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पालघर में संतों को किसने मारा: अजीत भारती का सवाल | Ajeet Bharti on Palghar Sadhus Mob Lynching
महाराष्ट्र के पालघर में 2 साधुओं समेत 3 लोगों की हत्या कर दी जाती है। लगभग 200 लोगों की भीड़ से घिरा साधु पुलिस मदद के लिए जाता है, लेकिन...
Satire | व्यंग्य
कटाक्ष: तबलीगी जमात तो कितना अच्छा काम कर रही है | Nitin Rivaldo on Tablighi Jamaat
तबलीगी जमात तो कितना अच्छा काम कर रही है! जानिए तबलीगी जमात के 'प्रवक्ता' नितिन रिवाल्डो ने जमातियों का कैसे किया बचाव।
मीडिया हलचल
थूकने वाले लोग: अगर हर हिन्दू सबा नकवी वाले लॉजिक से सोचने लगे तो क्या होगा
इतना ज़हर अगर किसी हिन्दू के भीतर आ जाए, और ऐसा शातिरपन भी कि एक रैंडम सी बात को पूरे भारत में लागू होने वाले उदाहरण की तरह बता कर, चार मुस्लिमों और ताजमहल का नाम गिनवा कर, विक्टिम कार्ड स्वाइप करने लगे, तो कैसा दिखेगा?
Satire | व्यंग्य
व्यंग्य: तबलीगी मासूमों को बदनाम न करें | Stop hating Tablighi Muslims, it’s islamophobia
एक सोची-समझी साजिश के तहत, अपने ही भीतर के कुदरती थूक, कुदरती पेशाब और कुदरती टट्टी को अपने मन के हिसाब से यहाँ-वहाँ फेंकने वाले मासूम तबलीगियों को मुसलमान होने के कारण बदनाम किया जा रहा है।
हास्य-व्यंग्य-कटाक्ष
व्यंग्य: तबलीगी जमातियों ने की क्वारंटाइन में टट्टी, ‘स्वच्छता अभियान है फेल’ बोले ध्रुव लाठी
आप बताइए कि पेशाब बोतल में रखने पर रोक है! अरे! आज क्या मजहबी इन्सान इतना पराया हो गया कि अपना ही पेशाब बोतल में नहीं रख सकता? मतलब थूकने पर मनाही है, शौच करने पर मनाही है, तब हमने बोतलों में पेशाब रख लिया, तो भी दिक्कत!
हास्य-व्यंग्य-कटाक्ष
बकैत कुमार का प्राइम टाइम लीक: समुदाय विशेष से जबरन दीपावली मनवाने की साजिश की जा रही है
जिसने वोट दिया अपना टॉर्च जलाए, माँग कर जलाए लेकिन हमारे लिबरल और सेकुलर लोगों का क्या? हमारी तो अभी से ही सुलगने लगी है, और पाँच तारीख तक तो हवा का बहाव सही रहा तो आग भी जल जाएगी।
Satire | व्यंग्य
व्यंग्य: मुसलमानों से दिवाली मनवाने की साजिश कर रहे मोदी: बकैत कुमार | Ravish Kumar Prime Time
9 बजे टीवी पर एक आदमी आता है और बत्ती, फ्लैशलाइट, दीया, टॉर्च आदि जलाने के लिए कहता है। ये लिबरल और सेकुलर लोगों पर हमला नहीं है?
राजनैतिक मुद्दे
पलायन या षड्यंत्र? ये देश को तबाह करने की साजिश नहीं तो और क्या है? दो लाख लोग इकट्ठा कैसे हो गए?
अरविंद केजरीवाल ने उन्हीं लोगों को धोखा दिया है, जिनके बल पर वह सत्ता पाता है। वो जानता था कि दिल्ली में वो 2 लाख लोगों की कोई व्यवस्था नहीं कर सकता। ऐसे में अफवाहें फैलाई गई और उन गरीब मजदूरों को घर से बाहर निकालने का षड्यंत्र रचा गया ताकि वो दिल्ली छोड़कर कहीं भी जा सकें।