Sunday, October 13, 2024
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अमित शाह ने संसद में गिनाई नेहरू की 2 गलती, लोकसभा ने पास कर दिया जम्मू-कश्मीर पर 2 बिल: कहा- यह कश्मीरी पंडितों को अधिकार देगा

"नेहरू की दो बड़ी गलतियों के कारण सालों तक कश्मीर में शांति नहीं हुई। एक जब हमारी सेना जीत रही थी तब सीजफायर कर दिया और पाक अधिकृत कश्मीर का जन्म हुआ। दूसरा संयुक्त राष्ट्र के भीतर कश्मीर के मसले को ले जाने की बहुत बड़ी गलती की।"

लोकसभा ने बुधवार (6 दिसंबर 2023) को जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पास कर दिया। इनके नाम हैं- जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2023। बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की ओर से की गई दो गलतियों का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि पहली गलती यह थी कि हमारी सेना जीत रही थी और नेहरू ने सीजफायर कर दिया। ऐसा नहीं होता तो आज पीओके भी भारत का हिस्सा होता। उनकी दूसरी गलती जम्मू-कश्मीर के मसले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना था। शाह ने बताया कि शेख अब्दुल्ला को लिखे एक पत्र में नेहरू ने अपनी इन गलतियों को स्वीकार भी किया था।

अमित शाह ने कहा, “दो बड़ी गलतियाँ जो पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में हुई। उनके लिए गए निर्णयों के कारण सालों तक कश्मीर में शांति नहीं हुई। एक जब हमारी सेना जीत रही थी तब पंजाब के इलाके आते ही सीजफायर कर दिया गया और पाक अधिकृत कश्मीर का जन्म हुआ। अगर सीजफायर तीन दिन लेट हुआ होता तो POK भारत का हिस्सा होता। कश्मीर जीते बगैर सीजफायर कर लिया और दूसरा संयुक्त राष्ट्र के भीतर कश्मीर के मसले को ले जाने की बहुत बड़ी गलती की।”

विधेयकों पर चर्चा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इसके जरिए विधानसभा में दो सीटें कश्मीर विस्थापितों और एक सीट पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से भारत आने वालों के लिए आरक्षित होंगी। इसी तरह विधानसभा में सीटों की भी संख्या बढ़ाई गई है। जम्मू में पहले 37 सीटें थीं, अब 43 हो जाएँगी। कश्मीर की सीटें 46 से बढ़कर 47 हो जाएँगी। शाह ने कहा, “PoK के लिए 24 सीटें आरक्षित कर दी गई हैं, क्योंकि PoK हमारा है।”

चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन का जिक्र करते हुए कहा कि ये बिल उनके अधिकार दिलाने का काम करेगा। उन्हें प्रतिनिधित्व देने का काम करेगा। गृह मंत्री ने चर्चा के दौरान कहा कि जो लोग पूछते हैं कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में क्या बदला है, उन्हें जानना चाहिए कि 5 अगस्त 2019 के बाद उन लोगों की आवाज सुनी गई है जिनकी पहले नहीं सुनी गई थी।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “जब आतंकवाद शुरू हुआ और आतंकवाद ने हर किसी को निशाना बनाकर भगाया, तो घड़ियाली आँसू बहाने वाले मैंने बहुत नेता देखे। शब्दों से सांत्वना देने वाले मैंने बहुत नेता देखे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने सही मायने में पीड़ितों के आँसू पोछने का काम किया है।”

गृह मंत्री ने आतंकवाद पर बोलते हुए कहा, “1994-2004 के बीच आंतकवाद के 40,164 मामले सामने आए। 2004-2014 के बीच 7217 मामले सामने आए। 2014-23 के बीच आतंक के मामलों में 70% की कमी आई है। इसीलिए मैंने कहा कि आतंकवाद और अलगाववाद की मूल जड़ में अनुच्छेद 370 था।”

अब ये बिल राज्यसभा में पेश किए जाएँगे। वहाँ से भी इन विधेयकों के इसी सत्र में पारित होने की संभावना है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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