भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में काम कर रहे एक रॉकेट वैज्ञानिक प्रवीण मौर्य (Rocket Scientist Pravin Maurya) ने आरोप लगाया है कि कुछ जासूस उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की गोपनीय जानकारी साझा करने के लिए मजबूर कर रहे हैं और मना करने पर धमकी दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह इसरो और केरल पुलिस (Kerala Police) के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है।
वैज्ञानिक प्रवीण मौर्य ने 9 नवंबर 2022 को ट्विटर पर अपने लिंक्डइन पोस्ट का एक लिंक साझा किया, जिसमें उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को लिखे गए पत्र की एक कॉपी साझा की। उन्होंने मामले की खुफिया जाँच के लिए अनुरोध किया है।
I was approached by spies to carry out #espionage. It was done in collusion with Kerala Police. Written multiple letters from Chairman #ISRO to Prime Minister but no action. Need an Intelligence inquiry. Kindly help. @PMOIndia @isro @narendramodi https://t.co/NZKesguK7p
— Praveen Maurya (@praveen_isro) November 9, 2022
मौर्य ने 5 अगस्त 2022 को प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र की एक प्रति 9 नवंबर 2022 लिंक्डइन पोस्ट में शामिल की है। उन्होंने यह भी साझा किया कि उन्होंने गृह मंत्री और इसरो के अध्यक्ष को शिकायत की कॉपी भेजी है।
मौर्य ने कहा कि फिलहाल वह भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान पर काम कर रहे हैं। अजीकुमार सुरेंद्रन नाम का एक व्यक्ति ने उनसे जासूसी करने के लिए संपर्क किया। उसने इसरो की कुछ गोपनीय जानकारी के बदले में उन्हें मोटी रकम देने का वादा किया। मौर्य का कहना है कि सुरेंद्रन दुबई में कुछ लोगों के लिए काम कर रहा है।
प्रवीण मौर्य ने आगे आरोप लगाया कि अजीकुमार सुरेंद्रन ने उन्हें एक स्थायी जासूस बनने की पेशकश की। जब उन्होंने मना कर दिया तो सुरेंद्रन ने अपनी बेटी का इस्तेमाल झूठे पॉक्सो मामले में फँसाने के लिए किया। मौर्य ने आरोप लगाया कि केरल पुलिस की मिलीभगत से ऐसा किया गया। इसरो के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी सुरेंद्रन को उसकी योजना में मदद कर रहे थे। मौर्य के अनुसार, पॉक्सो केस वापस लेने के बदले सुरेंद्रन ने उसकी माँगों को मानने के लिए कहा।
अपने लिंक्डइन पोस्ट में मौर्य ने इसरो के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर उनके पत्रों को केवल हास्यास्पद कारण कि ‘यह एक कर्मचारी की शिकायत है’ से खारिज करने का आरोप लगाया। मौर्य के अनुसार, इसरो के अधिकारी निम्नलिखित कारणों से शिकायत की सीबीआई या खुफिया जाँच नहीं चाहते हैं:
- इसरो के कुछ वरिष्ठ अधिकारी जासूसों को उनकी योजना को अंजाम देने में मदद कर रहे थे। ऐसे में इसरो में मौजूद इन राष्ट्रविरोधी अधिकारियों का पूरा रैकेट खुफिया ब्यूरो की जाँच के दायरे में आ जाएगा।
- पुलिस विभाग के अधिकारी भी आईबी के दायरे में रहेंगे।
- इसरो में वरिष्ठ अधिकारियों में से एक, जो मुख्य खिलाड़ी है, इसरो के एक पूर्व अध्यक्ष का रिश्तेदार है। अगर खुफिया जाँच को मंजूरी मिलती है तो वह निश्चित तौर पर जाँच के दायरे में आएगा।
उन्होंने आगे लिखा, “आईबी जाँच के लिए तैयार है। उसे केवल अंतरिक्ष विभाग से एक आधिकारिक अनुरोध की आवश्यकता है, जो वे ऊपर वर्णित कारणों से नहीं दे रहे हैं।”
इसरो वैज्ञानिक ने केरल पुलिस पर लगाया रैकेट में शामिल होने का आरोप
प्रवीण मौर्य ने केरल पुलिस के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि कैसे अजीकुमार सुरेंद्रन के इशारे पर उन्हें प्रताड़ित किया गया और धमकाया गया। इस काम को अंजाम केरल पुलिस ने दिया। केरल पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी इसमें शामिल हैं।
भारत के प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में प्रवीण मौर्य ने विस्तार से बताया है कि कैसे केरल पुलिस और इसरो के कुछ अधिकारियों ने उन्हें झूठे POCSO और NDPS आरोपों में फँसाया और कैसे उन्हें जासूसी करने से इनकार पर धमकाया और परेशान किया गया।
मौर्य ने दावा किया कि केरल पुलिस पूरे रैकेट में सक्रिय रूप से शामिल थी और लगातार उन पर माँगों को मानने के लिए दबाव डाल रही थी। इसलिए उन्हें केरल छोड़ने और उत्तर प्रदेश के अपने पैतृक शहर लौटने के लिए मजबूर किया गया। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री से इस मामले की जाँच शुरू करने का आग्रह किया, ताकि सच्चाई का पता चल सके और देश के दुश्मनों को दंडित किया जा सके।
इसरो के वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने जहर देने का लगाया था आरोप
ISRO के शीर्ष वैज्ञानिक तपन मिश्रा (Tapan Misra) ने जनवरी 5 2021 को खुलासा किया था कि उन्हें तीन साल से अधिक समय पहले जहर देकर मारने की कोशिश हुई थी। अपने फेसबुक पोस्ट ‘लॉन्ग केप्ट सीक्रेट’ में उन्होंने इस बात का खुलासा किया था कि 23 मई 2017 को बेंगलुरु में इसरो मुख्यालय में पदोन्नति साक्षात्कार के दौरान उन्हें घातक आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी।
मिश्रा ने अंदेशा जताया था कि उन्हें डोसे की चटनी में जहर देकर मारने की कोशिश हुई थी, जिसके बाद उन्हें तनाव और दर्द से उबरने में 2 साल लग गए। अपने पोस्ट में उन्होंने अपनी हत्या के प्रयासों में अमेरिका की संलिप्तता बताई थी। तपन ने लिखा था कि साल 2019 में अचानक एक भारतीय अमेरिकी प्रोफेसर उनके कार्यालय में दिखाई दिया और उन्हें जहर देने की इस घटना पर चुप रहने को भी कहा गया।
मिश्रा ने कहा था कि इससे पहले उन्हें ईमेल के जरिए भी सैंकड़ों धमकियाँ मिली थीं। उन्होंने यह भी खुलासा किया था कि कई बार सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें आगाह करके बचाया था। जहर दिए जाने के आरोपों पर मिश्रा ने कहा था, “कोई निश्चित रूप से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को कुछ नुकसान पहुँचाना चाहता था। एकमात्र उपाय अपराधी को पकड़ना और उन्हें दंडित करना है।”
अपने फेसबुक पोस्ट में मिश्रा ने उन सहकर्मियों के प्रति भी निराशा व्यक्त की थी, जो उन्हें इस हमले के बाद नकारने लगे थे। वह कहते थे कि लाख प्रयासों के बाद उन्हें आज तक न्याय नहीं मिला। उनके मुताबिक, ISRO के दो अध्यक्षों ने तो उनके विरोध पर आँख मूंद ली थी। इसके कारण उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा।
अपने पोस्ट की शुरुआत में उन्होंने कई वैज्ञानिकों की संदिग्ध मौत का उल्लेख किया था। उन्होंने 1971 में प्रोफेसर विक्रम साराभाई, 1999 में डॉ एस श्रीनिवासन की आकस्मिक मौत और 1994 में नम्बी नारायण के साथ हुई साजिश का जिक्र करते हुए कहा था कि उन्होंने (तपन मिश्रा) कभी सोचा भी नहीं था कि वह इन रहस्यों का एक दिन हिस्सा बनेंगे।
नंबी नारायणन: कॉन्ग्रेस के उत्पीड़न के शिकार
यहाँ बताना आवश्यक है कि वर्ष 1994 में इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन भी कॉन्ग्रेस पार्टी के उत्पीड़न के शिकार हुए थे। केरल कॉन्ग्रेस पार्टी के दो गुटों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण नवंबर 1994 में दो अन्य वैज्ञानिकों- डी शशिकुमारन और के चंद्रशेखर के साथ नारायणन की गिरफ्तारी हुई। केरल पुलिस ने इस वैज्ञानिकों के खिलाफ सरकारी गोपनीयता अधिनियम की धारा 3, 4 और 5 के तहत जासूसी के आरोप लगाए थे।
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नंबी नारायणन (Nambi Narayanan) से संबंधित जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जाँच के लिए एक उच्चस्तरीय जाँच का आदेश दिया था। इस साल अप्रैल में अदालत ने सीबीआई को जाँच अपने हाथ में लेने और मामले की आगे की जाँच करने का निर्देश दिया था।