हनी ट्रैप मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने विशेष जाँच दल (एसआईटी) के प्रमुख को बार-बार बदलने पर राज्य की कमलनाथ सरकार से जवाब माँगा है। हाई कोर्ट ने पूछा कि मामले की जाँच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख और सदस्यों को 10 से 11 दिन के भीतर ही क्यों बदल दिया गया।
बता दें कि हनी ट्रैप मामले की जाँच के लिए 23 सितंबर को एसआईटी का गठन किया गया था। सीआईडी के
आईजी डी. श्रीनिवास को इसका प्रमुख बनाया गया था। लेकिन, अगले ही दिन एसआईटी प्रमुख बदल दिया गया। श्रीनिवास की जगह संजीव शमी को कमान दी गई। इसके बाद 1 अक्टूबर को संजीव शमी को हटाकर राजेंद्र कुमार को एसआईटी का मुखिया बनाया गया। इस तरह विशेष जाँच दाल के गठन के 9 दिन के भीतर ही 3 बार उसके मुखिया को राज्य सरकार ने बदल दिया।
कमलनाथ सरकार के इस फैसले पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। अब हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के गृह विभाग के सचिव को इस पूरे मामले की जाँच रिपोर्ट और सदस्यों को बदलने का कारण लिखित में 21 अक्टूबर को पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले पर 21 अक्टूबर को ही अगली सुनवाई होगी। साथ में कोर्ट ने यह भी तय किया कि भविष्य में इस मामले में दायर सभी याचिकाओं की सुनवाई एक साथ होगी।
ख़बर के अनुसार, हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने सरकार से यह सवाल हनी ट्रैप मामले में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए पूछा। दिग्विजय सिंह भंडारी ने वरिष्ठ वकील डॉ. मनोहरलाल दलाल और वकील लोकेंद्र जोशी के माध्यम से याचिका दायर की है।
इस याचिका के अनुसार, हनी ट्रैप मामला जनहित से जुड़ा मामला है। सरकार जाँच में लापरवाही बरत रही है। एसआईटी का गठन तो कर दिया गया, लेकिन इसके प्रमुख को बार-बार बदला जा रहा है। अब तक तीन बार एसआईटी के प्रमुख को बदला गया है। इससे यह आशंका उत्पन्न हो रही है कि इस मामले में जाँच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।
याचिका में यह माँग भी की गई है कि एसआईटी को आदेश दिया जाए कि वह इस मामले में ज़ब्त मोबाइल, लैपटॉप, वीडियो, सीडी आदि की सूची कोर्ट में पेश करे, क्योंकि इनके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है और इन्हें नष्ट करने का प्रयास भी हो सकता है। साथ ही याचिका में इस पूरे मामले की जाँच कोर्ट की निगरानी में कराने की माँग भी की गई है। यह भी कहा है कि जाँच कमेटी में प्रदेश के बाहर के किसी ऐसे अधिकारी को नियुक्त किया जाए जो डीआईजी या इससे ऊपर की रैंक का हो। इस मामले की सीबीआई जाँच की माँग भी की गई है।
जस्टिस एससी शर्मा और शैलेंद्र शुक्ला ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए पूछा कि वो बताए आखिर किस आधार पर और किन कारणों से एसआईटी प्रमुख को बदला जा रहा है।