Saturday, November 16, 2024
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मोदी घृणा, कश्मीर पर दुष्प्रचार और भी बहुत कुछ: जानिए उस संगठन के बारे में, जो मुस्लिम कैदियों के हिजाब के नाम पर माँगता है डोनेशन – फेसबुक पर 800+ विज्ञापन

पुरानी पोस्टों ने इस नैरेटिव को प्रचारित किया था कि अमेरिका में हिंदुत्व फैल रहा है। एक अन्य पोस्ट में, संगठन ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने की बात की और इसे 'कश्मीर का काला दिवस' ​​बताया।

क्या आपने फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (instagram) या किसी अन्य सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफॉर्म पर एक विज्ञापन देखा है, जहाँ एक संगठन अमेरिका में मुस्लिम कैदियों के लिए डोनेशन माँग रहा है? हमारी टीम के एक सदस्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह विज्ञापन देखा और हमने यह जाँच करने का फैसला किया कि इसके पीछे आखिर है कौन।

टीम के सदस्य भारतीय अदालतों में लंबित मामलों पर जानकारी सर्च कर रहे थे, जिसके बाद उनके सामने इस तरह का विज्ञापन आने लगे। टीम के सदस्य द्वारा सर्च की गई और हाल के कंटेंट का अमेरिका में जेल में बंद अपराधियों या अमेरिका में या भारत के बाहर कहीं भी जेल में बंद मुस्लिमों से कोई लेना-देना नहीं था।

‘इस्लामिक सर्कल ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ICNA) काउंसिल फॉर सोशल जस्टिस’ खुद को संयुक्त राज्य अमेरिका से बाहर स्थित एक सामाजिक न्याय/मानवाधिकार संगठन के रूप में पेश करता है। विज्ञापन ने हमारा ध्यान आकर्षित किया, जहाँ उसने अमेरिकी जेलों में बंद मुस्लिम कैदियों के लिए हिजाब खरीदने के लिए पैसे माँगे। यह वह विज्ञापन है जो हमारे सामने आया था।

साभार: फेसबुक

ग्राफिक्स में लिखा था, “सलाखों के पीछे मुस्लिम महिलाएँ अपने बालों को ढकने के लिए हिजाब माँग रही हैं। इसमें आगे लिखा था, “यह एक मुस्लिम महिला के रूप में अपनी पहचान को मजबूत करने का एक तरीका है। हमारी मदद करें, उनकी मदद करें।”

जब हमने विज्ञापन पर क्लिक किया, तो यह हमें संगठन के डोनेशन पेज पर ले गया, जिसमें दावा किया गया है कि अमेरिका में जेल की 10 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। संगठन अमेरिका में सलाखों के पीछे मुस्लिमों को ‘मुफ्त धार्मिक सामग्री वितरित करने’ के लिए एक मुस्लिम कैदी सहायता परियोजना (MPSP) चलाता है। वे ‘कुरान, इस्लामी साहित्य, हिजाब, प्रार्थना मैट को जेलों में वितरित करते हैं।’ दिलचस्प बात यह है कि डोनेशन पेज पर वीडियो में एक कैदी ने खुद को ‘नया मुस्लिम’ बताया।

यह संभव है कि संगठन अमेरिकी जेलों में एक धर्मांतरण कार्यक्रम चला रहा हो और दान के माध्यम से एकत्रित धन का इस्तेमाल करके कैदियों को इस्लाम में परिवर्तित कर रहा हो।

डोनेशन कैदियों को इस्लाम-केंद्रित सामग्री देने का आह्वान करता है

फेसबुक एड लाइब्रेरी के अनुसार, डोनेशन एकत्र करने के लिए संगठन के पास भारत में 39 अलग-अलग सेटों में 200 से अधिक सक्रिय विज्ञापन चल रहे हैं। भारत के लिए हालिया जन अभियान 10 फरवरी, 2023 को शुरू हुआ है। विज्ञापनों में धार्मिक पुस्तकें, स्वच्छ जेल प्रार्थना कक्ष, हिजाब, प्रार्थना के लिए कालीन और ईद के भोजन के लिए दान की माँग की गई है। हमें एक भी ऐसा विज्ञापन नहीं मिला जो भारत में चलता हो और उनकी शिक्षा या पुनर्वास के बारे में बात करता हो।

इसका उद्देश्य मुस्लिम कैदियों को और धार्मिक बनाने पर है। कुल मिलाकर अकेले Facebook विज्ञापन लाइब्रेरी में संगठन के 800+ विज्ञापन थे। संगठन ने बिना ज्यादा स्पष्टीकरण के मुसलमानों के जन्मदिन मनाने के लिए धन इकट्ठा करने वाले कार्यक्रम भी चलाए हैं।

कई फंडरेजर इसके फेसबुक पेज पर जन्मदिन मनाने के लिए थे (साभार: फेसबुक)

संगठन का मोदी विरोधी अभियान

संगठन का एक और खतरनाक पहलू है। वह अब भारत के आंतरिक मामलों में धीरे-धीरे हस्तक्षेप कर रहा है, जो चिंता पैदा करता है। संगठन अमेरिका में मुस्लिम कैदियों के लिए धन दान करने के लिए भारत के मुसलमानों को आकर्षित करने के लिए विज्ञापन चला रहा है। वे व्यूअर से सहानुभूति हासिल करने के लिए मोदी विरोधी नैरेटिव का इस्तेमाल कर रहे हैं।

हमें ट्विटर पर ‘मोदी’ के नाम की चर्चा वाली नौ पोस्ट मिलीं। सबसे हालिया एक बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के बारे में था। इसमें भारत सरकार द्वारा डॉक्यूमेंट्री पर लगाए गए प्रतिबंध के बारे में बात की गई है। पोस्ट में, संगठन ने दावा किया कि गुजरात 2002 के दंगों में मुसलमान का नरसंहार किया गया था। बेशक, वे गोधरा में एक ट्रेन को जलाने का कभी जिक्र नहीं करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप 59 निर्दोष हिन्दुओं की मौत हो गई, जिसने दंगों को भड़का दिया था।

आईसीएनए ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार किया (स्रोत: ट्विटर)

पुरानी पोस्टों ने इस नैरेटिव को प्रचारित किया था कि अमेरिका में हिंदुत्व फैल रहा है। एक अन्य पोस्ट में, संगठन ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने की बात की और इसे ‘कश्मीर का काला दिवस‘ ​​बताया। संगठन ने अक्टूबर 2022 के एक पोस्ट में कश्मीर को आजाद करने की बात कही थी।

संगठन वर्षों से कश्मीर के बारे में दुष्प्रचार कैसे कर रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अपने सोशल मीडिया पोस्ट के लिए स्टॉक इमेज का उपयोग कर रहा है, जिसका कश्मीर या भारत से कोई लेना-देना नहीं है। इस पोस्ट पर एक नज़र डालें। इस पोस्ट में एक इमेज है जिसे istockphoto.com से लिया गया है। यह फोटोग्राफर एड्रियन हिलमैन द्वारा क्लिक किया गया 2011 का शॉट है।

आईसीएनए ने भारत के खिलाफ प्रचार करने के लिए स्टॉक इमेज का इस्तेमाल किया (स्रोत: आईसीएनए का ट्विटर/आईस्टॉकफोटोज)

इसकी वेबसाइटों पर पोस्ट भारत-विरोधी और हिंदू-विरोधी बयानों से भरे हुए हैं। उदाहरण के लिए एक पोस्ट में, उन्होंने दंगाइयों के घरों के विध्वंस के बारे में बात की और दावा किया कि यह एक मुस्लिम विरोधी अभियान था। इसने मुस्लिम विरोधी नैरेटिव बनाने के लिए हिंदुओं और हिंदुत्व को दोषी ठहराया।

संगठन कौन चलाता है?

डॉ ज़ाहिद बुखारी ICNA CSJ के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक है। वह पाकिस्तान में पैदा हुआ था और अक्सर सोशल मीडिया पर भारत विरोधी बयान साझा करता है। उसने कुख्यात हिंदू-विरोधी प्रोफेसर ऑड्रे ट्रस्चके (Audrey Truschke) की रिपोर्ट भी साझा की है।

राजस्थान में हिंदू दर्जी कन्हैया लाल की जघन्य हत्या के बारे में बात हो या भाजपा के पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ बयान या फिर कथित ‘निर्दोष मुसलमानों’ पर हमला करने के लिए हिन्दुओं को दोषी ठहराने तक, पाकिस्तान में जन्मे बुखारी ने सोशल मीडिया पर हिन्दुओं के खिलाफ सुनियोजित प्रोपेगेंडा फ़ैलाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है।

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Anurag
Anuraghttps://lekhakanurag.com
B.Sc. Multimedia, a journalist by profession.

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