Friday, November 22, 2024
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रामबाबू गुप्ता की हत्या, फिर गवाह को भी भून डाला: अखिलेश राज में ऐसे बचते थे हत्यारे, अब UP में मिट्टी में मिलाए जा रहे माफिया

श्यामबाबू गुप्ता ने दावा किया कि जब उनके परिजन की हत्या हुई तब विरोध में हिंदू समाज के कई लोग जमा हुए थे। इसी विरोध के दौरान शव लाया गया, जिस पर मुस्लिम समाज के कई लोगों ने अपनी छतों से पत्थर बरसाए थे।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 24 फरवरी, 2023 को उमेश पाल नाम के वकील की गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल के साथ चल रहे पुलिस के 2 गनर संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह भी इस हमले में बलिदान हुए थे। इस तिहरे हत्याकांड का आरोप प्रयागराज के ही दुर्दांत माफिया अतीक अहमद और उसके पूरे परिवार पर लगा है। उमेश पाल पूर्व विधायक स्वर्गीय राजू पाल हत्याकांड के गवाह थे। 25 जनवरी, 2005 को हुई राजू पाल की भी हत्या का आरोप अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ सहित कुछ अन्य लोगों पर है।

हत्या के दिन उमेश पाल राजू साल की हत्या में अतीक अहमद के खिलाफ गवाही दे कर कोर्ट से लौटे थे। इस घटना में अतीक अहमद पहले से जेल में बंद है। घटना में शामिल बताए जा रहे 2 शूटर पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। अतीक का बेटा और बीवी फरार हैं, जिन पर इनाम घोषित हो चुका है। इस मामले को ले कर विधानसभा में अखिलेश यादव और UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में तीखी बहस हुई थी।

बहस के दौरान अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी पर अपराधियों के संरक्षण का आरोप लगाया था। साथ ही योगी ने उन सभी संरक्षित अपराधियों को मिट्टी में मिला देने का संकल्प भी लिया था।

ऐसा ही था रामबाबू गुप्ता हत्याकांड

जब हमने पड़ताल की तब पाया गया कि राजू पाल और गवाह उमेश पाल की एक-एक कर के हत्या जैसे अन्य भी कई मामले पहले हो चुके हैं। इसी के काफी हद तक मिलता-जुलता मामला है साल 2013 में उत्तर प्रदेश के ही अम्बेडकरनगर में हुआ रामबाबू गुप्ता हत्याकांड। 3 मार्च, 2013 को रामबाबू गुप्ता की मुस्लिम बहुल कहे जाने वाले बाजार टांडा में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। पीड़ित परिवार ने इस हत्या का आरोप तत्कालीन समाजवादी विधायक अजीमुल हक उर्फ़ पहलवान पर लगाया था। सपा विधायक अजीमुल हक पर अखिलेश सरकार में कोई कार्रवाई नहीं हुई।

घर में लगी रामबाबू गुप्ता की तस्वीर

9 माह बाद मुख्य गवाह राम मोहन की भी हुई थी हत्या

इस हत्याकांड के गवाह रामबाबू गुप्ता के ही परिवार के सदस्य राम मोहन गुप्ता था। कुछ समय बाद 4 दिसंबर, 2013 को राम मोहन गुप्ता की भी उसी टांडा में गोली मार कर हत्या दी गई थी। एक बार फिर से पीड़ित परिजनों ने इस मामले में समाजवादी पार्टी के विधायक अजीमुल हक को नामजद आरोपित किया। हालाँकि, आरोप है कि पुलिस ने फिर से सपा विधायक पर कोई एक्शन नहीं लिया। तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस से निष्पक्ष कार्रवाई का शपथ पत्र भी लिया था।

पूर्व सपा विधायक अजीमुल अब दुनिया में नहीं हैं। मई 2020 में गुर्दे की लम्बी बीमारी से उनका इंतकाल हो चुका है।

घर में लगी राम मोहन गुप्ता की तस्वीर

रामबाबू गुप्ता की पत्नी बनीं भाजपा से विधायक

रामबाबू गुप्ता की हत्या के बाद उनकी पत्नी संजू देवी को भाजपा ने उसी क्षेत्र से अपना विधानसभा प्रत्याशी बनाया। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में संजू देवी ने अजीमुल हक को ही हरा कर जीत हासिल की थी। ऑपइंडिया की टीम ने टांडा पहुँच कर दिवंगत रामबाबू गुप्ता और राम मोहन गुप्ता के परिवार से मुलाकात की। रामबाबू गुप्ता के समाजसेवी और हिंदूवादी नेता भाई श्यामबाबू गुप्ता ने हमें वर्तमान और इतिहास से अवगत करवाया।

भतीजे को भी मार डालने की हुई कोशिश

श्यामबाबू गुप्ता ने हमें बताया कि रामबाबू और उनकी हत्या के गवाह राम मोहन को मार डालने के बाद कुछ हमलावरों ने उनके भतीजे शुभम को भी मारने की कोशिश की थी। यह प्रयास फरवरी 2014 में लखनऊ के हुसड़िया चौराहे पर किया गया था। शुभम गुप्ता की गर्दन पर बाइक से आए हमलावरों ने चाकू मारी थी लेकिन ठंड में मफलर पहने होने की वजह से शुभम की जान बच गई। बकौल श्यामबाबू, इस मामले में भी लखनऊ पुलिस में अजीमुल हक को आरोपित करते हुए FIR दर्ज करवाई गई थी, लेकिन समाजवादी पार्टी सत्ता में बड़ा ओहदा होने के चलते अजीमुल हक का कुछ नहीं बिगड़ा और केस में क्लोजिंग रिपोर्ट लग गई।

हत्या आरोपित को ओवैसी का इनाम

स्वर्गीय रामबाबू के भाई श्यामबाबू के मुताबिक, उनके भाई की हत्या में शामिल इरफ़ान नाम के एक अन्य आरोपित को ओवैसी ने अपनी पार्टी AIMIM का प्रदेश सचिव बनाया था। इस पद को रामबाबू गुप्ता की हत्या का इनाम बताते हुए श्यामबाबू ने कहा कि इरफ़ान ने ओवैसी की पार्टी से संजू देवी के खिलाफ विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था। 28 अक्टूबर 2022 को AIMIM से इस्तीफा दे कर फ़िलहाल ‘इरफ़ान पीस पार्टी’ में है।

हत्यारोपित इरफ़ान के साथ ओवैसी

अजीमुल को पहले दिन से पुलिसिया क्लीन चिट, इरफ़ान कुछ माह में बाहर

श्यामबाबू ने तब पुलिस पर अपने ही परिवार पर लाठियाँ भी भाँजने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि 2 हत्या और 1 हत्या के प्रयास में शामिल होने के बावजूद सपा विधायक अजीमुल कभी 1 मिनट की भी हिरासत में नहीं रहा। यहाँ तक कि हत्या के बाद पकड़ा गया दूसरा आरोपित इरफ़ान भी कुछ ही महीनों में जमानत पर बाहर आ गया था। इस केस का फ़िलहाल कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। पीड़ित परिवार के मुताबिक, अजीमुल हक का नाम हटा कर सपा सरकार पहले ही इस केस में अन्याय कर चुकी है।

तब अम्बेडकरनगर के पुलिस अधीक्षक IPS सुनील सक्सेना और एडिशनल SP राजीव मल्होत्रा थे।

हिन्दू धर्म के लिए बोलना ही हत्या का कारण

श्यामबाबू ने हमें बताया कि मुस्लिम बहुल इलाके में हिन्दू धर्म की आवाज उठाना ही रामबाबू और राम मोहन की हत्या का कारण था। उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी की सरकार में टांडा लव जिहाद, लैंड जिहाद और गोहत्या जैसे केसों का गढ़ हुआ करता था, जिसका रामबाबू विरोध किया करते थे। टांडा में सिमी जैसे चरमपंथी संगठनों के तमाम सक्रिय सदस्य होने का दावा करते हुए श्यामबाबू ने कहा कि अगर योगी आदित्यनाथ की सरकार न आई होती तो शायद उनके परिवार में कोई न बचता।

लाश पर भी बरसे थे पत्थर

श्यामबाबू गुप्ता ने दावा किया कि जब उनके परिजन की हत्या हुई तब विरोध में हिंदू समाज के कई लोग जमा हुए थे। इसी विरोध के दौरान शव लाया गया, जिस पर मुस्लिम समाज के कई लोगों ने अपनी छतों से पत्थर बरसाए थे। बकौल श्याम बाबू पुलिस ने लाश को टाँगों से पकड़ कर घसीटा था और जबरन शमशन घाट पहुँचा दिया था। बताया गया कि अजीमुल पर एक FIR के बदले गुप्ता परिवार को 4 FIR पुलिस की झेलनी पड़ी थी।

हमारे ही घर में हत्या, हम ही भेजे गए जेल

श्यामबाबू गुप्ता के मुताबिक, टांडा के थाना अलीगढ़ में जब वो तत्कालीन विधायक अजीमुल हक को नामजद करवा रहे थे तब तत्कालीन एडिशनल एसपी ने थाने में बैठ कर जबरन उनकी FIR बदलवा दी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने दावा किया कि अपने ही घर के आगे शव को रखने के आरोप में तब पुलिस ने उनके खिलाफ झूठी FIR दर्ज कर दी, जिसमें उन्हें साल 2014 में 10 दिन से अधिक की जेल भी काटनी पड़ी। पहली हत्या रामबाबू की हुई और दूसरी गवाह राम मोहन की।

श्यामबाबू के अनुसार, उन पर FIR और जेल की कार्रवाई इसलिए की गई थी क्योंकि वो सत्ता पक्ष के विधायक पर कार्रवाई माँग रहे थे।

दिवंगत रामबाबू गुप्ता के बेटे के साथ श्यामबाबू गुप्ता

आरोप – इन हत्याकांडों और अत्याचारों में थी अखिलेश की सहमति

श्यामबाबू गुप्ता ने दावा किया कि रामबाबू गुप्ता और राम मोहन गुप्ता की हत्या में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सहमति थी। दिवंगत मुलायम सिंह के कारसेवकों के कत्ल की जिम्मेदारी लेने वाले बयान का जिक्र करते हुए श्यामबाबू ने कहा कि समाजवादी पार्टी हिंदूवादियों को उनके अंजाम तक पहुँचाने में फख्र महसूस करती है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से तत्कालीन पुलिस और प्रशासन हत्या में अजीमुल हक को बचाने और मृतक के परिजनों को प्रताड़ित करने में व्यस्त था वो बिना मुख्यमंत्री की सहमति के हो ही नहीं सकता।

अखिलेश के साथ अजीमुल

श्यामबाबू गुप्ता ने हमें बताया कि टांडा में जब उनके भाई रामबाबू गुप्ता की हत्या का विरोध वो परिवार सहित कर रहे थे तब समाज के अन्य वर्ग भी उसमें खुद ही शामिल हो गए थे। बकौल श्यामबाबू अखिलेश सरकार में उसी टांडा में OBC वर्ग के एक व्यक्ति के साथ एक अन्य रामवृक्ष नाम के दलित की भी हत्या हुई थी। आरोप है कि तब दलित व्यक्ति की हत्या की पुलिस ने FIR भी दर्ज नहीं की थी।

आज भी सिर पर शिखा और माथे पर तिलक

दिवंगत रामबाबू गुप्ता परिवार के सभी पुरुष आज भी सिर पर शिखा रखते हैं। ज्यादातर सदस्यों के माथे पर तिलक भी लगा दिखा। 5 साला परिवार के सदस्य के विधायक रहने के बाद भी गुप्ता परिवार अभी भी मेडिकल स्टोर, खिलौने व कॉपी किताब की दुकान से गुजारा करता है। श्यामबाबू के घर में भगवान के अलावा नरेंद्र मोदी, सतपाल महराज, योगी आदित्यनाथ, डॉ हेडगेवार की तस्वीरें लगी हुई हैं। घर की बॉउंड्री में मंदिर के साथ हमें गायें भी बंधी दिखाई दीं। घर से सटी हुई एक बड़ी सी मस्जिद भी है। दावा किया जा रहा है कि रामबाबू ने उस मस्जिद के निर्माण में भी अतिक्रमण का आरोप लगा कर विरोध किया था।

आवासीय परिसर में मंदिर और गाय
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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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