वीडियो
कानपुर लव जिहाद SIT रिपोर्ट की क्रूर सच्चाइयाँ जो वामपंथी छुपा रहे हैं: अजीत भारती का वीडियो | Kanpur SIT report analysis
‘लव जिहाद’ को बार-बार समझना आवश्यक है क्योंकि कुछ लम्पट वामपंथी पोर्टल और बकैत एंकर इसे ‘अंतरधार्मिक विवाह‘ का मसला और ‘प्रेम पर सरकार का पहरा’ मान कर स्थापित करने में सत्तू-पानी बाँध कर बैठ गए हैं।
सामाजिक मुद्दे
कानपुर लव जिहाद SIT रिपोर्ट: आखिर वामपंथियों को 14 साल की बच्चियों का समुदाय विशेष वालों द्वारा गैंगरेप क्यों नॉर्मल लगता है?
बात यह है कि हर मामले में खास मजहब का लड़का ही क्यों होता है? ईसाई या सिक्ख लड़के आखिर किसी हिन्दू लड़की को अपना नाम हिन्दू वाला बता कर प्रेम करते क्यों नहीं पाए जाते?
वीडियो
क्या है अर्णब-अन्वय नाइक मामला? जानिए सब-कुछ: अजीत भारती का वीडियो | Arnab Goswami Anvay Naik case explained in detail
रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर मुंबई पुलिस का चेहरा 4 नवंबर को पूरे देश ने देखा। 20 सशस्त्र पुलिसकर्मी उनके घर में घुसे, घसीटकर उन्हें अलीबाग थाने ले गए।
वीडियो
यूपी में लव जिहाद पर अध्यादेश पारित: अजीत भारती का वीडियो | UP passes ordinance on Love Jihad and conversions
नाम छिपाकर शादी करने वाले के लिए 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन पर 1 से 10 साल तक की सजा होगी।
वीडियो
लव जिहाद पर रवीश की बकैती, अर्णब से सौतिया डाह: अजीत भारती का वीडियो | Ravish equates Love Jihad to love marriage
रवीश कुमार ने कहा कि भारतीय समाज प्रेम विरोधी है। हालाँकि, रवीश कुमार ने ये नहीं बताया कि उन्होंने यह बातें किस आधार पर कही।
राजनैतिक मुद्दे
नीतीश को बिहार का सीएम बनाने के पीछे भाजपा की कौन-सी मजबूरी है?
कहा जाता है कि भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के पास भाजपा बिहार के नेता यह समस्या ले कर गए थे कि नीतीश को मुख्यमंत्री न बनाया जाए। नड्डा ने विचार करने के बाद अमित शाह से चर्चा की, अमित शाह भी सहमत दिखे। फिर बात....
वीडियो
बकैत की रिपोर्ट: अर्णब के ‘समर्थन’ में रवीश की बकैती | Ravish supports ‘not a journo’ Arnab
रवीश कुमार ने अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर वैसे ही लिखा है, जैसे कोई भी वामपंथी तब बोलता है जब उसके मुँह में बाँस डाला जाता है कि फलाँ विषय पर बोलो।
मीडिया
प्रेस फ्रीडम है क्या? क्या वाकई पहले के मामलों को अर्णब के समकक्ष रखा जा सकता है?
प्रेस की स्वतंत्रता आखिर क्या है? क्या NDTV, वायर, या फिर क्विंट, इन सबके मामले प्रेस या पत्रकारिता से ही जुड़े हुए थे या फिर पैसों की हेरफेर से?