संसद में जय श्रीराम, अल्लाहू अकबर और जय माँ काली के नारे गूँजने के एक दिन बाद ही पश्चिम बंगाल की विधानसभा में भी ये नारे सुनाई दिए। पश्चिम बंगाल में नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ लेने के बाद जय श्री राम के नारे लगाए।
खबर के अनुसार बुधवार को भाजपा के चार, तृणमूल के तीन और कॉन्ग्रेस के एक विधायक ने पश्चिम बंगाल विधान सभा में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। ये तीनों उपचुनाव में जीतकर विधानसभा पहुँचे हैं।
भाजपा विधायक जोएल मुर्मू ने शपथ लेने के बाद जय श्री राम का नारा लगाया। मुर्मू हबीबपुर सीट से जीतकर विधायक बने हैं। हालाँकि पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय ने नवनिर्वाचित विधायकों को चेतावनी दी थी कि शपथ लेने के पहले और बाद में कोई नारेबाजी नहीं होनी चाहिए।
अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि विधायक शपथ में लिखे शब्दों को ही बोलेंगे लेकिन नवनिर्वाचित विधायकों ने इस चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। मदारीहाट से विधायक मनोज टिग्गा ने कहा, “हम जय श्री राम बोल सकते हैं क्योंकि जैसे ईसाईयों के ईसा मसीह हैं, मुस्लिमों के अल्लाह हैं, उसी प्रकार हमारे श्री राम हैं। पूरी विधान सभा उत्साह से भर गई थी जब जय श्री राम के नारे लगे थे। इसका अर्थ है कि आने वाले दिनों में यह नारा और भी अधिक लगने वाला है।“
जय श्री राम के अलावा बंगाल विधान सभा में जय माँ काली, अल्लाहु अकबर और राधे-राधे भी सुनाई दिया। अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय ने कहा कि विधान सभा या संसद की कार्यवाही में किसी भी प्रकार के रिलिजियस नारे लगाना संविधान के विरुद्ध आचरण है। अध्यक्ष ने ऐसे नारों को रिकॉर्ड न करने का भी निर्देश दिया। तृणमूल विधायक इदरीस अली ने जय हिन्द का नारा लगाया। इसे भी विधान सभा के रिकॉर्ड से हटा दिया गया।
हालाँकि यह नई और चौंकाने वाली बात नहीं है लेकिन… कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान मोबाइल फोन पर बिजी नज़र आए। ऐसे में प्रमुख विपक्षी पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते राष्ट्रपति की बातों को सुन कर चर्चा में सक्रियता से हिस्सा लेना कैसे संभव हो पाएगा, जब वह अभिभाषण में क्या कहा जा रहा है, यह सुने ही नहीं? राहुल गाँधी से सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल किया कि वह अपना दायित्व भूल कर फोन में क्यों लगे हुए हैं? नीचे दिए गए वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे राहुल गाँधी संसद में फोन चला रहे हैं और राष्ट्रपति अपना अभिभाषण दे रहे हैं।
Rahul Gandhi engaged with mobile phone while President Kovind is giving his speech, Does he hates him just because he is from Dalit community ? #PresidentKovindpic.twitter.com/43ZHvMwMrI
वैसे यह पहली बार नहीं है, जब गंभीर मौक़ों पर वह मोबाइल फोन चलाते पाए गए हों। इससे पहले फ़रवरी में जब पुलवामा में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा किए गए हमले में वीरगति को प्राप्त जवानों को श्रद्धांजलि दी जा रही थी, उस सभा में भी राहुल फोन चलाते हुए नज़र आए थे। राहुल गाँधी के साथ राजनाथ सिंह और निर्मला सीतारमण जैसे दिग्गज मंत्री भी मौजूद थे, लेकिन राहुल का ध्यान फोन में लगा हुआ था। उस समय लोगों ने पूछा था कि क्या उनके मन में बलिदानी जवानों के लिए कोई सम्मान नहीं है? उस वीडियो को आप नीचे संलग्न ट्वीट में देख सकते हैं।
Just pathetic! He’s too bored and has an attention span of a paper clip.
सिर्फ़ संसद ही नहीं बल्कि अपनी पार्टी की अहम बैठकों में भी राहुल अपना फोन चलाते दिखते हैं। नीचे चित्र में आप देख सकते हैं कैसे यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की मौजूदगी में कॉन्ग्रेस की एक बैठक में वह अपने फोन में व्यस्त हैं।
इसके अलावा संवेदनशील मौक़ों पर मुस्काराने की भी उनकी आदत रही है। जब वह गंभीर रूप से बीमार तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि को देखने गए थे, तब अस्पताल में वह उनके सामने मुस्कराते हुए खड़े थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंत्येष्टि के दौरान भी वह मुस्कराते हुए दिखे थे। ऐसा तब भी हुआ था, जब धरम सिंह की मृत्यु के बाद उनकी रोती हुई पत्नी के सामने उनका मुस्कराता हुआ चेहरा वायरल हुआ था।
Ye Bandha toh Sudhrega nahi
Rahul Gandhi breaks all Barricades of smiling at places where he shouldn’t be : 1. Dharam Singh’s death 2. Standing by Karunanidhi in hospital 3. Atal ji’s funeral
बता दें कि अभी संसद का सत्र चल रहा है। मोदी सरकार द्वारा दोबारा सत्ता संभालने के बाद यह संसद का पहला सत्र है, जिसमें नव-निर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई गई और राष्ट्रपति का अभिभाषण हुआ। इसके बाद धन्यवाद प्रस्ताव लाने की परम्परा है, जिस पर चर्चा होगी।
भारत के मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से पूछताछ करने वाले विशेष जाँच अधिकारी बी.वी. कुमार ने एक किताब लिखी है। इस किताब में दाऊद को लेकर कई चौंकाने वाले ख़ुलासे किए गए हैं। उन्होंने अपनी किताब में लिखा कि डॉन एक सामान्य-सा दिखने वाला डरपोक आदमी है। पूछताछ के दौरान उसने अपने कई गुनाहों को क़बूल कर लिया था। ख़बर के अनुसार, भारतीय सीमा शुल्क विभाग के सुपर कॉप के रूप में प्रसिद्ध राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय के पूर्व महानिदेशक बी.वी. कुमार ने यह ख़ुलासा अपनी किताब ‘डीआरआई एंड द डॉन्स’ में किया।
अपनी किताब में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि अंडरवर्ल्ड से जुड़े एक अपराधी राशिद अरबा ने उन्हें दाऊद इब्राहिम के ठिकानों की जानकारी दी थी। बता दें कि यह वही राशिद अरबा है, जिसने बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार की बहन से शादी की थी। पूर्व अधिकारी बी.वी. कुमार के अनुसार, अंडरवर्ल्ड के डॉन, ख़ासतौर पर दाऊद इब्राहिम और हाजी मस्तान पर किताब लिखने का उनका मक़सद दक्षिण एशिया के सबसे खूंखार गिरोहों के ख़िलाफ़ शुरुआती कार्रवाईयों में डीआरआई के योगदान को लोगों के समक्ष लाना था।
ज़मानत के बाद भाग गया था दुबई
बी.वी. कुमार ने समाचार एजेंसी IANS से बातचीत में बताया कि डीआरआई एक ऐसी प्रमुख एजेंसी थी, जिसने दाऊद को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ करने के लिए उसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था। उन्होंने बताया कि वर्ष 1983 में जब उन्होंने दाऊद को गिरफ़्तार किया था तो गुजरात हाईकोर्ट में उस केस की तत्काल सुनवाई के लिए एक याचिका दायर की गई थी। उस समय कोर्ट में डॉन का केस वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने लड़ा था। इसके बाद दाऊद को ज़मानत मिल गई थी और वो दुबई भाग गया था। उसी समय से दाऊद इब्राहिम भारत की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में है। बता दें कि यह मामला ख़ुद बी.वी. कुमार ने दर्ज किया था।
‘डीआरआई एंड द डॉन्स’ किताब के लेखक बी.वी. कुमार भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के उन चुनिंदा अधिकारियों में से एक हैं, जिन्होंने डीआरआई के अलावा मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (NCB) का भी नेतृत्व किया था। वो अपनी सेवा के दौरान कई खूंखार गिरोहों को सबक सिखा चुके हैं।
जब दाऊद इब्राहिम की गर्दन में लगी थी गोली
दाऊद इब्राहिम से हुई मुठभेड़ के बारे में पूर्व अधिकारी कुमार ने बताया कि 80 के दशक के मध्य में उनकी नियुक्ति अहमदाबाद में सीमा शुल्क आयुक्त के तौर पर हुई थी। उस वक़्त दाऊद और करीम लाला के गिरोहों के मध्य ख़ूनी जंग चल रही थी। इस वजह से उस क्षेत्र में दहशत का माहौल था। आलम यह था कि इस ख़ूनी जंग की वजह से महाराष्ट्र और गुजरात में शांति-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी।
अपनी किताब में उन्होंने लिखा कि एक दिन दाऊद पोरबंदर से सड़क मार्ग से मुंबई लौट रहा था, तो उसकी कार में पीछे की सीट पर बैठे उसके साथी ने गोली चलाई, यह गोली ग़लती से दाऊद को लग गई थी, जबकि उसके साथी ने डी-कंपनी के विरोधी करीम लाला के क़रीबी आलमजेब पर निशाना साधा था। ग़लती से लगी गोली दाऊद की गर्दन में लगी थी, लेकिन उसे गंभीर रूप से कोई क्षति नहीं पहुँची थी। तभी उसे बड़ौदा के सयाजी हॉस्पिटल ले जाया गया था। इस घटना की जानकारी जब बी.वी. कुमार को मिली तो उन्होंने इस बारे में बड़ौदा के पुलिस आयुक्त पी.के. दत्ता से बात की थी।
दाऊद ने क़बूली थी नंबर दो का धंधा करने की बात
अपनी किताब में उन्होंने ख़ुलासा किया कि पूछताछ के दौरान दाऊद ने यह बात स्वीकार कर ली थी कि वो नंबर दो का धंधा करता है। यह पूछताछ लगभग आधे घंटे तक चली थी और इस दौरान वो एक शांत व्यक्ति के तौर पर दिख रहा था। पूछताछ के दौरान उसने हिन्दी में बातचीत की थी।
दाऊद सबसे ख़तरनाक डॉनों में कैसे शामिल हुआ? इस प्रश्न पर बी.वी. कुमार ने जवाब दिया कि दाऊद इब्राहिम ने सभी को पैसों से ख़रीद लिया था। उसकी राजनीतिक इच्छाएँ इतनी प्रबल थीं कि उसका नाम एशिया के सबसे ख़तरनाक डॉनों की लिस्ट में जुड़ गया। इसके अलावा बॉलिवुड कलाकारों से लेकर क्रिकेटर तक और बड़े राजनेता पर भी उसकी धाक जमती थी। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि पैसों से उसने सबकी क़ीमत लगा रखी थी। पूर्व अधिकारी कुमार ने बताया कि भारत के संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ प्रत्यर्पण संधि करते ही, दाऊद को दुबई छोड़ना पड़ा और पाकिस्तान में शरण लेनी पड़ी।
अपनी किताब में कुमार ने इस बात का ज़िक्र किया है कि दाऊद जब तक दुबई में था तब तक काफ़ी प्रभावशाली था, लेकिन अब उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता और शायद वो अंपनी अंतिम साँस तक पाकिस्तान में ही रहेगा।
गुजरात के बरख़ास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। कस्टोडियल डेथ के मामले में उनको यह सज़ा सुनाई गई। यह 1990 का मामला है और यह घटना जोधपुर की है। हिरासत में हुई मौत का यह मामला 30 साल पुराना है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने संजीव भट्ट से पूछा था कि उन्होंने हाई कोर्ट के 16 अप्रैल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में पहले क्यों चुनौती नहीं दी? सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में निचली अदालत ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया है और फैसला सुनाने की तारीख़ तय कर दी है। आज वही निर्णय निचली अदालत ने सुनाया।
पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को उम्र कैद। कस्टोडियल डेथ मामले में उम्र कैद। जामनगर कोर्ट ने सुनाई सजा। 1990 में जाम जोधपुर में कस्टोडियल मामलें में सजा।@sanjivbhattpic.twitter.com/fClftRHZuw
विवादित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट का आरोप था कि इस घटना में 300 गवाह थे जबकि पुलिस ने सिर्फ़ 32 गवाहों को ही बुलाया। दरअसल, 1990 में भारत बंद के दौरान गुजरात के जामनगर में भी हिंसा हुई थी। उस समय संजीव भट्ट वहाँ पर एएसपी के रूप में पदस्थापित थे। उस दौरान पुलिस ने 133 लोगों को गिरफ़्तार किया था, जिसमें से 25 घायल हुए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उस दौरान प्रभुदास नामक व्यक्ति की हिरासत में ही मौत हो गई थी।
गुजरात के पूर्व IPS @sanjivbhatt को जामनगर कोर्ट ने Custodial Death के मामले में उम्रकैद की सज़ा सुनाई। 1990 में जब संजीव भट्ट ASP थे तब जाम जोधपुर में एक आरोपी की कस्टडी में मौत हुयी थी।कोर्ट ने पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी उम्रकैद की सज़ा सुनाई।
संजीव भट्ट सोशल मीडिया पर विवादित ट्वीट्स करने के लिए भी कुख्यात हैं। उनके ट्वीट्स अक़्सर विवाद का विषय बनते थे। उनकी पत्नी ने उनके जेल जाने के बाद मोदी सरकार पर बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि मोदी के पीएम बनने के बाद से ही उन पर कार्रवाई शुरू हो गई।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अब ‘उद्धरण चोर’ हो गए हैं। इमरान ने बेशर्मी दिखाते हुए न सिर्फ़ रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा कही गई बातों को चुराया, बल्कि ट्विटर पर लिखा कि यह उद्धरण खलील जिब्रान का है। एक देश की सत्ता संभाल रहे व्यक्ति द्वारा इस तरह का व्यवहार किया जाना लोगों को पचा नहीं लेकिन फिर कुछ लोगों ने कहा कि यह तो पाकिस्तान की फितरत रही है।
Those who discover and get to understand the wisdom of Gibran’s words, cited below, get to live a life of contentment. pic.twitter.com/BdmIdqGxeL
दरअसल, भारतीय राष्ट्रगान के रचयिता और नोबेल पुरस्कार विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था:
“I slept and I dreamed that life is all joy. I woke and I saw that life is all service. I served and I saw that service is joy.” (मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा और देखा कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा की और पाया कि सेवा आनंद है।)
इमरान ख़ान ने इस ट्वीट के साथ लिखा कि जो खलील जिब्रान के इस उद्धरण को समझ लेते हैं, वो एक संतुष्टिपूर्ण जीवन जीते हैं। इसके बाद लोगों ने रिप्लाई में बताया कि यह कमेंट जिब्रान का नहीं बल्कि टैगोर का है।
बता दें कि खलील जिब्रान लेबनीज-अमेरिकन लेखक थे। शेक्स्पियर और लॉज़ी के बाद उन्हें तीसरा सबस ज्यादा बिकने वाला लेखक कहा जाता है। बचपन से ही बाइबल और अरबी की शिक्षा पाने वाले जिब्रान का भरण-पोषण ग़रीबी में हुआ था लेकिन वो अरबी और अंग्रेजी- दोनों ही भाषाओं की लेखन विधा में महारत रखते थे। लेकिन, इमरान द्वारा ट्वीट की गई पक्तियाँ उनकी नहीं थीं।
हिंसक लोग अहिंसा का पाठ पढ़ाने चले हैं इन्हें तो मोदी जी ढंग से समझा सकते हैं?
— अाचार्यबशिष्ठपाण्डेय (@B_K_Pandey_ji) June 19, 2019
वहीं इन पंक्तियों के असली लेखक और ‘गुरुदेव’ के नाम से विख्यात रवीन्द्रनाथ टैगोर की बात करें तो उन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयु में ही अपनी कविताओं का प्रकाशन शुरू कर दिया था। ‘गीतांजलि’ और ‘गोरा’ जैसी पुस्तकों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध टैगोर भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रचयिता हैं और श्री लंका के राष्ट्रगान की प्रेरणा भी उन्हीं से ली गई है।
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठने लगे थे। राहुल गाँधी ने वर्किंग कमेटी की बैठक में इस्तीफे की पेशकश भी की थी जिसे स्वीकार नहीं किया गया था। समाचार पत्र के सूत्रों के अनुसार अगले अध्यक्ष के लिए अशोक गहलोत के नाम पर मुहर लग गई है और अब केवल औपचारिक ऐलान किया जाना बाकी है।
लेकिन अब लगता है कि राहुल गाँधी अपना इस्तीफा देने पर अड़ गए हैं और इस बार कॉन्ग्रेस पार्टी ने उनकी बात मान ली है। खबर के अनुसार अशोक गहलोत राहुल की जगह लेंगे। पार्टी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाए जाने के लिए राज़ी हो गई है। हालाँकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि गहलोत अकेले अध्यक्ष होंगे या उनके साथ दो-तीन और नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाएगा। लेकिन इतना तय है कि अगले कुछ दिनों में कॉन्ग्रेस को नया अध्यक्ष मिलने वाला है, जो गाँधी परिवार से नहीं होगा।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गाँधी से अध्यक्ष बने रहने का आग्रह किया था लेकिन राहुल ने पद से हटने का निश्चय कर लिया है। उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए प्रियंका गाँधी के नाम पर भी विचार करने से मना कर दिया है। ऐसा उन्होंने वंशवाद के आरोपों का जवाब देने के लिए किया है। राहुल गाँधी चाहते हैं कि कॉन्ग्रेस का अगला अध्यक्ष गाँधी परिवार के बाहर का हो। अध्यक्ष चुन लिए जाने के बाद ही राहुल कोई अन्य कार्यभार ग्रहण करेंगे।
एनडीटीवी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब Income Tax Appellate Tribunal (ITAT) ने आयकर विभाग के उस मामले को क़ायम रखने का निर्णय लिया है, जिसमें प्रणय रॉय और राधिका रॉय पर अपनी आय छिपाने का आरोप लगा है। आरोप है कि इन दोनों ने 2009-10 और 2010-11 के असेसमेंट ईयर में 117 करोड़ रुपए की आय छुपाई। इकनोमिक टाइम्स को भेजे गए एक मेल में रॉय ने बताया कि इनकम छिपाने का कोई सवाल ही नहीं उठता। आईटी विभाग अब रॉय के ख़िलाफ़ अभियोजन शिकायत दायर करेगा, जो कि एक चार्जशीट की तरह ही होगा।
रॉय दम्पति के ख़िलाफ़ आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के मामले चल रहे हैं, जिसमें आयकर विभाग अब और शिकंजा कसने की तैयारी में है। आईटीएटी द्वारा इन आरोपों की पुष्टि के बाद एजेंसी के लिए आगे की कार्रवाई करने का रास्ता साफ़ हो गया है। प्रणय रॉय ने कहा कि आईटीएटी का फ़ैसला कैपिटल गेन्स को शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म के तौर पर क्लासिफाई करने से संबंधित है। ट्रिब्यूनल के फ़ैसले के ख़िलाफ़ एक अपील में रॉय ने दावा किया है कि यह मामला क़ानूनी और तकनीकी मुद्दों से जुड़ा हुआ है। जुलाई में कोर्ट के दोबारा खुलने के बाद रॉय इस अपील को दाखिल करेंगे।
इनकम टैक्स विभाग ने साफ़-साफ़ कहा है कि जब 2009 में एनडीटीवी के शेयर्स 140 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से बिक रहे थे, तब रॉय ने मात्र 4 रुपए प्रति शेयर की दर से इन्हें ख़रीदा था। इसके बाद रॉय ने उसी दिन सभी ख़रीदे गए शेयर्स को आरआरपीआर होल्डिंग नामक कम्पनी को बेच दिया था। इससे रॉय को 200 करोड़ रुपए का ‘Capital Gain’ हुआ था। एक रोचक बात यह भी है कि जिस आरआरपीआर होल्डिंग नामक कम्पनी को शेयर्स बेचे गए, उसकी आधी हिस्सेदारी रॉय दम्पति के पास ही थी। अव्वल तो यह कि इन्होंने इन ट्रांजैक्शंस पर कोई टैक्स भी नहीं चुकाया था।
रॉय का मानना है कि यह केवल फेस वैल्यू के आधार पर महज शेयर्स का ट्रांसफर था। उनका कहना है कि यह ट्रांजैक्शन टैक्सेबल नहीं है, और जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक आयकर विभाग उनके ख़िलाफ़ आगे नहीं बढ़ सकता। इनकम टैक्स द्वारा इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के बाद अब रॉय दम्पति के ख़िलाफ़ चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर अन्य एजेंसियाँ भी कार्रवाई कर सकती हैं। इकनोमिक टाइम्स के सूत्रों के अनुसार, रॉय दम्पति पर अपनी आय छिपाने के लिए 14 करोड़ रुपए की अतिरिक्त पेनल्टी लगाई जा सकती है।
इससे पहले बाजार नियामक The Securities and Exchange Board of India (SEBI) ने न्यू दिल्ली टेलीविज़न लिमिटेड (NDTV) पर 12 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। यह जुर्माना शेयर बाजार को समय पर जानकारी न देने के कारण लगाया गया। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पाया कि एनडीटीवी ने नियम के तहत सूचनाएँ सार्वजनिक करने के मामले में चूक की, जिसके बाद यह आदेश दिया गया। एनडीटीवी के ख़िलाफ़ शेयरों की बड़ी ख़रीद और अधिग्रहण के नियम का अनुपालन न करने का मामला पाया गया है।
केरल में अपनी सहकर्मी पर धारधार हथियार से वार कर उन्हें जिंदा जलाने वाले पुलिसकर्मी एजाज़ ने कल (जून 19, 2019) अस्पताल में दम तोड़ दिया। एजाज़ पर आरोप था कि उसने अपनी साथी महिला पुलिस ऑफिसर सौम्या पुष्पकरन के साथ बीच सड़क पर मारपीट की, उन पर तलवार से वार किया और फिर पेट्रोल डालकर उन्हें जिंदा जला दिया। इस पूरी घटना को अंजाम देने के दौरान एजाज़ भी बुरी तरह (40%) झुलस गया, जिसके बाद से उसका इलाज़ केरल के आलाप्पुझा मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में चल रहा था।
जानकारी के अनुसार सौम्या एक सिविल पुलिस ऑफिसर (CPO) थीं, जिनकी तैनाती वल्लिकुन्नम पुलिस स्टेशन में थी। उनकी उम्र लगभग 35 वर्ष थी और वो तीन बच्चों की माँ थीं, उनके पति विदेश में नौकरी करते हैं।
Kerala: Ajas, accused in Civil Police Officer (CPO) Saumya Pushkar death case, has died while undergoing treatment at Alappuzha Medical college. Accused Ajas was also a Civil Police Officer.
सौम्या 15 जून को अपने स्कूटर से घर लौट रही थीं जब आरोपित घटना को अंजाम देने के लिए घात लगाए बैठा था। 4 बजे जब सौम्या अपनी ड्यूटी पूरी करके घर लौट रही थीं तो आरोपित एक किराए की कार में बैठकर सही समय का इंतजार कर रहा था। जैसे ही सौम्या अपने घर के नजदीक पहुँची तो एजाज़ ने उस कार से उनके स्कूटर को टक्कर मारकर गिरा दिया और तलवार से उन पर हमला किया। इस दौरान सौम्या ने खुद को बचाने का प्रयास किया और पास के घर में छिपने की कोशिश की, लेकिन एजाज़ ने उन्हें बाहर खींचा और पेट्रोल छिड़क कर उन पर आग लगा दी।
पुलिस का कहना है कि महिला ने आरोपित से शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था इसलिए उसने ऐसा किया। वहीं सौम्या की माँ इंदिरा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि एजाज़ और सौम्या के बीच पैसों के लेन-देन का मामला था, जिसके कारण यह सब हुआ। उन्होंने बताया कि एजाज़ ने सौम्या से पैसे उधार लिए थे। लेकिन वह पैसे वापस देने से इनकार कर रहा था और सौम्या से शादी करने की कोशिश कर रहा था। जबकि वह पहले ही शादीशुदा थीं और उनके तीन बच्चे हैं। एजाज़ ने इससे पहले भी उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी।
नव-निर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नए संसद सत्र की शुरुआत के बाद सांसदों द्वारा धार्मिक नारे लगाए जाने को ग़लत बताया है। बिरला ने कहा कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, यूपीए अध्यक्षा सोनिया गाँधी और तृणमूल के सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान सत्तापक्ष के सांसदों की तरफ़ से जिस तरह के नारे लगाए गए, उसे रोक कर प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार ने अच्छा कार्य किया। उन्होंने शपथ ग्रहण के दौरान विपक्षी नेताओं को रोक-टोक किए जाने को भी अनुचित ठहराया। बता दें कि संसद में ओवैसी के शपथ ग्रहण के दौरान जम कर ‘वन्दे मातरम’ के नारे लगे और सांसदों ने ‘भारत माता की जय’ के नारे भी लगाए।
इसी तरह जब तृणमूल के सांसद शपथ लेने पहुँचे, तब सत्ता पक्ष की ओर से ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए गए। पश्चिम बंगाल में ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने पर राज्य सरकार द्वारा गिरफ़्तारी कराए जाने के बाद से ही भाजपा इस पर आक्रामक मोड में आ गई है। लोकसभा अध्यक्ष ने इस बारे में अपनी राय रखते हुए कहा:
“मुझे नहीं लगता कि लोकसभा नारेबाजी, प्लाकार्ड दिखाने और वेल में आने के लिए है। इसके लिए एक सड़क है, जहाँ जाकर वो ये सब कर सकते हैं। लोगों को यहाँ जो भी कहना हो, उन्हें जो भी आरोप लगाने हों, वे जैसे भी सरकार पर हमला करना चाहते हों- वो कर सकते हैं। लेकिन हाँ, गैलरी में आकर यह सब करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। मुझे नहीं पता कि नारेबाजी और विपक्षी नेताओं को रोक-टोक वाली घटनाएँ फिर होंगी या नहीं लेकिन हम संसद को नियमों के तहत चलाने की कोशिश करेंगे। ‘जय श्री राम’, ‘जय भारत’, ‘वन्दे मातरम’, मैंने कहा कि यह सब पुराने मुद्दे हैं। चर्चाओं के दौरान, यह सब अलग होता है, परिस्थितियाँ हमेशा अलग होती हैं। यह परिस्थिति अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति तय करता है।”
अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे ओम बिरला ने संसद को लोकतंत्र का मंदिर बताते हुए कहा कि यह मंदिर सिर्फ़ और सिर्फ़ संसदीय नियम-कायदों से चलता है। उन्होंने भारत के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की बात याद दिलाते हुए कहा कि सांसदों को दुनिया के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने उन पर विश्वास जताया है और इसीलिए वह उनके विश्वास का ख्याल रखेंगे। बिरला ने कहा कि सभी को अपनी बात रखने का हक़ है लेकिन सरकार को ज्यादा ज़िम्मेदारी लेनी पड़ेगी क्योंकि उनके पास बहुत बड़ा बहुमत है। सरकार को सभी सवालों के जवाब देने चाहिए।
“I don’t think Parliament is the place for sloganeering, for showing placards, or for coming to the well,” said newly elected Lok Sabha Speaker @ombirlakota.https://t.co/xBPaGJDnNd
हालाँकि, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपना अनुभव बताते हुए कहा जब भी किसी प्रकार की चर्चा कराने की माँग आई है, सरकार ने उसे स्वीकार किया है। कोटा से दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीते ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष के लिए आगे लाकर पीएम मोदी ने सबको चौंका दिया था। बिरला राजस्थान विधानसभा में भी जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। 56 वर्षीय बिरला अपने पूर्ववर्तियों से कम उम्र के हैं। इससे पहले सुमित्रा महाजन जब लोकसभा अध्यक्ष बनी थीं, तब उनकी उम्र 70 से अधिक थी और इसी तरह 2009 में स्पीकर बनीं मीरा कुमार की उम्र भी उस समय 60 से अधिक हो चुकी थी। उससे पहले सोमनाथ चटर्जी 75 की उम्र में लोकसभा अध्यक्ष बने थे।
मुंबई रीजनल कॉन्ग्रेस कमिटी के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने पार्टी लाइन से अलग रुख अख्तियार करते हुए ‘वन नेशन-वन पोल’ का समर्थन किया है। देवड़ा ने इतिहास की बात करते हुए गिनाया कि 1967 में ऐसा हो चुका है। उन्होंने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को चर्चा योग्य बताते हुए कहा कि इसके लिए समर्थन जुटाने का प्रयास सरकार को जारी रखना चाहिए। देवड़ा ने यह बयान उसी समय दिया, जब दिल्ली में इसे लेकर सर्वदलीय बैठक हो रही थी। मिलिंद देवड़ा ने अपनी राय बताते हुए कहा कि लगातार चुनावी मोड में रहना गुड गवर्नेन्स और वास्तविक समस्याओं के समाधान खोजने में बाधक होता है। उन्होंने आगे कहा कि देश के नागरिक जिन गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, चुनावी मौसम में दिए जाने वाले लोकलुभावन वादे निश्चित रूप से उसका दीर्घकालिक समाधान नहीं कर पाते हैं।
हालाँकि, देवड़ा ने चुनाव के कारण कोष पर पड़ने वाले दबाव के तर्क़ को अनावश्यक करार दिया और कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमें कोई भी क़ीमत चुकाने को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने सरकार को इस मामले में शिक्षाविदों, सामाजिक संगठनों, छात्र संगठनों व जनता से राय लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि देश का राजनीतिक वर्ग चर्चा की परम्परा को भूल रहा है, जो कि लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने ख़ुद को भी इस समस्या का हिस्सा बताया। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ से सत्ताधारी पार्टी को लाभ होने की बात को उन्होंने सिरे से खारिज़ कर दिया। ताज़ा लोकसभा चुनाव का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ओडिशा, आंध्र प्रदेश और अरुणाचल में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव हुए। इन राज्यों के परिणाम को देखते हुए सत्ताधारी पार्टी को एकतरफा लाभ वाली बात तार्किक नहीं है।
देवड़ा ने याद दिलाया कि आंध्र और ओडिशा में जीतने वाली पार्टी भाजपा नहीं है और न ही भाजपा के साथ गठबंधन में है। उधर जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने ‘वन नेशन-वन पोल’ के समर्थन की बात कही है। आंध्र प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में एकछत्र राज कायम करने वाली वाईएसआर कॉन्ग्रेस के एक राज्यसभा सांसद ने कहा कि बार-बार चुनाव होते रहने से पैसों की बर्बादी होती है। हालाँकि, आंध्र की विपक्षी पार्टी टीडीपी ने इसका विरोध किया है। नायडू ने केंद्र सरकार को लिखे पत्र में कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने कुछ सोच कर ही लोकसभा व विधानसभा चुनावों को पृथक रखा होगा।
सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने जानकारी दी कि पीएम मोदी ने इस सम्बन्ध में एक कमिटी गठित करने का निर्णय लिया है, जो इससे जुड़ी सलाह देगी। सिंह ने कहा कि सर्वदलीय बैठक के लिए उन्होंने 40 राजनीतिक दलों को निमंत्रण भेजा था, जिसमें से 21 दलों के अध्यक्षों ने इसमें भाग लिया जबकि 3 दलों ने पत्र के माध्यम से अपनी राय ज़ाहिर की। यह कमिटी एक समयावधि के भीतर रिपोर्ट देगी। सिंह ने कहा कि वामपंथी दलों ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर आपत्ति जताई लेकिन इसका उन्होंने किसी तरह से विरोध नहीं किया। वामपंथी दलों को इसके कार्यान्वयन से दिक्कत है।
Presidents of various parties had extensive discussions on:
इसके अलावा बैठक में संसद में चर्चाओं की गुणवत्ता बढ़ाने और कार्यकलाप को लेकर भी चर्चा हुई। ममता बनर्जी की तृणमूल और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने इस बैठक में भाग नहीं लिया, जबकि केसीआर की टीआरएस और केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने अपने प्रतिनिधि भेजे।