Monday, December 23, 2024
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‘साधना के बल पर तय की भदौरिया से लेकर गुरु तक की यात्रा’: आश्रम ने ‘करौली सरकार’ पर लगे आरोपों का दिया जवाब, कहा – यहाँ कोई झाड़-फूँक नहीं होता

बताया गया है कि वर्तमान में प्रतिदिन हजारों पीडि़त लोग आश्रम पहुँच रहे हैं। ये भी कहा गया है कि चूँकि यहाँ जीवन और आत्मा से जुड़े मन के क्रियाकलापों का भी प्राचीन वैदिक विज्ञान के तरीके से उपचार होता है, इसलिए बड़ी संख्या में मनोरोगी भी दरबार आते हैं।

कानपुर के ‘करौली सरकार’ बाबा पर मीडिया रिपोर्ट्स में कई आरोप लगाए गए हैं अब ‘लवकुश आश्रम’ की तरफ से इन आरोपों का जवाब दिया गया है। उन पर पहली पत्नी को छोड़ कर दूसरी शादी करने और कभी टेम्पो में चलने से लेकर अब 3 रेन्ज रोवर कारों के मालिक होने की बात कही जा रही है। साथ ही उन पर अकूल संपत्ति जुटाने के आरोप भी लगे हैं। ‘करौली सरकार’ का असली नाम संतोष सिंह भदौरिया बताया जा रहा है, जो मूल रूप से पवई गाँव के हैं।

‘करौली सरकार’ (डॉ संतोष सिंह भदौरिया) के जीवन बारे में कानपुर के ‘लवकुश’ आश्रम ने दी जानकारी

‘लवकुश आश्रम’ की तरफ से जारी बयान में उन्हें ‘करौली शंकर महादेव’ कह कर संबोधित करते उन्हें सनातन संस्कृति का वाहक बताया गया है और कहा गया है कि एकाएक उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं। आश्रम प्रशासन ने बताया है कि करीब 20 वर्ष पहले विधनू थाना क्षेत्र के गाँव करौली में आश्रम स्थापित किया गया। तभी से वहाँ प्राकृतिक कृषि, गौ-पालन के साथ आयुर्वेदिक व प्राकृतिक चिकित्सा की गतिविधियाँ चल रही हैं।

बताया गया है कि प्रतिदिन हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। आश्रम ने दावा किया कि अभी तक देश भर के लाखों लोग शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हुए हैं, इनके प्रमाण उपलब्ध हैं। साथ ही कहा कि यह सब कार्य एक जुनून की तरह से डाॅ संतोष सिंह भदौरिया जी के नेतृत्व में होता रहा है। ‘डाॅ भदौरिया’ को तंत्र विद्या और अध्यात्म का भी साधक बताते हुए आश्रम ने कहा है कि उसी आलोक में तंत्र के गुरु श्री राधारमण मिश्र जी की कृपा और आशीर्वाद उन्हें शिष्य के रूप में प्राप्त हुआ है, जिसके फलस्वरूप डाॅ भदौरिया जी को विशेष ऊर्जा प्राप्त हुई।

बकौल आश्रम, इसी ऊर्जा के स्वामी होने के कारण जनसामान्य ने उन्हें गुरु के रूप में संबोधन दिया, स्वीकारा। ‘लवकुश आश्रम’ की तरफ से कहा गया है कि आज गुरु जी रूपी यह ऊर्जा ही वह आकर्षण है, जिसके चलते लाखों लोग करौली आश्रम खींचे चले आ रहे हैं, क्योंकि आश्रम में पहुँचने मात्र से लोग राहत महसूस करने लगते हैं। उनके समक्ष आने पर बीमार से बीमार व्यक्ति स्वयं से ही ऊर्जावान महसूस करने लगता है, बीमार हो तो स्वस्थ होने लगता है, चाहे वह शारीरिक रोग हो या मानसिक रोग।

‘करौली सरकार’ के आश्रम की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि संतोष सिंह भदौरिया बचपन से जवानी तक सामान्य व्यक्ति रहे हैं, वे आक्रामक किसान नेता भी रहे हैं, राजनीतिक क्रियाकलापों में भी रहे हैं, मुकदमेबाजी में फँसे हैं, जेल भी गए हैं। लेकिन, आश्रम का ये भी कहना है कि यह उनका अतीत था, तब वे सामान्य मनुष्य के रूप में भदौरिया थे, आज असामान्य रूप से गुरु जी हैं। बकौल आश्रम, भदौरिया से लेकर गुरु जी तक की यात्रा उन्होंने साधना के बल पर की है, उनकी पुस्तक ईश्वरीय चिकित्सा, एक अनुसंधान में इस पर सब कुछ स्पष्ट लिखा गया है।

आश्रम ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि अभी जो लोग उनकी इस साधना के बारे में अनभिज्ञ हैं, वे उन्हें भदौरिया मानकर ही चल रहे हैं, जिनके बहुत सारे व्यक्तिगत मित्र भी रहे हैं और शत्रु भी। जबकि मध्यस्थ दर्शन के प्रतिपादक संत अग्रहार नागराज का एक तथ्य है कि कोई भी मनुष्य अपनी संकल्प शक्ति से कब कितना बदल जाएगा, इसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता। दावा किया गया है कि भदौरिया इतना ही बदले हैं, लेकिन कुछ लोगों को भदौरिया जी का गुरुजी बनना नहीं पच रहा है, इसलिए यह व्यक्तिगत ईर्ष्या-द्वेष और आरोप-प्रत्यारोप हैं, जो कि पूर्वाग्रहों से ग्रसित है।

बताया गया है कि वर्तमान में प्रतिदिन हजारों पीडि़त लोग आश्रम पहुँच रहे हैं। ये भी कहा गया है कि चूँकि यहाँ जीवन और आत्मा से जुड़े मन के क्रियाकलापों का भी प्राचीन वैदिक विज्ञान के तरीके से उपचार होता है, इसलिए बड़ी संख्या में मनोरोगी भी दरबार आते हैं। चूँकि आश्रम में साधन सीमित हैं, इसलिए उन्हें संभालने की पूरी जिम्मेदारी उनके परिजनों की ही होती है। संख्या अधिक होने के कारण कुछ लोगों से ‘करौली सरकार’ मिल पाते हैं, कुछ से नहीं मिल पाते हैं।

आश्रम ने कहा कि इसी कारण हजारों में एक दो लोग दुखी हो जाते हैं, आहत या आक्रोशित भी हो जाते हैं। कोई आश्रम की व्यवस्था मनोकूल न होने के कारण नाराज हो जाता है तो कोई अपेक्षानुसार लाभ न मिलने के कारण रुष्ट हो जाता है। कोई रहस्य या चमत्कार न दिख पाने के दरबार पर प्रश्न उठाने लगता है, जबकि सभी को बार-बार स्पष्ट किया जाता है कि यहाँ कोई रहस्य या चमत्कार नहीं है, न ही कोई जादू-टोना या झाड़-फूँक होती है। ‘लवकुश आश्रम’ ने कहा कि वास्तव में जो लोग सनातन या वैदिक ज्ञान से परिचित नहीं होते हैं या आधे-अधूरे परिचित होते हैं, वे ही लोग प्रश्न उठाते हैं।

‘करौली सरकार’ पर लगे आरोपों का भी आश्रम ने दिया जवाब

नोएडा के चिकित्सक महोदय सिद्वार्थ चौधरी ने आरोप लगाया था कि आश्रम में उन्हें ‘चमत्कार’ नहीं दिखा और ये कहने पर बाबा के समर्थकों ने उनकी पिटाई की। हालाँकि, ‘लवकुश आश्रम’ ने बताया है कि उनका आचरण काफी आक्रामक व अमानवीय रहा है, फिर भी आश्रम अपनी जिम्मेदारी को स्वीकारता है, उनके हितों की कामना करता है। वहीं उनके आरोपों के संबंध में आश्रम ने कहा कि पुलिस इसकी जाँच कर रही है, जाँच में जो भी निष्कर्ष निकलेंगे, उसका स्वागत किया जाएगा।

तब उचित रूप से अपना पक्ष प्रस्तुत किए जाने की बात भी कही गई है। इसी प्रकार दूसरा आरोप एक व्यक्ति का बच्चा खो जाने का है। इस पर आश्रम प्रशासन ने कहा कि ये पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है, कि यहाँ आने वाले हर बीमार व्यक्ति की जिम्मेदारी उसके परिजनों की है। उनकी तरफ से बताया गया कि आश्रम में साधन सीमित हैं और निःशुल्क हैं, इसलिए सभी की सुरक्षा या देखभाल के लिए कर्मचारी तैनात नहीं किए जाते हैं।

‘लवकुश आश्रम’ ने कहा कि यह मंदिर परिसर है, जिसमें हजारों भक्त आते हैं, दूसरे मंदिरों की तरह ही, इसलिए कोई व्यक्ति यह कहे कि उसका बेटा मंदिर गया था, गायब हो गया और यह मंदिर प्रशासन की जिम्मेदारी है, तो यह कहना न तर्कसंगत है, न न्यायोचित। एक पूर्व सुरक्षा कर्मचारी द्वारा भी आरोप लगाया गया है कि उसके साथ आश्रम के वर्तमान सुरक्षाकर्मियों ने मारपीट की है। आश्रम ने कहा कि इस संबंध में केवल इतना कहना है कि ये सभी सुरक्षाकर्मी साथ-साथ ड्यूटी करते रहे थे।

स्पष्टीकरण में कहा गया है कि उनका दूसरे कर्मचारी से कुछ व्यक्तिगत ईर्ष्या द्वेष हो सकता है, इसके लिए आश्रम को जिम्मेदार ठहराना न्यायोचित नहीं है। वहीं जहाँ घटनास्थल बताया गया है, उसे दूसरे गाँव के एक गेस्टहाउस का मामला करार दिया गया है। इसके लिए ‘करौली सरकार’ को जिम्मेदार ठहराए जाने को उनके आश्रम ने केवल उनकी हताशा का प्रदर्शन बताया है। आश्रम ने कहा कि लोकतंत्र में विचारों और पद्धतियों से सहमति-असहमति चलती रहती है।

आश्रम ने कहा, “एक-दो लोगों के प्रचार या दुष्प्रचार के कारण पूरी वैदिक पद्धितियों या सनातन व्यवस्था पर सवाल खड़ा करना कतई भी उचित नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि उनके कारण बाकी के जो हजारों लोग हैं, वे लाभ से वंचित रह सकते हैं। उनकी आस्था आहत होती है। दुर्भाग्यजनक यह है कि कुछ लोग ऐसा करके नकारात्मक तरीके से स्वयं को प्रसिद्ध करना चाहते हैं, ब्लैकमेल करना चाहते हैं। उनका यह कृत्य न केवल सनातन संस्कृति के लिए घातक है, बल्कि एक तरह से हमला है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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