“राजद विधायक फैयाज अहमद का फिलहाल नाम नहीं आया है, लेकिन हम जानते हैं कि ये सब कुछ उसके कहने पर ही हो रहा है, क्योंकि उसका दायाँ हाथ सरपंच फकरे आलम है और पुलिस प्रशासन फकरे आलम से मिली हुई है। हम तो बस प्रधानमंत्री के कहने पर दीया जला रहे थे। क्या प्रधानमंत्री की बात का पालन करना इतना बड़ा गुनाह है कि हमारी माँ की हत्या कर दी जाएगी? और प्रशासन भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है।”
“गाँव में लोगों ने अफवाह उड़ा दी है कि हमने दूसरे मजहब के परिवार से 2 लाख रुपए लेकर मामले को रफा-दफा कर दिया है। ये बिल्कुल गलत बात है। हमने ऐसा कुछ भी नहीं किया है और न ही करेंगे। हम तो कहते हैं कि 1 लाख रुपया मेरे से और ले लो और दोषियों को सजा दो। हमें पैसे नहीं, इंसाफ चाहिए। हमारी माँ चली गई, उनकी मौत नहीं हुई, उनकी हत्या की गई। हमारा एक जान चला गया। हम पैसा लेकर क्या करेंगे? हमें तो बस इंसाफ चाहिए।”
“यहाँ पर दो परिवार रहकर इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया। अगर यहाँ पर हिन्दुओं का सिर्फ दो परिवार होता तो ये लोग कब का उजाड़ कर मार दिए होते, घर में आग लगा दिए होते। आज हमारे साथ हुआ है। कल को किसी और के साथ हो सकता है।”
"सतलखा गाँव में जहाँ पर यह घटना हुई है, वहाँ पर कुछ घर इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं। जब हिंदू परिवारों ने उनसे लाइट बंद कर दीप जलाने के लिए कहा, तो वो गाली-गलौज करने लगे। इसी बीच कैली देवी उनको मना करने गईं कि गाली-गलौज क्यों करते हो, ये सब मत करो। तभी उन लोगों उनका गला पकड़कर..."
दिल्ली सरकार ने आनंद विहार बस अड्डे पर लोगों को इकट्ठा किया, फिर उन्हें वहीं पहुँचा दिया, जहाँ से ये काफी जद्दोजहद करके आए थे। हजारों लोग फरीदाबाद, गुरुग्राम, मानेसर, बल्लभगढ़ से आनंद विहार तक पहुँचे थे। भीड़ को देखते हुए जब गालियाँ पड़ने लगीं तो केजरीवाल सरकार ने बसों में ठूँस कर इन्हें दिल्ली-एनसीआर के अलग-अलग इलाकों में जाकर छोड़ दिया।
विश्व खुशहाली रिपोर्ट में पाकिस्तान को 66वाँ खुशहाल देश बताना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। आखिर किस आधार पर उसे यह रैंकिंग दी गई, क्योंकि गैलप के सर्वे ने तो पाकिस्तान की जनता की नाखुशी और नापसंदगी को जाहिर कर ही दिया और वहाँ की अर्थव्यवस्था तो माशाल्लाह!!! ताज्जुब की बात है कि फिर भी रैंकिंग में 66वाँ खुशहाल देश?