सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में बेंगलुरु में आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बंगलुरु अध्यक्ष आसिम शरीफ की याचिका सोमवार (जुलाई 1, 2019) को खारिज कर दी। मामले में पहले ही पीएफआई नेता पर हत्या में संलिप्तता को लेकर आरोप तय हो चुके हैं। ये आरोप राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) द्वारा लगाए गए थे जो इस मामले की जाँच कर रही है। मामले में शरीफ के अलावा, कुछ अन्य लोगों के खिलाफ भी आरोपपत्र तैयार किए गए हैं।
Supreme Court dismisses a plea filed by a leader of the Popular Front of India (PFI), against framing of charges against him in the RSS activist Rudresh murder case, in Bengaluru. pic.twitter.com/v0K1tfhQfK
— ANI (@ANI) July 1, 2019
आरोपित ने कोर्ट के इस फैसले को 2 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद आरोपी पर फिर से मुकदमा चलने के रास्ते साफ हो गए हैं। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और एन वी रमन्ना की एक पीठ ने आरोपित की याचिका खारिज कर दी और अब उस पर ट्रायल चलेगा।
BREAKING: Supreme Court has upheld framing of the murder charges by the NIA against Asim Shariff, President of Bengaluru district PFI in the murder case of Rudresh, a RSS worker, in 2016.
— TIMES NOW (@TimesNow) July 1, 2019
Details by @harishvnair1. pic.twitter.com/BnVwXT3BX5
गौरतलब है कि, 16 अक्टूबर 2016 को बेंगलुरु के शिवाजी नगर इलाके में संघ के ही एक कार्यक्रम से लौट रहे 35 वर्षीय आरएसएस कार्यकर्ता रुद्रेश की धारदार हथियार से काट कर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के मामले के बाद काफी राजनीतिक बवाल भी मचा था। आरएसएस के कार्यकर्ता की निर्मम हत्या के बाद स्वयंसेवक सड़क पर उतर गए थे। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये स्पष्ट किया कि मामले को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सबूत है।
इसके साथ ही एनआईए ने यह भी दावा किया था कि आरोपित असीम शरीफ ने लोगों को हिंदू संगठन में शामिल होने से रोकने के लिए आरएसएस के दो और कार्यकर्ताओं को मारने की साजिश रची थी। खबर के मुताबिक, इस हत्या में पीएफआई के चार अन्य नेता भी शामिल थे, जो रुद्रेश को मारने के लिए घात लगाए बैठे थे और मौका मिलने पर उन लोगों ने अचानक उन पर हमला बोल दिया।