Thursday, November 14, 2024
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अनुपम कुमार सिंह

भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

जज साहब डर गए क्या? आख़िर उंगली उठते ही भागकर किसका भला कर रहे हैं आप?

CBI डायरेक्टर, सेना प्रमुख, CJI- नेताओं ने अपनी घटिया राजनीतिक बयानबाज़ी में संवैधानिक पदों पर बैठे उच्चाधिकारियों को भी घसीट लिया है। उन पर बिना सबूत घटिया लांछन लगाए जाते हैं- अपनी राजनीति चमकाने के लिए।

वेतन मौलवियों को और PM ‘किसी’ को… हद कर दी ‘सड़’ने!

"मोदी-शाह को रोकने के लिए मैं किसी भी हद तक जाने को तैयार हूँ। इसके अलावा, जो भी बन रहा होगा उसको समर्थन दे देंगे। कांग्रेस अगर जीतती है तो उसको भी समर्थन देने को तैयार हैं।"

कॉन्ग्रेस का प्रियंकास्त्र: ‘इंदिरा क्लोन’ की राजनैतिक एंट्री के 6 कारण

कॉन्ग्रेस ने कार्यकताओं में नई जान फूँकने के लिए प्रियंकास्त्र का सहारा लिया है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या प्रमुख कारण हो सकते हैं। एक विश्लेषण।

वो मुग़ल बादशाह, जो बेटे की याद में रोते-रोते मरा… जबकि बेटा था ‘इस्लाम का दूत’

1666 में वो आज की ही तारीख़ थी, जब आगरा के किले में नज़रबंद एक बूढ़े मुग़ल बादशाह ने आख़िरी साँस ली थी। मौत के वक़्त उसके सारे कुकर्म लौट कर वापस उसके ही पास आए और इतिहास ने अपने-आप को फिर से दोहराया।

भगवंत मान ने ‘जनहित’ में दारू छोड़ी, सड़जी खुश हुए; अन्य AAP नेताओं ने लिए चुनावी रेज़ोल्यूशन

भगवंत मान के दारू छोड़ने के बाद अमानतुल्लाह खान, सोमनाथ भारती सहित अन्य नेताओं ने भी सड़जी का 'दिल जीतने' के लिए अपना-अपना इलेक्शन रेज़ोल्यूशन तय कर लिया है।

वेरी शौरी साहब! आपको दलदल से कोई और नहीं, सिर्फ ‘शौरी’ ही निकाल सकते हैं

कल उन्हें 'तानाशाह' पसंद था, अब विकेन्द्रीकरण का बहाना मारते हैं। कल एक आँख के बदले दो आँख की बात करते थे, अब सेना के शौर्य को 'फ़र्ज़ीकल' स्ट्राइक बताते हैं

मुंबई से मेडिकल साइंस की एक ख़बर और महर्षि दधीचि के बलिदान की महान गाथा

आख़िर क्यों वाजपेयी ने अपनी कविता में दधीचि का जिक्र किया था? बांद्रा के शिक्षक स्वर्गीय राजेश की कहानी ले जाती है हमें हज़ारों साल पीछे। वृत्रासुर वध की महान गाथा फिर से...

हेलो Quint, शरीरिक बीमारी तो ठीक हो सकती है, मानसिक बीमारी का क्या करें?

लोकतंत्र और FOE का मतलब वो लिबरल क्या जाने जो दुनिया की सबसे बड़ी लोकतान्त्रिक पार्टी के मुखिया के लिए मौत माँगता हो। स्वाइन फ़्लू के सात हज़ार केस आ चुके हैं भारत में। क्या उन सबकी मृत्यु से स्तुति मिश्रा की क्षुधा शांत होगी?