Tuesday, March 19, 2024
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वाह रे दैनिक भास्कर! तुम्हारा काम ‘पत्रकारिता’, इनकम टैक्स का काम ‘बदला’

अपने कार्यालयों पर हुई रेड के बाद समूह के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जानकारी दी गई है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के सामने सरकारी खामियों को जिसने असल तस्वीर दिखाकर उजागर किया उस पर आईटी विभाग ने छापा मारा है।

टैक्स चोरी के आरोप दैनिक भास्कर के कई दफ्तरों पर आयकर विभाग का छापा पड़ने के बाद से सोशल मीडिया ‘स्वतंत्र भास्कर’ नाम का हैशटैग चलाया जा रहा है। इस हैशटैग के जरिए यह साबित करने की कोशिश हो रही है कि यह कार्रवाई लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर चोट है। कथित निर्भीक पत्रकारिकता के कारण बदले की कार्रवाई हो रही है।

दैनिक भास्कर ने खुद भी इस हैशटैग से एक लेख लिखा है, “मैं स्वतंत्र हूँ क्योंकि मैं भास्कर हूँ… भास्कर में चलेगी पाठकों की मर्जी।” अपने कार्यालयों पर हुई रेड के बाद समूह के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जानकारी दी गई है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश के सामने सरकारी खामियों की असल तस्वीर उजागर करने की वजह से आईटी विभाग ने छापा मारा है

सोशल मीडिया पर चल रहे हैशटैग और दैनिक भास्कर के दावे से इतर यदि देखें को समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया है कि मीडिया समूह के कार्यालयों में आयकर अधिनियम की धारा 132 के तहत तलाशी ली जा रही है। इस दौरान मुंबई, दिल्ली, भोपाल, इंदौर, जयपुर, कोरबा, नोएडा और अहमदाबाद में फैले आवासीय और व्यावसायिक परिसरों से युक्त कुल 32 परिसरों को कवर किया गया है।

सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि समूह विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ा है, जिनमें मीडिया, बिजली, कपड़ा और रियल एस्टेट प्रमुख क्षेत्र हैं। इसका सालाना टर्नओवर 6000 करोड़ रुपए से अधिक का है। समूह में होल्डिंग और सहायक कंपनियों सहित 100 से अधिक कंपनियाँ हैं। इस समूह से जुड़े तीन मुख्य नाम सुधीर अग्रवाल, पवन अग्रवाल और गिरीश अग्रवाल हैं।

समाचार एजेंसी के ट्वीट

सूत्र बताते हैं कि फर्जी खर्च और नकली संस्थाओं के नाम पर खरीद का दावा करके समूह द्वारा भारी कर चोरी की गई। इस उद्देश्य के लिए समूह ने अपने कर्मचारियों के साथ शेयरधारकों और निदेशकों के रूप में कई पेपर कंपनियाँ बनाई। सूत्र ये भी बताते हैं कि पैसों का इस्तेमाल इस तरह होता कि वो दोबारा से या तो निजी या फिर व्यापार निवेश में शेयर प्रीमियम या फिर विदेशी निवेश के तौर पर पहुँच जाते थे। समूह से जुड़े लोगों का नाम पनामा लीक पेपर मामले में भी सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक इन्हीं सब विभागीय डेटाबेस बैंकिंग पूछताछ और अन्य कई पूछताछ का विश्लेषण करने के बाद तलाशी की जा रही है।

सूत्रों के हवाले से कही जा रही बातें वह तथ्य हैं, जो इस बात को साबित करती हैं कि विभाग के पास अपनी कार्रवाई के लिए आधार है। ऐसे में इसके लिए सरकार पर जो ऊँगली उठाई जा रही है और विपक्ष जो अपने सवाल दाग रहा है उन्हें लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि एजेंसियाँ अपना काम करती हैं। इसमें सरकार की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाता है।

बावजूद इसके दैनिक भास्कर के कार्यालयों पर छापा पड़ने के बाद विपक्षी नेता समेत कई गिरोह के लोग इसे लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं और दैनिक भास्कर इसे ऐसे दर्शा रहा है कि किसी विसंगति के कारण ये छापा नहीं पड़ा, बल्कि उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता के कारण ऐसा हुआ है। अपने आर्टिकल में दैनिक भास्कर ने बाकायदा अपनी उन रिपोर्ट्स के स्क्रीनशॉट लगाए हैं जो कोरोना समय में सरकार पर ऊँगली उठा रही थी। खबरें जाहिर हैं कुछ समय पुरानी हैं और आलोचनात्मक भी। लेकिन इनका इस छापे को लेकर क्या सरोकार है ये समझ से परे की बात है।

आईटी विभाग की कार्रवाई को लेकर जो बातें कही जा रही हैं यदि उनमें से कुछ झूठ है या निराधार है तो शायद यहाँ पर वो बताना ज्यादा महत्वपूर्ण है कि कैसे ये कार्रवाई दैनिक भास्कर समूह पर ‘बदले’ का हिस्सा है और उनके कर्मचारियों को दफ्तर में बंधक बना कर रख लिया गया। अपनी कोरोना की रिपोर्टिंग पर विस्तृत जानकारी देना और फिर पाठकों में एजेंसी की कार्रवाई को गलत दिखा कर ये संप्रेषित करना कि आईटी का छापा सरकार विरोधी रिपोर्टिंग के कारण हुआ बिलकुल भ्रामक है और विक्टिम कार्ड के अलावा कुछ नहीं है। पाखंडी मीडिया की सबसे बड़ी ताकत यही है कि यदि रिपोर्टिंग पर बात आए तो निष्पक्ष पत्रकारिता का हवाला दे दो और यदि संस्थान पर छापा पड़े तो उसका ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ दो।

मुल्लों को ‘तांत्रिक’ लिखकर समुदाय विशेष के अपराधों पर पर्दा डालने वाली मीडिया, अखबारों और लेखों में कानून और संविधान की पाठ पढ़ाने वाली मीडिया का इससे बड़ा पाखंड और क्या हो सकता है कि जब वह खुद कानून के दायरे में आती है तो संविधान, अदालत सारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को धता बता विक्टिम कार्ड खेलने लगती है।

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