Monday, November 18, 2024
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Pak एयरस्पेस बंद होने से फँसे हजारों भारतीय छात्र, छुट्टियों में नहीं आ पा रहे घर

पाकिस्तान के ऊपर से भारत जाने और आने वाली उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद हो जाने से हजारों भारतीय छात्र मध्य एशियाई देशों में फँस गए हैं। जून के महीने में अक्सर उच्च शिक्षण संस्थानों में छुट्टियाँ शुरू हो जाती हैं और वहाँ पढ़ रहे भारतीय छात्र घर आते हैं, लेकिन एयरस्पेस बंद होने के कारण इस बार छात्रों का टिकट रद्द हो रहा है और नए टिकटों की दरें सामान्य से 3-4 गुना तक महंगी है। इसके कारण छात्रों को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है IAF द्वारा बालाकोट पर हुई कार्रवाई के बाद से ही पाकिस्तान ने अपने एयरस्पेस को बंद किया हुआ है। हिंदुस्तान में छपी खबर के अनुसार किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में स्टेट मेडिकल अकादमी से एमबीबीएस कर रहे एक छात्र ने उन्हें फोन पर बताया है कि उनका कॉलेज जून के आखिर में 2 महीने के लिए बंद होता है। इस दौरान वहाँ पढ़ रहे छात्र घर जाने और वापस आने के लिए पहले से ही टिकट बुक करवा लेते हैं, जिसमें करीब 20 हजार रुपए का खर्चा आता है।

हिन्दुस्तान से बातचीत में छात्र ने बताया कि इस बार अस्ताना और अन्य एयरलाइंस ने पाकिस्तान एयरस्पेस बंद होने का हवाला देकर जून की लगभग सभी उड़ाने निरस्त कर दीं, जिसके कारण उन्हें भारत आने के लिए दुबई से होते हुए आना होगा। इसमें खर्चा 60 हजार से भी अधिक आएगा। ऐसे में उनका सारा बजट बिगड़ रहा है क्योंकि इस खर्चे के बारे में उन्हें पहले से कोई भी जानकारी नहीं थी।

किर्गिस्तान के स्टेट मेडिकल अकादमी से करीब 4,000 भारतीय छात्र एमबीबीएस कर रहे हैं। वहाँ दूसरे विश्वविद्यालयों में भी बड़ी तादाद में भारतीय छात्र हैं। इसी प्रकार किर्गिस्तान के अलावा कजाखस्तान और उज्बेकिस्तान में भी ऐसे छात्र हैं जिन्हें एयरस्पेस बंद होने के कारण ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

बता दें पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र 28 जून तक भारत के सभी विमानों की आवाजाही के लिए बंद रहेगा। इस बात की जानकारी नागरिक उड्डयन प्राधिकरण द्वारा जारी एक नोटिस में दी गई है।
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Pak की हार के बाद सोशल मीडिया पर टूटी चूड़ियाँ, फैंस ने कहा- हमें पता थी अपनी औकात

क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 में रविवार (जून 16, 2019) को हुए मैच में पाकिस्तान पर भारत की जीत पर फैन्स के साथ ही भारतीय नेताओं ने भी इंडियन क्रिकेट टीम को बधाई दी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस जीत की तुलना स्ट्राइक से की, तो वहीं अन्य नेताओं ने टीम इंडिया की परफॉर्मेंस की तारीफ करते हुए उन्हें भविष्य के मैचों के लिए भी शुभकामनाएँ दीं।

भारत ने इंग्लैंड के मैनचेस्टर स्टेडियम में पाकिस्तान को डीएलएस के आधार पर 89 रन से हरा दिया। पाकिस्तान की इस हार के बाद जहाँ भारत में जश्न का माहौल है, वहीं पाकिस्तान में मातम पसर गया है। पाकिस्तानी फैंस इससे काफी आहत नज़र आ रहे हैं। कई फैंस पाकिस्तानी क्रिकेटर को गालियाँ दे रहे हैं, तो कुछ फैंस ने तो गुस्से में अपने टीवी को ही तोड़ दिया।

सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें दिख रहा है कि पाकिस्तानी फैंस अपने टीवी तोड़ कर पाकिस्तानी क्रिकेटर्स पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है जिसमें एक पाकिस्तानी लड़की पूरी पाकिस्तानी टीम को एक साथ खड़े करके मार देने की बात कहती है। वो कहती है कि जिस तरह से हिटलर ने अपनी पूरी टीम को एक साथ खड़ा करके मार दिया था, उसी तरह पूरी पाकिस्तानी टीम को एक साथ खड़े करके मार देना चाहिए।

इसके साथ ही उस लड़की ने ये भी कह दिया कि स्टेडियम में 90 फीसदी सीट भारतीय फैंस से भरे थे, क्योंकि उनको विश्वास था कि वो (भारत) मैच जीतेंगे और पाकिस्तानी फैंस इसलिए मैच देखने नहीं गए, क्योंकि उन्हें यकीन था कि पाकिस्तान मैच नहीं जीत पाएगी। उनकी औकात ही नहीं है मैच जीतने की।

वहीं एक विडियो में एक महिला पाकिस्तान की हार पर काफी आक्रोशित नज़र आ रही है। वो बुरी तरह से पाकिस्तानी टीम की फजीहत करती दिख रही है। महिला का कहना है कि पाकिस्तानी टीम को जहाँ भी भेजा जाता है, वो वहाँ से बेइज्जती करवाकर आ जाते हैं। भारत के सामने ये चूहे बन जाते हैं। भारत से तो ये कभी भी नहीं जीतते। पाकिस्तान की हार से खफा महिला मैच को ही बंद कर देने की बात कहती है। वो कहती है कि बल्ला, विकेट, गेंद, सबमें आग लगा देना चाहिए।

महिला सुबह से ही मैच देखने की आस लगाए बैठी थी। हालाँकि उनको भी पहले ये पता था कि उनके मुल्क की टीम जीतने वाले नहीं है, बेइज्जती करवाकर मुल्क की नाक कटवाएँगे। इसी तरह के कई और बेहद रोचक वीडियो और मीम्स सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

PM मोदी के दौरे के बाद चीन-मालदीव के बीच रद हो सकता है एक महत्वपूर्ण समझौता

अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 जून को पहले विदेशी दौरे पर मालदीव पहुँचे थे। इस दौरान पीएम मोदी को मालदीव का सर्वोच्च पुरस्कार ‘आर्डर ऑफ़ दी रूल ऑफ़ इज़्ज़ुद्दीन’ से सम्मानित किया गया था और अब भारत के लिए मालदीव से एक और अच्छी खबर आई है। दरअसल, मालदीव और चीन के बीच हिंद महासागर में एक वेधशाला बनाने के लिए समझौता हुआ था और अब पीएम मोदी के मालदीव दौरे के बाद ये संभावनाएँ जताई जा रही है कि चीन और मलदीव के बीच का ये समझौता रद्द हो सकता है। मौजूदा स्थिति में मालदीव के रिश्ते भारत के साथ मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं।

खबर के मुताबिक, जब अब्दुल्ला यामीन मालदीव में राष्ट्रपति के पद पर आसीन थे, उस समय मालदीव और चीन के बीच की नजदीकियाँ बढ़ी थी और दोनों देश के बीच ‘प्रोटोकॉल ऑन इस्टेबलिशमेंट ऑफ ज्वाइंट ओशियन ऑब्जर्वेशन स्टेशन बिटवीन चाइना एंड मालदीव्स’ नाम का समझौता हुआ था। जिससे भारत को सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई थी। इस समझौते का मतलब चीन को मालदीव के मुकुनुथू में एक वेधशाला बनाने की इजाजत देना था। फिलहाल इस समझौते पर बातचीत रुक गई है।

इस समझौते पर विराम लगना भारत के लिए इसलिए अच्छी खबर है, क्योंकि ये जगह भारत की समुद्री सीमा के बेहद करीब है और यदि ये समझौता हो जाता तो चीनी आसानी से हिंद महासागर में अपनी पैठ बना सकते थे। इसके जरिए कई व्यापारिक और दूसरे जहाजों की आवागमन होता है। इस मुद्दे पर तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव एस जयशंकर ने मालदीव के राजनयिक अहमद मोहम्मद से चर्चा की थी। जिसमें राजनयिक ने स्पष्ट किया था कि चीन केवल मौसम संबंधी महासागर अवलोकन केंद्र बनाना चाहता है।

हालाँकि, यामीन सरकार ने इस समझौते को कभी सार्वजनिक नहीं किया और जब मामला सामने आया तो चीन ने इस पर सफाई देते हुए कहा था कि वेधशाला का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्य के लिए नहीं होगा। मालदीव दौरे के दौरान पीएम मोदी ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत की विकासात्मक साझेदारी दूसरों को सशक्त बनाने के लिए थी न कि उनकी भारत पर निर्भरता बढ़ाने और उन्हें कमजोर करने के लिए।

मिर्ची बाबा चले थे जल समाधि लेने, पुलिस ने होटल से ही नहीं निकलने दिया

लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान बाबा वैराग्यनंद गिरी महाराज उर्फ़ मिर्ची बाबा ने यह दावा किया था कि अगर कॉन्ग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह चुनाव हार जाएँगे तो वो जल समाधि ले लेंगे। लेकिन दिग्विजय सिंह, बीजेपी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर से 3.64 लाख से अधिक मतों से हार गए थे। अपना दावा झूठ साबित हो जाने पर मिर्ची बाबा अपने वादे के मुताबिक़ जल समाधि लेने भोपाल पहुँच गए।

ख़बर के अनुसार, जल समाधि लेने से रोकने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस उन पर कड़ी निगरानी रख रही है। इससे पहले उन्होंने 14 जून को ज़िला कलेक्टर तरुण कुमार पिथोड़े को पत्र लिखकर रविवार (16 जून) को दोपहर में 2.11 मिनट पर जल समाधि की अनुमति माँगी थी। इसकी अनुमति न देते हुए भोपाल कलेक्टर ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने को कहा, जिससे बाबा की जान को कोई हानि न पहुँच सके।

ज़िला कलेक्टर की अनुमति न मिलने पर मिर्ची बाबा रविवार दोपहर को अपने बताए मुहुर्त (2.11 मिनट) के समय जल समाधि लेने तालाब तक नहीं पहुँच सके। पुलिस ने उन्हें होटल से बाहर ही नहीं निकलने दिया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बाबा को जल समाधि लेने नहीं दिया जा सकता और इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि क़ानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है कि ऐसी अनुमति दी जाए।

वहीं, मिर्ची बाबा का कहना है कि वो अपने वादे के अनुसार जल समाधि लेना चाहते हैं, लेकिन प्रशासन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहा है। ग़ौरतलब है कि दिग्विजय सिंह को चुनाव में जिताने के लिए बाबा वैराग्यनंद ने यज्ञ करते समय यह घोषणा कर दी थी कि अगर दिग्विजय सिंह भोपाल सीट से चुनाव नहीं जीते तो वो समाधि ले लेंगे। जानकारी के अनुसार, उनकी इस घोषणा के बाद निरंजनी अखाड़े ने उन पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया था।

इसके अलावा, मिर्ची बाबा के अधिवक्ता माजिद अली ने कहा, “गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर में तपस्या के बाद बाबा भोपाल हवाई अड्डे पर उतरे हैं और इसके बाद से ही पुलिस लगातार उनकी निगरानी कर रही है।”

मीडिया गिरोह ने RSS प्रमुख मोहन भागवत पर छापी Fake News, PCI के सामने हुए शर्मसार

कुछ समय पहले इंडियन एक्सप्रेस के स्तंभकार करन थापर और एक्सप्रेस समूह के मराठी दैनिक ‘लोकसत्ता’ के संपादक गिरीश कुबेर ने सरसंघचालक मोहन भागवत के ऊपर लेख लिखा था। इस लेख में सच्चाई को बिना जाने मोहन भागवत के वक्तव्य को तोड़ मरोड़ कर प्रकाशित किया गया था कि 2015 में हुई अख़लाक की मौत पर उन्होंने एक व्याख्यान के दौरान टिप्पणी की, कि वेदों में गाय की हत्या करने वालों को मारने का निर्देश है। जबकि मोहन भागवत ने ऐसी कोई बात नहीं कही थी। उस लेख पर डोंबीवली के स्थानीय श्री अक्षय फाटक ने शिकायत दर्ज की थी, जिसपर भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India) ने दोनों अखबारों के संपादकों के ख़िलाफ़ नोटिस जारी किया। इस घटना पर प्रेस परिषद ने दोनों अखबारों की कड़े शब्दों में निंदा की।

2018 में नई दिल्ली में संघ ने ‘भविष्य का भारत’ नामक तीन दिन की व्याख्यान शृंखला आयोजित की थी। इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत का बातचीत का सत्र रखा गया। जिसके बाद 21 सितंबर 2018 को लोकसत्ता में संपादकीय छपा जिसमें अखलाक़ की मौत पर मोहन भागवत के नाम पर झूठे बयान को प्रकाशित किया गया। इसमें लिखा था कि उन्होंने तीन दिन के व्याख्यान के बाद दुखद घटना पर ये प्रतिक्रिया दी है कि वेदों में गाय को मारने वाले की हत्या करने का आदेश है।

इसी दिन इंडियन एक्सप्रेस में भी ऐसा लेख छपा जिसमें थापर ने लेख का टाइटल दिया, “HAS THE GROUND SHIFTED.” जबकि मोहन भागवत ने वास्तविकता में अख़लाक़ मामले में हुई हिंसा और मॉब लिचिंग के प्रति कड़ी निंदा जाहिर की थी, लेकिन अखबारों ने इसे अपने विचारों में लपेटकर पेश करना उचित समझा।

जब इस मामले को 29 मार्च 2019 में प्रेस परिषद में सुना गया तो न्यूजपेपर की ओर से जवाब आया कि उन्हें लगा जो बयान उन तक पहुँचा वो सही बयान हैं, जबकि वास्तव में वह एक भूल थी। लेकिन प्रेस परिषद ने पाया कि यह कोई अनजाने में हुई गलती नहीं है। प्रेस परिषद द्वारा जाँच कमेटी की रिपोर्ट स्वीकार कर ली गई जिसमें कहा गया है कि गलती तब मानी जाती जब इसे कोई जूनियर पत्रकार करता।

तब इस सुनवाई को टाला जा सकता था, लेकिन इस मामले में गलती दिग्गज़ अनुभवी पत्रकारों से हुई है। इसलिए जाँच कमेटी का विचार है कि ये गलती ‘Bona-fide’ (अनजाने में की गई भूल) नहीं है। परिषद ने कहा कि वक्तव्य के तथ्य की जाँच की जा सकती थी। इस तरह के बयानों को आधार बनाते हुए स्तंभकारों को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए, जिसमें दोनों संस्थानों के दिग्गज पत्रकार असफल रहे।

प्रेस परिषद ने दोनों अखबारों का माफीनामा भी खारिज कर दिया और शिकायतकर्ता की शिकायत पर कहा है कि पाठक को अधिकार है कि अगर वो अखबार में किसी तरह की गलती पाता है तो सीधे परिषद से संपर्क करे। परिषद ने इस मामले में इंडियन एक्सप्रेस और लोकसत्ता की कड़े शब्दों में निंदा की जिसकी एक कॉपी जनसंपर्क निदेशक, महाराष्ट्र सरकार और मुंबई के डिप्टी कमिशनर ऑफ पुलिस को भी दी जाएगी।

5 लाख डॉक्टर आज हड़ताल पर, बंद कमरे में नहीं मीडिया के सामने हो बातचीत: डॉक्टरों की माँग

पश्चिम बंगाल में जनहित को देखते हुए डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलने के लिए तैयार हो गए हैं। लेकिन डॉक्टरों की शर्त है कि मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात बंद कमरे में न होकर, मीडिया के सामने हो। इस मीटिंग को लेकर अभी डॉक्टर या फिर सीएम की तरफ से कोई समय या स्थान की जानकारी नहीं दी गई है।

गौरतलब है इससे पहले शुक्रवार-शनिवार को डॉक्टरों ने सीएम से मुलाकात के निमंत्रण को ठुकरा दिया था। उनका कहना था कि इस मीटिंग को लेकर डॉक्टरों में काफ़ी डर है, जिसके कारण उनका कोई प्रतिनिधि सीएम से मुलाकात करने नहीं जाएगा। पहले डॉक्टरों की माँग थी कि ममता बनर्जी को एनआरएस मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल आकर डॉक्टरों से बात करनी चाहिए लेकिन ममता ने डॉक्टरों का बात नहीं मानी और अपनी हठ पर अड़ी रहीं। उनकी इस हठ के कारण बिहार में भी 12,000 डॉक्टर आज हड़ताल पर हैं जहाँ AES से अब तक 100 से ज्यादा बच्चे मर चुके हैं।

हालाँकि इस बीच, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि भले ही बंगाल में हड़ताल खत्म हो जाए, लेकिन वह डॉक्टरों की सुरक्षा की माँग के लिए सोमवार (जून 17, 2019) को देशभर में हड़ताल करेंगे। उनकी ये हड़ताल सेंट्रल एक्ट को लेकर होगी। आईएमए के मुताबिक इस मामले पर सालों से माँग चली आ रही है, लेकिन उन्हें बदले में केवल आश्वासन ही मिलता है।

ये हड़ताल आज सुबह 6 बजे से शुरू होकर कल (18 जून 2019) सुबह 6 बजे तक होगी। इन 24 घंटों में देशभर से 5 लाख डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे। वहीं युनाईटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स असोसिएशन इंडिया का कहना है कि उनकी हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक उनकी माँग का कोई समाधान नहीं निकलता। इसी प्रकार डीएमए (दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन) ने भी सभी निजी क्लिनिक और सेंटर से अपने अस्पताल, क्लिनिक और लैब बंद रखने की अपील की है।

हड़ताल के दौरान दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक में ओपीडी बेसिस पर इलाज संभव होगा। दिल्ली सरकार के डीजीएचएस डॉक्टर अशोक कुमार राणा ने बताया है कि मोहल्ला क्लीनिक में स्ट्राइक का असर नहीं होगा, यहाँ रुटीन में ही पहले की तरह इलाज होगा। इसके अलावा हड़ताल होने के बावजूद सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में इमरजेंसी में इलाज होगा। इस हड़ताल में दिल्ली का एम्स शामिल नहीं होगा, यहाँ आम दिनों की तरह इलाज किया जाएगा। एम्स के मुताबिक, डॉक्टर इस आंदोलन के समर्थन में काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएँगे लेकिन सोमवार को आम दिनों की तरह ओपीडी में मरीजों का इलाज करेंगे।

UP में नाबालिग किशोर के साथ गैंगरेप, वसीम व रहमान सहित 4 के ख़िलाफ़ मामला दर्ज

उत्तर प्रदेश में बलात्कार की घटनाएँ थमती नहीं नज़र आ रही हैं। अपराधियों का बोलबाला है। लड़कियाँ तो दूर की बात, अब बेख़ौफ़ दुष्कर्मी लड़कों तक को नहीं छोड़ रहे हैं। अब शाहजहाँपुर से गैंगरेप की नई घटना सामने आई है। ताज़ा मामले के अनुसार, शहर के पुवाया थानाक्षेत्र में एक नाबालिग किशोर के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। मामले में एक ही गाँव के 4 लोगों को आरोपित बनाया गया है। ये सभी जलजीरा पिलाने का प्रलोभन दे कर 13 वर्षीय किशोर को बगीचे में ले गए और फिर उसके साथ गैंगरेप किया। आरोपितों के नाम है- वसीम, रहमान रवि और गुल्ली।

पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपितों को धर-पकड़ के लिए प्रयास तेज़ कर दिया है। पुवाया के थाना प्रभारी जसवीर सिंह ने इस मामले में अधिक जानकारी देते हुए कहा, “13 वर्षीय किशोर को गाँव के ही 4 युवक शनिवार की शाम आम का जलजीरा पिलाने के बहाने गाँव के बाहर स्थित एक बगीचे में ले गए। इसके बाद चारों आरोपितों ने उसके साथ कुकर्म किया और किसी को कुछ भी न बताने की धमकी भी दी। किशोर ने घर आकर परिजनों को घटना के बारे में बताया।

सभी आरोपित घटना के बाद से फरार हैं। पीड़ित नाबालिग किशोर को मेडिकल जाँच के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सभी आरोपितों ने बारी-बारी से किशोर के साथ बलात्कार किया था। परिजनों को जब पीड़ित नाबालिग ने अपनी आपबीती सुनाई, उसके बाद पुलिस में मामला दर्ज कराया गया।

हॉन्ग कॉन्ग के विशेषाधिकार पर प्रहार: चीन के ख़िलाफ़ 10 लाख लोगों ने किया बड़ा विरोध प्रदर्शन

हॉन्ग कॉन्ग में चीन द्वारा थोपे जा रहे क़ानून के ख़िलाफ़ बड़ी संख्या में लोगों ने सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, क़रीब 10 लाख लोग काले कपड़ों में सड़कों पर उतरे। बीजिंग द्वारा प्रदेश पर थोपे जा रहे क़ानून के ख़िलाफ़ लोगों ने सड़कें जाम की। लोग उस क़ानून के विरोध में क्रोधित हैं, जिसमें कहा गया है कि किसी भी आरोपित को पहले मेनलैंड चीन ले जाया जाएगा और वहाँ पर उसके ख़िलाफ़ मामला चलाया जाएगा। चीन ने 1997 में इस पूरे क्षेत्र को नियंत्रण में लिया था, उसके बाद से लेकर आज तक विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र के लिए यह सबसे कठिन समय है। जनता और सुरक्षा बलों के बीच झड़पें भी हुईं।

यह सब एक सप्ताह से चल रहा है। लोगों ने अपने बैनरों में प्रशासक कैरी लैम के इस्तीफे की माँग की। जनता कैरी से नाराज़ है और इस क़ानून को हॉन्ग कॉन्ग की स्वतन्त्रता और संप्रभुता पर हमले के रूप में देख रही है। जनता को आशंका है कि इस क़ानून के लागू हो जाने के बाद किसी भी आरोपित को चीन भेज कर उसके बाद बुरा बर्ताव किया जाएगा। ऐसे आरोपितों को प्रताड़ित कर के उसपर राजनीतिक षड़यंत्र के तहत सजा देने की कोशिश की जा सकती है। जनता का कहना है कि कैरी लैम इस्तीफा दें, पुलिस अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ हिंसक रुख अख्तियार करने के लिए माफ़ी माँगे और यह प्रत्यर्पण क़ानून वापस लिया जाए

बीजिंग ने हॉन्ग कॉन्ग के मामले में ‘एक देश, दो सिस्टम’ वाली नीति अपनाने की बात हमेशा से की है लेकिन हॉन्ग कॉन्ग की जनता मानती है कि अब प्रदेश के सामाजिक, न्यायिक और राजनीतिक व्यवस्था पर शी जिनपिंग द्वारा धीरे-धीरे प्रहार किया जा रहा है। हालाँकि, कैरी ने इस क़ानून पर तत्काल के लिए रोक लगाने की बात कही है लेकिन फिर भी जनता ने सरकारी इमारतों का घेराव किया। चीन के विदेश मंत्रालय ने सफ़ाई देते हुए कहा, “हॉन्ग कॉन्ग के निवासियों के अधिकार और स्वतन्त्रता क़ानून के अनुसार पूरी तरह सुरक्षित है। हॉन्ग कॉन्ग की समृद्धि और स्थिरता को बनाए रखना ना केवल चीन के हित में बल्कि दुनिया के सभी देशों के हित में हैं।

मानवाधिकार के मामले में चीन के रवैये को देखते हुए हॉन्ग कॉन्ग के लोगों का डर जायज है। हॉन्ग कॉन्ग पहले ब्रिटिश शासन के आधीन था। हॉन्ग कॉन्ग को विशेष दर्जे के तहत कई अधिकार 50 वर्षों के लिए दिए गए थे, जो 2047 में ख़त्म होने वाला है। लेकिन, चीन की कम्युनिस्ट सरकार इसे पहले ही ख़त्म करना चाहती है। प्रशासक कैरी लैम को भी चीन समर्थक माना जाता है।

FATF के 27 में से 25 शर्तों पर फेल पाकिस्तान, पाई-पाई को मोहताज

Financial Action Task Force (FATF) से पाकिस्तान ने लश्कर और जैश को आर्थिक सप्लाई रोकने के लिए जो 27 वादे किए थे, उनमें से 25 वह पूरे करने में नाकाम रहा है। इसके अलावा वह मुखौटा संगठनों जैसे जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर भी लगाम कसने में नाकाम रहा है। इसीलिए FATF की वह ‘ग्रे’ लिस्ट में बना हुआ है और उसकी आर्थिक हालत पतली है, जिसके चलते वहाँ की सेना को भी अपना बजट कम करना पड़ा है

IMF, World Bank, EU दिखाते रहेंगे ठेंगा

FATF की ग्रे लिस्ट में बने रहने का मतलब है पाकिस्तान को IMF, World Bank, EU जैसे बड़े ‘कर्जदाताओं’ से कर्ज मिलने की संभावना नहीं है। वह उसकी आर्थिक रेटिंग गिराते रहेंगे, जिससे पहले से पतली उसकी अर्थव्यवस्था चरमराने लगेगी। ऑपइंडिया ने यह खबर पहले भी प्रकाशित की थी कि इस आर्थिक संकट में पाकिस्तान को अपनी सेना का बजट भी कम करना पड़ा है

नहीं झोंक पाया धूल

पकिस्तान ने दुनिया की आँखों में धूल झोंकने के लिए लश्कर, जैश जैसे संगठनों के काडर को गिरफ्तार करने का नाटक किया था। लेकिन यह गिरफ़्तारी Anti-Terrorism Act, 1997 के अंतर्गत नहीं, Maintenance of Public Order (MPO) Act के अंतर्गत हुई थी। इसमें अधिकतम 60 दिन तक ही उन्हें जेल में रखा जा सकता है। पहले भी पाकिस्तान जिहाद के सरगनाओं मसूद अज़हर और हाफ़िज़ सईद को जेल में डालने का नाटक कर चुका है। लेकिन कभी भी उन्हें आतंक-रोधी धाराओं में मुकदमे चला कर सजा दे पाने में पाकिस्तान नाकाम ही रहा है।

इसके अलावा केवल गिरफ़्तारी ही FATF की माँग भी नहीं थी। FATF ने पाकिस्तान को खातों पर रोक, हथियारों तक पहुँच न होने देने और यात्रा प्रतिबंधों की भी शर्त रखी थी। इसके अलावा FATF चाहता था कि जिहादियों पर आर्थिक दंड भी इतनी बड़ी राशि का हो जो जिहाद से हतोत्साहित कर सके। MPO के अंतर्गत गिरफ्तारी से इनमें से कुछ भी नहीं किया जा सकता।

जिहादियों के मदरसों के लिए 70 लाख डॉलर?

FATF ने यह भी पूछा है कि क्या पाकिस्तान ने कोई जाँच इस मामले पर बिठाई है कि 70 लाख अमेरिकी डॉलर कथित रूप से जिहादियों से तकनीकी रूप से जब्त किए गए मदरसों, स्कूलों, अस्पतालों आदि को बदस्तूर जारी रखने और उनके रख-रखाव में खर्च हो रहे हैं। इसमें से 20 लाख डॉलर पाकिस्तानी पंजाब और बाकी 50 लाख डॉलर बाकी समूचे पाकिस्तान में खर्च हो रहे हैं

पाकिस्तान को FATF में ब्लैकलिस्ट किए जाने की भारत माँग करता रहा है। जवाब में पाकिस्तान में भारत को उसके एशिया-प्रशांत सह-चेयर पद से हटाए जाने की माँग की है। इसके लिए उसने दोनों देशों के बिगड़े संबंधों का हवाला दिया है।

धर-दबोचे 70+ आतंकी, उनके ठिकानें किए तबाह: भारत-म्यांमार के सेनाओं की संयुक्त कार्रवाई

भारत और म्यांमार ने साझा ऑपरेशन करते हुए उत्तर-पूर्वी राज्यों में कई आतंकी कैम्पों को तबाह कर दिया। दोनों देशों की सेनाओं ने मणिपुर, नागालैंड और असम में सक्रिय आतंकी संगठनों के कैम्पों को तबाह किया। यह सब कुछ एक दिन में नहीं हुआ बल्कि यह भागीदारी पूरे 3 सप्ताह तक चली। इससे पहले ऑपरेशन सनशाइन के तहत भी दोनों सेनाओं ने यह कार्रवाई की थी। भारत और मयांमार आपस में 1640 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं, ऐसे में दोनों देशों के बीच इस तरह की अंडरस्टैंडिंग होना सही है। ताज़ा ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सनशाइन 2’ कहा जा रहा है।

दोनों देशों की सेनाओं ने इस संयुक्त ऑपरेशन में जिन आतंकी संगठनों को निशाना बनाया गया, उनमें कामतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (KLO), एनएससीएन (NSCN), उल्फा और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) शामिल हैं। इस अभियान के दौरान 70 से भी अधिक आतंकियों को धर-दबोचा गया और उनके ठिकाने तबाह कर दिए गए। इस अभियान में असम राइफल्स के जवानों ने भी भाग लिया। दोनों देशों की ख़ुफ़िया एजेंसियाँ लगातार एक-दूसरे से जानकारियाँ साझा कर रही हैं और इसके आधार पर आगे भी ऐसी कार्रवाइयाँ की जा सकती हैं।

इससे पहले 2 से 26 फरवरी तक ऑपरेशन सनशाइन 1 चलाया गया था। तब भारतीय सेना ने अपनी सीमा में अराकान उग्रवादी समूह के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करते हुए उसकी कमर तोड़ दी थी। 2015 में भी सेना ने एनएससीएन के खिलाफ इंडो-म्यांमार बॉर्डर पर ऑपरेशन चलाया था। यह ऑपरेशन इसलिए चलाया गया था क्योंकि आतंकियों के हमले के कारण मणिपुर में सेना के 18 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे।