पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ ने हाल ही में अहमदाबाद में एक कॉन्सर्ट के दौरान तेलंगाना सरकार द्वारा भेजे गए नोटिस पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस नोटिस का जिक्र करते हुए कहा कि यदि सभी राज्य शराब को प्रतिबंधित कर दें, तो वह कसम खाते हैं कि वह शराब पर कोई गाना नहीं गाएँगे। दिलजीत ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि वह खुद शराब नहीं पीते और उनके पास केवल कुछ ही गाने हैं जो शराब पर आधारित हैं। उन्हें भी वो कभी भी बदलकर सुना सकते हैं।
अहमदाबाद के मंच से, दिलजीत ने कहा– “एक खुशखबरी है कि आज मुझे कोई नोटिस नहीं आया है लेकिन मैं फिर भी शराब पर कोई गाने नहीं गाऊँगा, क्योंकि गुजरात ड्राय स्टेट है।”
वह तेलंगाना सरकार द्वारा दिए गए नोटिस पर बोले- “मैंने डिवोशनल गाने दर्जनों गाए, पिछले 10 दिनों में भी मैंने दो गाने डिवोशनल गाए। एक शिव बाबा पर और एक गुरुनानक बाबा पर, लेकिन उस पर किसी ने कोई बात नहीं की। हर बंदा सिर्फ पटियाला पेग की बात कर रहा हैं। लेकिन भाई मैंने खुद किसी को फोन करके पटियाला पेग लगाने को नहीं कहा। मैं गाना गाता हूँ बस। बॉलीवुड में तो हजारों गाने शराब पर हैं। मेरा एक-दो गाने है। मैं वो भी नहीं गाऊँगा। मुझे टेंशन ही नहीं है क्योंकि मैं तो खुद शराब नहीं पीता।”
दोसांझ आगे बोले, “आप मेरे को छेड़ो मत। मैं जहाँ जाता हूँ, चुप करके अपना प्रोग्राम करता हूँ, चला जाता हूँ। आप क्यों छेड़ रहे हो मुझे। ऐसा करते हैं, एक मूवमेंट शुरू करते हैं। जब इतने लोग इकट्ठे हो जाएँ तो मूवमेंट शुरू हो सकती है, जितनी भी स्टेट हैं हमारे यहाँ, अगर वो सारी अपने आपको ड्राय स्टेट घोषित कर दें तो अगले ही दिन दिलजीत दोसांझ अपनी लाइफ में शराब पर कोई गाना नहीं गाएगा।”
उन्होंने कहा, “अगर सरकारें ड्राय स्टेट नहीं बन सकतीं तो एक दिन का ड्राय डे घोषित कर दें मैं तब भी नहीं गाऊँगा। मेरे लिए गाने बदलना बहुत आसान हैं। मैं कोई नया कलाकार नहीं हूँ कि ये गाना बदलकर नहीं गा सकता। मैं गाने बदलकर गाऊँगा और गानों में उतना ही मजा आएगा।” उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता सब कह रहे हैं कि गुजरात ड्राय स्टेट हैं। अगर ये सच है तो मैं खुलेआम कह रहा हूँ कि मैं गुजरात सरकार का फैन हो गया हूँ। मैं उन्हें खुला सपोर्ट करता हूँ। हम तो चाहते हैं कि अमृतसर भी ड्राय स्टेट बन जाए। शुरू करते हैं। मैं शराब पर गाना गाने बंद कर दूँगा।”
बता दें कि पिछले दिनों तेलंगाना में दिलजीत का कॉन्सर्ट हुआ था। उस समय तेलंगाना तेलंगाना सरकार ने उन्हें नोटिस जारी कर कहा था कि वो स्टेज पर कहीं शराब, ड्रग्स से जुड़े गाने न गाएँ। इसी के बाद दिलजीत ने स्टेज पर गाने के बोल में बदलाव करके अपना जवाब दिया था।
बांग्लादेश में एक हिन्दू युवक की मौलानाओं और फौज ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। युवक को इसलिए मार दिया गया क्योंकि उसका एक मुस्लिम लड़की से प्रेम प्रसंग करता था। यह घटना जिस दिन हुई उसके अगले दिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद युनुस ने कहा कि अल्पसंख्यकों पर हमलों की बातें झूठी हैं और उन्हें बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना बांगाल्देश के ढाका मंडल के किशोरगंज जिले में हुई। यहाँ करीमगंज उपजिला में रहने वाले रिदॉय रोबी दास की शनिवार (17 नवम्बर, 2024) की हत्या कर दी गई। रिदॉय यही नाई का काम करता था और उसकी खुद की दुकान थी।
उसे शुक्रवार को उसकी दुकान से ही 3 मौलानाओं और बाकी कुछ लोगों ने उठा लिया। रिदॉय का अपहरण करने वालों में स्थानीय प्रशासन के लोग भी शामिल थे। उसके साथ ही उसके एक चचेरे भाई को भी उठाया गया। इसके बाद उन्हें एक अनजान जगह पर ले जाया गया।
यहाँ पर मुस्लिम मौलानाओं ने उसको बुरी तरीके से पीटा और यातनाएँ दी। इसके बाद उसका फोन भी छीन लिया। इसके बाद जब रिदॉय अधमरा हो गया तो उसे पास के फौजी कैम्प में एक ऑटो में भेज दिया गया गया। यहाँ पर फौजियों ने रिदॉय और उसके चचेरे भाई को अलग कर दिया।
रिदॉय से फौजी कैंप में भी पूछताछ हुई। यहाँ से उसे अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि जब उसे इलाज के लिए लाया गया था तब उसके शरीर पर पिटाई के निशान थे। अस्पताल में भर्ती किए जाने के बाद शनिवार सुबह उसकी मौत हो गई।
फौजियों ने रिदॉय के घरवालों को फोन करके उसकी मौत की सूचना दी। रिदॉय के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और यहाँ से रिपोर्ट आने के बाद ही उसकी मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। रिदॉय के साथ ले जाए गए शकील रबी दास ने कहा है कि उसे नहीं पता फौजी कैम्प में रिदॉय के साथ क्या हुआ।
स्थानीय मौलानाओं ने आरोप लगाया है कि रिदॉय जिस मुस्लिम लड़की से प्रेम करता था उसको हिन्दू बनाना चाहता था, इसलिए उसको यह सजा दी गई। रिदॉय के घरवालों ने इस घटना के बाद फौजियों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं और दोषियों पर कार्रवाई की माँग की है।
जिस दिन रिदॉय की हत्या हुई उसके अगले ही दिन रविवार (17 नवम्बर, 2024) को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनुस ने देश में अल्पसंख्यकों पर हमले की बात को सिरे से नकार दिया। मोहम्मद युनुस ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की बातों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है।
उन्होंने देश के नाम संबोधन में कहा, “उस समय अल्पसंख्यकों में डर भय फैलाने की कोशिश की गई थी। कुछ मामलों में उन्हें हिंसा का भी सामना करना पड़ा। हालाँकि, इन घटनाओं के बारे में बहुत ज़्यादा प्रचार बढ़ा-चढ़ाकर किया गया… हिंसा के जो कुछ मामले हुए वे राजनीति से प्रेरित थे, लेकिन बांग्लादेश को एक बार फिर अस्थिर करने के लिए उन्हें मजहबी संघर्ष के रूप में गलत तरीके से पेश किया गया। हमने इस स्थिति को संभाल लिया है।”
मोहम्मद युनुस ने इस दौरान देश में दुर्गा पूजा का जिक्र भी किया। हालाँकि मोहम्मद युनुस यह बताना भूल गए कि दुर्गा पूजा के दौरान इस्लामी संगठनों ने खुली धमकियाँ दी थी। एक और इस्लामी कट्टरपंथी संगठन ने दुर्गा पूजा आयोजन के लिए 5 लाख टका की रंगदारी माँगी थी।
मोहम्मद युनुस को यह भी नहीं याद रहा कि किस तरह इस्लामी कट्टरपंथी भीड़ ने ASI संतोष साहा को मार कर उन्हें चौराहे पर लटका दिया था और उनकी देह से बर्बरता की थी। कई जगह पर हिन्दू मंदिरों पर हमले हुए थे, आग लगाई गई थी। मोहम्मद युनुस यह भी नहीं याद रख पाए कि ईशनिंदा के आरोप में एक हिन्दू युवक को मार मार कर अधमरा कर दिया गया था।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का दिन बेहद नजदीक है। इस बीच शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आजतक को दिए इंटरव्यू में बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि वो सीएम पद की रेस में नहीं है। उन्होंने कहा कि महायुति में मुख्यमंत्री पद की कोई रेस नहीं है। हम सिर्फ महायुति की सरकार लाने पर फोकस्ड हैं।
इंटरव्यू में एकनाथ शिंदे से पूछा गया, “मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी से बात हुई है या नहीं। आपने ही बताया था कि उद्धव ठाकरे ने बताया कि ढाई साल का वादा किया था। आपकी अंदर कोई बात हुई है कि सीएम आप ही बनाए जाएँगे?” इस पर एकनाथ शिंदे ने कह, “मैं उद्धव ठाकरे नहीं हूँ। मैं एकनाथ शिंदे हूँ। मैं चीफ मिनिस्टर बनने की होड़ में नहीं हूँ। महाविकास आघाड़ी में वो दिल्ली तक घूम रहे हैं कि सीएम बनाओ। ऐसा हमारे में नहीं है। हमारे में कोई रेस नहीं है। हमारी रेस इस बात की है कि महाराष्ट्र में महायुति की सरकार लाना और इस महाराष्ट्र में विकास लाना।” इंटरव्यू का ये हिस्सा 2.03 मिनट से सुन सकते हैं।
आज तक को दिए इंटरव्यू में शिंदे ने उद्धव ठाकरे और कॉन्ग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस की नीति हमेशा ‘फूट डालो और राज करो’ की रही है। बालासाहेब ठाकरे का जिक्र करते हुए शिंदे ने राहुल गाँधी से सवाल किया, “क्या राहुल गाँधी बालासाहेब को कभी हिंदू हृदय सम्राट कहेंगे?” शिंदे ने राहुल गाँधी द्वारा बालासाहेब ठाकरे की तारीफ पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “यह पहली बार है कि उन्होंने बालासाहेब की पुण्यतिथि पर उनके लिए कुछ कहा। अगर उनमें हिम्मत है, तो बालासाहेब को हिंदू हृदय सम्राट कहकर दिखाएँ।”
शिंदे ने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे ने अपने स्वार्थ के लिए बालासाहेब के विचारों से समझौता किया और कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन किया। उन्होंने कहा, “बालासाहेब कहते थे कि मैं अपनी पार्टी को कभी कॉन्ग्रेस नहीं बनने दूँगा, लेकिन उद्धव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए उनके विचारों को त्याग दिया।”
मुख्यमंत्री ने उद्धव ठाकरे पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “अगर आज बालासाहेब ठाकरे होते, तो उद्धव से कहते कि जंगल में जाकर वाइल्ड लाइफ की फोटो खींचो। उन्होंने सिर्फ सत्ता के लिए बीजेपी की पीठ में छुरा घोंपा और महाराष्ट्र की जनता को धोखा दिया।” शिंदे ने दावा किया कि उद्धव को लगा था कि उनके बिना सरकार नहीं बनेगी, और इस अवसर का उन्होंने पूरा फायदा उठाया।
ये पूरा इंटरव्यू आजतक ने जारी किया है। राहुल गाँधी और उद्धव ठाकरे पर हमले का हिस्सा 1.50 मिनट से सुन सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक हैं तो सेफ हैं’ नारे का समर्थन करते हुए शिंदे ने कहा कि यह नारा महायुति के एकजुट एजेंडे को दर्शाता है। शिंदे ने अपनी साफगोई से जिस तरह हर मुद्दे पर खुलकर बयान दिया है, वो महायुति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और उद्धव ठाकरे के खिलाफ उनकी नाराजगी को भी दर्शाता है। यह साफ है कि महाराष्ट्र में इस बार का चुनाव विचारधारा और वादों के साथ-साथ व्यक्तिगत हमलों का भी केंद्र रहेगा।
हिंदू हृदय सम्राट और शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की 12वीं पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (17 नवंबर 2024) उन्हें याद किया। पीएम ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए बाला साहेब को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें एक दूरदर्शी नेता बताया और कहा कि महाराष्ट्र के लोगों के विकास में उनका अहम योगदान है।
I pay homage to the great Balasaheb Thackeray Ji on his Punya Tithi. He was a visionary who championed the cause of Maharashtra’s development and the empowerment of Marathi people. He was a firm believer in enhancing the pride of Indian culture and ethos. His bold voice and…
आश्चर्यजनक बात ये है कि बाला साहेब की पुण्यतिथि पर कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने भी बाला साहेब के लिए ट्वीट किया। उनका ये ट्वीट पीएम मोदी के चैलेंज के बाद सामने आया है।
जब पीएम मोदी ने उद्धव ठाकरे को सीधे तौर पर चुनौती देते हुए कहा था कि वो राहुल गाँधी के मुँह से वीर सावरकर और बाला साहेब ठाकरे की तारीफ करवाकर दिखाएँ।
पीएम मोदी ने कहा था, “मैंने इनको चुनौती दी है… अघाड़ी वाले जरा मेरी चुनौती को स्वीकार करें… उनके युवराज के मुंह से, वीर सावरकर की तारीफ में एक भाषण करवा दें जरा… मैं अघाड़ी के साथियों को कहता हूं… अगर उनमें दम हो तो उनके युवराज के मुंह से बाला साहेब ठाकरे की जरा तारीफ करवाके सुनवायें महाराष्ट्र को… साथियों, कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसके पास न नीति है न नीयत है, और नैतिकता का नामोनिशान नहीं है”
इसी चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।
Remembering Balasaheb Thackeray ji on his 12th death anniversary. My thoughts are with Uddhav Thackeray ji, Aditya and the entire Shiv Sena family.
उनका ट्वीट आने के बाद लोगों ने उन्हें जमकर घेरा। लोगों ने कहा कि 12 साल में पहली बार बाला साहेब की याद राहुल को आई है। सीएम शिंदे ने तो आजतक से बात करते हुए कहा,
“अच्छी बात है। अभी तक इन्होंने ये भी बोलने की कोशिश नहीं की थी। अनके मन में शिवसेना के लिए क्या भावना थी ये नहीं पता लेकिन उनमें अगर सच में हिम्मत है तो वो बाला साहेब ठाकरे को हिंदू हृदय सम्राट बोलकर दिखाएँ।”
मालूम हो कि आज उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने राजनीति के दाव-पेंच चलते हुए भले ही राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस से अपनी साठ-गाँठ कर ली हो। मगर सच ये हैं कि शिवसेना की नींव रखने वाले बाला साहेब कभी इन लोगों के समर्थक नहीं थे। वह स्पष्ट तौर पर कॉन्ग्रेस से गठबंधन के हमेशा खिलाफ थे और यही नहीं, वह राहुल गाँधी को ‘आज का बच्चा’ और ‘कल का पोपट’भी कहते थे।
अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले ही राहुल गाँधी की राजनीतिक समझ पर सवाल उठाते हुए बाल ठाकरे ने उन्हें ‘बच्चा’ बताया था। यह दूसरी बात है कि बाद में सत्ता की लालसा में उनके बेटे उद्धव ठाकरे उसी राहुल गाँधी के शरणागत हो गए।
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों का घुसपैठ एक बड़ा मुद्दा है। जनजातीय समान की रोटी, बेटी और माटी को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रमुखता से उठाया है। बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में घुसपैठ रोकने और एसटी वर्ग की जिन जमीनों पर कब्जा किया गया है, उनको वापस दिलाने के लिए कानून बनाने का वादा किया है।
इसी कड़ी में झारखंड बीजेपी ने शनिवार (16 नवंबर 2024) को अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट किया है। बीजेपी ने लिखा है, “ध्यान से देखिए कि एक गलत वोट कितनी बड़ी गलती बन सकता है। इसलिए 2019 वाली गलती इस बार ना करें। सही चुनें, भाजपा चुनें।”
इस वीडियो में आप देख सकते हैं, एक घर के बाहर जेएमएम का झंडा लगा है। घर के अंदर परिवार के लोग खुश दिख रहे हैं। बुजुर्ग संगीत सुन रहे हैं। पिता-पुत्र नाश्ते की टेबल पर बैठे हैं। अचानक उनके घर की घंटी बजती है। दरवाजा खोलते ही सामने टोपी-बुर्के वालों की भीड़ दिखती है। वो झटके से ‘अस्सलाम वालेकुम’ कहते हुए घर में प्रवेश कर जाते हैं। परिवार के लोगों को कुछ समझ में आता, इससे पहले वो घर के कोने-कोने में कब्जा कर लेते हैं। कोई सोफे पर कूद रहा है। कोई उसी घर में रुई धुन रहा है।
ये हालात देखकर घर का मालिक सवाल करता है, “अरे ये हमारा घर बर्बाद कर रहे हैं” तब वो व्यक्ति बोलता है, “आपने जिस सरकार को जिताया है, वही इन्हें लेकर आई है।” इसके बाद घर का मालिक है, “तो?” जवाब में घुसपैठियों को लाने वाला व्यक्ति बोलता है, “तो हमारी बस्तियाँ क्यों बर्बाद हो, आपक भी तो घर बर्बाद होना चाहिए न”
ध्यान से देखिए कि एक गलत वोट कितनी बड़ी गलती बन सकता है। इसलिए 2019 वाली गलती इस बार ना करें।
झारखंड बीजेपी ने रविवार (17 नवंबर 2024) को एक अन्य वीडियो पोस्ट किया और कैप्शन में लिखा, “हेमंत सोरेन के इलाके में जनता ने बताया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है। हमारी बहू-बेटियों को गलत नजर से देखते हैं। इसलिए घुसपैठियों को भगाने के लिए सभी लोग भाजपा को जिताना चाहते हैं।”
इस वीडियो में एक बुजुर्ग बोलते दिख रहे हैं, “यहाँ से जीत जाएगा बीजेपी, कारण.. यहाँ मुसलमानों का दबदबा बढ़ रहा है। बाहरी मुसलमान आया है यहाँ, रोहिंग्या से, बांग्लादेश से। चलिए मैं दिखाता हूँ, 500 से ज्यादा घर हो गए हैं।” वो आगे बोलते हैं, “इन्हें मोदी हटाएगा।” वो खुलेआम बोलते हैं कि टोटल आदमी बीजेपी को पसंद कर रहा है। वो कहते हैं, “मुसलमानों को चाहिए आदिवासी। वो खुद ही आदिवासी में घुसा है। आदिवासी मुसलमानों को नहीं चाहता है। ये लुटेरा है। आदिवासी बहू-बेटियों पर मुसलमानों की गंदी नजर रही है। उनकी बेईज्जती करना, छीनना, झगड़ा करना, यही तो काम है उनका।”
हेमंत सोरेन के इलाके में जनता ने बताया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है।
बीजेपी ने 19 सितंबर 2024 को एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें एक बुजुर्ग हेमंत सोरेन की सरकार के प्रति अपनी निराशा जता रहे हैं। वो बदलाव की बात करते हैं।
इस वीडियो में बांग्लादेशी घुसपैठ, तुष्टिकरण और बढ़ते अपराध से आक्रोशित जनता ने खोली हेमंत सरकार के कुशासन की पोल। pic.twitter.com/F6zCSuBjQv
बता दें कि BJP द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में मुस्लिम बहुल बूथों की संख्या में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। यह रिपोर्ट बताती है कि राज्य की 10 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम बहुल बूथों की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है।
भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनाव की मतदाता सूची और 2024 की मतदाता सूची का अध्ययन किया है। भाजपा ने पाया है कि झारखंड की 10 विधानसभा सीटों के कुछ बूथ पर (विशेष कर मुस्लिम आबादी वाले बूथ) पर वोटरों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि पाँच वर्षों में हुई है।
रिपोर्ट में सामने आया है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में यह अप्रत्याशित बढ़त 20% से 123% तक की है। यह बढ़त इन 10 विधानसभा के कुल 1467 बूथ पर हुई है। भाजपा ने कहा है कि सामान्यतः पाँच वर्षों में 15% से 17% की वृद्धि होती है, इसीलिए यह वृद्धि असामान्य है। भाजपा ने यह भी बताया है कि हिन्दू आबादी वाले बूथ पर वोटरों की संख्या में बढ़त मात्र 8% से 10% हुई है। भाजपा ने यह भी बताया है कि कई बूथ पर हिन्दू मतदाता घट भी गए हैं।
आँकड़ों में बताया गया है कि 1951 में संताल परगना में 41% आदिवासी आबादी थी जो कि 2011 में 28% ही बची है। इस बीच मुस्लिमों की आबादी 9.4% से 22% पहुँच चुकी है।
बीजेपी का घुसपैठियों का मुद्दा केवल चुनावी मंच तक सीमित नहीं है। यह पार्टी की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, सांस्कृतिक पहचान और विकास जैसे पहलुओं को जनता के समक्ष प्रमुखता से रखा जा रहा है। पार्टी की इस रणनीति का उद्देश्य मतदाताओं के बीच मजबूत और निर्णायक नेतृत्व की छवि बनाना है।
झारखंड इन दिनों विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election 2024) के शोर में डूबा है। इस चुनाव में रोटी, बेटी, माटी की गूँज है। इसी गूँज के बीच 8 नवंबर और 15 नवंबर (जनजातीय गौरव दिवस) भी बीता है। 8 नवंबर वह तारीख है, जिसको लेकर माना जाता है कि आज के झारखंड में जनजातीय/आदिवासी समाज (Scheduled Tribes) का पहली बार ईसाई धर्मांतरण हुआ।
झारखंड में पहली बार कब-कैसे ST बने ईसाई?
1873 में खुंटपानी (Khuntpani/Khutpani) में 6 मुंडा परिवारों के 28 लोगों का कोलकाता से आए आर्च बिशप स्टांइस ने बपतिस्मा कराया था। खुंटपानी आज के झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला का हिस्सा है। यहाँ एक शिलापट्ट भी है, जिन पर उनलोगों के नाम दर्ज हैं जो पहली बार ईसाई बने। इसकी स्मृति में हर साल 8 नवंबर को यहाँ एक ‘तीर्थ मेला’ लगता है। इसमें झारखंड और आसपास के प्रदेशों के ईसाई धर्मांतरित लोगों का जमावड़ा ही नहीं लगता, बल्कि अच्छी-खासी संख्या में विदेशों से भी रोमन कैथोलिक धर्मावलंबी आते हैं।
संताल परगना: पहले ईसाई धर्मांतरण, अब मुस्लिमों की घुसपैठ
खुंटपानी वैसे तो छोटानागपुर का हिस्सा है। लेकिन ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण कुचक्र से सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में झारखंड का संताल परगना (Santhal Pargana) भी आता है। इतना प्रभावित कि इस क्षेत्र में ST से ईसाई बने लोगों का जन प्रतिनिधि चुना जाना सामान्य सी बात है।
आश्चर्यजनक तौर पर यह संताल परगना इस समय बांग्लादेशी-रोहिंग्या मुस्लिमों की घुसपैठ (Bangladeshi Rohingya Muslim infiltrators) से डेमोग्राफी बदलाव को लेकर चर्चित है। इस क्षेत्र से सरना (जनजातीय समाज का धार्मिक स्थल) विलुप्त हो रहे हैं, मस्जिद-मजार उग रहे हैं। जनजातीय समाज अपनी जमीन-रोजगार से लेकर बेटी तक गँवा रहे हैं, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक कई रैलियों में कर चुके हैं।
घुसपैठ रोकने और सरना कोड का वादा
इस विकट हालात को देखते हुए बीजेपी ने वादा किया है कि यदि प्रदेश में एनडीए की सरकार बनी तो वह घुसपैठ रोकने के साथ ही उन जमीनों को वापस लेने के लिए कानून बनाएगी, जिन पर घुसपैठियों का कब्जा है या फिर उन्होंने जालसाजी कर खरीदा है। घुसपैठ के अलावा इन चुनावों में ‘सरना धर्म कोड (Sarna Dharam Code/Sarna Religious Code)’ भी चर्चा में है।
क्या है सरना धर्म कोड?
भारत में इस समय 6 धार्मिक समुदायों को मान्यता देने वाला कानून है। ये हैं- हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन। घुसपैठ को नकारने वाला कॉन्ग्रेस-झामुमो गठबंधन ने सरना आदिवासी धर्म कोड का वादा किया है।
नवंबर 2020 में INDI गठबंधन की सरकार ने झारखंड विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया था। इसमें 2021 की जनगणना में ‘सरना’ को एक अलग धर्म के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ था। सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए बीजेपी ने भी समर्थन किया था। इस प्रस्ताव के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर भी यह माँग दुहराई थी।
झारखंड चुनावों के लिए बीजेपी का संकल्प-पत्र जारी करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरना कोड पर विचार करने और उचित निर्णय लेने की बात कही थी। राज्य में बीजेपी के चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी कई मौकों पर पार्टी की इस लाइन को दोहरा चुके हैं। वहीं असम के मुख्यमंत्री और चुनाव सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा तो यह भी कह चुके हैं सरकार बनने पर पार्टी सरना कोड लागू करेगी।
सरना कोड जनजातीय समाज को अलग धार्मिक समुदाय के तौर पर मान्यता देता है। बीजेपी ने सार्वजनिक तौर पर कभी इसका विरोध नहीं किया। लेकिन वह इसको लेकर कभी मुखर भी नहीं रही है। इन चुनावों में सरना कोड पर बीजेपी के सुर में जो नरमी दिख रही है, वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की सोच से भी उलट है। संघ जनजातीय समाज को हिंदू धर्म का हिस्सा मानता रहा है। वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संगठनों के जरिए जनजातीय क्षेत्रों में वह इसी सोच के साथ कार्य करती है। संघ के ही एक संगठन जनजाति सुरक्षा मंच के क्षेत्रीय (बिहार-झारखंड) संयोजक संदीप उरांव का कहना है कि सरना कोड लागू होने पर कई स्तरों पर समस्याएँ पैदा होंगी।
ईसाई धर्मांतरण के जिस कुचक्र में जनजातीय समाज फँसा हुआ है, उसका उपचार सरना कोड है भी नहीं। सन 1871 से लेकर 1951 तक की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड था। बावजूद ईसाई धर्मांतरण हो रहा था। जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं झारखंड में यह सिलसिला 1873 में खुंटपानी से शुरू हो चुका था।
खुंटपानी की तरह ही मदकू द्वीप में भी लगता है मेला
खुंटपानी की तरह ही मदकू द्वीप (Madku Dweep) पर भी ईसाइयत का मेला लगता है। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले का यह द्वीप शिवनाथ नदी की जलधारा से घिरा है। इसी द्वीप पर माण्डूक्य ऋषि ने ‘मुण्डकोपनिषद्’ की रचना की जिससे ‘सत्यमेव जयते (Satyamev Jayate)’ निकला है।
इस द्वीप तक पहुँचना सरल नहीं है। सितंबर 2022 में नाव से नदी पार कर मैं यहाँ तक पहुँचा था। लेकिन जब इस निर्जन द्वीप पर क्रॉस वाला एक मंच देखा तो आश्चर्यचकित रह गया। पता चला कि हर साल फरवरी में इस द्वीप पर सबसे बड़ा जमावड़ा लगता है। यह जमावड़ा सप्ताह भर चलने वाले मसीही मेला को लेकर लगता है। यह मेला साल 1909 से लग रहा है।
खुंटपानी जैसी ही है खड़कोना की भी कहानी
छत्तीसगढ़ का जशपुर ईसाई धर्मांतरण का बड़ा केंद्र है। इसी जिले के कुनकुरी में इस देश का सबसे बड़ा चर्च है। यहाँ भी जनजातीय समाज के लोगों को ईसाई बनाने का सिलसिला तभी शुरू हो गया था, जब अंग्रेजों ने सरना को अलग से मान्यता दे रखी थी।
जशपुर जिले के मनेरा ब्लॉक में एक गाँव है- खड़कोना। इस गाँव में प्रवेश करते ही आपको क्रूस चौक मिलता है। चर्च के पास एक शिलापट्ट पर उन 56 लोगों के नाम अंकित हैं, जिनका 21 नवंबर 1906 को बपतिस्मा हुआ था। इसी गाँव में मैंने ‘साहेब कोना’ भी देखा है, जहाँ धर्मांतरित हिंदुओं का सालाना आयोजन होता है।
ईसाई धर्मांतरण का जमीन पर कितना भयावह असर हो सकता है, यह जानने-समझने में यदि आपकी दिलचस्पी हो तो आपको जशपुर की यात्रा करनी चाहिए। खड़कोना तक जाना चाहिए। सरकारी कागजों के हिसाब से इस जिले का हर चौथा व्यक्ति ईसाई है। डेमोग्राफी में यह बदलाव तब भी आ चुका है जब इस जिले में आज भी एक ऐसे राजपरिवार (दिलीप सिंह जूदेव का परिवार) व्यापक प्रभाव है जो शुरुआत से ही ईसाई मिशनरियों की साजिशों से लड़ता रहा है। जिस राज परिवार की पहचान चरण पखार कर धर्मांतरित हिंदुओं खासकर जनजातीय समाज के लोगों की घर वापसी कराने को लेकर है।
सरना हासिल करने की एक लड़ाई क्लेमेंट लकड़ा की भी
सरना कोड पर 24 साल पुराने झारखंड में जारी राजनीतिक लड़ाई से भी पुरानी (30+ साल) सरना हासिल करने की लड़ाई 58 साल के क्लेमेंट लकड़ा की है। 2022 की एक शाम मैं जब क्लेमेंट से मिलने उनके घर पहुँचा था तो उन्होंने कहा था;
मेरे पिता को ठगा गया। बेवकूफ बनाया गया। इस बात को मैंने जिस दिन समझा उसी दिन मेरा मन इससे (ईसाई) उचट गया। मैंने प्रण किया है कि जिस सरना को इन्होंने (कैथोलिक संस्था) अपवित्र किया, वह इनसे वापस लूँगा और वहीं अपने पुरखों के धर्म में लौटूँगा। देखता हूँ आखिर कब तक इनसे लड़ पाता हूँ।
दो बेटियों के पिता क्लेमेंट अपने परिवार के साथ छत्तीसगढ़ की कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र के दुलदुला में रहते हैं। उनकी पत्नी सुषमा लकड़ा दुलदुला की सरपंच हैं। उनके घर की दीवारों पर लगी तस्वीरें बताती हैं कि यह परिवार धर्मांतरित होकर ईसाई बन चुका है। लेकिन घर के कोने में एक टेबल पर पड़ी दस्तावेजों में वह दर्द अंकित है, जिसे धर्मांतरण के बाद इस परिवार ने भोगा है।
क्लेमेंट की करीब 10 एकड़ जमीन पर कैथोलिक संस्था का कब्जा है। इस जमीन पर चर्च है। स्कूल है। फादर और नन के रहने के लिए घर बने हुए हैं। खाली पड़ी जमीनों पर संस्था के ही लोग खेती करते हैं। यह जमीन क्लेमेंट के पिता भादे उर्फ वशील उरांव ने ईसाई बनने के बदले खोई थी।
ईसाई संस्था से कानूनी लड़ाई जीतने के बाद भी क्लेमेंट उस जमीन पर लौट नहीं पा रहे हैं। उलटे कैथोलिक संस्था के अधिकारी और उनके साथी उनके परिवार को प्रताड़ित करते हैं। दुलदुला पंचायत के विकास कार्यों में रोड़ा अटकाया जाता है। उनकी पत्नी से कहा जाता है कि अपने पति से केस वापस लेने के लिए कहो। ऐसी ही एक घटना का जिक्र करते हुए क्लेमेंट ने ऑपइंडिया को बताया था, “फरवरी 2022 में चर्च में एक मीटिंग बुलाई गई। इस मीटिंग में मुझसे कहा गया कि यदि केस वापस नहीं लोगे तो तुम्हें समाज से बाहर कर देंगे। फिर तुम्हारी बेटियों से कौन शादी करेगा।”
आपदा में भी अवसर तलाश लेते हैं ईसाई मिशनरी
एक संस्था है- अनफोल्डिंग वर्ल्ड। बाइबिल का हर भाषा में अनुवाद करने के मिशन पर काम कर रही है। इसके CEO डेविड रीव्स ने 2021 कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए थे। उन्होंने बताया था कि कोविड काल में करीब 1 लाख लोगों को ईसाई बनाया गया। हर चर्च को 10 गाँवों में प्रार्थना आयोजित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। महामारी के दौरान जब लोगों का मिलना-जुलना नहीं था तो फोन और व्हाट्सएप्प से उन तक प्रार्थनाएँ पहुँचाई गई।
रीव्स के अनुसार भारत में 25 साल में जितने चर्च बने थे, उतने अकेले कोरोना काल में बनाए गए। ऐसा ही एक चर्च मैंने जशपुर के गिरांग में वन विभाग की जमीन पर देखा था। यह चर्च उस जगह पर बनाई जा रही थी, जहाँ जाने के लिए रास्ता तक नहीं था। विरोध के बाद इसका निर्माण पूरा नहीं हो पाया था। 2022 में जब मैं यहाँ पहुँचा था तो यह बंद पड़ा था। भाजयुमो से जुड़े अभिषेक गुप्ता ने ऑपइंडिया को बताया था, “ईसाई मिशनरी इसी तरह लैंड जिहाद करती है। जहाँ खाली जगह दिखी ये क्रॉस गाड़ देते हैं। चर्च बना लेते हैं। कुछ समय बाद प्रशासनिक मिलीभगत से वहाँ जाने का रास्ता तैयार हो जाता है और फिर प्रार्थना होने लगती है। बाद में आप जितना विरोध कर लें प्रशासन कब्जा नहीं हटाता।”
जोशुआ प्रोजेक्ट पर अंकुश लगा पाएगा सरना कोड?
अमेरिका से संचालित एक संगठन है- जोशुआ प्रोजेक्ट। 1995 में शुरू हुए इस संगठन का कहना है कि वह बाइबल में दिए गए उस निर्देश पर काम करता है, जिसमें विश्व के अलग-अलग हिस्सों में लोगों को ईसाइयत का अनुयायी बना कर उनका बाप्तिस्मा कराने का आदेश मिला है।
एक रिपोर्ट के अनुसार यह संगठन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों में जनजातीय लोगों को धर्मांतरित कर उनकी जमीन पर चर्च बना रहा है। 2011-12 में इन चारों राज्यों में लगभग 12,000 चर्च थे जो अब बढ़कर 25,000 को पार कर चुके हैं। यह सब उन इलाकों में हो रहा है जहाँ बाहरी व्यक्ति जमीन तक नहीं ले सकते, लेकिन मिशनरियाँ लगातार अपना प्रभाव बढ़ा रही हैं।
जनजातीय लोगों को ईसाइयत में लाने के बाद सरना (वह पेड़ जो उनके लिए पवित्र है) काटने को कहा जाता है। ईसाई धर्मांतरण का जोर ऐसा है कि पूरे के पूरे गाँव धर्मांतरित हो चुके हैं। कुछ गाँवों में नाम मात्र के हिन्दू परिवार बचे हैं। जिन गाँवों में ईसाई मिशनरी अपने काम में सफल हो रही हैं, उनके बाहर क्रॉस लगा दिया गया है।
जोशुआ प्रोजेक्ट केवल जनजातीय समूह तक ही नहीं सिमटा हुआ है। भारत की अलग-अलग जातियों और जनजातीय समूहों के आँकड़े इकट्ठा किए हैं। जोशुआ प्रोजेक्ट के पास देश की 2272 जातियों-जनजातियों के आँकड़े हैं। जोशुआ प्रोजेक्ट बताता है कि वह इनमें से अभी 2041 जातियों तक नहीं पहुँच सका है। वहीं 103 जातियों में ईसाइयत का प्रभाव डालने में यह सफल रहा है। इनमें एक छोटी संख्या में लोग ईसाइयत को मानने लगे हैं। वहीं 128 जाति समूह ऐसे हैं, जिनमे बड़े पैमाने पर ईसाइयत की घुसपैठ हो गई है।
जोशुआ प्रोजेक्ट का डाटा बताता है कि उसने कई जातियों में 10%-100% तक ईसाइयत में धर्मांतरण करवाया है। जिन जातियों में बड़ी संख्या में ईसाइयत में धर्मांतरण हुआ है, उनको अलग नाम दे दिया गया है। तेलंगाना के मडिगा और माला समुदाय में 21000 की आबादी को ईसाइयत में बदल कर उसे आदि क्रिश्चियन का नाम दिया गया है। बोडो समुदाय की 15.7 लाख आबादी में से लगभग 1.5 लाख आबादी को ईसाइयत में लाया गया गया है।
‘रोटी-बेटी-माटी’ पर झारखंड के चुनावों को केंद्रित कर बीजेपी ने घुसपैठियों और ईसाई मिशनरियों के उस दोहरे कुचक्र को चर्चा में अवश्य ला दिया है, जिसमें जनजातीय समाज फँसा हुआ है। उन वैध-अवैध तरीकों पर बात हो रही है, जिसके तहत गाँव-गाँव में चर्च का फैलाव हो रहा है। ईसाई बनने के कारण जनजातीय समाज आरक्षण के लाभ से वंचित न हो जाए, इसलिए उन्हें ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन’ बनाया जा रहा है।
कन्याकुमारी के कैथोलिक पादरी जॉर्ज पोन्नैया से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने भी इस ओर ध्यान खींचा था। कन्याकुमारी की जनसांख्यिकी में बदलाव का जिक्र करते हुए उन्होंने संकेत दिया था कि तमिलनाडु का यह जिला ईसाई बहुल आबादी में तब्दील हो चुका है। जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा था;
धार्मिक तौर पर कन्याकुमारी की जनसांख्यिकी में बदलाव देखा गया है। 1980 के बाद से जिले में हिंदू बहुसंख्यक नहीं रहे। हालाँकि 2011 की जनगणना बताती है कि 48.5 फीसदी आबादी के साथ हिंदू सबसे बड़े धार्मिक समूह हैं। पर यह जमीनी हकीकत से अलग हो सकती है। इस पर गौर किया जाना चाहिए कि बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के लोग धर्मांतरण कर ईसाई बन चुके हैं, लेकिन आरक्षण का लाभ पाने के लिए खुद को हिंदू बताते रहते हैं।
जाहिर है कि यह कुचक्र नया नहीं है। इसकी जड़ें केवल झारखंड तक सीमित नहीं है। केवल जनजातीय समाज ही इसकी चपेट में नहीं है। केवल धर्मांतरण विरोधी सख्त कानूनों से ही इसे नहीं रोका जा सकता है। कुछ दल, संगठन और परिवारों को ईसाई मिशनरियों से लड़ने की ठेकेदारी देकर हिंदू समाज सोया नहीं रह सकता है।
इस दलदल से हिंदुओं को निकालने के लिए राजनीतिक-प्रशासनिक इच्छाशक्ति के साथ-साथ जरूरी है कि हर हिंदू भी अपने आसपास जनसांख्यिकी में हो रहे इस बदलाव को लेकर सचेत और मुखर हो। दुर्भाग्य से स्वतंत्र भारत में न तो राजनीति ने ऐसी इच्छाशक्ति दिखाई है और न हिंदुओं ने एक समूह के तौर पर उन्हें ऐसा करने को मजबूर किया है। यही कारण है कि राजनीतिक दाल अलग सरना धार्मिक पहचान को हवा देकर हिंदुओं को बाँटने और ईसाई मिशनरियों को खाद-पानी देने का काम करते रहे हैं।
झारखंड विधानसभा में जब जनगणना में सरना को अलग धार्मिक पहचान देने का प्रस्ताव लाया गया था तो बीजेपी ने भी इस तरह की आशंका जताई थी। अब उसे उन उपायों पर गौर करना चाहिए जो मिशनरियों का सदा-सदा के लिए बधिया कर सके। उसे इस मसले पर भी उतनी ही आक्रामकता दिखानी चाहिए जितनी घुसपैठ पर है। इस मामले में जगह/काल/परिस्थिति के हिसाब से राजनीति उन हिंदुओं को जनसांख्यिकी के स्तर पर और कमजोर करेगी, जिनके दम पर ‘अखंड भारत’ का स्वप्न बुना जा रहा है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले अरविंद केजरीवाल वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को गहरा झटका लगा है। दिल्ली सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने पार्टी से त्याग-पत्र दे दिया है। कैलाश गहलोत के पास दिल्ली सरकार में गृह, प्रशासनिक सुधार, महिला एवं बाल विकास, परिवहन, सूचना एवं प्रौद्योगिकी की बड़ी जिम्मेदारी रही है। कैलाश ने अरविंद केजरीवाल को लिखी चिट्ठी X पर भी शेयर की है।
इस चिट्ठी में कैलाश में आरोप लगाया है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने जनता को किए गए अपने वादे को पूरा नहीं किया। उन्होंने यमुना की सफाई में नाकामी, अरविंद केजरीवाल के बंगले का निर्माण सहित कई मुद्दों को उठाया है और कहा कि इन सब अजीबो-गरीब मुद्दों के कारण AAP की जनता में छवि खराब हुई है और पार्टी बड़ी चुनौतियों से गुजर रही है।
अपने पत्र में गहलोत ने लिखा है, “पार्टी आज गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। मूल्यों की भी चुनौतियाँ हैं, जो हम साथ लेकर चले थे। राजनीतिक महत्वाकांक्षी ने लोगों के प्रति प्रतिबद्धता को पीछे छोड़ दिया है और कई वादे अधूरे रह गए हैं। इसमें यमुना का उदाहरण है, जिसे हमने स्वच्छ नदी बनाने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं कर पाए। यमुना अब पहले से भी अधिक प्रदूषित हो गई है।”
अरविंद केजरीवाल के ‘शीशमहल’ पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, इन सबके अलावा शीशमहल जैसे अजीबो-गरीब और शर्मिंदा करने वाले विवाद सामने आए। इसके कारण अब हर कोई इस बात पर आशंका करने लगा है कि क्या हम आज भी ‘आम आदमी’ में विश्वास रखते हैं। अब लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय हम लोग अपने राजनीतिक एजेंडा के लिए लड़ रहे हैं।”
दिल्ली के लोगों को किए गए वादों को पूरा करने में नाकामी के साथ केंद्र से लड़ाई को लेकर गहलोत ने कहा, “इन सब कारणों ने दिल्ली के लोगों के लोगों को मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराने की हमारी क्षमता को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। अब यह निश्चित है कि दिल्ली का वास्तविक विकास तब तक नहीं हो सकता, जब तक वह अपना अधिकांश समय केंद्र के साथ लड़ाई में व्यतीत करती है।”
अपने राजनीतिक जीवन और अंत में इस्तीफे को लेकर लेकर जाट परिवार में जन्मे कैलाश गहलोत ने आगे लिखा, “मैंने अपना राजनीतिक जीवन दिल्ली के लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए शुरू किया था। मेरे पास आम आदमी पार्टी से अलग होने के अलावा अब कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है और इसलिए मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूँ।”
बता दें कि पिछले कुछ महीने में दिल्ली सरकार के 2 मंत्रियों और 2 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है। इससे पहले स्वाति मालीवाल ने भी बागी रुख अपना लिया है। माना जा रहा है कि दिल्ली के नजफगढ़ से भाजपा उम्मीदवार को हराकर विधायक बने कैलाश गहलोत जल्दी ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। बता दें कि दिल्ली विधानसभा का चुनाव फरवरी 2025 में प्रस्तावित है।
भारत की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने पिछले कुछ महीनों में ड्रग्स के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया है, जिसका नाम ‘ऑपरेशन सागर मंथन’ रखा गया है। इस ऑपरेशन का मकसद पाकिस्तान में स्थित कुख्यात ड्रग्स तस्कर हाजी सलीम, जिसे ‘ड्रग्स का सरगना’ या ‘रक्तबीज’ भी कहा जाता है, के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को ध्वस्त करना है। हाजी सलीम का नाम सबसे पहले 2015 में तब सुर्खियों में आया था, जब केरल के पास समुद्र में उसकी बड़ी मात्रा में ड्रग्स की खेप पकड़ी गई थी।
हाजी सलीम का पूरा साम्राज्य पाकिस्तान के बलूचिस्तान से संचालित होता है और यह तस्करी नेटवर्क पाकिस्तान, भारत, श्रीलंका, मॉरीशस, मालदीव्स से लेकर अमेरिका तक फैला हुआ है। उसके ड्रग्स तस्करी के साम्राज्य का फैलाव इतना बड़ा है कि अमेरिका, न्यूजीलैंड और अफगानिस्तान जैसे देशों की जाँच एजेंसियाँ भी उसे पकड़ने की कोशिश में हैं।
हाजी सलीम बड़े पैमाने पर हेरोइन, मेथामफेटामाइन और अन्य अवैध नशीले पदार्थों की खेप एशिया, अफ्रीका और पश्चिमी देशों में पहुँचाता है। भारतीय जाँच एजेंसियों के अनुसार, वह समुद्री मार्ग से अपनी तस्करी करता है और उसकी खेपों पर विशेष निशान जैसे 777, 555, 999, उड़ते घोड़े और बिच्छू अंकित होते हैं।
इस ऑपरेशन के दौरान हाल ही में गुजरात तट से 4,000 किलोग्राम अवैध ड्रग्स जब्त किए गए, जिसमें कई पाकिस्तानी और ईरानी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया। भारत के गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर यह अभियान शुरू किया गया है, जिससे NCB ने पिछले ढाई वर्षों में कुल 40,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की हैं।
हाजी सलीम के बारे में जानकारी सीमित है। जाँच एजेंसियों के पास उसकी एक पुरानी तस्वीर और कुछ व्यक्तिगत विवरण हैं। माना जाता है कि वह कराची में रहता है, और उसकी गतिविधियां वहाँ से संचालित होती हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, सलीम का संबंध कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से भी है। कुछ समय पहले उसे दाऊद के घर में जाते और बाहर आते हुए कैमरे में कैद किया गया था।
सलीम का नेटवर्क केवल ड्रग्स तस्करी तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी गतिविधियाँ नार्को-आतंकवाद को भी बढ़ावा देती हैं। जाँच एजेंसियों ने बताया कि वह बेरोजगार युवाओं को अपने तस्करी नेटवर्क में शामिल करता है और आईएसआई से उसे समर्थन मिलता है। सलीम के पास सैटेलाइट फोन जैसी सुविधाएँ हैं, जिनका उपयोग वह समुद्र में अपने एजेंट्स से संपर्क बनाए रखने के लिए करता है।
NCB के डिप्टी डायरेक्टर जनरल, ज्ञानेश्वर सिंह के अनुसार, “हाजी सलीम दुनिया के सबसे बड़े ड्रग तस्करों में से एक है। उसके तस्करी नेटवर्क का पैमाना अद्वितीय है।” उसकी पहचान ‘रक्तबीज’ के रूप में इसलिए हुई है क्योंकि उसके ऑपरेशन पर कितनी भी बार प्रहार किया जाए, वह फिर से अपने तस्करी नेटवर्क को सक्रिय कर लेता है।
उसके तस्करी के मुख्य मार्ग ईरान से शुरू होते हैं, जो अफगानिस्तान और मलेशिया से होते हुए श्रीलंका पहुँचते हैं। वहाँ से छोटे जहाजों के जरिए रात में भारतीय तटों पर लाया जाता है, जहाँ वे कम चर्चित बंदरगाहों और तटीय स्थानों पर उतरते हैं।
हाजी सलीम की तस्करी गतिविधियों का पहला बड़ा सबूत 2015 में मिला था जब केरल तट के पास उसकी करोड़ों की ड्रग्स की खेप पकड़ी गई थी। तब से NCB ने उसकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी हुई है, लेकिन वह अब तक गिरफ्त से बाहर है और कराची में छिपा हुआ है।
हिंदुओं और भाजपा से दिल की गहराई घृणा करने वाली फिल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर अपने शौहर फहद अहमद के साथ मौलाना सज्जाद नोमानी की। फहद ने इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा कीं। नोमानी वही मौलाना हैं, जो हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं और भाजपा को वोट देने वालों का हुक्का-पानी बंद करने की धमकी दी है।
मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह मुस्लिम समुदाय से कह रहे हैं, “जो बीजेपी का साथ दे, ऐसे लोगों का हुक्का-पानी बंद होना चाहिए।” इसको लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग से शिकायत की है और कार्रवाई की माँग की है। इसको लेकर भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कॉन्ग्रेस सहित विपक्षी दलों पर निशाना साधा है।
जनाब हज़रत मौलाना सज्जाद नौमानी साहब की ख़िदमत में हाज़िर हुए और उन्होंने हमे खूब दुआओं से नवाज़ा pic.twitter.com/5P7S3OIaJj
विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा, “क्या शरद पवार को शर्म आती है या उन्हें हिंदुओं के बारे में बोलने में डर लगता है? मौलाना खलीलुर्रहमान सज्जाद नोमानी जैसा बयान कोई नहीं देता कि अगर कोई हिंदू बीजेपी के खिलाफ वोट करता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार कर उसका नाम अब्दुल रहमान रख दो। हिंदुत्व में इस तरह की भाषा नहीं है।”
किरीट सोमैया ने आगे कहा, “शरद पवार ने ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड और मराठी मुस्लिम सेवा संघ को समर्थन दिया है। शरद पवार ने वोट जिहाद जैसी बातें फैलाई हैं। राहुल गाँधी, सलमान खुर्शीद के परिवार ने वोट जिहाद फैलाया है। इन लोगों को शर्म आनी चाहिए।” किरीट सोमैया ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलउर रहमान सज्जाद नोमानी के खिलाफ कार्रवाई की माँग की है।
#WATCH | Mumbai: BJP leader Kirit Somaiya says, "…Does Sharad Pawar feel ashamed or is he scared to speak about Hindus?…No one makes statements like Maulana Khalilur Rahman Sajjad Nomani, that if any Hindu votes against the BJP, then socially boycott them and name them Abdul… pic.twitter.com/9YBRP0WT7R
पिछले साल अप्रैल 2023 में नोमानी ने मुस्लिमों को भड़काते हुए कहा था कि रमजान के वक्त लड़कियों को स्कूल/कॉलेज अकेले नहीं भेजना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना इस्लाम में हराम है। इसका एक वीडियो भी सामने आया था। इसमें वो मुस्लिम अभिभावकों को भड़काते हुए नजर आते हैं।
वीडियो में नोमानी कहते नजर आते हैं, “अपनी बच्चियों को हिजाब पहनने के बाद भी अकेले स्कूल-कॉलेज मत भेजो। ये हराम है, हराम। पाक रमजान की रात में उन लोगों पर लानत भेजता हूँ, जो अपनी बच्चियों को अकेले कोचिंग सेंटर या स्कूल-कॉलेज भेजते हैं। अल्लाह उन्हें जहन्नुम में भेजेगा।”
वह पूछते हैं, “क्या उन्हें (लड़कियों के अम्मी-अब्बू को) पता है उनकी बेटी स्कूल-कॉलेज जाकर पीरियड अटेंड करती है या नहीं या फिर कॉलेज में आकर चुपके से कहीं चली जाती है। आप अगर बाप हैं। आप अगर मुसलमान हैं। अगर आप शरीफ इंसान हैं और हलाल बाप के रुतबे से पैदा हुए हैं तो ये हराम है कि आप अपनी बच्चियों की तरह से बेफिक्र हों।”
हिंदू लड़कों पर लगाया था लव जिहाद का आरोप
सितंबर 2021 में नोमानी का एक और वीडियो सामने आया था, जिसमें वह हिंदू लड़कों पर लव जिहाद का आरोप लगाया था। अल कमल टीवी पर अपलोड की गई इस वीडियो में नोमानी ने दावा किया था कि 5,000 मुस्लिम लड़कियों ने हिंदू लड़कों के साथ भागकर शादी की और हिंदू बन गईं। नोमानी के मुताबिक, ये लड़कियाँ हाई प्रोफाइल परिवारों से थीं।
सज्जाद नोमानी ने कहा था, “मुस्लिम महिलाओं को हिंदू धर्म की ओर लुभाने के लिए सुनियोजित साजिश के तहत ये सब किया जा रहा है। दूसरी तरफ (हिंदू धर्म के लोगों की ओर) से ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं को लुभाने, उनके मजहब को बर्बाद करने और उनको इस्तेमाल के बाद छोड़ने की साजिश चल रही है। ये सब प्लान के तहत हो रहा है।”
उन्होंने दावा किया था, “मुझे सूत्रों से पता चला है कि एक ग्रुप है जो लड़कों को ट्रेनिंग देता है कि मुस्लिमों से कैसे बात करें। वह उन्हें सलाम वालेकुम बोलना सिखाते हैं। पूछते हैं- कैसे मिजाज हैं। उन्हें ‘खैरियत है’, ‘इंशाल्लाह’ ‘माशाल्लाह’ ‘रहमुदिल्लाह’, ‘सुभानअल्लाह’ और अन्य शब्द कहना सिखाते हैं। वे हमारी बच्चियों से नर्म जुबान में बात करते हैं, ताकि फँसा सकें।”
नोमानी ने दावा किया था कि मोबाइल फोन और स्कूल-कॉलेज में दी जा रही तालीम के कारण ऐसा होता है। उनके मुताबिक, लड़कियों को ऐसी स्वतंत्रता दी जाती है कि वे दूसरे समुदाय के लोगों से दोस्ती करें। नोमानी कहते हैं कि माता-पिता अपनी लड़कियों को इस्लाम का तालीम नहीं देते और न ही जानते हैं कि उनके इर्द-गिर्द क्या हो रहा है।
तालिबान को भेजा था सलाम
इसके अलावा साल 2021 में तालिबान ने जब अफगानिस्तान पर कब्जा किया था तब सज्जाद नोमानी ने भारत में इसका स्वागत किया था। मौलाना सज्जाद नोमानी ने ‘तालिबान के हौसले’ को सलाम करते हुए कहा था कि तालिबान ने दुनिया की सबसे मजबूत फौज को शिकस्त दे दी है।
AIMPLB प्रवक्ता नोमानी ने कहा था, “एक बार फिर यह तारीख रकम हुई है। एक निहत्थी कौम ने सबसे मजबूत फौजों को शिकस्त दी है। काबुल के महल में वे दाखिल होने में कामयाब रहे। उनके दाखिले का अंदाज पूरी दुनिया ने देखा। उनमें कोई गुरूर और घमंड नहीं था।”
मौलाना सज्जाद नोमानी ने तालिबान की तारीफों के पुल बाँधते हुए कहा था, “उनके कोई बड़े बोल नहीं थे। ये नौजवान काबुल की सरजमीं को चूम रहे हैं। मुबारक हो। आपको दूर बैठा हुआ यह हिंदी मुसलमान सलाम करता है। आपके हौसले को सलाम करता है। आपके जज्बे को सलाम करता है।”
मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा कस्बे में शनिवार (16 नवंबर 2024) की शाम को उग्र इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने हिंदुओं के घरों पर हमला कर दिया। यह हमला उस समय हुआ जब पूरे राज्य में हिंदू समुदाय कार्तिक पूजा मना रहा था। भीड़ ने हिंदुओं पर ‘ईशनिंदा’ करने का आरोप लगाकर आगजनी और पत्थरबाजी शुरू कर दी।
भाजपा के प्रवक्ता अमित मालवीय द्वारा साझा किए गए वीडियो में एक हिंदू व्यक्ति ने बताया, “पुलिस की मौजूदगी के बावजूद, देखें कैसे हिंदू घरों को जलाया जा रहा है। चारों ओर पत्थर बिखरे हुए हैं। एक कार को भी आग लगा दी गई।”
अमित मालवीय ने ट्वीट किया, “कार्तिक पूजा के दिन, मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में मुसलमानों ने हिंदू घरों पर हमला किया। ममता बनर्जी की पुलिस मूक दर्शक बनी रही।”
On the day of Kartik Puja, Muslims attack Hindu houses in Murshidabad’s Beldanga. Mamata Banerjee’s police remains a mute spectator.
West Bengal has become a graveyard for Hindus. Every festival and puja of their’s is attacked, while Mamata Banerjee looks the other way.
भाजपा के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि बेलडांगा में हिंदुओं के खिलाफ बांग्लादेश जैसे ‘सफाए’ की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उन्होंने बमबारी और हिंदू महिलाओं को दी जा रही जान से मारने की धमकियों का भी उल्लेख किया।
সাম্প্রদায়িক মুখ্যমন্ত্রীর নির্লজ্জ তোষণের রাজত্বে গভীর রাতেও জ্বলছে মুর্শিদাবাদের বেলডাঙা। বাংলাদেশের কায়দায় চলছে হিন্দুনিধন যজ্ঞ! দিকে দিকে নিরীহ হিন্দুদের বেছে বেছে মারধর, বাড়িতে বাড়িতে অগ্নিসংযোগ, বোমাবাজি চলছে। এমনকি বাড়িতে বলপূর্বক ঢুকে নিরীহ মহিলাদেরও দেওয়া হচ্ছে… pic.twitter.com/T3ikjhnHc2
इस बीच, मजहबी टोपी पहने एक इस्लामिक कट्टरपंथी ने वीडियो जारी कर हिंदुओं को धमकियाँ दीं और मुस्लिमों को बेलडांगा में दंगे करने के लिए बुलाया। उसने कहा, “मैं अपने सभी मुस्लिम भाइयों को बताना चाहता हूँ कि बेलडांगा के एक कार्तिक पूजा पंडाल में अल्लाह का अपमान किया गया। मैं अपने मुस्लिम भाइयों से अपील करता हूँ कि बेलडांगा की जमीन हिलनी चाहिए।”
उस व्यक्ति ने कहा, “जिसने यह किया है, उसे खत्म करना जरूरी है। हिंदुस्तान को यह संदेश मिलना चाहिए कि अल्लाह और पैगंबर का अपमान करने के बाद क्या होता है।” उसने अपने समुदाय के लोगों से हिंसा फैलाने और आरोपी को सजा देने की अपील की, जिसमें न्यायिक प्रणाली को छोड़कर मॉब लिंचिंग का आह्वान किया। उसने अपने हिंदुओं को ‘हमें सौंप दो’ कहकर भीड़ को उकसाया, ताकि इस्लामी भीड़ उनकी मॉब लिंचिंग की जा सके।