कश्मीर की मौजूदा स्थिति को अफ़गानिस्तान की स्थिति के साथ जोड़ने के लिए पाकिस्तान को अफ़गानिस्तान ने आधिकारिक रूप से फटकार लगाई है। अफ़गानिस्तान की एक शीर्ष राजदूत ने कहा है कि कश्मीर के हालात को अफ़गानिस्तान में शांति समझौते के लिए जारी प्रयासों से जोड़ना, ‘दुस्साहसी, अनुचित और ग़ैर-ज़िम्मेदाराना’ है।
अमेरिका में अफ़गानिस्तान की राजदूत रोया रहमानी ने कहा,
‘‘इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफ़गानिस्तान’ अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत असद मजीद ख़ान के उस दावे पर कठोरता से सवाल उठाता है कि कश्मीर में जारी तनाव अफ़गानिस्तान की शांति प्रक्रिया को काफी प्रभावित कर सकता है।’’
उन्होंने अपने एक बेहद लंबे बयान में कहा, ‘‘ऐसा कोई बयान जो कश्मीर के हालात को अफ़गान शांति प्रयासों से जोड़ता है वह दुस्साहसी, अनुचित और ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है।’’
कश्मीर को भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला बताते हुए रहमानी ने कहा कि उनके देश का मानना है कि कश्मीर मुद्दे से अफ़गानिस्तान को जानबूझकर जोड़ने का पाकिस्तान का मक़सद अफ़गान की धरती पर जारी हिंसा को और बढ़ाना है।
रहमानी ने कहा कि उनके पाकिस्तानी समकक्ष का बयान उन सकारात्मक और रचनात्मक मुलाक़ात के ठीक विपरीत है जो अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की हालिया यात्रा के दौरान उनके, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान तथा पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के बीच हुई थी।
दरअसल, प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद, पाकिस्तान ने राजनयिक संबंधों, द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित करने, द्विपक्षीय व्यवस्थाओं की समीक्षा, सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में मामले को ले जाने का निर्णय लिया था। उन्होंने 14 अगस्त को कश्मीरियों के साथ एकजुटता और 15 अगस्त को काला दिवस के रूप में मनाने का फ़ैसला किया था।
इसके अलावा, डर का माहौल बनाने और लोगों को गुमराह करने के लिए पाकिस्तान ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद-370 को रद्द करने और जम्मू-कश्मीर के विभाजन के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने का सहारा भी लिया।