक उपलब्धि गिनाने के साथ उन्होंने बताया था कि कैसे बीते 5 साल में यूपी ने कुछ मील के पत्थर गढ़े। सीएम ने बताया था कि यूपी की अर्थव्यवस्था सातवें स्थान पर थी और 70 सालों (1947 से 2017) में जो काम नहीं हुआ, उसे योगी सरकार ने 5 साल में 2 नंबर पर लाने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने इस दौरान ये भी जानकारी दी थी कि पहले यूपी की प्रति व्यक्ति आय ₹45 हजार वार्षिक थी। लेकिन ये बढ़कर अब ₹94 हजार (दोगुनी से ज्यादा) हो गई है। वहीं 2015-18 में वार्षिक बजट ₹2 लाख करोड़ था। ये अब ₹6 लाख करोड़ (3 गुना) हो गया है।
₹5 लाख करोड़ का निवेश
ये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों का ही परिणाम है कि प्रदेश का एमएसएमआई सेक्टर ऊँचाइयों पर पहुँचा। एक रिपोर्ट के अनुसार सीएम योगी की इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली नीतियों के कारण प्रदेश का एमएसएमई सेक्टर दिसंबर 2021 में देश में पहले पायदान पर पहुँच गया था और राज्य ने निवेश व रोजगार देने में एमएसएमई रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। रिपोर्ट बताती हैं कि प्रदेश में पिछले साढ़े चार में ₹5 लाख करोड़ से अधिक का निवेश हुआ जबकि 3 करोड़ लोगों को रोजगार देने का काम योगी सरकार में किया गया।
कोरोना से पहले और कोरोना के बाद- यूपी के हाल
कोरोना काल से पहले की बात करें तो योगी सरकार ने एक ऐलान किया था कि उनकी सरकार न केवल प्रदेश के प्रति व्यक्ति आय को 2024 तक दोगुना करने की तैयारी कर रही है, बल्कि उनका लक्ष्य प्रदेश को ₹10 खरब की अर्थव्यवस्था बनाने का है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई थी कि आगामी वर्षों में ₹40 लाख करोड़ का निवेश प्रदेश में कराना उनका लक्ष्य है।
इसके बाद कोरोना काल आया और विकास की राह पर आगे बढ़ रहे प्रदेश कोरोना से लड़ने में जुट गए। लेकिन इस दौरान भी यूपी ने महामारी से लड़ते हुए प्रदेश को विकास की राह पर ले जाना नहीं छोड़ा। ये वो समय था जब सारी प्रदेश सरकारें अपने हाथ ढीले छोड़ चुकी थीं और योगी सरकार प्रदेश को इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली बनाने के लिए कोरोनाकाल तक में मेहनत किए जा रही थी।
यूपी में निवेश
इस मेहनत का नतीजा ये हुआ कि निवेशकों की हिचक प्रदेश में आने के लिए दूर होती गई और देखते ही देखते महज तीन साल में प्रदेश में 1 लाख 88 हजार करोड़ का निवेश की खबरों ने सबको अचंभित कर दिया। रिपोर्ट बताती हैं कि इस आँकड़े के मुताबिक यूपी में हर दिन औसतन 172 करोड़ का निवेश हुआ था। इसी बीच कोरियन उद्योगपतियों ने चीन से निकलकर उत्तर प्रदेश (UP, यूपी) में निवेश करने की अपनी इच्छा जाहिर की।
वहीं 2021 में खुशी की लहर तब आई जब आदित्य बिड़ला समूह (Aditya Birla Group) ने गोरखपुर में 700 करोड़ रुपए के निवेश का फैसला किया। इस खबर के बारे में भी योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट के जरिए भी बताया थाउन्होंने जानकारी दी थी कि आदित्य बिड़ला ग्रुप को गोरखपुर में पेंट बनाने की औद्योगिक इकाइयाँ लगाने के लिए प्रशासन से हरी झंडी मिल गई है जिसके बाद वह गोरपुर में 700 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे।
इतना ही नहीं, सीएम योगी ने अपने कार्यकाल में तमाम उद्योगपतियों को प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया। पिछले वर्ष की ही बात है जब पंजाब में बिजली संकट छाया था तो राज्य में बड़े उद्योग बंद हो गए थे। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंजाब के उद्योगपतियों को कम दरों पर 24 घंटे बिजली देने की पेशकश की थी और उन्हें यूपी में नई इकाइयों को शिफ्ट करने का ऑफर दिया था।
इसके अलावा याद दिला दें कि भाजपा सरकार ने 2018-2019 के राष्ट्रीय बजट के दौरान दो डिफेंस इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन कॉरिडोर्स की स्थापना की घोषणा की थी। इनमें एक कॉरिडोर्स प्रोडक्शन तो तमिलनाडु और दूसरा उत्तर प्रदेश में स्थापित करने का ऐलान हुआ था। बाद में यूपी में बनने वाले कॉरिडोर को लेकर दावा किया गया कि दूसरे डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से राज्य में लगभग 20,000 करोड़ रुपए का निवेश और 2.5 लाख लोगों के लिए रोजगार आएगा।
यूपी के हाल सुधरे
उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार प्रदेश के हालातों को बेहतर बनाकर इसकी छवि बदलने में और तमाम निवेशकों को अपने प्रदेश की ओर आकर्षित करने में जुटे हैं। उनका मकसद है कि यहाँ ज्यादा से ज्यादा निवेश हो और प्रदेशवासियों के लिए अधिक से अधिक रोजगार पैदा हों। प्रदेश की स्थिति सुधारने के लिए सिर्फ शहरों में या एक्सप्रेसवे पर ही काम नहीं हो रहा। बल्कि ग्रामीण इलाकों को सुधारने के लिए अब तक 15 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है। ये रिकॉर्ड पिछली सरकारों के हर रिकॉर्ड को तोड़ने वाला है।