Thursday, November 21, 2024

कला-साहित्य

बिन दाढ़ी मुख सून… कौन थे हाथरस वाले प्रभुनाथ गर्ग, PM मोदी ने पढ़ा जिनका दोहा तो ठहाकों से गूँज उठी संसद: सामाजिक-राजनीतिक कुरीतियों...

जब काका हाथरसी सिर्फ 15 दिन के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। बड़े भाई भजन लाल उस समय केवल 2 साल के थे। प्रभुनाथ गर्ग से ऐसे बने 'काका'।

‘जीवित नाथूराम गोडसे ही नहीं, उसकी लाश और राख तक से डर गई थी नेहरू सरकार’: पुस्तक लॉन्च में प्रखर श्रीवास्तव का खुलासा, ‘हे...

प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि न सिर्फ जीते-जी नाथूराम गोडसे से तत्कालीन कॉन्ग्रेस सरकार डरी हुई थी, बल्कि उसकी लाश और राख से भी वो डर गई थी।

‘नेशनल कॉलेज’ और भगत सिंह के राजनीतिक गुरु: ‘पगड़ी सँभाल ओ जट्टा’ के पीछे की कहानी कहता है ‘क्रांतिदूत’ का 5वाँ भाग ‘बसंती चोला’

महाराजा रणजीत सिंह की सेना में भगत सिंह के पूर्वज खालसा सरदार थे। 'नेशनल कॉलेज' में गुलामी की ज़ंजीरें मुक्त करने के विचारों की शिक्षा दी जा रही थी।

असत्यमेव जयते: बर्बर-नीच था हिंदू समाज, सूफी-मिशनरी के कारण सौहार्द्र-सभ्यता… वामपंथियों के लिखे झूठे इतिहास को आईना दिखाती पुस्तक

"वामपंथी गैंग ने विक्रम संपत की किताब पर भी अटैक किया। 'असत्यमेव जयते' पुस्तक को भी वो टारगेट करेंगे क्योंकि ये किताब उन्हें चुभेगी।"

पलायन से जूझते बिहार में आधी रात को रोती-कलपती स्त्रियों की आवाज़ बना जो ‘महानायक’… राम से शुरू हुई एक गरीब की यात्रा, जो...

इन्हें संभ्रांत वर्ग ने अपनाने में कोई खास रुचि नहीं दिखाई। आज भोजपुरी प्रदेश में ही आपको कई लोग ऐसे मिल जाएँगे, जो भिखारी ठाकुर को नहीं जानते हों।

महाराष्ट्र के छोटे से गाँव से लेकर लंदन तक, वीर सावरकर ने कैसे खड़ी की क्रांतिदूतों की विशाल सेना: पुनः राष्ट्रवाद की अलख जगाती...

'मित्रमेला' वीर सावरकर के द्वारा बनाया गया संगठन था, जो कि विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक व देशभक्ति से संबंधित आयोजन करता था। कई क्रांतिदूत इससे जुड़े।

मरते हुए पल्लव राजा के दो अधूरे स्वप्न.. पुल्लालूर में भव्य मंदिर… अंग्रेजों-मुगलों नहीं, 7वीं शताब्दी में वातापी के युद्ध पर अरुण कृष्णन की...

बात ये है कि वामपंथी इतिहासकारों और उपन्यास लेखकों ने कभी भारतीय इतिहास को छुआ ही नहीं। अंग्रेजों और मुगलों का गुणगान करते हुए दशकों काट दिए।

‘अहिंसा से मिली आज़ादी’ वालों को जवाब है काशी के क्रांतिवीरों की गाथा, वो दौर जब मातृभूमि को समर्पित हुआ करते थे पत्रकार

कलम की ताकत व हौसला तो देखें कि 'स्वराज्य पत्र' को निरंतर संपादित व प्रकाशित करने के लिए कितने ही कलम क्रांतिवीर बलिदान हो जाते हैं।

अरब को जीतने वाले बप्पा रावल से लेकर औरंगजेब को हराने वाले राज सिंह तक: ओमेंद्र रत्नू की पुस्तक में हजार वर्षों का इतिहास,...

ओमेंद्र रत्नू ने 'Maharanas: A Thousand Year War For Dharma' पुस्तक लिख कर हिन्दू धर्म व राष्ट्र के लिए सराहनीय कार्य किया है। हिंदी में भी है उपलब्ध।

स्वतंत्रता सेनानियों के गुप्त प्रवास की एक गाथा, कैसे जुटाए अर्थ और अस्त्र : क्यों पढ़नी चाहिए ‘क्रांतिदूत’ की झाँसी फाइल्स

काकोरी कांड के बाद जिस तरह अंग्रेजी पुलिस क्रांतिकारियों की तलाश में कुत्तों की तरह घूम रही है। ऐसे में इनका सुरक्षित और गुप्त रहना ज़रूरी था।

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें