Saturday, November 23, 2024
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​कब्रिस्तान के नाम पर कर दी बांके बिहारी जी महाराज मंदिर की जमीन, हाई कोर्ट ने तहसीलदार से माँगा जवाब: 2004 में राजस्व रिकॉर्ड में हुई थी ‘हेराफेरी’

श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट ने अपनी याचिका में बताया है कि राजस्व रिकॉर्ड में मूल रूप से यह जमीन बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। लेकिन साल 2004 में इसे कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज कर दिया गया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बांके बिहारी जी महाराज मंदिर की जमीन कब्रिस्तान के नाम पर किए जाने को लेकर तहसीलदार से जवाब माँगा है। मथुरा जिले के छाता तहसील के तहसीलदार को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश भी दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त 2023 को होगी।

इस संबंध में श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट (मथुरा) ने याचिका दायर कर रखी है। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने कहा कि मथुरा जिले की छाता तहसील के शाहपुर गाँव स्थित प्लॉट नंबर 1081 की स्थिति में समय-समय पर बदलाव किया गया है। इसलिए तमाम तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए तहसीलदार को निर्देश दिया जाता है कि राजस्व अधिकारियों द्वारा की गई इस कार्यवाही को समझाने के लिए वह व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हों।

ज्ञात हो कि ‘श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट (मथुरा)’ ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में मूल रूप से यह जमीन बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम पर रजिस्टर्ड थी। लेकिन साल 2004 में इसे कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मंदिर की जमीन में ‘अवैध रूप से’ किए गए बदलाव को सही करने का निर्देश देने का आग्रह किया है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि प्राचीन काल से ही यह जमीन बांके बिहारी महाराज के नाम पर रजिस्टर्ड थी। लेकिन भोला खान पठान नामक व्यक्ति ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से इस भूमि को कब्रिस्तान की जमीन के रूप में दर्ज करवा दिया था। इसकी जानकारी मिलने पर मंदिर ट्रस्ट ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद मामला वक्फ बोर्ड तक गया। मामले की जाँच के लिए सात सदस्यीय टीम बनाई गई। इस जाँच में सामने आया था कि मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान के नाम पर गलत तरीके से रजिस्टर्ड किया गया था। हालाँकि इसके बावजूद यह जमीन बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम पर दर्ज नहीं की गई।

वहीं इस मामले में राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि इस मामले में जमीन को कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज करने के लिए भी एक आवेदन लंबित है, क्योंकि अब इस जमीन के रिकॉर्ड को कब्रिस्तान से ‘पुरानी आबादी’ के तौर पर बदल दिया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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