इस बात के कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है कि इस 'हग अ चायनीज' कैम्पेन के कारण ही इटली में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला, क्योंकि सभी चीनी नागरिक इस वायरस से संक्रमित नहीं हैं, जिसके कारण उनसे भेदभाव किया जाए। साथ ही यह भी सही है कि इस तरह के कैम्पेन को कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए फिलहाल टाला जा सकता था।
दंगाई भीड़ ने बिजेंद्र के घर की छत को ही हमले के लिए बेस बना लिया और वहाँ कब्ज़ा कर लिया। छत पर क़रीब 90 आदमी थे। पत्थर ढो-ढो कर लाए जा रहे थे। मंदिर पर पूरे 6 घंटे तक हमले किए गए लेकिन वामपंथी मीडिया (ख़ासकर न्यूज़लॉन्ड्री) ने "मंदिर पर हमला हुआ ही नहीं" का नैरेटिव गढ़ा।
आसमानी गुलेलों और पेट्रोल बम की पड़ताल करना न्यूज़लॉन्ड्री जैसों के लिए अपने अन्नदाताओं को निराश करने वाली बात होगी। इसलिए अपने अन्नदाताओं के खिलाफ जाकर पतझड़ कुमार को कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, ऐसा न हो कि उनके खिलाफ जाते ही भारत में बेरोजगारी के आँकड़ों में पतझड़ कुमार भी योगदान करते हुए नजर आएँ।
रिपब्लिक ऑफ़ बज़ ने इस खबर का शीर्षक रखा है - "हिंदू मॉब ने 13 साल की एक मुस्लिम लड़की का जाफराबाद में गैंग रेप किया।" इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आरोपित हिंदू भीड़ ने जिस कॉलोनी में दीबा रहती है, वहाँ तबाही मचाई और मुस्लिमों के साथ अत्याचार किए।
'द वायर' ने इन दोनों स्कूलों को लेकर अपनी 'ग्राउंड रिपोर्टिंग' में झूठ फैलाया है। प्रोपेगंडा पोर्टल ने दावा किया है कि दोनों स्कूलों के मालिक समुदाय विशेष से ही हैं। बता दें कि डीआरपी स्कूल के ओनर पंकज शर्मा हिन्दू हैं।
भाषण के शुरू में ही मोहन भागवत स्पष्ट कहते सुने जा सकते हैं कि शब्दों का अर्थ बदलता जा रहा है। इसके बाद ही उन्होंने बताया है कि राष्ट्रवाद शब्द के इस्तेमाल करने पर आपके कथन का सीधा अर्थ फासीवाद और नाजीवाद से जोड़ दिया जाता है।
एक नजर में कोई भी इस फोटो के झूठ को कैप्शन देखकर सच मान लेगा। लेकिन उसी समय की वास्तविक तस्वीर को देखा जाए तो, पता चलेगा कि गिरोह का प्रोपगेंडा 10 मिनट से ज़्यादा नहीं चल पाता।
राहुल गाँधी ने बेशर्मी से दावा कर दिया कि एक-एक महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर मोदी सरकार को ग़लत साबित कर दिया। वे भूल गए कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार नहीं, मनमोहन सरकार लेकर गई थी।
ट्रेन में हुई सागर नामक व्यक्ति की हत्या के आरोपितों के मुस्लिम होने की खबर में कितनी सच्चाई है? क्या बुरका पहनी औरतों के साथ चल रहे पुरुषों ने ली उसकी जान? जानिए क्या है सच।