Tuesday, November 19, 2024
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बढ़कर 21% हुए मुस्लिम, 54% तक घटेंगे हिंदू: बांग्लादेशी-रोहिंग्या बदल रहे मुंबई की डेमोग्राफी, TISS की जिस रिपोर्ट से घुसपैठ पर छिड़ी बहस उसके बारे में जानिए

बांग्लादेश और म्यामांर से आने वाले अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों का घुसपैठ मुंबई में बड़े पैमाने पर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक बदलाव ला रहा है। इसके कारण साल 2051 तक इस महानगर में हिंदू आबादी घटकर 54 प्रतिशत से भी कम हो जाएगी। मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने अपनी एक खोजपरक रिपोर्ट में ये भयावह बातें कही हैं।

TISS ने ‘मुंबई में अवैध आप्रवासी: सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिणामों का विश्लेषण’ शीर्षक 118 पृष्ठों की अपनी अंतरिम रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ राजनीतिक संस्थाएँ अपने वोट बैंक की राजनीति के लिए इन अवैध अप्रवासियों का इस्तेमाल कर रही हैं। अवैध रूप से आने वाले आप्रवासी मुंबई में आसानी से वोटर कार्ड पा जा रहे हैं और मतदान कर रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दशकों में मुंबई में भारी डेमोग्राफिक बदलाव हुए हैं। साल 1961 में मुंबई की हिंदू आबादी 88 प्रतिशत थी, जो घटकर साल 2011 में 66 प्रतिशत रह गई। वहीं, इस दौरान मुस्लिम आबादी 8 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई। एक अनुमान के मुताबिक, साल 2051 तक यहाँ हिंदुओं की संख्या 54 प्रतिशत रह जाएगी, जबकि मुस्लिम 30 प्रतिशत से अधिक हो जाएँगे।

रिपोर्ट के अनुसार, एक जटिल नेटवर्क बांग्लादेशियों एवं रोहिंग्याओं की घुसपैठ में मदद करता है। अवैध आप्रवासियों की आमद ‘वोट बैंक की राजनीति’ को बढ़ावा देती है। जाली दस्तावेजों के ज़रिए वोटर कार्ड बनवाकर चुनावों में घुसपैठियों की भागीदारी हो जाती है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि मुंबई के 12 विधानसभा क्षेत्रों में आप्रवासी आबादी बहुसंख्यक है, जो मतदान पैटर्न को प्रभावित करती है।

घुसपैठियों की बढ़ती संख्या के कारण देश में वोट बैंक की राजनीति और आश्रय राजनीति की शुरुआत होती है। इसके कारण देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ-साथ देश की अखंडता को भी नुकसान पहुँचता है। घुसपैठियों की संख्या ने मूल निवासियों की संस्कृति एवं उनके अस्तित्व के लिए भी खतरा उत्पन्न कर दिया है। यह सामाजिक एवं आर्थिक के साथ-साथ राजनैतिक भी है।

अध्ययन में शामिल महिलाओं में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की तस्करी की गई थी और वो देह व्यापार में लगी हुई थीं। इनमें से 40 प्रतिशत आप्रवासी महिलाएँ बांग्लादेश स्थित अपने घर पैसे भेज रही हैं। यह रकम 10,000 रुपए से लेकर 1,00,000 रुपए मासिक तक है। इतना ही नहीं, ये आप्रवासी महानगर की बुनियादी ढाँचे पर भार भी बढ़ा रहे हैं। अवैध आप्रवासियों के कारण झुग्गियों में भारी भीड़ बढ़ी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि गोवंडी, कुर्ला और मानखुर्द जैसी झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में घुसपैठियों की भीड़ के कारण बिजली और पानी की आपूर्ति का संकट पैदा हो गया है। इससे सोशल वेलफेयर को खतरा हो रहा है। पहले से ही भारी दबाव वाले मुंबई में बुनियादी ढाँचों पर असहनीय दबाव पड़ रहा है। इसका सबसे अधिक प्रभाव स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और स्वच्छता जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर पड़ रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, घुसपैठियों के कारण इन बुनियादी सेवाओं तक स्थानीय निवासियों की पहुँच कम हो गई है। आप्रवासियों की बढ़ती संख्या ने स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ा दिया है। बांग्लादेशी मुस्लिमों और रोहिंग्याओं द्वारा बेहद कम दर पर काम किया जाता है। इससे स्थानीय श्रमिकों के वेतन पर असर पड़ा है। उनमें नाराजगी बढ़ाती है। इसका फायदा राजनीतिक दल उठाते हैं।

इतना ही नहीं, आप्रवासी के कारण स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर आर्थिक असमानताएँ भी बढ़ी हैं, जिसके कारण सामाजिक तनाव और हिंसक झड़पें लगातार बढ़ रही हैं। साल 1965 से मुंबई में बढ़ रही घुसपैठियों की संख्या के कारण पर मराठी पहचान पर संकट बढ़ा है। स्थानीय लोगों में अपनी संस्कृति को लेकर भी असुरक्षा बढ़ती हैं। इसके कारण समाज में तनाव और सामाजिक विभाजन बढ़ा है।

रिपोर्ट के ‘सारांश, निष्कर्ष और निहितार्थ’ शीर्षक में कहा गया है कि मुंबई में अवैध मुस्लिम घुसपैठ से जुड़ी चुनौतियों के कारण बुनियादी क्षेत्रों की स्थिति चरमरा गई है। बांग्लादेशियों एवं रोहिंग्याओं की घुसपैठ को कम करने के लिए प्रभावी नीतिगत हस्तक्षेप लागू करने की सख्त जरूरत है। इन चुनौतियों में शहर में सुरक्षा, रोजगार, चिकित्सा और सामुदायिक स्थिरता बेहद महत्वपूर्ण हैं।

TISS के असिस्टेंट प्रोफेसर सौविक मंडल का कहना है कि यह एक चिंताजनक स्टडी है। बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये आप्रवासी के तौर पर मुंबई में बसे हुए हैं। ये हवाई रास्ते से नहीं, बल्कि बॉर्डर पार करके आए हैं। उन्होंने कहा, “हमने तरीका समझा तो पाया की पहले परिवार का कोई सदस्य आता है, फिर पूरा परिवार। इस तरह अवैध तरीके से गाँव बसाया जाता है। ये डार्क नेटवर्क की तरह काम करता है।”

इस मुद्दे पर दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में आयोजित एक सेमिनार में प्रमुख अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि अवैध आप्रवासन एक वैश्विक मुद्दा है, जो दुनिया भर में राजनीति, सुरक्षा और जनसांख्यिकी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि स्थिति ऐसी हो गई कि आज चुनाव अवैध आप्रवासन के विषय पर लड़े जा रहे हैं।

ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए सान्याल ने अनियंत्रित जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के परिणामों के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद से लाहौर और कराची जैसे शहर कैसे नाटकीय रूप से बदल गए हैं और वहाँ हिंदू एवं सिख आबादी में गिरावट आई है। उन्होंने आगे कहा, “आज बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों को दैनिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।”

सेमिनार में JNU की वीसी शांतिश्री पंडित ने अवैध आप्रवासन के जोखिमों को पहचानने का आग्रह किया। उन्होंने घुसपैठ के खतरों को लेकर कहा, “बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा भारत को दिए गए संवैधानिक अधिकार और महिलाओं के अधिकार खतरे में पड़ जाएँगे, क्योंकि जो लोग आते हैं वे उस संविधान को स्वीकार नहीं करते हैं। वे भारत के संविधान से ऊपर अपना कानून चाहते हैं।”

वहीं, TISS प्रो वीसी शंकर दास ने घुसपैठ से भाषा और संस्कृति पर उत्पन्न खतरों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अवैध आप्रवासन केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि इसमें कट्टरपंथ के जोखिम भी शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा, “भारत और बांग्लादेश में एजेंटों के बीच एक बड़ी साँठ-गाँठ है।” उन्होंने कहा कि कुछ एजेंट अपंजीकृत एनजीओ या मजहबी संगठनों से जुड़े हो सकते हैं।

परीक्षा कैसे हो, यह परीक्षा देने वाले ही करना चाहते हैं तय… क्या प्रयागराज में ‘सिस्टम’ हैक करना चाहते हैं छात्र? समझाने की कोशिश कर रहा प्रशासन, उकसा रहे अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हजारों की संख्या में अभ्यर्थी जुटे हैं। यह सभी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। PCS और RO/ARO अभ्यर्थी यहाँ अपनी कुछ माँगे लेकर आए हैं। अभ्यर्थियों की भीड़ ने सोमवार (11 नवम्बर, 2024) को पुलिस द्वारा लगाई गई बैरीकेडिंग भी तोड़ दी। इनको समझाने के लिए पुलिस प्रशासन की टीम भी पहुँची लेकिन कोई बात नहीं बन सकी। अभ्यर्थी सरलीकरण और सिंगल डे शिफ्ट की माँग को लेकर अड़े हुए हैं और कह रहे हैं कि यह पूरी होने पर ही यहाँ से हटेंगे।

क्यों हो रहा प्रदर्शन, कब से जुटे अभ्यर्थी?

प्रयागराज के UPPSC मुख्यालय के बाहर जुटे अभ्यर्थी PCS और RO/ARO भर्ती परीक्षा को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह अभ्यर्थी सोमवार (11 नवम्बर, 2024) से जुटे हुए हैं। प्रयागराज में बड़ी संख्या में बाहर से आए अभ्यर्थी भी हैं। इनमें कुछ 500+ किलोमीटर से आए हैं। प्रदर्शन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 10 हजार से अधिक बताई जा रही है। अभ्यर्थियों का जुटान सोशल मीडिया के माध्यम से भी हुआ है। यहाँ पुलिस-प्रशासन को नियंत्रण करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

अभ्यर्थियों की माँग क्या है?

UPPSC ने हाल ही में RO/ARO और PCS परीक्षा के लिए तारीखें घोषित की थीं। PCS की परीक्षा का प्रीलिम्स 7-8 दिसम्बर, 2024 को करवाई जाएगी। यह परीक्षा दो पाली में होगी। इसी तरह RO/ARO परीक्षा को 22-23 दिसम्बर, 2024 को करवाया जाएगा। इसकी तीन पालियाँ होंगी। परीक्षाओं के इस कार्यक्रम को लेकर ही अभ्यर्थी विवाद कर रहे हैं। उनकी माँग है कि परीक्षा को एक दिन में एक ही पाली में करवाया जाए और इसे दो दिन ना खींचा जाए।

एक दिन में परीक्षा की माँग क्यों?

अभ्यर्थियों एक दिन में परीक्षा की माँग सरलीकरण (नॉर्मलाइजेशन) के चलते कर रहे हैं। आयोग ने इस परीक्षा में इस बार सरलीकरण का नियम लागू किया है। यह सरलीकरण का नियम इसलिए लागू किया गया है क्योंकि परीक्षा दो दिन में होनी है। अभ्यर्थियों का कहना है कि सरलीकरण में गड़बड़ी की आशंका होती है और ऐसे मामले कोर्ट में जाते हैं, इसलिए परीक्षा एक ही दिन में करवा ली जाए। अभ्यर्थियों का कहना है कि एक दिन में परीक्षा हो गई तो सरलीकरण नहीं करना पड़ेगा। वह कह रहे हैं कि बिना सरलीकरण का नोटिस लिए बिना वह प्रयागराज से नहीं हिलेंगे।

सरलीकरण से दिक्कत क्यों?

अभ्यर्थियों का कहना है कि PCS और RO/ARO में पहली बार नॉर्मलाइजेशन लागू किया है, जो कि सही नहीं है। सरलीकरण में अलग-अलग पाली होने वाली एक ही परीक्षा के कठिनाई के स्तर को देखते हुए अंक दिए जाते हैं। इसके अंतर्गत यदि किसी परीक्षा में 3 पाली हुई, जिसमें से तीसरी पाली का प्रश्नपत्र सबसे कठिन और पहली पाली का प्रश्नपत्र सरल हुआ तथा बीच की पाली का प्रश्नपत्र सामान्य रहा तो कठिन प्रश्न पत्र वाले को अंक बढ़ा कर दिए जाएँगे।

अभ्यर्थियों का तर्क है कि कुछ लोगों के लिए एक प्रश्नपत्र कठिन हो सकता जबकि दूसरे के लिए दूसरा कठिन होगा, ऐसे में सरलीकरण की प्रक्रिया सही नहीं है। उनका कहना है कि ऐसी परिस्थिति में कोर्ट में भर्ती फंस जाएगी और फिर समय बर्बाद होगा। अभ्यर्थियों का कहना है कि यह भर्ती पहले ही गड़बड़ हो चुकी है। उनका कहना है कि फरवरी, 2024 में RO/ARO परीक्षा लीक हुई थी और अब कई महीने के बाद यह होने का समय आया है, यही मामला PCS के साथ है, आगे अगर गड़बड़ी हुई तो यह एक गलत परम्परा होगी।

आयोग का क्या तर्क?

UPPSC ने दो दिन में परीक्षा करवाने पर अपने तर्क रखे हैं। UPPCS का कहना है कि वह निजी संस्थानों में परीक्षा नहीं करवाना चाहती क्योंकि इससे लीक का खतरा बढ़ता है। ऐसे में सरकारी कॉलेज में ही परीक्षा करवाई जा रही है। UPPCS ने 41 जिलों में परीक्षा के लिए केंद्र बनाए हैं। उसने कहा है कि अभ्यर्थियों की संख्या भी अधिक है जिस कारण से एक दिन में इन कॉलेज में परीक्षा सम्पन्न नहीं हो सकती, तभी दो बार परीक्षा करवाई जा रही है। UPPSC ने कहा कि सरलीकरण की प्रक्रिया भी कोर्ट के आदेश के अनुसार ही करवाई जाएगी।

अब प्रशासन क्या कह रहा?

मंगलवार (12 नवम्बर, 2024) को UPPSC मुख्यालय के बाहर सोमवार से अधिक अभ्यर्थियों का जुटान है। UPPSC पदाधिकारियों ने कहा है कि वह अभ्यर्थियों से वार्ता करने को तैयार हैं और पाँच प्रतिनिधि अभ्यर्थी भेज सकते हैं। वहीं अभ्यर्थी कह रहे हैं कि अपनी माँग मनवाए बिना वह नहीं हटेंगे और कोई भी वार्ता नहीं करेंगे। उनका कहना है कि एक दिन में परीक्षा और सरलीकरण हटाने का नोटिस जारी कर दिया जाए, बस वह चले जाएँगे। इस बीच प्रशासन उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा है।

प्रशासन की तरफ से प्रयागराज के कमिश्नर और डीएम उनसे मंगलवार दोपहर को भी बात करने पहुँचे लेकिन कोई समाधान नहीं निकला है। पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल होने आए कुछ गैर अभ्यर्थियों को हिरासत में भी लिया है। पुलिस अभी छात्रों के प्रदर्शन को हिंसक होने से रोक रही है।

मामले में राजनीति भी चालू

अभ्यर्थियों के प्रदर्शन को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीति ने भी जोर पकड़ लिया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे ‘योगी बनाम प्रतियोगी’ प्रदर्शन नाम दिया है। उनका कहना है कि लोगों को अब भाजपा नहीं चाहिए, यह अभ्यर्थी समझ चुके हैं।

वह बात अलग है कि अखिलेश यादव के राज में UPPSC के चेयरमैन अनिल यादव पर गड़बड़ी के इतने आरोप लगे थे कि अभ्यर्थियों ने इसके मुख्यालय को ‘यादव सेवा आयोग’ नाम दे दिया था।

मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा है कि अखिलेश यादव को इन सब मुद्दों पर नहीं बोलना चाहिए।

उन्होंने लिखा, “यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को छात्रों के मुद्दों पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्हें अपने शासनकाल में हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार को याद रखना चाहिए। पुलिस अधिकारी संयमित व्यवहार करें और छात्रों पर बल प्रयोग न हो। प्रतियोगी छात्रों से अनुरोध है कि वे अपनी समस्याओं को शांतिपूर्ण तरीके से उठाएँ और सपा की राजनीति का शिकार न बनें। आपकी न्याय की लड़ाई में सरकार और मैं सदैव आपके साथ हूँ।”

छत्तीसगढ़ की लड़की को मुंबई ले गया फिरोज: बंधक बनाकर डेढ़ साल तक करता रहा रेप, पीड़िता बोली- हाथ-पैर बाँधकर रखता था, प्राइवेट पार्ट केमिकल से जला दिया

छत्तसीगढ़ के कोंडागाँव की रहने वाली 22 साल की एक जनजातीय युवती को फिरोज नाम के मुस्लिम युवक ने अपहरण कर लिया। इसके बाद उसे मुंबई के धारावी लेकर लगभग 1.5 साल तक रेप किया। उसे अंधेरे कमरे में हाथ-पैर बाँधकर रखता था। इतना ही नहीं, आरोपित फिरोज ने युवती के जननांग में केमिकल डालकर जला दिया। पुलिस ने आरोपित को यूपी से गिरफ्तार कर लिया है।

मामला बस्तर संभाग के कोंडागाँव जिले के माकड़ी थाना क्षेत्र के एक गाँव की है। युवती का आरोप है कि साल 2023 में उसकी तबीयत खराब हो थी तो वह दिखाने के लिए अस्पताल कोंडागाँव गई थीं। वहाँ फिरोज ने बोतल फोड़कर गर्दन पर रख दिया और उसका अपहरण कर लिया। उसने पीड़िता का मोबाइल भी छीन लिया और मुंबई के धारावी में ले जाकर बंधक बनाकर रखने लगा।

पीड़िता का कहना है कि साल 2022-23 में उसके मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से फोन आया था। वह अज्ञात नंबर को बार-बार काटती और ब्लॉक करती, लेकिन फिरोज पीछे पड़ा रहा। वह पीड़िता को मिलने के लिए बोलता था, लेकिन वह मना करती थी। एक दिन पीड़िता की तबीयत खराब हुई तो वह इलाज कराने कोंडागाँव गई। इसकी भनक फिरोज को लग गई और वह भी पीछा करता हुआ पहुँच गया।

सुनसान जगह देखकर उसने युवती को रोका और उसकी गर्दन पर काँच की टूटी बोतल रख दी और उसे अपहरण करके अपने साथ मुंबई लेकर चला गया। इस दौरान फिरोज ने पीड़िता से मोबाइल छीन लिया और पीड़िता के परिजनों को एक मैसेज किया। इसमें उसने लिखा, “मैं सही सलामत हूँ। मुझे एक लड़के से प्यार हो गया है और उसके साथ घर बसाने जा रही हूँ। आप लोग मेरी चिंता ना करें।”

एक अन्य रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि फिरोज़ और पीड़िता की मुलाकात साल 2023 में फेसबुक के जरिए हुई थी। उसने बातचीत के दौरान ही युवती को झाँसे में ले लिया। अपहण के सवाल पर प्रशासन का कहना है कि आरोपित फिरोज यूपी के सुल्तानपुर का रहने वाला है और वह युवती से मिलने के लिए कोंडागाँव आया था। 7 जून 2023 को दोनों भागकर मुंबई चले गए। वे वहाँ एक साल से ज़्यादा समय तक रहे, फिर नवंबर 2024 में पीड़िता वापस कोंडागाँव आई।

खैर जो भी हो, दोनों मुंबई पहुँचे। युवती ने आरोप लगाया है कि फिरोज मुंबई की एक फैक्ट्री में काम करता है। उसने धारावी की बस्ती में एक कमरे के छोटे में उसे रखा। उसमें खिड़की तक नहीं थी। वह रौशनी भी नहीं आने देता था। युवती का आरोप है कि फिरोज जब फैक्ट्री में काम के लिए सुबह जाता था तो उसका हाथ-पाँव को कपड़े से बाँधकर जाता था। उसके साथ मारपीट करता था और बाल पकड़ खींचता था।

युवती कहना है कि वह उसे खाना भी नहीं देता था। युवती वहाँ किसी को जानती नहीं थी, इसलिए चुपचाप जुल्म सहती थी। युवती का कहना है कि फिरोज पिछले 1.5 सालों से लगातार उसके साथ रेप कर रहा था। वह जब भी मना करती थी तो उसे बुरी तरह पीटता था। तीन-चार महीने पहले जब उसने फिरोज को रोका तो उसने उसने उसके प्राइवेट पार्ट में केमिकल डालकर जला दिया।

युवती ने बताया कि एक दिन फिरोज़ अपना मोबाइल घर पर ही भूल गया। इसके बाद उसने मोबाइल से एक नंबर निकाला। वह नंबर फिरोज की फैक्ट्री के मालिक का था। युवती ने फैक्ट्री मालिक को कॉल करके पूरी कहानी बताई। इसमें मालिक ने उसकी मदद की। वह रेलवे स्टेशन पहुँची और फिर वहाँ से अपने गाँव पहुँची। उसने घर पहुँचकर परिजनों को सारी बताई तो पुलिस में FIR दर्ज कराई।

पुलिस ने युवती को कोंडागाँव के जिला अस्पताल में भर्ती कराया है, जहाँ इलाज चल रहा है। कोंडागाँव जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर आरसी ठाकुर ने बताया कि 5 नवंबर को पीड़िता उल्टी, कमजोरी और पेट दर्द की शिकायत पर अस्पताल पहुँची। जाँच के दौरान स्त्री रोग परीक्षण में प्रेग्नेंसी टेस्ट नेगेटिव आया है। प्राइवेट पार्ट में लंबे समय से मौजूद इंफेक्शन जैसा पाया गया है।

सिविल सर्जन का कहना है कि युवती के शरीर के जलने या जख्म के कोई निशान नहीं थे। कोंडागाँव पुलिस ने आरोपित फिरोज को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से गिरफ्तार कर लिया है। उसे कोंडागाँव लाया गया है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कौशलेंद्र देव पटेल ने बताया है कि माकड़ी थाना क्षेत्र की पुलिस आरोपित से पूछताछ कर रही है।

रिलायंस से ₹25 करोड़ वसूल नहीं पाएगा SEBI, सुप्रीम कोर्ट ने SAT के आदेश में दखल से किया इनकार: जानिए क्या है 1994 का वह लेनदेन जिसमें मुकेश अंबानी को मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 नवंबर 2024) को भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा रिलायंस इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और अन्य संस्थाओं के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया। साल 1994 में हुए लेेद-देन में SEBI ने नियमों के उल्लंघन को लेकर यह अपील दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और न्यायाधीश आर महादेवन की पीठ ने इस मुद्दे की जाँच करने एवं निर्णय देने में देरी को लेकर SEBI की आलोचना भी की। पीठ ने SEBI से कहा, “आपने अपील 2023 में दायर की और अब नवंबर 2024 चल रहा है। यह लेन-देन भी साल 1994 का है। इसलिए इस मुद्दे को कहीं ना कहीं खत्म करने की जरूरत है।”

बता दें कि 10 दिसंबर 1992 को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के शेयरधारकों ने डटैचेबल वॉरंट के साथ गैर-परिवर्तनीय सुरक्षित प्रतिदेय डिबेंचर (NCD) जारी करने की मंजूरी दी थी। RIL ने 12 जनवरी 1994 को 3 करोड़ वॉरंट के साथ 50 रुपए मूल्य के 6 करोड़ NCD 34 संस्थाओं को आवंटित किए। प्रत्येक वॉरंट में धारकों को छह साल के भीतर 150 रुपए भुगतान करने पर RIL के दो इक्विटी शेयर हासिल करने की अनुमति दी।

ये वॉरंट ट्रेडिंग करने योग्य थे और साल 1994 में इन्हें स्टॉक एक्सचेंज में शामिल किया गया था। इसके बाद 7 जनवरी 2000 को RIL बोर्ड ने वॉरंट धारकों को 12 करोड़ इक्विटी शेयर आवंटित किए। नियमों के अनुसार, हर वॉरंट धारक को प्रत्येक 50 रुपए का भुगतान करने पर चार इक्विटी शेयर मिल सकते थे।

रिलायंस ने 28 अप्रैल 2000 को खुलासा किया कि इस आवंटन के कारण 31 मार्च 2000 तक प्रमोटरों और उनके सहयोगियों की शेयरधारिता 6.83 प्रतिशत बढ़ गई थी। SEBI ने शुरुआत में 20 अप्रैल 2000 को इस खुलासे को स्वीकार करते हुए कोई कार्रवाई नहीं की। हालाँकि, 2002 में उसे RIL के प्रमोटरों द्वारा SEBI के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एक शिकायत मिली।

SEBI ने लेन-देन की तारीख के 17 साल बाद 2011 में कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसके बाद RIL और उसके प्रमोटरों को 5 अगस्त 2011 को मामला निपटाने के लिए एक सहमति पत्र दायर किया। हालाँकि, 18 मई 2020 को इसे सेबी ने खारिज कर दिया। सेबी ने इस मामले पर दोबारा गौर किया और साल 2021 में RIL पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया।

जुलाई 2021 में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) ने इस आदेश को रद्द कर दिया। SAT ने जुर्माना लगाने में देरी के लिए सेबी की आलोचना की। सेबी ने कहा कि अपीलकर्ताओं ने SAST (शेयरों और अधिग्रहणों का पर्याप्त अधिग्रहण) नियमों का उल्लंघन नहीं किया है और सेबी के आदेश को रद्द कर दिया। इसके बाद सेबी को चार सप्ताह के भीतर 25 करोड़ रुपए वापस करने का आदेश दिया था ।

खालिस्तानी दे रहे हमलों की धमकी, सुरक्षा के बदले पैसा माँग रही कनाडा पुलिस: काली और त्रिवेणी मंदिर में कार्यक्रम रद्द, पुजारी बोले- श्रद्धालुओं का आने से लग रहा डर

कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों के बढ़ते हमलों के चलते दो मंदिरों को अपना कायर्क्रम रद्द करना पड़ा है। कनाडा के टोरंटो में त्रिवेणी मंदिर और काली बाड़ी मंदिर में आगामी कार्यक्रमों को रद्द किया है। इससे पहले खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक नया वीडियो जारी करके हिन्दू मंदिरों और भारतीय राजनयिकों पर हमले का ऐलान किया है।

ब्रैम्पटन के त्रिवेणी मंदिर ने सोमवार (11 नवम्बर, 2024) को एक प्रेस रिलीज जारी करके 17 नवम्बर, 2024 के कार्यक्रम को रद्द करने का ऐलान किया है। त्रिवेणी मंदिर ने लिखा, “कृपया ध्यान दें कि 17 नवंबर, 2024 को भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा ब्रैम्पटन त्रिवेणी मंदिर में आयोजित जीवन प्रमाण पत्र का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। ऐसा पील इलाके पुलिस की खुफिया जानकारी के चलते किया गया है। इस जानकारी में कहा गया था कि यहाँ हिंसा हो सकती है।”

मंदिर ने बताया कि उन्होंने श्रद्धालुओं और बाकी लोगों की सुरक्षा के चलते ऐसा किया है। मंदिर ने कहा, “हमें इस बात का गहरा दुख है कि कनाडा के लोग अब हिंदू मंदिरों में आने में असुरक्षित महसूस करते हैं। हम पील पुलिस से त्रिवेणी मंदिर के खिलाफ दी जा रही धमकियों को दूर करने और कनाडाई हिंदू समुदाय और आम जनता को सुरक्षा की गारंटी देने की माँग करते हैं।”

इस मंदिर में ओंटारियो का भारतीय वाणिज्य दूतावास जीवन प्रमाण पत्र बाँटने के लिए कार्यक्रम कर रहा था। मंदिर को पुलिस ने बताया था कि यहाँ खालिस्तानी हमला हो सकता है। कनाडा की पुलिस ने इस मंदिर को सुरक्षा देने के लिए भारी-भरकम पैसों की माँग कर दी थी। मंदिर के पंडित युधिष्ठिर ने बताया कि उनसे पुलिस ने 1 लाख कनाडाई डॉलर माँगे थे। उन्होंने कहा है कि कनाडा के राजनीतिक नेतृत्व ने उन्हें धोखा दिया है और साथ ही हिन्दुओं के खिलाफ पुलिस पक्षपाती ढंग से कार्रवाई कर रही है।

वहीं काली बाड़ी मंदिर के प्रबंधकों ने भी मंदिर में 16 नवम्बर, 2024 को होने वाले कार्यक्रम को रद्द करने की बात कही है। उन्होंने भी इसका कारण खालिस्तानियों की धमकियाँ बताया है।

कनाडा में मंदिरों और भारतीय राजनयिकों को एक और धमकी खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने दी है। पन्नू ने सोमवार (11 नवम्बर, 2024) को एक वीडियो जारी किया है। इसमें उसने 16-17 नवम्बर को मंदिरों और भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने की बात कही। उसने कहा कि जो भी आदमी तिरंगे के साथ दिखेगा, उसे दुश्मन समझा जाएगा। पन्नू ने कनाडा के हिन्दू सांसद चंदर आर्या को भी धमकी दी है और उन्हें कनाडा में हिंदुत्व का चेहरा बताया है।

ऐसा पहला बार नहीं हुआ है जब खालिस्तानी हमले के कारण इवेंट रद्द हुए हों। इससे पहले कनाडा में भारत के दूतावास ने बताया था कि सुरक्षा ना मिलने की वजह से वह आगामी कार्यक्रम रद्द कर रहे हैं। दूतावास के हिन्दू सभा मंदिर पर खालिस्तानियों ने हमला किया भी था।

अजीत अंजुम या विनोद कापड़ी? सूरत अग्निकांड में कौन PM को जलाना चाहता था: विक्रांत मैसी से बात करते-करते शुभंकर मिश्रा ने खोल दी मीडिया की मोदी घृणा की पोल

अभिनेता विक्रांत मैसी के साथ 10 नवंबर 2024 के एक पॉडकास्ट में पत्रकार शुभंकर मिश्रा ने बताया कि कैसे मुख्यधारा का मीडिया किसी घटना के इर्द-गिर्द नैरेटिव गढ़ता है, जो घटना या इसमें शामिल लोगों के बारे में धारणा को प्रभावित करता है। मिश्रा ने खुलासा किया कि साल 2019 में जिस टेलीविजन न्यूज चैनल में वे रिपोर्टर के रूप में काम थे, उसने सूरत कोचिंग अग्निकांड को कवर करने के लिए भेजा था।

शुभंकर मिश्रा ने बताया कि न्यूज चैनल की ओर से उन्हें पीड़ितों में से एक के घर जाने के लिए कहा गया था। इसके साथ ही इस घटना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराते हुए बाइट (बयान) लेने के लिए कहा गया था। बता दें कि सूरत के इस कोचिंग अग्निकांड में 22 लोगों की जान चली गई थी। इसको लेकर बड़े पैमाने पर विवाद हुआ था।

आग लगने की यह घटना 24 मई 2019 को सूरत के जगतनाका स्थित व्यवसायिक केंद्र में स्थित एक कोचिंग सेंटर में हुई थी। यह आग एयर कंडिशन (AC) में शॉर्ट सर्किट होने के कारण लगी थी। घटना में बाहर निकलने का रास्ता ब्लॉक हो गया था, जिसके कारण छात्र-छात्राएँ वहाँ फँस गए थे। उस बिल्डिंग में अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन भी नहीं किया जा रहा था और ना ही भवन के पास सर्टिफिकेट था।

मिश्रा ने कहा, “जिस समय यह घटना हुई, उस समय मैं सूरत में था। आग से बचने के लिए छात्र-छात्राएँ बिल्डिंग के कूद रहे थे। उस समय लड़कियों के इमारत से कूदने के कई परेशान करने वाले वीडियो सामने आए थे। इसकी मैंने वहाँ से दो दिनों तक रिपोर्टिंग की थी। इस घटना के बाद बिल्डिंग को सील कर दिया गया था और आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद मामला खत्म हो गया था।”

उन्होंने आगे कहा, “दो दिनों के बाद अहमदाबाद में एक बड़े नेता की रैली थी। मैंने अपने एडिटर से पूछा कि क्या मैं वहाँ जाऊँ, क्योंकि यहाँ पर बिल्डिंग को सील हो गया और आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया है? मेरे एडिटर ने कहा कि नहीं। जब सारी दुनिया रैली की लाइव टेलिकास्ट कर रही है तो तुम हादसे के पीड़ित के घर जाओ और किसी बच्चे को पकड़कर बाइट लो कि ‘मोदी अंकल आपने ये क्या करवा दिया, मेरी बहन लौटा दो’?”

हालाँकि, शुभंकर मिश्रा ने किसी समाचार चैनल या संपादक का नाम नहीं लिया, लेकिन मिश्रा की लिंक्डइन प्रोफ़ाइल और सूरत कोचिंग आग की घटना के कवरेज के पुराने वीडियो बताते हैं कि उस समय वे टीवी9 भारतवर्ष में काम कर रहे थे। नेटिज़न्स का अनुमान है कि जिस संपादक ने पीएम मोदी के खिलाफ बाइट लेने के लिए कहा होगा वह विनोद कापड़ी या अजीत अंजुम हो सकते हैं।

अजीम अंजुम और विनोद कापड़ी ने साल 2019 में टीवी9 भारतवर्ष में काम किया था। दोनों पीएम मोदी से नफरत करने के लिए जाने जाते हैं। इस तरह का निर्देश देने वाले संपादक का नाम जानने के लिए ऑपइंडिया ने शुभंकर मिश्रा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो पाई। उनसे बाचती होने के बाद इस खबर को अपडेट किया जाएगा।

ICC ने तोड़ा संजय बांगर के बेटे का इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का सपना, आर्यन से बना है ‘अनाया’: जानिए ट्रांस वुमन को लेकर क्या हैं नियम

लड़के से ट्रांसजेंडर महिला बनी संजय बांगर की बेटी अनाया बांगर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना चाहती है। वह पूर्व में एक पुरुष थी और उसका नाम आर्यन बांगर था। अनाया ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने ट्रांस महिला बनने की कहानी साझा की है और साथ ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को लेकर अपनी खीझ को साझा किया है। अनाया 2023 में हारमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के जरिए ट्रांस महिला बनी है। इससे पहले वह आर्यन के रूप में क्रिकेट खेला करती थी।

अनाया के क्रिकेट खेलने के सपने पर ट्रांस महिला बनने के बाद विराम लग गया है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) और इंग्लैंड & वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) के नियमों के अनुसार, कोई भी ट्रांस महिला, महिला क्रिकेट में भाग नहीं ले सकती है। अनाया ने हाल ही में एक वीडियो डाला था, जिसमें उन्होंने अपनी ट्रांस महिला बनने से पहले के फोटो डाले थे जिनमें वह कई क्रिकेटर के साथ दिखती हैं। इसमें उन्होंने क्रिकेट खेलने को लेकर बात की थी। यह वीडियो अब डिलीट हो चुका है।

हाल ही में इंस्टाग्राम पर अनाया द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में, उन्होंने बताया कि HRT के 11 महीनों के दौरान उनके शरीर में कई बदलाव आए हैं। अनाया का दावा है कि इससे उन्हें काफी ख़ुशी मिली है और उनका डिस्फोरिया भी खत्म हो गया है। डिस्फोरिया एक ऐसी अवस्था है जिसमें कोई व्यक्ति महसूस करता है कि वह गलत शरीर में है और उसे अपना लिंग बदलने की जरूरत है। अनाया ने कहा है कि उन्हें अब इससे छुटकारा मिल रहा है।

उन्होंने एक और रिपोर्ट साझा की, जिसमें ECB द्वारा ट्रांस महिलाओं को क्रिकेट से रोका गया है। अनाया ने इस पोस्ट में लिखा, “ट्रांस-एथलीट होना काफी कठिन है।”

कैसे क्रिकेट से अलग हुईं अनाया?

अगस्त 2024 में एक पोस्ट में अनाया ने बताया था कि वह कैसे क्रिकेट से अलग हो गई हैं। इस पोस्ट में लिखा था, “छोटी उम्र से ही क्रिकेट हमेशा मेरी जिन्दगी का हिस्सा रहा है। बड़े होते हुए, मैंने अपने पिता को देश के लिए खेलते देखा और साथ ही उनकी कोचिंग भी देखी। मैंने उनके नक्शेकदम पर चलने की ठानी थी। खेल के प्रति उनका जुनून, अनुशासन और समर्पण मेरे लिए बहुत प्रेरणादायक था। क्रिकेट ही मेरा प्यार, मेरी महत्वाकांक्षा और मेरा भविष्य बन गया था।”

अनाया ने आगे लिखा कि उन्हें उम्मीद है कि एक दिन मुझे भी उनके जैसे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा। उन्होंने लिखा था कि उन्हें क्रिकेट छोड़ना पड़ेगा और अब वह एक अलग सच्चाई का सामना कर रही हैं। अनाया ने कहा था कि उनका प्यारा खेल अब उनसे दूर हो रहा है। अनाया ने क्रिकेट नियमों को लेकर लिखा, “ऐसा लगता है कि सिस्टम मुझे बाहर कर रहा है, इसलिए नहीं कि मुझमें प्रेरणा या प्रतिभा की कमी है, बल्कि इसलिए कि नियम मेरी वास्तविकता को नहीं समझ पाए हैं।”

क्या हैं ट्रांस लोगों को लेकर ICC के नियम?

ICC ने पहले ट्रांस महिलाओं को महिला क्रिकेट में भाग लेने की अनुमति दी थी। 29 वर्षीय डेनियल मैकगेही 2023 की शुरुआत में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खेलने वाली पहली ट्रांसजेंडर खिलाड़ी थीं। हालाँकि, उनकी भागीदारी पर काफी विवाद हुआ और इसके बाद ICC ने नवम्बर 2023 में नए नियम लागू कर दिए। इनके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति जो कि पुरुष के तौर पर युवा हुआ है और बाद में महिला बना है, महिलाओं के क्रिकेट में भाग नहीं ले सकता। ऐसे ही नियम ECB ने लागू किए थे। अनाया इंग्लैंड में ही खेलती थीं।

आदिवासी लड़कियों से निकाह करके जमीन नहीं हथिया पाएँगे ‘घुसपैठिए’, अमित शाह ने झारखंड में किया वादा: सरकार आने पर बनेगा कानून

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि झारखंड में जनजातीय लड़कियों को फंसा कर निकाह करने वाले घुसपैठियों को जमीन नहीं लेने दी जाएगी। गृह मंत्री शाह ने राज्य में भाजपा सरकार आने पर इसको लेकर कानून बनाने का वादा किया है। गृह मंत्री ने इसी के साथ घुसपैठियों को राज्य से भगाने का भी वादा किया है।

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करते हुए सरायकेला में अमित शाह ने यह वादा किया है। अमित शाह ने कहा कि राज्य में जनजातीय बच्चियों से शादी करके जमीनें हड़पने का षड्यंत्र चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में भाजपा सरकार बनने पर कानून लाया जाएगा कि शादी के बाद भी महिला की जमीन घुसपैठिए के नाम ट्रांसफर नहीं होगी।

अमित शाह ने यहाँ यह भी वादा किया कि जो जमीन पहले घुसपैठिए कब्जा चुके हैं, उसे भी कमिटी बनाकर खाली करवाया जाएगा और इन घुसपैठियों को बाहर भगाया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन की कुर्सी घुसपैठ के खिलाफ काम करने के चलते गई।

सरायकेला में अमित शाह ने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार घुसपैठियों को बढ़ावा देने में मदद कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार घुसपैठियों को संरक्षण दे रही है। गृह मंत्री अमित झारखंड के लोगों से वादा किया कि वह सभी घुसपैठियों को सरहद के उस पर डालने का काम भाजपा करेगी।

अमित शाह ने यहाँ जनजातियों के आरक्षण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस मुस्लिमों को आरक्षण देने का विचार बना रही है जो ओबीसी, जनजाति और SC का आरक्षण काट कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वह किसी का आरक्षण कम नहीं होने देंगे।

चम्पई सोरेन के इस्तीफे को अमित शाह ने पूरे जनजातीय समुदाय का अपमान करार दिया है। अमित शाह ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार घोटालों में लिप्त है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी राज्य सरकार पर घुसपैठियों को शह देने का आरोप लगाया था।

गौरतलब है कि आजतक ने भी मार्च, 2024 में एक रिपोर्ट में बताया था कि बांग्लादेशियों को झारखंड में गरीब जनजातीय लड़कियों को फँसाने का टार्गेट मिला हुआ है। इसके बाद उनसे निकाह करवाया जाता है और फिर जमीन हड़प ली जाती है। आजतक की रिपोर्ट में बताया गया था कि कहीं-कहीं निकाह करके मुखिया पद पर तक कब्जा जमाया गया है।

भूत-प्रेत का डर दिखाकर रफीक करता था महिलाओं का यौन शोषण, राजस्थान पुलिस ने पकड़ा: मीडिया ‘तांत्रिक’ लिख कर रहा हिंदुओं को बदनाम

राजस्थान के झुंझनू में रफीक उर्फ अली खान नाम के मुस्लिम ‘आलिम’ को गिरफ्तार किया गया है। उसके ऊपर महिलाओं को बरगलाकर उनका शरीरिक शोषण करने का आरोप है। रिपोर्ट्स में बताया गया कि रफीक पहले भूत-प्रेत का डर दिखाकर उन्हें झांसे में लेता, फिर बाद में उन्हें निशाना बनाता था। पुलिस ने एक पीड़िता की शिकायत मिलने के बाद उसे गिरफ्तार किया है।

जाँच में सामने आया है कि बंगाल का रहने वाला रफीक पहले लड़कियों को बहलाकर उनसे उनके सारी जानकारी लेता था फिर उनका शारीरिक और आर्थिक शोषण करता था। पड़ताल में पता चला कि युवतियों और महिलाओं को निशाना बनाने वाले रफीक की पहले से दो बीवियाँ हैं। वह अपने साथ हमेशा हड्डियाँ रखता था ताकि किसी को भी बेवकूफ बना सके।

गौरतलब है कि जहाँ इस रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि महिलाओं का शोषण करने वाले का नाम रफीक उर्फ अली खान है तो वहीं मीडिया इस मामले को रिपोर्ट करते हुए उसे ‘तांत्रिक’ बता रही है और तंत्र-मंत्र जैसे शब्दों का प्रयोग कर रही है। इसके अलावा हेडलाइन में भी उसने बंगाली बाबा लिखा हुआ है।

नवभारत टाइम्स का स्क्रीनशॉट

मालूम हो कि ये तांत्रिक, तंत्र-मंत्र, बाबा… ये सारे वो शब्द हैं जो हिंदू धर्म से संबंधित हैं। अन्य मजहब में ऐसे झाड़-फूँक काम करने वालों के लिए अलग शब्द होते है और इसलिए सालों से दक्षिणपंथी किसी मुस्लिम आलिम के अपराधी होने पर तांत्रिक शब्द के इस्तेमाल का विरोध करते रहे हैं। लेकिन बावजूद इन विरोधों के मीडिया बाज हीं आया।

पत्रिका का स्क्रीनशॉट

अब भी जिन शब्दों का लेना-देना हिंदू धर्म से है उनका इस्तेमाल किसी दूसरे मजहब के लोगों के अपराध को बताने के लिए किया जाता है। ये पहली बार नहीं है जब मीडिया ने ऐसी हरकत की हो। बीते समय में तमाम ऐसे मामले आए हैं जिन्हें ऑपइंडिया ने समय-समय पर रिपोर्ट किया है।

‘कालिया कुमारस्वामी’ भाजपा से ज़्यादा ख़तरनाक: कर्नाटक के वक्फ मंत्री जमीर अहमद ने केंद्रीय मंत्री एवं JDS नेता पर की नस्लीय टिप्पणी, पार्टी ने माँगा इस्तीफा

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस सरकार में वक्फ एवं आवासन मंत्री जमीर अहमद खान ने केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी पर नस्लीय टिप्पणी करते हुए उन्हें ‘कालिया कुमारस्वामी’ कहा है। इसको लेकर जनता दल (सेक्युलर) या JDS ने मंत्री का इस्तीफा माँगा है। वहीं, हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ टिप्पणी करने के एक मामले में राज्यपाल ने जमीर के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया है।

यह घटना एक चुनावी रैली की है। रामनगर में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए जमीर अहमद ने कहा कि चन्नपटना से कॉन्ग्रेस उम्मीदवार सीपी योगीश्वर पार्टी के अंदरूनी मतभेदों के कारण भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि योगीश्वर ने JDS में शामिल होने से परहेज किया, क्योंकि उन्हें ‘कालिया कुमारस्वामी’ भाजपा से ज़्यादा ख़तरनाक लगे।

जमीर अहमद ने इस दौरान एक तस्वीर भी दिखाई। इसके साथ ही एक ऑडियो क्लिप चलाई, जिसमें कथित तौर पर कुमारस्वामी कह रहे थे, “मेरी राजनीति मुस्लिम वोटों पर निर्भर नहीं है। मैं यह स्पष्ट कर रहा हूँ। मुझे हिजाब या पजामा की ज़रूरत नहीं है।” अब लोगों का कहना है कि कुमारस्वामी की रंगत काला होने के कारण जमीर अहमद ने जानबूझकर नस्लीय टिप्पणी की है।

जमीर अहमद के इस बयान को लेकर जेडीएस ने प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया साइट X पर जेडीएस ने लिखा, “एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ ज़मीर अहमद की अपमानजनक और नस्लीय टिप्पणी की देश कड़ी निंदा करता है। इस प्रकार की घृणित भाषा राजनीतिक विमर्श में नई गिरावट का प्रतीक है और सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं है।”

भाजपा नेता किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं कॉन्ग्रेस के मंत्री ज़मीर अहमद द्वारा केंद्रीय मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री श्री कुमारस्वामी को ‘कालिया कुमारस्वामी’ कहने की कड़ी निंदा करता हूँ। यह एक नस्लवादी टिप्पणी है, ठीक उसी तरह जैसे राहुल गाँधी के सलाहकार ने दक्षिण भारतीयों को अफ्रीकी, उत्तर पूर्व को चीनी, उत्तर भारतीयों को अरब जैसा बताया था।”

इस सीट से कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी मैदान में हैं। वहीं, कॉन्ग्रेस ने सीपी योगेश्वर को मैदान में उतारा है। इस सीट पर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और एचडी कुमारस्वामी, दोनों की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है। दोनों ही वोक्कालिगा समुदाय आते हैं और दोनों ही अपने समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि इस सीट पर 13 नवंबर को वोट डाले जाएँगे।