Sunday, September 8, 2024
Homeदेश-समाजजिस हजारीबाग में हुई रुपेश पांडेय की हत्या, वहाँ पत्थर मार हनुमान मूर्ति को...

जिस हजारीबाग में हुई रुपेश पांडेय की हत्या, वहाँ पत्थर मार हनुमान मूर्ति को तोड़ने वाला शफी अहमद गिरफ्तार

"घटना को अंजाम देने में केवल शफी अहमद शामिल था। लेकिन इसमें साजिश रचने और उकसाने में अन्य लोगों का भी रोल सामने आ रहा है। उस पर जाँच चल रही है।"

हजारीबाग का बरही थाना क्षेत्र पिछले कई दिनों से खबरों में है। इसी थाना क्षेत्र में रुपेश पांडेय की 6 फरवरी 2022 को हत्या कर दी गई थी। इसी इलाके में 12 फरवरी को एक मंदिर में पत्थर मारकर हनुमान मूर्ति तोड़ दी गई। इस मामले में अब पुलिस ने शफी अहमद नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक शफी ने अपना अपराध कबूल कर लिया है।

हजारीबाग पुलिस के SP मनोज रतन चौथे ने इस घटना का खुलासा करते हुए कहा, “12 फरवरी 2022 को बरही थाना क्षेत्र में तिलैया रोड पर एक मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया था। इस मामले में शफी अहमद को गिरफ्तार किया गया है। उसकी उम्र 20 वर्ष के आसपास है। उसने अपना जुर्म कबूला है। पूछताछ में उसने बताया है कि 12 तारीख को एक झंडे को कुछ लोगों द्वारा जलाने की कोशिश की गई थी। उसी घटना के आक्रोश में उसने इस घटना को अंजाम दिया। इसमें और लोगों की भी संलिप्तता सामने आ रही है। घटना करने में केवल वही शामिल था। लेकिन इसमें साजिश रचने और उकसाने में अन्य लोगों का भी रोल सामने आ रहा है। उस पर जाँच चल रही है।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस अधीक्षक चौथे ने रुपेश पांडेय की हत्या पर भी बयान दिया है। उनके मुताबिक, “मृतक रुपेश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट के अनुसार उसके सिर पर वार किया गया था। साथ ही उसकी गर्दन, पेट और तिल्ली पर भी चोट के निशान मिले हैं। यह हत्या मॉब लिंचिंग नहीं है। हत्या की वजह व्यक्तिगत दुश्मनी है।”

रुपेश की हत्या का संज्ञान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी लिया है। आयोग ने नोटिस जारी कर के झारखंड सरकार से रुपेश की मौत से संबंधित घटनाक्रम का पूरा ब्यौरा माँगा है। साथ ही NCPCR (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) के चेयरपर्सन प्रियंक क़ानूनगो ने 20 फ़रवरी को खुद झारखंड जाने की घोषणा की है। इस दौरान वो स्वयं पूरे मामले की पड़ताल करेंगे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -