लक्ष्य दिल्ली-मुंबई में बैठे स्टॉक एक्सचेंज के खिलाड़ियों और आर्थिक बीट पर काम करने वाले पत्रकारों तक अपनी बात पहुँचाने का नहीं है, बल्कि उन्हें भी संबल देना है जो खाली पाँव, दहकते कंक्रीट पर, फफोलों के साथ निकल चुके हैं।
रवीश कुमार ने कई मुद्दों पर बात की, लेकिन उनका मुख्य फोकस यही रहा है कि भारत बर्बाद हो चुका है। टेस्टिंग महीं हो रही है। हम कोविड से नहीं लड़ पा रहे हैं। इस आदमी ने लिखना तो कम किया है, लेकिन जितना लिख रहा है प्रपंच और फ़र्ज़ी बातें ही कर रहा है।