‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे देशद्रोही नारे लगाने के आरोपित कन्हैया कुमार पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार मुकदमा दायर करने के लिए दिल्ली पुलिस को अनुमति नहीं देगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने अपने इस फैसले पर मुहर लगा दी है और इस मामले पर अपनी राय देते हुए बताया है कि पुलिस ने उनके सामने जो सबूत पेश किए हैं, उसके मुताबिक कन्हैया और अन्य लोगों पर देशद्रोह का मामला नहीं बनता है।
इसके अलावा गृह विभाग द्वारा जारी किए गए नोट में भी कहा गया है कि JNU में देश विरोधी नारे लगाने के प्रकरण में यह साबित नहीं हो पाया है कि नारे कन्हैया कुमार ने लगाए थे। अब यह पत्र केजरीवाल सरकार के पास जाएगा।
गौरतलब है कि बीते दिनों जेएनयू में देश विरोधी नारे लगाने के आरोपित कन्हैया कुमार के खिलाफ़ 1200 पन्नों की चार्जशीट दिल्ली सरकार की अनुमति के बिना ही पुलिस ने कोर्ट में पेश कर दी थी, जिसमें पुष्टि की गई थी कि 2016 में जेएनयू परिसर में हुई घटना एक सोची समझी साजिश थी और ये घटना पूरी प्लॉनिंग के साथ हुई थी। जिस पर बाद में AAP सरकार ने कहा था कि पहले वह इस मामले की जाँच कराएँगे और बाद में इस मामले के संबंध में निर्णय लेंगे।
हालाँकि, कुछ महीने पहले इस मामले में देरी करने के लिए दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को फटकार भी लगाई थी और उनसे अपना रुख जल्द से जल्द स्पष्ट करने को कहा था।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद दिल्ली सरकार ने इस मामले में कानूनी राय लेने के लिए इसे लॉ विभाग के पास भेजा था और लॉ विभाग ने अपनी रिपोर्ट को गृह विभाग को भेजा था। बाद में लॉ विभाग की राय को उचित करार देते हुए अंतिम रिपोर्ट तैयार की गई और कहा गया कि कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मामला नहीं बनता है।
गृह विभाग की इस रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि यह दो छात्र राजनैतिक गुटों का मामला था। जहाँ दोनों गुटों ने एक दूसरे को उकसाने के लिए नारेबाजी की थी।
वहीं इस मामले पर गृह मंत्री का विचार है कि आरोपियों का हिंसा भड़काने का कोई इरादा नहीं था और मार्च के दौरान लगाए गए नारे को आरोपियों से नहीं जोड़ा जा सकता है।
दिल्ली के गृहमंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक वो देशविरोधी नारे दूसरे गुट को चिढ़ाने के लिए थे न कि राज्य और उसकी संप्रभुता को चुनौती देने के लिए। उनका कहना है कि दो छात्र गुटों के बीच झगड़े के कारण उस दिन घटना हुई थी। वहाँ लगे नारों को आरोपितों के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। इसलिए पुलिस अपनी FIR में देशद्रोह की धारा छोड़कर अन्य उल्लेख की गई धाराओं के तहत आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
यहाँ जानकारी के लिए बताते चलें कि पुलिस द्वारा दायर की गई जिस चार्जशीट पर AAP सरकार ने विचार किया है, उस चार्जशीट में पुलिस ने इस मामले से जुड़े 90 गवाहों को साक्ष्य के तौर पर भी रखा था। और कहा था कि इनमें से 30 ऐसे हैं, जो देशद्रोही नारेबाज़ी के प्रत्यक्षदर्शी हैं। इनमें से कुछ वहाँ के स्टाफ और सुरक्षाकर्मी भी हैं। इस चार्ज शीट में इस बात का भी उल्लेख था कि कन्हैया कुमार ने ही उस दिन पूरी भीड़ का नेतृत्व किया था और बतौर छात्रसंघ नेता उसने सबको रोकने की जगह उन सबके साथ मिलकर देश-विरोधी नारेबाज़ी की थी।