Tuesday, November 19, 2024
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कश्मीर को बनाया विवाद का मुद्दा, पाकिस्तान से PoK भी नहीं लेना चाहते थे नेहरू: अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, अब 370 की वापसी चाहता है यही गैंग

जम्मू कश्मीर की सूरत अनुच्छेद 370 हटने के बाद बदल गई है। एक ओर आतंकी हमलों में कमी आई है तो वहीं दूसरी तरफ युवाओं का आतंक के प्रति भी रुझान लगभग खत्म होने की ओर है। जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ रही है। हमेशा अशांत रहने वाली घाटी अब शांति के दौर में लौट रही है। साफ़ हो गया है कि यह अनुच्छेद 370 ही था जो विशेष दर्जे के नाम पर जम्मू कश्मीर को भारत से अलग करता था। लेकिन कॉन्ग्रेस ने अनुच्छेद 370 वापसी की वकालत करने वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ सरकार में शामिल हैं। उसका स्टैंड भी साफ़ नहीं है।

जम्मू कश्मीर को लेकर कॉन्ग्रेस का रवैया आज से ही नहीं बल्कि आजादी के बाद से ही सही नहीं रहा है। इसी कड़ी में एक दस्तावेज से पता चला है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1960 के दशक में पाक अधिकृत कश्मीर पर से भारत का दावा छोड़ना चाहते थे। वह पाकिस्तान से समझौता करने के लिए इन इलाकों पर से दावा छोड़ने के लिए तैयार थे और सीमा विवाद का निपटारा चाहते थे। उन्होंने अपनी यह इच्छा एक अमेरिकी राजनयिक से बताई थी।

PoK देने को राजी थे नेहरू

मार्च, 1961 में अमेरिका के राजनयिक और राष्ट्रपति जॉन ऍफ कैनेडी के करीबी W. अवेरेल हैरीमैन भारत की यात्रा पर आए थे। वह इस दौरान चीन और पाकिस्तान को लेकर भारत के रुख को जानना परखना चाहते थे। उन्होंने भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नेहरू से मुलाक़ात की थी और उस दौरान पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद और कश्मीर पर चर्चा भी की थी। हैरीमैन ने 23 मार्च, 2024 को नेहरू से मिले थे और इस बारे में उन्होंने अमेरिका राष्ट्रपति कैनेडी को एक टेलीग्राम भेजा था। यह टेलीग्राम अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर मौजूद है।

इस में हैरीमैन लिखते हैं, “उन्होंने (नेहरू ने) भारत-पाकिस्तान संबंधों पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि कश्मीर बुनियादी दोनों के बीच विभाजन का कारण है। उन्होंने पाकिस्तानी राजनेताओं पर इस मुद्दे को लगातार उछालते रहने का आरोप लगाया और कहा कि वह वर्तमान की ही स्थिति के अनुसार सीमाओं पर समझौता करने के लिए तैयार हैं।”

नेहरू कश्मीर
नेहरू और हैरीमैन के बीच की बातचीत

यानी हैरीमैन के अनुसार, नेहरू 1961 की स्थिति को स्वीकार करने को राजी थे। ध्यान देने वाली बात है कि 1961 में कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के बड़े हिस्से पर पाकिस्तान कब्जा कर चुका था। यानी प्रधानमंत्री नेहरू पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए यह स्वीकार करने को राजी थे कि जम्मू-कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान को मिल जाए। इसका यह भी अर्थ है कि वह पाकिस्तान के अवैध कब्जे का विरोध नहीं करना चाहते थे, बल्कि उनके दिमाग में यह था कि किसी तरह समझौता हो जाए।

W. अवेरेल हैरीमेन (फोटो साभार: Words of veterans)

जवाहरलाल नेहरू PoK पर दावा क्यों छोड़ना चाहते थे, यह कश्मीर पर उनके द्वारा उठाए गए पूर्व के क़दमों से समझा भी जा सकता है। अब यह बात सर्वविदित है कि नेहरू की वजह से ही कश्मीर और भारत के विलय में देरी हुई और इस बीच पाकिस्तान की फ़ौज को हमले का समय मिला। इसके अलावा इस मसले को संयुक्त राष्ट्र (UN) ले जाना भी एक भूल मानी जाती रही है।

कश्मीर पर समझौते में देरी

जवाहरलाल नेहरू को लेकर केन्द्रीय मंत्री किरेन रिजीजू ने सरकारी रिकॉर्ड दिखाते हुए बताया था कि कैसे उन्होंने इसमें देरी की। उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा है, “यह ‘ऐतिहासिक झूठ’ कि महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के प्रस्ताव को टाल दिया था, जवाहरलाल नेहरू की संदिग्ध भूमिका को छिपाने के लिए बहुत लंबे समय तक चला है। जयराम रमेश के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए मैं खुद नेहरू को उद्धृत करता हूँ।”

उन्होंने बताया, “24 जुलाई 1952 को (शेख अब्दुल्ला के साथ समझौते के बाद) नेहरू लोकसभा में यह बात बताई है। आजादी से एक महीने पहले पहली बार महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय के लिए नेहरू से संपर्क किया था। यह नेहरू थे, जिन्होंने महाराजा को फटकार लगाई थी… यहाँ नेहरू के अपने शब्दों में कहा गया है कि ये महाराजा हरि सिंह नहीं थे, जिन्होंने कश्मीर के भारत में विलय में देरी की, बल्कि ये स्वयं नेहरू थे। महाराजा ने अन्य सभी रियासतों की तरह जुलाई 1947 में ही संपर्क किया था। अन्य राज्यों के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया, लेकिन कश्मीर को भारत में शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था।”

किरेन रिजीजू ने आगे लिखा, “नेहरू ने न केवल जुलाई 1947 में महाराजा हरि सिंह के विलय के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, बल्कि नेहरू ने अक्टूबर 1947 में भी टालमटोल किया। यह तब हुआ, जब पाकिस्तानी आक्रमणकारी श्रीनगर के एक किलोमीटर के दायरे में पहुँच गए थे। ये भी नेहरू के अपने शब्दों में है।”

यानी साफ़ होता है कि यदि नेहरू महाराज का ऑफर ना ठुकराते हुए कश्मीर को भारत में मिला लेते तो शायद पाकिस्तान हमला ना करता। यदि वह हमला करता भी तो यह भारत की जमीन पर हमला होता और भारतीय सेना जल्दी उनको जवाब दे पाती। शायद तब आज की स्थिति में कश्मीर में नहीं होता।

सीजफायर और UN में ले जाना भी थी भूल

गृह मंत्री अमित शाह ने भी नेहरू की कश्मीर पर दो भूल का जिक्र लोकसभा में किया था। उन्होंने दिसम्बर, 2023 में कहा, “दो बड़ी गलतियाँ जो पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में हुई। उनके लिए गए निर्णयों के कारण सालों तक कश्मीर में शांति नहीं हुई।

एक जब हमारी सेना जीत रही थी तब पंजाब के इलाके आते ही सीजफायर कर दिया गया और पाक अधिकृत कश्मीर का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन लेट हुआ होता तो POK भारत का हिस्सा होता। कश्मीर जीते बगैर सीजफायर कर लिया और दूसरा संयुक्त राष्ट्र के भीतर कश्मीर के मसले को ले जाने की बहुत बड़ी गलती की। शाह ने बताया कि शेख अब्दुल्ला को लिखे एक पत्र में नेहरू ने अपनी इन गलतियों को स्वीकार भी किया था।

‘छिछोरे’ कन्हैया कुमार की ढाल बनी कॉन्ग्रेस, कहा- उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया: चुनावी सभा में देवेंद्र फडणवीस की पत्नी को लेकर की थी बेशर्म टिप्पणी

महाराष्ट्र में चुनावी माहौल गर्म है। इसी राजनीतिक गर्मी के बीच कन्हैया कुमार जैसे फ्लॉप नेता निजी हमलों से बढ़कर राजनीति में परिवार तक को खींच रहे हैं और गैरजरूरी भाषणबाजी कर ओछी टिप्पणियाँ करने लगते हैं। लेकिन हैरानी तब होती है, जब कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके नेता कन्हैया कुमार को रोकने की जगह उसके बेशर्मी भरे बयानों को जस्टिफाई भी करने लग गए।

दरअसल, कॉन्ग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने नागपुर में बीजेपी और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने ‘धर्मयुद्ध’ और ‘वोट जिहाद’ जैसे मुद्दों को लेकर कटाक्ष किए। कन्हैया कुमार ने महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए कहा कि धर्म की रक्षा सभी का कर्तव्य है, लेकिन यह जिम्मेदारी केवल जनता पर नहीं डाली जा सकती। कन्हैया ने फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा, “हम धर्म बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और डेप्युटी सीएम की पत्नी इंस्टाग्राम पर रील बना रही हैं।”

बीजेपी की ओर से कन्हैया कुमार के इन बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया आई है। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पर कन्हैया कुमार को “महाराष्ट्र की बेटी का अपमान” करने वाला बताया। उन्होंने लिखा, “कन्हैया कुमार ने महाराष्ट्र की बेटी अमृता फडणवीस का अपमान किया है। महाराष्ट्र के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।” शहजाद पूनावाला ने कन्हैया कुमार को ‘छिछोरा’ आतंकी अफजल गुरु का समर्थक और नक्सली भी करार दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं का अपमान करना कॉन्ग्रेस का डीएनए बन चुका है।

वहीं, कॉन्ग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कन्हैया कुमार का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया, बल्कि केवल राजनीतिक मुद्दों पर सवाल उठाए। उन्होंने पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर बड़ी बेशर्मी से अपने बगल में बैठे कॉन्ग्रेसी नेता से पूछा कि क्या वो रील बनाने को लेकर बात कहेंगे, तो ये अपमान हो जाएगा?

गौरतलब है कि देवेंद्र फडणवीस नागपुर की दक्षिण पश्चिम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहाँ उनका मुकाबला कॉन्ग्रेस के उम्मीदवार प्रफुल्ल गुडाधे से है। साल 2009, 2014 और 2019 में फड़णवीस ने इस सीट पर शानदार जीत दर्ज की थी। वो 1999 और 2004 में नागपुर पश्चिम सीट से जीते थे, इसके बाद 2009 से दक्षिण-पश्चिम सीट अस्तित्व में आई और तभी से देवेंद्र इस सीट पर जीतते आ रहे हैं।

मोदी राज में ₹50 लाख से अधिक कमाने वाले भारतीय 5 गुना बढ़े, टैक्स कलेक्शन में 75% योगदान: ITR भरने वाले 120% बढ़े

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोगों की संख्या पाँच गुना बढ़ गई है, और इनकी आयकर में हिस्सेदारी 75% से भी अधिक है। आयकर रिटर्न (ITR) के आँकड़ों के अनुसार, पिछले दस सालों में इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या में लगभग 120% की बढ़ोतरी हुई है। मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 20 लाख रुपये सालाना से कम कमाई वाले मध्यम वर्ग पर टैक्स का बोझ घटा है।

आँकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2013-14 में 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोगों की संख्या 1.85 लाख थी, जो 2023-24 में बढ़कर 9.39 लाख हो गई है। इस आय वर्ग में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। इनके द्वारा 2014 में 2.52 लाख करोड़ रुपये का टैक्स दिया जा रहा था, जो 2024 में बढ़कर 9.62 लाख करोड़ रुपये हो गया। अभी 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोग कुल आयकर का 76% अदा करते हैं, जिससे मध्यम वर्ग का टैक्स बोझ कम हुआ है। इसके पीछे टैक्स चोरी और काले धन के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा लागू सख्त कानूनों का योगदान बताया गया है।

वित्तीय वर्ष 2013-14 में 5.5 से 9.5 लाख रुपये की सालाना आय वाले लोगों का अनुपात 18% था, जो अब 23% हो गया है। इसी तरह, 10-15 लाख रुपये आय वर्ग का आयकर योगदान 12% है, जबकि 25-50 लाख रुपये की आय वाले लोगों का योगदान 10% है। 2014 में 2 लाख रुपये सालाना कमाने वाले पर टैक्स देना अनिवार्य था, लेकिन अब 7 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट और कटौतियों के कारण टैक्स देना जरूरी नहीं है।

वहीं, 2014 में 10 लाख रुपये से कम आय वालों से कुल टैक्स का 10.17% जमा किया जाता था, जबकि 2024 में यह घटकर 6.22% रह गया है। 2023-24 में 2.5 से 7 लाख रुपये सालाना आय वाले लोगों पर औसतन 43,000 रुपये टैक्स का बोझ था, जो उनकी आय का लगभग 4-5% है, और इसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम स्तर पर माना जाता है।

महँगाई दर को ध्यान में रखते हुए, 10-20 लाख रुपये आय वर्ग में टैक्स में लगभग 60% की कमी हुई है। व्यक्तिगत आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 2013-14 में लगभग 3.60 करोड़ थी, जो 2023-24 में बढ़कर 7.97 करोड़ हो गई है, यानी 121% की बढ़ोतरी।

सरकारी आँकड़ों के अनुसार, लगभग 75 लाख करदाताओं ने संशोधित ITR भरे, जिससे आयकर विभाग को अतिरिक्त 8,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। लगभग 74% करदाताओं ने नई टैक्स प्रणाली को अपनाया है। 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कर योग्य आय वाले करदाताओं की संख्या 2013-14 में 44,078 थी, जो 2023-24 में बढ़कर लगभग 2.3 लाख हो गई है। टैक्स विभाग के अनुसार, व्यक्तिगत टैक्स रिटर्न की संख्या भी दोगुनी होकर 3.3 करोड़ से लगभग 7.5 करोड़ तक पहुँच गई है।

घुसपैठियों को भी ₹450 वाला गैस सिलिंडर देगी कॉन्ग्रेस: झारखंड की चुनावी सभा में बोले पार्टी नेता गुलाम मीर, Video शेयर कर BJP ने घेरा

झारखंड विधानसभा चुनाव प्रचार में कॉन्ग्रेस नेता ने ऐलान किया है कि वह घुसपैठियों को भी सस्ता सिलेंडर देंगे। कॉन्ग्रेस नेता गुलाम मीर ने यह वादा खुले तौर पर मंच से सैकड़ों लोगों के बीच किया है। उनके इस वादे का वीडियो वायरल हो रहा है। भाजपा ने इस बयान के बाद कॉन्ग्रेस पर घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।

झारखंड में कॉन्ग्रेस के प्रभारी गुलाम मीर ने यह बयान बोकारो जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए दिया। गुलाम मीर यहाँ बेरमो विधानसभा में कॉन्ग्रेस के प्रत्याशी जयमंगल सिंह उर्फ़ अनूप सिंह का प्रचार करते हुए कॉन्ग्रेस के ₹450 में LPG सिलेंडर देने के वादे का जिक्र किया।

इस वादे के बारे में बताते हुए कहा, “1 दिसम्बर से गैस सिलेंडर सिर्फ ₹450 में मिलेगा, ना उसमें हिन्दू देखा जाएगा ना मुसलमान देखा जाएगा, ना घुसपैठिया देखा जाएगा ना कोई और चीज देखा जाएगा। जो भी झारखंडवासी है, वो किसी भी तबके से हों, किसी भी सोच से हो, उन्हें ₹450 का सिलेंडर दिया जाएगा।”

उनके इस बयान का एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल है। गुलाम मीर के घुसपैठियों को सरकारी योजना के फायदे के वादे को लेकर अब भाजपा हमलावर हो गई है। भाजपा ने उनके बयान को शर्मसार करने वाला करार दिया है और कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी घुसपैठियों के साथ खड़ी है।

भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने इस मामले को लेकर कहा, “हम शुरू से कहते थे कि कॉन्ग्रेस का हाथ घुसपैठियों के साथ है और उन्हें इस सरकार में संरक्षण मिल रहा है, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के चलते उनका आधार कार्ड बनाया जा रहा है। लेकिन अब कॉन्ग्रेस के प्रभारी मीर साहब ने तो प्रत्याशी अनूप सिंह ने स्पष्ट तौर पर सिलेंडर का वादा किया है।”

प्रतुल शाह देव ने इसके बाद कॉन्ग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, “ये देशद्रोह की बात है और शर्मसार करने वाली बात है। कैसे बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को आप सरकार योजनाओं का लाभ देने की बात कर रहे हैं। इससे एक बार फिर साबित हुई है कॉन्ग्रेस तुष्टिकरण के लिए किसी हद तक गिर सकती है। हम चुनाव आयोग से कार्रवाई की माँग करते हैं।”

घुसपैठियों को सस्ते सिलेंडर का वादा करने वाले गुलाम अहमद मीर जम्मू कश्मीर के बड़े कॉन्ग्रेस नेता हैं। वह विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक दल के भी मुखिया हैं। वह हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में दूरू सीट से जीते हैं। वह 2015-22 तक जम्मू कश्मीर में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं।

गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य में घुसपैठ को बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है। भाजपा का कहना है कि राज्य के संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिये बस गए हैं और जनजातीय समुदाय की जमीन पर कब्जा भी कर रहे हैं। वहीं राज्य की झामुमो-कॉन्ग्रेस सरकार घुसपैठिया अतिक्रमण से इनकार करती आई है।

जो शौर्य चक्र विजेता की हत्या का मास्टरमाइंड, जिसे भारत ने घोषित कर रखा है भगोड़ा, उसको कनाडा ने दी क्लीनचिट: बॉर्डर पुलिस में खालिस्तानी आतंकी संदीप सिंह सिद्धू फिर से बहाल

कनाडा लगातार भारत की जड़ खोदने में लगा हुआ है। वो बार-बार अपने कामों से साबित कर रहा है कि वह भारत के दुश्मनों का समर्थन करता है, यहाँ तक कि आतंकवादियों को भी बचाने से पीछे नहीं हटता। इस बात का ताजा उदाहरण है कनाडा बॉर्डर सर्विसेज़ एजेंसी (CBSA) द्वारा संदिग्ध आतंकी संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो को क्लीन चिट देना और उसे सुपरिटेंडेंट पद पर बहाल करना।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडा सरकार की जाँच में संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो को क्लीन चिट दे दी गई है। यह वही सिद्धू है, जिसे भारत ने पंजाब के तरनतारन में साल 2020 में पंजाब के तरनतारन जिले में शौर्य चक्र विजेता बलविंदर सिंह संधू की हत्या और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप में वांछित अपराधी घोषित किया है। बलबिंदर सिंह संधू ने 1990 के दशक में खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। ISI की मदद से सिद्धू ने संधू के हत्यारों को धन और कनाडा में घर देने का लालच देकर इस हत्या की योजना बनाई थी।

संदीप सिंह सिद्धू उर्फ सनी टोरंटो प्रतिबंधित अंतरराष्ट्रीय सिख युवा महासंघ (ISYF) का सदस्य है और उस पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से भी जुड़े होने के भी आरोप हैं। NIA ने बताया था कि सिद्धू की गतिविधियाँ पंजाब में आतंकवाद फैलाने की योजनाओं से जुड़ी हैं और उसके संबंध US स्थित खालिस्तानी गुरजोत कौर और पाकिस्तान स्थित आतंकी लखबीर सिंह रोडे से भी हैं। इसके बावजूद कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) द्वारा की गई जाँच में उसे बरी कर दिया गया।

ट्रूडो सरकार की ओर से यह कदम तब उठाया गया जब भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में पहले से ही कूटनीतिक तनाव बढ़ा हुआ था। इसके बावजूद ट्रूडो सरकार द्वारा ये कदम उठाना, इस बात को साबित करता है कि कनाडा भारत विरोधी गतिविधियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बन चुका है।

ट्विटर (X) से सूचनाएँ लेगा पर खबरें नहीं देगा ब्रिटेन का ‘द गार्डियन’, फ्रांस की मीडिया कंपनियों ने एलन मस्क के प्लेटफॉर्म पर ठोका मुकदमा: जानिए क्यों

फ्रांस के प्रमुख समाचार संगठनों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। मुकदमा करने वाले इस ग्रुप में Le Monde, Le Figaro, Les Echos, Le Parisien, Télérama, Courrier International, Le Huffington Post, Malesherbes Publications, और Le Nouvel Obs शामिल हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह प्लेटफॉर्म उनकी खबरों को बिना भुगतान के इस्तेमाल कर रहा है।

फ्रांसीसी कानून में यूरोपीय निर्देशों के तहत ‘Neighboring Rights‘ का प्रावधान है, जिसके अनुसार सोशल मीडिया कंपनियों को समाचार सामग्री के पुनःप्रकाशन के लिए भुगतान करना होता है। इन मीडिया कंपनियों ने पहले भी आपातकालीन आदेश की माँग की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एक्स बातचीत करने से बच रहा है।

इसके बाद 24 मई को पेरिस की एक अदालत ने मीडिया कंपनियों के पक्ष में फैसला सुनाया और एक्स को दो महीने का समय दिया ताकि वह उनके कंटेंट से होने वाली आय से संबंधित डेटा प्रदान कर सके। हालाँकि, अब तक एक्स ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिससे मीडिया संस्थानों ने इसे कानून की अनदेखी बताते हुए 12 नवंबर 2024 को फिर से मुकदमा दायर किया है।

गार्डियन ने बंद की आर्टिकल शेयरिंग

इसी बीच, The Guardian ने घोषणा की है कि वह अब एक्स पर अपनी संपादकीय सामग्री पोस्ट नहीं करेगा। गार्डियन का मानना है कि इस प्लेटफॉर्म पर बने रहने से होने वाले फायदे अब उसके नुकसान से कम हैं। गार्डियन का यह निर्णय लंबे समय से चल रहे विचार-विमर्श का नतीजा है, जिसमें उन्होंने देखा कि एक्स पर कई बार विवादास्पद सामग्री जैसे दक्षिणपंथी साजिशों और नस्लवाद को बढ़ावा दिया जाता है।

गार्डियन के संपादकीय स्टाफ का कहना है कि वे पत्रकारिता के लिए इस प्लेटफॉर्म का उपयोग जारी रखेंगे, लेकिन उनकी प्राथमिकता अब अपनी वेबसाइट और अन्य माध्यमों पर सामग्री साझा करने की होगी। समाचार संगठन एक्स का उपयोग अपने कंटेंट को बढ़ावा देने के लिए एक माध्यम के रूप में कर सकते हैं, लेकिन मौजूदा समय में गार्डियन का मानना है कि इस प्लेटफॉर्म का महत्व कम हो गया है।

‘पहले यहाँ जंगल था, अब यहाँ सिर्फ मुसलमानों के घर हैं’: झारखंड में घुसपैठ ने कैसे बदले हालात स्थानीय लोगों ने बताए, कहा- अब ST के लिए कोई जगह नहीं बची, शादी कर हड़प रहे जमीन

झारखंड में 13 नवंबर 2024 को एक चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में घुसपैठ का मुद्दा फिर उठाया। उन्होंने जनता को समझाया कि कैसे राज्य में बढ़ रही विदेशी घुसपैठियों की तादाद झारखंडियों की पहचान बदलने की एक साजिश है और इन घुसपैठियों को बल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कॉन्ग्रेस से मिला है।

उन्होंने बताया कि JMM और कॉन्ग्रेस ने इन घुसपैठियों को झारखंड में स्थानीय बनाया, फिर यहाँ बसकर इन्होंने जनजातीय लड़कियों को ठगा और उनसे शादी करके न केवल झारखंडियों की जमीनें हड़पीं बल्कि रोजी रोटी तक छीन ली। पीएम मोदी कहते हैं कि बावजूद इतना सब होने के राज्य सरकार ने कोर्ट में दोहरा रवैया दिखाते हुए कहा कि झारखंड में कोई घुसपैठ हुई ही नहीं है।

बता दें कि राज्य की सोरेन सरकार इस गंभीर मुद्दे से जहाँ आँख मूँदे बैठी है वहीं भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में इस समस्या से निपटने का वादा किया है। उन्होंने अपने संकल्प पत्र में झारखंड में उद्योगों, खदानों के कारण विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए आयोग का गठन करने को तो कहा ही है। साथ ही भाजपा ने झारखंड में घुसपैठियों से जमीन वापस लेने के लिए कानून बनाने, हिंदुओं पर होने वाले हमले, अत्याचार और चरम पर पहुँचे तुष्टीकरण को रोकने का वादा भी किया है।

भाजपा के इस प्रकार इस मुद्दे के उठाने के बाद घुसपैठ की हकीकत पर स्थानीय भी मुखर होकर बोलने लगे हैं। बीते कई दिनों से ऐसी कई रिपोर्टें आई जिनमें स्थानीयों ने बदलती डेमोग्राफी और उससे उत्पन्न समस्याओं को खुलकर मीडिया के सामने रखा। जैसे रिपब्लिक वर्ल्ड पर प्रकाशित एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में साहिबगंज और पाकुर जिलों में हो रही अवैध घुसपैठ की बात सामने आई।

स्थानीयों ने बताया कि घुसपैठिए झारखंड के जनजातीय जिलों को निशाना बना रहे हैं। वो केवल फर्जी आधार कार्ड लेकर राज्य में नहीं घुस रहे बल्कि उनका मकसद तो जमीन हड़पना और लोगों में डर बैठाना है। पहले उनके निशाने पर सिर्फ जनजातीय समाज था, मगर अब उनकी बढती आबादी का असर हिंदुओं पर भी पड़ रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार रिपब्लिक की विशेष जाँच टीम से बात करते हुए एक स्थानीय महिला ने बताया, “पहले यहाँ जंगल हुआ करता था, लेकिन अब यहाँ सिर्फ मुसलमानों के घर हैं। यहाँ महिलाएँ नौकरी की तलाश में जाती हैं, लेकिन बदले में उन्हें अपनी जमीन देने को कहा जाता है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए कोई जगह नहीं बची है।”

गाँव के मुखिया देबू ने बताया, “ये लोग पहले गरीब जनजातीय महिलाओं से शादी करते हैं फिर परिवार से जमीन पर माँगते हैं।” वहीं, अन्य निवासियों ने बताया कि पिछले महीने इन्हीं घुसपैठियों ने एक गाय की हत्या की और जब उन लोगों ने ऐसा करने से मना किया तो उन्हें ये कहकर धमकाया गया- हम तो इसे काटेंगे, तुम क्या कर लोगे?

इसी तरह कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर झारखंड में चुनावी रिपोर्टिंग करने गईं अदिति त्यागी की रिपोर्ट वायरल हुई थी। रिपोर्ट मधुपुर से थी। जहाँ अदिति त्यागी से बात करते हुए बुजुर्ग ने भावुक बताते होकर बताया था कि कैसे मुस्लिम आबादी उन लोगों को कुएँ से पानी नहीं भरने देते और उनके मुस्लिम मंत्री हफीजुल अंसारी द्वारा कहा जाता है कि वो हिंदू हैं इसलिए पानी नहीं ले सकते।

गौरतलब है कि डेमोग्राफी में आए बदलाव का मुद्दा कोर्ट में भी है। याचिका डालते हुए याचिकाकर्ता ने बताया था कि कैसे समय के स्थिति बद्तर हो रही हैं। बॉर्डर इलाकों से घुसपैठिए झारखंड में एंट्री ले रहे हैं और राज्य की जनसांख्यिकी बदल रही है।

रिपोर्ट्स के अनुसार तो संथाल परगना जैसे इलाकों में तो डेमोग्राफी में आया बदलाव बहुत बड़ा है। सितंबर में आई रिपोर्ट्स बताती हैं कि पहले वहाँ जनजातीय समाज की हिस्सेदारी 44 फीसदी थी लेकिन अब ये घटकर 28 फीसदी रह गई है। वहीं प्रमंडल के छह जिलों की डेमोग्राफी में मुस्लिम 20 से 40 फीसदी बढ़े हैं। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी पाकुड़ और साहिबगंज में ही हुई है। ये लोग यहाँ आकर मदरसे बनाते हैं, स्थानीय लड़कियों से शादी करते हैं और फिर यहाँ बसने के बाद अब एजेंडा चलाना शुरू करते हैं।

बिहार के एक अस्पताल से शुरू हुई दलित लड़के-मुस्लिम लड़की की प्रेम कहानी, मुंबई में रघुनंदन को काटकर मोहम्मद सत्तार ने कर दिया अंत: 7 टुकड़ों में मिली लाश

मुस्लिम लड़की से प्रेम की वजह से बिहार के रघुनंदन पासवान (21 साल) की मुंबई में हत्या कर दी गई। उसका शव सात टुकड़ों में मुंबई के गोराई में मिला। इस हत्याकांड को मोहम्मद सत्तार और अन्य आरोपितों ने मिलकर अंजाम दिया था, जिसमें सत्तार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार, इस हत्या की वजह अंतरधार्मिक प्रेम संबंध हो सकता है। दरभंगा के रघुनंदन पासवान का 17 वर्षीय मुस्लिम प्रेमिका से संबंध था, जिससे लड़की के परिवार के लोग नाराज थे। लड़की के परिवार वालों खासकर मोहम्मद सत्तार ने रघुनंदन के करीबी दोस्त के साथ मिलकर इस हत्या की साजिश रची और उसे मौत के घाट उतार दिया।

हत्या के दिन यानी 31 अक्टूबर 2024 को सत्तार और लड़की के भाइयों ने रघुनंदन को मुंबई आने का झांसा दिया। उसे मीरा-भायंदर के घर में बुलाया गया, जहाँ शराब के नशे में एक पार्टी के दौरान फोन पर रघुनंदन की बात उसकी प्रेमिका से कराई गई। जैसे ही ये साफ हुआ कि रघुनंदन अब भी लड़की के साथ संबंध में है, तो सत्तार ने गुस्से में आकर धारदार चाकू से उस पर हमला कर दिया। शव को भयानक तरीके से सात हिस्सों में काटा गया, जिससे क्रूरता की हदें पार हो गईं। इसके बाद शव के टुकड़ों को पेंट के चार डिब्बों में भरकर गोराई के सुनसान इलाके में फेंक दिया गया।

रघुनंदन के पिता जितेंद्र पासवान ने सोशल मीडिया पर अपने बेटे के शव की तस्वीर देखी। शव की पहचान उसके दाएँ हाथ पर बने “RA” टैटू से हुई, इसमें R से रघुनंदन और A उसकी प्रेमिका के नाम का शुरुआती शब्द था। जितेंद्र पासवान ने बताया कि उनके बेटे की जान को पहले भी लड़की के भाइयों से खतरा था, जिन्होंने उसे धमकियाँ दी थीं।

अस्पताल से शुरू हुई प्रेम कहानी का खौफनाक अंत

रघु के पिता जितेंद्र पासवान ने गोराई पुलिस को बताया कि उसका परिवार बिहार के दरभंगा जिले के मनीगाछी थाने के कन्हौली गाँव का रहने वाला है। रघुनंदन दरभंगा के अस्पताल में सिक्योरिटी गार्ड का काम करता था। उसके ही गाँव की रहने वाली मुस्लिम लड़की अपनी भाभी का इलाज कराने उसी अस्पताल जाती थी, जहाँ रघुनंदन से उसके प्रेम-संबंध बन गए। इस मामले में हल्ला मचा, तो पंचायत कराई गई, जिसके बाद रघुनंदन पुणे चला गया। यहीं से उसे मीरा-भायंदर बुलाकर लड़की के भाई ने 7 टुकड़ों पर काट डाला और उसे ऑटो पर लादकर फेंक दिया। लड़की का भाई मुंबई में बकरा बेचने का काम करता है।

इस घटना के बाद मोहम्मद सत्तार को गिरफ्तार कर लिया गया है, और अन्य आरोपितों की तलाश जारी है। रघुनंदन के इस क्रूर अंत ने न केवल परिवार बल्कि पूरे गाँव को सदमे में डाल दिया है।

ट्रंप सरकार में हिंदू नेता भी, जानिए कौन हैं तुलसी गबार्ड जो होंगी अमेरिकी इंटेलीजेंस की मुखिया: बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए भी उठा चुकी हैं आवाज

अमेरिका के राष्ट्रपति चुने के जाने के बाद डोनाल्ड ट्रम्प ने जनवरी में अपना कार्यकाल चालू होने से पहले ही महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ चालू कर दी हैं। इसी कड़ी में ट्रम्प ने अमेरिका की पहली हिन्दू सांसद तुलसी गबार्ड को डायरेक्टर ऑफ़ नेशनल इंटेलिजेंस (DNI) नियुक्त किया है। उनका यह कार्यकाल जनवरी, 2025 से चालू होगा।

डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार (14 नवम्बर, 2024) को यह नियुक्ति की है। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर डोनाल्ड तुलसी गबार्द के नाम का ऐलान करते हुए लिखा, “दशकों से तुलसी हमारे देश और सभी अमेरिकियों के लिए लड़ती रही हैं। राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन में भाग लेने वाली तुलसी को दोनों पार्टियों में अच्छा समर्थन भी है।”

ट्रम्प ने आगे लिखा, ”अब वह एक रिपब्लिकन हैं! मुझे पता है कि तुलसी अपने शानदार करियर को परिभाषित करने वाली निडर भावना को हमारी इंटेलिजेंस कम्युनिटी में लाएँगी। वह हमारे संवैधानिक अधिकारों की वकालत करेगी और शांति भी सुनिश्चित करेगी। तुलसी हम सभी को गौरवान्वित करेंगी।” तुलसी गबार्ड ने अपनी नियुक्ति पर ट्रम्प को धन्यवाद दिया है।

DNI अमेरिका में काफी ताकतवर पद होता है और CIA समेत थल सेना, नौसेना और वायुसेना तक की खुफिया शाखाएँ इसी के अंतर्गत काम करती हैं। CIA का मुखिया सीधे तौर पर DNI को जवाबदेह होता है। DNI के अंतर्गत 10 से अधिक खुफिया एजेंसियाँ होती हैं। DNI सीधे तौर पर इनसे आई जानकारियाँ अमेरिकी राष्ट्रपति को देता है।

तुलसी गबार्ड पूर्व में डेमोक्रेट पार्टी की सदस्य थीं लेकिन 2020 के बाद उनका मोहभंग हो गया और ट्रम्प की समर्थक बन गईं। उन्होंने 2022 में ट्रम्प को समर्थन दिया था। अब वह अमेरिका में खुफिया नेटवर्क का नेतृत्व करेंगी। अमेरिकी कैबिनेट में यह महत्वपूर्ण जगह पाने वाली वह पहली भारतीय-अमेरिकी हैं।

तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी सेना में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। उन्होंने ईराक, कुवैत और अफ्रीका समेत बाकी जगहों पर सैन्य सेवाएँ दी हैं। वह वर्तमान में अमेरिकी सेना के रिजर्व बलों में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। तुलसी गबार्ड अमेरिकी कॉन्ग्रेस में चुनी जाने वाली पहली हिन्दू महिला थीं।

तुलसी गबार्ड हिन्दुओं के अधिकारों को लेकर भी बोलती आई हैं। उन्होंने 2021 में अमेरिकी कॉन्ग्रेस में एक बिल भी पेश किया था जिसमें बांग्लादेशी हिन्दुओं और बाकी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लकर बात कही गई थी। उन्होंने इस बिल में पाकिस्तान और पाकिस्तानी फ़ौज की भी आलोचना की थी।

तुलसी गबार्ड पाकिस्तान और उसके द्वारा भारत में फैलाए गए आतंक को लेकर भी लगातार बोलती रही हैं। उन्होंने 2019 में पुलवामा में फिदायीन हमले के बाद पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई की माँग की थी। उन्होंने कहा था कि जब तक पाकिस्तान इन आतंकियों को पालना पोसना बंद नहीं करेगा तब तक शांति स्थापित नहीं हो सकती।

तुलसी गबार्ड की नियुक्ति के बाद विदेशी सम्बन्धों के विशेषज्ञ इस बात की आशा जता रहे हैं कि अब भारत और अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के बीच सामंजस्य और मजबूत होगा। साथ ही में पाकिस्तान पर भी आतंक को मदद ना करने का दबाव बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

भारत माता की मूर्ति क्यों उठवाई: मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस की कार्रवाई को बताया ‘अत्याचार’, कहा- BJP को वापस करो

तमिलनाडु के विधुनगर जिले में स्थित भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय से भारत माता की उठाई गई मूर्ति अब चेन्नई पुलिस को वापस बीजेपी ऑफिस में देनी होगी। मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इस तरह किसी के निजी स्थान से मूर्ति उठाने को एक तरह का ‘अत्याचार’ बताया और कहा कि मूर्ति को उसके मालिक को वापस किया जाए।

जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ये राज्य का अधिकार नहीं है कि वो किसी के निजी स्थान पर जाकर इस तरह कोई संपत्ति उठाए। ये भविष्य में भी करने की अनुमति नहीं दी जाती। अदालत ने मामले के संबंध में फैसला सुनाते हुए कहा, “हमारे मन में कोई संदेह नहीं है कि प्रतिवादी ने निजी संपत्ति से भारत माता की मूर्ति हटाई, शायद उनपर ऐसा किसी ने ऐसा करने का दबाव डाला हो, लेकिन ये बेहद निंदनीय है।”

कोर्ट ने कहा, “हम एक कल्याणकारी राज्य में रह रहे हैं, जो कानून के द्वारा शासित है। इसलिए, भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने वाले संवैधानिक न्यायालय द्वारा इस तरह की मनमानी को कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इससे कहीं न कही भारत माता की अस्मिता को भी ठेस पहुंची है, इसलिए सरकार-पुलिस सतर्क रहे।”

उन्होंने ये भी कहा कि ये मामला निजी संपत्ति पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा एक दिलचस्प मुद्दा भी है। कोई भी व्यक्ति अपने सही होश में गंभीरता से यह तर्क नहीं दे सकता कि किसी की देशभक्ति और अपने देश के प्रति प्रेम को व्यक्त करने से राज्य या समुदाय के हितों को खतरा होगा।

बता दें कि भाजपा ऑफिस में ये मूर्ति 2016 में लाई गई थी, लेकिन पिछले साल खबर आई कि इसे देर रात हटा दिया गया। उस समय पुलिस ने मूर्ति हटाते हुए कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया था। अधिकारियों ने कहा था कि पहले भाजपा कार्यकर्ताओं से ही मूर्ति को हटाने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने इसे हटाने से इनकार कर दिया।

हालाँकि बाद में भाजपा के जिला अध्य जी पांडुरंगन इस संबंध में कोर्ट गए कि उन्हें मूर्ति लौटाई जाए और कम से कम कार्यालय परिसर में लगी मूर्तियों को लेकर हस्तक्षेप न किया जाए। भाजपा ने जो मूर्ति लगवाई को एक राष्ट्र के प्रतीक के तौर पर लगवाई। मगर, तमिलनाडु पुलिस उसे उठा ले गई।