Tuesday, April 30, 2024
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जयन्ती मिश्रा

राणा अयूब जैसों को चाहिए प्रोपगेंडा चलाने के लिए माल पानी, वरना जो मोदी सरकार कहेगी वो उसके उलट मायने खुद गढ़ लेंगी

देश के खिलाफ़ राणा अयूब की नफरत का स्तर इतना बढ़ चुका है कि वे देश के पीएम को इस्लामिक देशों के दबाव में देखना चाहती हैं।

पालघर साधु लिंचिंग: हिंदुओं को ‘आतंकी’ कहने वाले अनुराग और लिबरल गैंग अब पढ़ा रहे इंसानियत का पाठ

इस बार मरने वालों में भगवा वेशधारी साधू हैं। हिंदुओं को 'आतंकी' कहने वाले पालघर साधु लिंचिंग पर चुप नहीं बल्कि इंसानियत जैसे शब्दों के साथ...

मुरादाबाद के हमलावरों पर चुप्पी साधने वाली RJ सायमा ‘इंसानियत’ के नाम पर रंगोली के खिलाफ माँग रहीं FIR

आरजे सायमा चाहती हैं प्रेम-शांति-इंसानियत के नाम पर लोग जमातियों के ख़िलाफ़ अपनी प्रतिक्रिया देना बंद कर दें और उनकी हरकतों को मात्र नादानी मानें।

संविधान में राम-कृष्ण को उकेरने वाला वो नायक जिसकी धरोहर ‘सेकुलर’ जमात ने गुपचुप गायब कर दी

क्या आपने नंदलाल बोस का नाम सुना है? संविधान में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीर आज क्यों नहीं दिखती?

पुलिस को जल्लाद बता विनोद दुआ ने कहा- लॉकडाउन काफी नहीं, लोग फूटकर सड़कों पर आ जाएँ

खुद को देश के नागरिकों का हितैषी स्थापित करते हुए दुआ ने देश की जनका को वीडियोज में न केवल जमकर भड़काया है। बल्कि अपने कुतर्कों से उन्हें गुमराह करने की कोशिश की है। वीडियोज की शुरुआत से लेकर अंत तक में विनोद दुआ एक भी बार देश के नागरिकों को कोरोना से बचे रहने की बात कहते नजर नहीं आते। बल्कि सरकार के ख़िलाफ़ बोलते, उनके फैसलों की निंदा करते और लोगों को उकसाते नजर आते हैं।

सिसली में शवों से भरे 12 जहाजों से लेकर वुहान के कोरोना तक: हमेशा गतिशील धनाढ्य वर्ग के कारण फैले ऐसे विषाणु

पैनडेमिक के पीछे कभी भी गरीब, पिछड़े और आम जीवन व्यतीत करने वालों का हाथ नहीं रहा। इसके पीछे प्राय: धनी, सुदृढ़, प्रवासी, धनाकांक्षी, गतिशील लोग होते थे और आज भी स्थिति वही है। फिर चाहे देश में पहला कोरोना केस बना वुहान से लौटा केरल का छात्र हो या लंदन से लौटी कनिका कपूर। सब एक समृद्ध समाज का हिस्सा हैं। जिनके लिए आज यहाँ कल वहाँ एक आम बात है।

‘इनका कसूर सिर्फ इतना है कि ये सिख हैं, ये उस मजहब के नहीं जिससे आतंकी आते हैं’

"भारत में कुछ लोग इनके प्रवेश का विरोध करते हैं। इन्हें नागरिकता देने की बात पर राजनीति साधते हैं। वे चाहते हैं कि आतंकियों को भी नागरिकता दी जाए ताकि वे यहाँ उनका पालन कर सकें और हत्याएँ जारी रख सकें।"

कश्मीर में ‘कोरोना बम’: विदेश से आए सैकड़ों चकमा दे घर पहुँचे, अब संक्रमण का बड़ा खतरा बने

दो भाई। बांग्लादेश के एक ही मेडिकल कॉलेज में पढ़ते हैं। एक फ्लाइट से आता है, ट्रैवल हिस्ट्री बताता है। क्वारेंटाइन कर दिया जाता है। दूसरा, सड़क से चलता है और अपने घर पहुॅंच जाता है। मकसद, ट्रैवल हिस्ट्री छिपाना ताकि आइसोलेट न हो। ऐसे एक-दो नहीं सैकड़ों मामले घाटी में सामने आए हैं।