Tuesday, October 1, 2024
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ओडिशा में कॉन्ग्रेस को बड़ा झटका, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष ने दिया इस्तीफ़ा

2019 लोकसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस को ओडिशा में जोरदार झटका लगा है। ओडिशा के कॉन्ग्रेस प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नबा किशोर दास ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है। नबा किशोर दास ने कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी को पत्र लिखकर अपना इस्तीफ़ा दिया। अपने इस्तीफ़ा पत्र में दास ने लिखा है, “मेरे क्षेत्र को लोग यह चाहते हैं कि मैं बीजू जनता दल (BJD) की  टिकट पर चुनाव लडूँ। यही वजह है कि मैंने नवीन पटनायक के पार्टी के साथ जाना स्वीकार कर लिया।”

जानकारी के लिए आपको बता दें कि दास वर्तमान समय में ओडिशा के झारसुगुड़ा विधानसभा से विधायक हैं। वो यहीं से बीजेडी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं।

राज्य में होने वाली है राहुल की रैली

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी 25 फरवरी को ओडिशा में रैली करने वाले हैं। ऐसे में रैली से ठीक पहले एक तरह से कॉन्ग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का पार्टी छोड़कर जाना कॉन्ग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दास झारसुगुडा जिले के लोकप्रिय नेता हैं और उन्होंने बीजद उम्मीदवार को 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में हराया था।  

राहुल के महागठबंधन को पहले भी लग चुका है झटका

2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के ख़िलाफ़ सभी विरोधी दलों को एक साथ संगठित करने के राहुल के प्रयास को पहले ही झटका लग चुका है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के बयान के बाद अखिलेश यादव और मायावती ने भी महागठबंधन से किनारा कर लिया है।

पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान महागठबंधन को ख़ारिज कर दिया था। इस इंटरव्यू में संजय सिंह ने कहा था कि उनकी पार्टी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और गोवा में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इस तरह आम आदमी पार्टी की तरफ से यह बयान आने के बाद महागठबंधन पर संकट के बादल साफ़ दिखने लगे थे।

TV एक्ट्रेस को क्यों बनाया HRD मंत्री: एक्टर से स्वास्थ्य मंत्री बने शत्रुघ्न सिन्हा का बेकार सवाल

फ़िल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, जो कि बिहार की पटना साहिब सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी हैं, ने मोदी सरकार से नाराज़गियों के चलते एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को निशाना बनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक टेलिविज़न एक्ट्रेस को मानव संसाधन विकास मंत्रालय देकर गलत किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पिछले कुछ समय से शत्रुघ्न सिन्हा लगातार हमला करते आए हैं, विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले शत्रुघ्न सिन्हा अटल बिहारी वाजपेई सरकार के समय स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा, “मंत्री बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन किसी टेलीविज़न एक्ट्रेस को सीधे मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दे देना कहाँ तक उचित है?”

शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा को अपनी पार्टी बताते हुए कहा कि उन्होंने कभी पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं बोला और अब भी पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं बोल रहे हैं, बल्कि पार्टी को आईना दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं सच बोलता रहा हूँ और बोलता रहूँगा।” अगला लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के वाराणसी क्षेत्र से लड़ने का संकेत देते हुए उन्होंने कहा, “सिचुएशन चाहे जो भी हो, लोकेशन यही होगा।”

फ़िल्म अभिनेता सिन्हा ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की तारीफ़ करते हुए कहा कि उनमें बहुत कम समय में जो परिपक्वता आई है, उससे अन्य पार्टी के अध्यक्षों को भी सीख लेनी चाहिए। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, “मैं शुरू से ही गाँधी परिवार का फ़ैन रहा हूँ। मैं नेहरू से लेकर सोनिया गाँधी तक का प्रशंसक रहा हूँ और अब राहुल गाँधी का भी प्रशंसक हूँ।”

मंत्रालय ना मिलने का दुःख प्रकट करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उन्होंने 2014 के चुनावों में सर्वाधिक वोट शेयर हासिल किया था, फिर भी उन्हें मंत्रालय नहीं दिया गया।

क्या महिलाओं को अपमानित करने वाले गुटों का प्रभाव दिखने लगा है शत्रुघ्न सिन्हा पर?

केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को टेलिविज़न एक्ट्रेस कहकर उनकी योग्यता पर सवाल उठाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा शायद मोदी सरकार में कोई मंत्रालय ना मिलने से इतने बौख़ला गए हैं कि हर दिन वो अपनी मर्यादा भूलते जा रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने इसी बयान में यह भी ज़िक्र किया है कि वो नेहरू से लेकर सोनिया गाँधी तक के प्रशंसक रहे हैं और अब राहुल गाँधी के भी प्रशंसक हैं।

ये सिर्फ इत्तेफ़ाक ही हो सकता है कि कुछ दिन पहले ही राहुल गाँधी को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा केन्द्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन के ख़िलाफ़ आपमानजनक बयान देने के लिए नोटिस भेजा गया है। मोदी विरोध में अक्सर देखा जा रहा है कि विपक्ष में मानो प्रतिदिन मोदी सरकार में मौज़ूद महिलाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक बयान देने की होड़ लग चुकी है। शायद शत्रुघ्न सिन्हा भी अपने प्रेरणाश्रोतों  के ही क़दमों पर आगे बढ़ रहे हैं।

2017 में दिया था बयान, ‘मुझमें कम्पाऊंडर बनने की काबिलियत भी नहीं थी, लेकिन मैंने स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर काम किया’

मोदी सरकार में मंत्रालय ना मिलने से दुखी शत्रुघ्न सिन्हा शायद कुछ साल पहले दिया गया अपना ही एक बयान भूल गए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था, “मुझमें कम्पाउंडर बनने की काबिलियत भी नहीं थी, लेकिन मैंने स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर काम किया।

24 जनवरी को सेलेक्शन पैनल की बैठक में CBI निदेशक पर होगा फ़ैसला

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (सीबीआई) निदेशक पद के लिए सेलेक्शन पैनल की बैठक 24 जनवरी को होगी। इस बैठक में देश के अगले सीबीआई निदेशक के बारे में फ़ैसला लिया जाना है। अगले सीबीआई निदेशक की नियुक्ति होने तक अतिरिक्त निदेशक नागेश्वर राव को इस पद की जिम्मेदारी दी गई है। हालाँकि, आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के बाद अंतरिम निदेशक के रूप में नागेश्वर राव की नियुक्ति को कॉमन कॉज नाम के एक एनजीओ ने कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले पर अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में फ़ैसला होना है।

पूर्व सीबीआई निदेशक पर था यह आरोप

पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर भष्टाचार के मामले में कई सारे आरोप लगे थे। उनपर लगाए गए आरोपों में नीरव मोदी मामला और विजय माल्या के केस भी शामिल था। आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार 26 दिसंबर 2018 को सीबीआई से एक ख़त के ज़रिए, इन मामलों से जुड़े हर दस्तावेज़ पेश करने को कहा गया था, ताकि पूरी जाँच को तार्किकता के धरातल पर सँभव किया जा सके।

आलोक वर्मा पर आरोप था कि उन्होंने नीरव मोदी के मामले में जाँच बिठाकर छानबीन कर अपराधियों को पकड़ने से ज्यादा मामला को रफ़ा-दफ़ा करने का प्रयास किया था। इसके बाद आलोक पर सी शिवशंकरन का मामला समेट कर उन्हें बचाने का भी आरोप था। बता दें कि सी शिवशंकरन पर IDBI बैंक के साथ 600 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड का आरोप है।

मोइन कुरैशी केस में भी आयोग की रिपोर्ट में आलोक वर्मा पर संदेह जताया गया कि उन्होंने सतीश साना से 2 करोड़ की रिश्वत ली थी। इस रिपोर्ट के सबूतों (circumstantial evidence) के आधार पर पूरा सच सामने आ सकता है, अगर कोर्ट के द्वारा जांच का आदेश मिले।

आईआरसीटीसी केस में भी आलोक वर्मा पर आरोप है। इस केस में उन्होंने संदिग्ध राकेश सक्सेना का नाम FIR से नाम हटवा दिया था। जिसके पीछे कारण बताया गया कि राकेश सक्सेना उनके करीबियों में से एक थे।

पशु तस्करी के मामले से भी आलोक अछूते नहीं हैं। इस मामले में भी उन पर कई आरोप लगे हैं, हालांकि इनकी अभी पुष्टि नहीं हुई है।

हरियाणा में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चल रही जाँच में पुख़्ता सबूत के लिए समय और रिसोर्सेज की जरूरत पर आयोग ने बल दिया। हालाँकि आयोग का कहना है कि अगर इस पर उन्हें कोर्ट से जाँच का आदेश मिलेगा तो वो इसका निष्कर्ष दो हफ्तों में जरूर निकाल देंगे।

सिख, जैन और बौद्ध और सभी धर्मों के मतावलंबी भी आते हैं कुंभ में

कुंभ हिन्दुओं का सबसे बड़ा समागम है। इतना बड़ा कि मुग़ल बादशाह और अंग्रेज़ी हुकूमत ने भी हमले और कर आदि लगाकर इस मेले को बंद करने के प्रयास किए थे। करोड़ों हिन्दुओं के इतने बड़े जमावड़े को आज भी विदेशी बुद्धिजीवी एक समुदाय के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखते हैं जबकि कुंभ में आने वाले सभी सनातनधर्मी ही होते हैं जो बिना किसी निमंत्रण के इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर विविध प्रकार के शांतिपूर्वक अनुष्ठान करते हैं।

यह सुनने में अटपटा लगता है लेकिन कुंभ में हिन्दुओं के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी लोग आते हैं जो या तो हिन्दू नहीं हैं या सनातन धर्म की अन्य शाखाओं को मानने वाले हैं। इनमें सिख, जैन, बौद्ध और कुछ मजहब विशेष के लोग भी हैं।

श्री नित्यानंद मिश्रा जी ने अपनी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक Kumbha: The Traditionally Modern Mela में लिखा है कि सिख, जैन, बौद्ध और सम्प्रदाय विशेष के अतिरिक्त ईसाई भी कुंभपर्व में अपनी आध्यात्मिक क्षुधा शांत करने आते हैं।

पुस्तक के अनुसार सिखों का निर्मल अखाड़ा कुंभ में स्नान करने जाता है। 2013 के प्रयागराज कुंभ में निर्मल अखाड़े ने शिविर लगाया था जिसमें गुरु ग्रन्थ साहिब की आरती की गई थी। यह दिखाता है कि सनातन के वृक्ष से उसकी डालें कितनी मजबूती से जुड़ी हुई हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल हरिद्वार में स्थित है और इसमें लगभग 15,000 साधु सम्मिलित हैं।

निर्मल अखाड़े के साधु गुरु नानक जी को अपने सम्प्रदाय का प्रणेता मानते हैं। सन 1686 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने 5 संतों को पेओंटा साहिब से काशी संस्कृत पढ़ने भेजा था। निर्मल अखाड़े के साधु इसी परंपरा को अपने समुदाय का आरंभ मानते हैं। 2013 प्रयाग और 2016 उज्जैन कुंभ में सिख समुदाय के कई लोग आए थे।

सिखों के अतिरिक्त जैन समुदाय के लोग भी 2016 के उज्जैन कुंभ में आए थे। 2016 के कुंभ में एक जैन साध्वी को जूना अखाड़ा का महामंडलेश्वर बनाया गया था। स्वामी अवधेशानंद गिरी ने साध्वी चन्दनप्रभा गिरी के कानों में मंत्र बोले और उन्हें महामंडेलश्वर बनाया। महामंडलेश्वर बनने के पश्चात जैन गुरु आचार्य तुलसी की शिष्या रहीं चंदनप्रभा गिरी ने नया नाम ‘चंदन प्रभानंद गिरी’ धारण किया। उज्जैन कुंभ में 1008 जैन जोड़ों ने एक साथ देवी पद्मावती की पूजा की थी।

नित्यानंद मिश्रा जी ने अपनी पुस्तक में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉटरलू के ईसाई प्रोफ़ेसर डैरल ब्रायंट के अनुभव के बारे में लिखा है। प्रो ब्रायंट ने कुंभ पर्व के बारे में अपने अनुभव बताते हुए लिखा, “संभवतः हिन्दुओं का कोई अन्य आयोजन इतना विराट नहीं होता जितना कुंभ मेला। एक ईसाई होने के बावजूद मैं इस धर्म को समझना चाहता हूँ। इस पर्व में सम्मिलित होने पर सभी ने मेरा स्वागत किया। कुंभ में सम्मिलित होकर मैंने उस धर्म को जानने की चेष्टा की जिसमें मेरी आस्था नहीं है। इस प्रयास में मैं हिन्दू तीर्थयात्रियों के आंतरिक विश्वास के बेहद करीब चला गया। जिस खुलेपन से हिन्दुओं ने मुझे सम्मिलित होने दिया उसके लिए मैं उनके प्रति आभारी हूँ।”

नित्यानंद मिश्रा जी ने अपनी पुस्तक में दो लोगों का उल्लेख किया है जो कुंभ में जाते हैं। आज़मगढ़ के शमीम अहमद 1983 से कुंभ में डुबकी लगाते रहे हैं। वे किसी आस्थावान हिन्दू की भाँति गंगाजल को अपने घर में रखते हैं। अनवर मोहम्मद ने कई वर्षों तक निरंजनी अखाड़े के स्नान के समय शहनाई बजाई थी। उन्हें 2013 कुंभ में निरंजनी अखाड़े ने साधु बनाकर सम्मिलित किया था।

वैसे तो बौद्ध मतावलंबी कुंभ में सम्मिलित नहीं होते किंतु शांतुम सेठ 2013 कुंभ में एक महीने के लिए भगवान बुद्ध की प्रेरणा से आए थे। उनका कहना था कि बुद्ध ने सदैव तीर्थयात्रा पर जाने का उपदेश दिया जिसे मानकर वह कुंभ में आए हैं। परम पावन दलाई लामा तेनज़िंग ग्यात्सो कई कुंभ मेलों में सम्मिलित हो चुके हैं। उन्होंने 2001 में प्रयाग कुंभ में माँ गंगा की आरती की थी।   

इस प्रकार कुंभ केवल हिन्दुओं का नहीं बल्कि समूची मानव जाति के कल्याण पर्व के रूप में प्रतिष्ठित है।

डिस्क्लेमर:- प्रस्तुत लेख में सभी जानकारी नित्यानंद मिश्रा जी की 2019 में प्रकाशित पुस्तक Kumbha: The Traditionally Modern Mela (Bloomsbury Publishers) से ली गई हैं।

13 नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए कैबिनेट की हरी झंडी

केंद्रीय कैबिनेट ने देश में 13 नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना को हरी झंडी दिखा दी है। कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल ने इसी विषय पर प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के दौरान कहा कि सरकार ने इन विश्वविद्यालयों के निर्माण के लिए ₹3,639.32 करोड़ अप्रूव किया है। केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान में यह भी कहा कि सरकार ने इन विश्वविद्यालयों को बनाने के लिए 36 महीने की समय-सीमा तय की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं के लिए कई बड़े और महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाने के लिए मोदी सरकार के इसी तरह के फ़ैसले का उदाहरण इशान उदय, इशान विकाश व प्रगति जैसी स्कॉलरशिप योजनाएँ हैं। यही नहीं, सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई एजुकेशन पॉलिसी लाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।

ब्याज मुक्त स्टूडेंट लॉन के बजट को भी बढ़ाया गया

भाजपा सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सितंबर 2018 में कहा था कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले छात्रों को बिना ब्याज दिए जाने वाले कर्ज के बजट को ₹800 करोड़ से बढ़ाकर आगामी तीन साल में ₹2,200 करोड़ कर दिया जाएगा। जानकारी के लिए आपको बता दें कि जब केंद्र में मोदी के नेतृत्व में 2014 में सरकार बनी थी, तो उस समय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 4 से 5 लाख छात्रों को ब्याज मुक्त कर्ज देने के लिए ₹800 करोड़ का बजट होता था। जबकि, अब अगले तीन साल में इस बजट में ₹1,400 करोड़ बढ़ाकर ₹2,200 करोड़ रपए करने का लक्ष्य सरकार ने तय किया है।   

शिक्षा में 10% आरक्षण कोटा लागू

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पिछले दिनों कहा कि देश भर के 40,000 कॉलेज व 900 यूनिवर्सिटी में इसी साल से सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 10% आरक्षण कोटा लागू किया जाएगा। मंत्री ने अपने बयान में कहा कि छात्रों को सरकारी व ग़ैर-सरकारी, दोनों ही तरह के, संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके आलावा मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान कोटे में किसी तरह से छेड़छाड़ किए बिना 10% अतिरिक्त कोटा के ज़रिए इस कैटेगरी के छात्रों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी कहा कि आरक्षण कोटा को लागू करने के लिए कॉलेज व यूनिवर्सिटी में 25% सीटों में भी वृद्धि की जाएगी।

केरल नन रेप केस: बिशप फ्रेंको के ख़िलाफ़ खड़े हुए 4 ननों को केरल कान्वेंट से बाहर किया गया

केरल नन बलात्कार मामले ने निराशाजनक मोड़ ले लिया है। रिपोर्ट के अनुसार, बिशप फ्रेंको मुलक्कल पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़ित नन का समर्थन करने वाली पाँच ननों में से चार को कुराविलंगद कॉन्वेंट (Kuravilangad convent) स्कूल छोड़ने के लिए कहा है। मिशनरीज ऑफ़ जीसस की तरफ़ से उन्हें यहाँ भेजा गया था। साफ़ है कि यह कार्यवाही, बलात्कार के आरोपी बिशप फ्रैंको के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन करने वाले ननों की सामूहिक ताकत को तोड़ने के लिए की गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, चर्च बॉडी ने ननों को पंजाब, हरियाणा, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर 2014 में कुराविलंगड के एक गेस्टहाउस में और बाद में कई अवसरों पर केरल के एक 44 वर्षीय नन के बलात्कार करने के आरोप हैं।

केरल में फ्रांसिस्कन क्लेरिस्ट कांग्रेगेशन (FCC) के सुपीरियर जनरल सर एन जोसेफ (Sr. Ann Joseph FCC) ने लूसी कलपुरा नाम की नन को हुजूम से निकाल देने की धमकी दी है। ऐसी धमकी उन्हें केवल इसलिए मिली है क्योंकि वह रेप आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ न्यूज़ चैनलों में बातचीत का हिस्सा बनती थी, गैर-ईसाई अखबारों में उनके लेख छपते थे और साथ ही उनपर कैथोलिक नेतृत्व के खिलाफ गलत आरोप लगाने का इल्ज़ाम है

मुलक्कल पर 2014 और 2016 के बीच जीसस मिशनरी की एक नर्स पर कई बार रेप करने का आरोप है। जिसके कारण वो अपनी बेल से पहले 3 हफ़्ते पाला की सब-जेल में भी गुज़ार कर आ चुके हैं। इसी मामले पर कुछ ननों के साथ मिलकर कलपुरा ने कोचिन के उच्च न्यायलय के परिसर में पिछले साल कई हफ्तों तक भूख हड़ताल की थी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कलपुरा को जो नोटिस प्राप्त हुआ है, उसमें लिखा हुआ है- “20 सितंबर से लेकर अभी तक तुम्हारे द्वारा किए गए काम बेहद शर्मसार करने वाले रहे जोकि चर्च को और FCC को नुकसान पहुँचा सकते हैं। तुम अपने से ऊपर पद पर आसित लोगों की अनुमति लिए बिना अरन्नाकुलम हाई कोर्ट गईं और SOS एक्शन काउन्सिल द्वारा किए 20 सितंबर 2018 के आंदोलन में भाग लिया। तुमने गैर-ईसाई अखबारों में और मंगलम (MANGALAM) और मध्यम्म(MADHYAMAM) जैसी साप्तिहिकी में भी लिखा, इसके अलावा समय (Samayam) को बिना किसी की अनुमति के तुमने इंटरव्यू भी दिया। फ़ेसबुक के ज़रिए और चैनलों की बातचीत का हिस्सा बनकर तुमने कैथोलिक नेतृत्व पर आरोप लगाया और साथ ही हमारे मूल्यों को भी गिराने की कोशिश की है। तुमने FCC की छवि बिगाड़ने का भी प्रयास किया है। तुम्हारा सोशल मीडिया पर बतौर धार्मिक सिस्टर होकर ऐसा प्रदर्शन बेहद शर्मनाक है।”

इंडियन एक्सप्रेस से हुई बातचीत में कलपुरा ने बताया कि उन्हें नहीं लगता कि कैथोलिक चर्च के नोटिस में जिन कार्यों का वर्णन हैं, उनमें से कुछ भी गलत है, उनका कहना है कि अगर उन्हें पहले पता होता कि वो लोग गलत हैं, तो वो कभी भी उनसे नहीं जुड़ती। उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले से संबंधित किसी भी प्रकार का कोई स्पष्टीकरण नहीं देना है। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि ये बदला लेने जैसा काम है। 

विश्व स्तर पर प्रगति कर रहे भारतीय विश्वविद्यालयः THE

लंदन के टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) द्वारा एक आँकड़ा जारी किया गया है, जिसमें इस साल प्रतिष्ठित ‘इमर्जिंग इकोनॉमीज़ यूनिवर्सिटी रैंकिंग’ में भारत के 49 संस्थानों को जगह मिली है। बता दें कि इन 49 में से 25 संस्थान शीर्ष 200 में जगह बनाने में भी सफल रहे हैं।

‘टाइम्स हायर एजुकेशन’ की रिपोर्ट में 2019 की सूची में सबसे अधिक जगह पाने वाला देश चीन रहा। चीन की ‘शिंगुआ यूनिवर्सिटी’ ने इसमें शीर्ष स्थान और सूची के शीर्ष पाँच में से चार संस्थान भी चीन के ही हैं। बता दें कि ‘टीएचई’ उच्च शिक्षा पर डेटा एकत्र करने, उनका विश्लेषण करने और उस पर विशेषज्ञता हासिल करने वाला एक वैश्विक संगठन है। ये हर साल अलग-अलग स्तरों पर शिक्षा जगत से जुड़ी कई रैंकिंग जारी करता है।

चारों महाद्वीपों के विश्वविद्यालयों को मिली जगह

सूची में भारत के भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) 14वें, जबकि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान IIT बॉम्बे 27वें नम्बर पर रहा। 2019 की रैंकिंग में चारों महाद्वीपों के 43 देशों के लगभग 450 विश्वविद्यालयों को इस सूची में जगह मिली है। वहीं अगर पिछले वर्ष की तुलना की जाए तो, पिछली बार से इस बार ज़्यादा विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है। पिछले साल इन विश्वविद्यालयों की संख्या 378 थी। 

इस साल की तालिका में भारत के तेज़ी से प्रगति कर रहे कई नए संस्थानों को प्रवेश मिला है। वहीं कई आगे पीछे भी हुए हैं। संगठन के अनुसार भारत ने 2018 में 42 संस्थानों की तुलना में इस साल सूची में 49 विश्वविद्यालयों के जगह हासिल करने के साथ ‘टाइम्स हायर एजुकेशन इमर्जिंग इकोनॉमी यूनिवर्सिटी रैंकिंग’ में अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाया है। शीर्ष 200 में भारत के 25 विश्वविद्यालय शामिल हैं। जिसमें IIT रुड़की, 21 स्थानों की लंबी छलाँग लगाकर शीर्ष 40 में जगह हासिल करने में सफल रहा, और अब वह 35वें स्थान पर पहुँच गया है। 

‘टाइम्स हायर एजुकेशन’ के ग्लोबल रैंकिंग एडिटर एली बोथवेल ने कहा, “भारतीय संस्थानों में सफलता की अपार संभावनाएँ हैं – न केवल उभरते हुए मंच पर, बल्कि विश्व स्तर पर भी वे प्रगति कर रहे हैं।”

राहुल गाँधी भ्रष्टाचार के मामले में बड़ी बातें करते हैं, लेकिन तेजस्वी मामले में थे चुप: नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के दौरान राहुल गाँधी के फ़ैसलों पर जोरदार हमला किया है। मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा कि राहुल भले ही भ्रष्टाचार को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हों, लेकिन बिहार में लालू यादव के मामले में उन्होंने चुप्पी साध ली था। यही नहीं उन्होंने अपने कॉन्फ़्रेन्स में यह भी कहा कि राहुल गाँधी राफ़ेल डील मामले पर खूब बोलते हैं, लेकिन नीरव मोदी, विजय माल्या और मेहुल चौकसी के मामले में कॉन्ग्रेस का सारा किया धरा हमारे सामने है। नीतीश कुमार ने आगे यह भी पूछा कि बिहार में जब राजद के लोग सरकार में रहकर प्रशासन को प्रभावित कर रहे थे तब राहुल गाँधी कहाँ गए थे?

नीतीश ने गठबंधन पर भी बयान दिया

मुख्यमंत्री ने अपने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के दौरान राजद, कॉन्ग्रेस व जदयू गठबंधन सरकार पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार मामले में राहुल गाँधी के अक्षमता की वजह से उन्होंने सरकार से अलग होने का फ़ैसला लिया था। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में कॉन्ग्रेस को 40 सीट दिलाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन इसके बावजूद राहुल गाँधी ने भ्रष्टाचार के मामले में कुछ भी नहीं बोला, यही नहीं राहुल ने इस मामले में नीतीश से मिलकर बात करना भी उचित नहीं समझा। नीतिश ने कहा कि राहुल ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जिससे कि में गठबंधन में रहने या गठबंधन से अलग होने के बारे में दुबारा विचार कर सकूँ।

कुछ असहमतियों के बावजूद हम साथ हैं

नीतीश कुमार ने अपने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के दौरान यह भी कहा कि अयोध्या, धारा 370 व यूनिफॉर्म सीविल कोड आदि के मामले में हमारे बीच असहमति है, लेकिन इसके बावजूद हम दोनों पार्टी एक साथ हैं। नीतीश ने आगे यह भी कहा कि 1999 में भाजपा-जेडीयू ने मिलकर नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) बनाई है, काफ़ी हद तक हम एक दूसरे को कॉपरेट भी करते रहे हैं। प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के दौरान नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि अमित शाह के कहने पर ही उन्होंने प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किया था।

‘दलित’ महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि ने धर्मान्तरित दलितों से घर वापसी की अपील की

भारत वह देश है जहाँ मीरा के गुरु संत रविदास हो सकते हैं। ये भी भारत ही है जहाँ बनारस जैसे पारम्परिक शहर में कबीर अपनी उलटबासियों में हिन्दू-मुस्लिम दोनों की कुरीतियों पर लताड़ते हैं।

आज कुम्भ अपने आप में समरसता की मिसाल है। और इसी समरसता की बानगी पेश करते हुए, संत कन्हैया प्रभुनंद गिरि को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने पहले दलित महामंडलेश्वर की उपाधि दी है। कन्हैया प्रभु ने कुम्भ के पहले दिन मकर संक्रांति के शाही स्नान के दौरान संगम में डुबकी लगाई।

इस दौरान उन्होंने ऐसे दलित, एसटी और ओबीसी व्यक्तियों से घर वापसी की इच्छा जताई जिन्होंने शोषण के डर से सनातन धर्म छोड़कर बौद्ध, ईसाई या इस्लाम धर्म अपना लिया है, “वे वापस सनातन धर्म से जुड़ जाएँ। मैं उन्हें दिखाना चाहता हूँ कि कैसे जूना अखाड़े ने, न सिर्फ़ मुझे शामिल किया बल्कि महामंडलेश्वर की उपाधि भी दी है। कन्हैया प्रभुनंद को पिछले साल परम्परा के अनुसार जूना अखाड़े में शामिल किया गया था।”

बता दें कि, जूना अखाड़े में बड़ी संख्या में दलित जाति के पुरुष और महिला संत पहले से हैं। इनमें से आठ को महामंडलेश्वर की उपाधि भी दी गई है। जिनमें पाँच पुरुष और तीन महिला महामंडलेश्वर हैं।

महंत हरि गिरि के अनुसार, देश के अलग-अलग हिस्सों में जूना अखाड़े के लाखों संत हैं। हिमाचल प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, कनार्टक, महाराष्ट्र और नेपाल में सभी वर्गों को मिलाकर लगभग सवा लाख महिला संत हैं। इनमें से दलित और महादलित महिलाओं की संख्या पाँच सौ के आसपास है। कुम्भ में दलित महिला संतों की संख्या और बढ़ी है।

महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभु ने एक दुखद घटना को याद करते हुए बताया, “साल 1999 में मैं उस वक्त चंडीगढ़ में था जहाँ सिख गुरुओं का एक समागम हो रहा था। जब उन्हें मेरी जाति मालूम चली तो उन्होंने मुझे प्रवेश द्वार पर ही खड़े रहने को कहा। मैं गुरुओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहता था लेकिन उन्होंने कहा कि एक शूद्र को ऐसा करने की अनुमति नहीं है।”

“लेकिन जूना अखाड़े ने आज मुझे जो सम्मान दिया है मैं उससे अभिभूत हूँ। अब मैं ऐसे पद पर हूँ। आज मेरे सम्मान में सभी जातियों के लोग मेरे आगे झुकते हैं। एक तरह से मैं अब एक धार्मिक नेता हूँ और अपने ही समुदाय की इस जातिगत मानसिकता के खिलाफ लड़ता रहूँगा।”

उन्होंने कहा, “मेरे लिए उस पल को बयाँ कर पाना बहुत मुश्किल है जब मुझे शाही स्नान के लिए रथ पर बिठाया जा रहा था। मेरे आसपास सभी श्रद्धालु ढोल की धुन पर नाच रहे थे। मस्त-मगन थे। मेरा समुदाय काफी समय तक ऐसे सम्मान से दूर रहा है। और आज जूना अखाड़ा ने मुझे जो गौरव दिया है वो इस परंपरा में ही संभव है। उन्होंने बताया कि कभी दसवीं के बाद वह संस्कृत पढ़ना चाहते हैं लेकिन अनुसूचित जाति से होने की वजह से उन्हें इजाज़त नहीं मिली। तब मैं अपने गुरु जगतगुरु पंचनंदी महाराज की शरण में आया। जिन्होंने मुझे शिक्षा दी और मंदिर का पुजारी बनाया।”

अब बियर की बोतल पर भगवान गणेश की तस्वीर हुई वायरल

हिंदू धर्म में जहाँ देवी-देवताओं का महत्व किसी गुणगान का मोहताज़ नहीं है, वहीं दूसरी ओर कुछ विदेशी कंपनियाँ देवी-देवाओं के फोटो का गलत प्रयोग करके हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने का काम कर रही हैं।

दरअसल आज-कल सोशल मीडिया पर ‘ब्रुकवेल यूनियन’ नाम की ऑस्ट्रेलियन कंपनी का कारनामा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर भगवान गणेश की तस्वीर के साथ एक बियर की बोतल शेयर की जा रही है। वायरल विज्ञापन के अनुसार ये कंपनी कोई नया ड्रिंक लाने जा रही है, जिसपर भगवान गणेश की फोटो है।

इससे पहले भी 2013 में एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स (सिडनी) की ये कंपनी बियर की बोतलों पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर इस्तेमाल करने को लेकर विवादों में रह चुकी है। बता दें कि उस समय कंपनी ने बोतल पर देवी लक्ष्मी की तस्वीर में सिर गणेश का कर दिया था। बोतल पर गाय और ‘माता के शेर’ को भी छापा गया था। 

वहीं मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों ने कंपनी के खिलाफ नाराज़गी ज़ाहिर की है। जिसके बाद विवाद बढ़ता देख बियर कंपनी ने एक बयान एक बयान जारी करके भारतीय समुदाय के लोगों से माफ़ी माँगी है। और जल्द बोतलों की नई डिज़ाइन तैयार करने की बात कही है।