Friday, November 22, 2024
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‘हिंदू धर्म महान है…मैं ईसाई हूँ फिर भी मुझे ये पसंद’ : SC के जजों ने हिंदू धर्म को सराहा, कहा- इसमें कोई कट्टरता नहीं

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा है, "मैं एक ईसाई हूँ लेकिन आज भी हिंदू धर्म को बहुत पसंद करता हूँ। यह एक महान धर्म है और इसे कम नहीं आँका जाना चाहिए। हिंदू धर्म जिस ऊँचाई पर पहुँच गया है। उपनिषदों, वेदों एवं भगवद्गीता में जो उल्लेख किया गया है, कोई भी व्यवस्था उस तक नहीं पहुँच सकती।"

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने हिंदू धर्म को लेकर बड़ी टिप्पणी की। जस्टिस जोसेफ ने कहा है कि वह ईसाई हैं इसके बाद भी उन्हें हिंदू धर्म पसंद है। वहीं, जस्टिस नागरत्ना ने कहा है कि हिंदू धर्म जीवन जीने का एक तरीका है। इसमें कट्टरता के लिए कोई जगह नहीं है। दोनों जजों ने यह टिप्पणी देश के प्राचीन, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के नामों को बदलने के लिए एक आयोग गठन करने की माँग वाली याचिका की सुनवाई करते हुए की।

सोमवार (27 फरवरी 2023) को हुई सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा है, “मैं एक ईसाई हूँ लेकिन आज भी हिंदू धर्म को बहुत पसंद करता हूँ। यह एक महान धर्म है और इसे कम नहीं आँका जाना चाहिए। हिंदू धर्म ऊँचाई पर पहुँच गया है। उपनिषदों, वेदों एवं भगवद्गीता में जो उल्लेख किया गया है, कोई भी व्यवस्था उस तक नहीं पहुँच सकती।”

जस्टिस जोसेफ ने आगे कहा है, “तत्वमीमांसा में हिंदू धर्म महान ऊँचाइयाँ पर पहुँच गया है। हमें इस महान धर्म पर गर्व होना चाहिए और इसे छोटा नहीं करना चाहिए। हमें अपनी महानता पर गर्व होना चाहिए और हमारी महानता हमें उदार बनाती है। मैं हिंदू धर्म का अध्ययन करने की कोशिश कर रहा हूँ। आपको हिंदू धर्म के दर्शन पर डॉ एस राधाकृष्णन की पुस्तक भी पढ़नी चाहिए। केरल में कई राजाओं ने चर्चों और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए जमीन दान कर दी थी।”

वहीं, जस्टिस नागरत्ना ने कहा है, “हिंदू धर्म वास्तव में एक धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। यही कारण है कि भारत ने सभी को आत्मसात किया है। चाहे वह दोस्त हो या फिर आक्रमणकारी। इस धर्म में कोई कट्टरता नहीं है। इसलिए हम सभी एक साथ रह रहे हैं। अंग्रेजों की फूट डालो और शासन करो की नीति ने हमारे समाज में विद्वेष ला दिया था। वह वापस नहीं आना चाहिए।”

जस्टिस नागरत्ना ने यह भी कहा है, “यह ऐतिहासिक तथ्य है कि हम पर हमले किए गए। हम विदेशी शासन के अधीन रहे। भारतीय इतिहास के उस समय को भुलाया नहीं जा सकता।” उन्होंने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा, “क्या देश में अन्य समस्याएँ नहीं हैं। जो कुछ हो चुका है उसे भुलाकर पीछे हटने के बजाय हमें आगे बढ़ना होगा। क्या आप उस आक्रमण वाले समय में जाना चाहते हैं? इससे क्या होगा। हमारे देश को और भी कई समस्याओं का समाधान करना है। आप चाहते हैं कि गृह मंत्रालय एक ‘नामकरण आयोग’ का गठन करे और देश में स्थानों और सड़कों के नाम बदलने का काम करे? आप जानते हैं कि इससे मंत्रालय पर क्या दबाव पड़ेगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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