‘बेचारे रोहिंग्या’ का narrative बुनने वाले ‘अदृश्य’ अवैध अप्रवासियों द्वारा किए गए संभावित गुनाह की गठरी अपने सर बाँधेंगे? क्योंकि यही सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक इस समूह के अधिवक्ता बन जाते हैं। और इसलिए बन जाते हैं क्योंकि यह घुसपैठिए ‘समुदाय विशेष’ से होते हैं।
TV डिबेट में अभिजित बनर्जी को भेजना यह दिखाता है कि या तो राहुल में delegtation skills का अभाव है और या फिर कॉन्ग्रेस में इस स्कीम का बचाव करने के लिए लोग ही नहीं मिल रहे।
महत्वपूर्ण निर्णय के लिए डोभाल पण्डित नेहरू के कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने का उदाहरण देते हैं। उनके अनुसार उस निर्णय के कारण ही पीओके को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त नहीं कराया जा सका और कश्मीर ही भारत की सभी आतंकवादी समस्याओं के मूल में है।
मेजर गोगोई के खिलाफ यह मामला जब प्रकाश में आया था तो टुकड़े-टुकड़े गिरोह के समर्थकों ने यह हवा बनानी शुरू कर दी थी कि मेजर गोगोई को कोई सजा नहीं मिलेगी क्योंकि उन्हें ‘राईट-विन्गर्स’ का समर्थन है। यह ख़बर उनके चेहरे पर सड़े अंडे की तरह है।
हिन्दू रिलीजियस एण्ड चैरिटेबल एण्डॉमेंट डिपार्टमेंट (HR&CE department) के नाम में भले ही हिन्दू हो, पर क्षेत्रीय नेताओं से लेकर राज्य के उच्च न्यायलय तक ने हिन्दुओं के मंदिरों और परम्पराओं को नुकसान पहुँचाने संबंधी टिप्पणी इस विभाग पर कर चुके हैं।